Sony Sab tv Alibaba Dastan- e- Kabul ki story kya hai ?
कहानियाँ, Stories क़िस्सा गल्प या कथा, चाहे हम इसे किसी भी नाम से पुकार ले, इसका एक ही मतलब होता है - कल्पना से गढ़ी गयी एक ऐसी दुनियाँ, जहाँ इंसान कभी पहुँच नहीं सकता मगर वो उस दुनियाँ के बारे में तरह- तरह की विचित्र और अनोखी बातें लिखकर, लोगों का मन बहलाता रहता है.
इंट्रोडक्शन
जिस तरह हमारी संस्कृति में कहानियों का खज़ाना है उसी प्रकार अरबी संस्कृति में भी क़िस्सों का अपना एक समंदर है जिसमे मिलने वाली एक -एक कहानियों की मोती अनमोल और निराली है. उन्ही कहानियों के खजाने में एक अध्याय अरेबियन नाइट्स (Arabians nights) का भी आता है. सिंदबाद जहाजी, अलिफलैला, अलादीन का चिराग और अलीबाबा चालीस चोर, ऐसे ही कुछ अनमोल क़िस्से हैं जिन्हें लोग आज भी पढना और सुनना पसंद करते हैं.
वैसे अब तक अरेबियन नाइट्स पर तो बहुत सारी कहानियों की सीरिज बन चुकी है मगर इस बार सोनी सब टी.वी जो स्टोरी अलीबाबा और चालीस चोर की कहानी लेकर आया है वो बहुत ही दिलचस्प और ख़ास है. रोज़ाना सोमवार से शुक्रवार 8 बजे Sony Sab Tv पर प्रसारित होने वाले इस शो का नाम भी थोडा अलग है . इस कहानी एवं शो का नाम "अलिबबा दातन -ए- काबुल" है.
अब तक इस शो अलिबबा दास्तान- ए- काबुल के कुछ 7 एपिसोड्स Sab Tv पर प्रसारित हो चुके हैं . सारे एपिसोड्स 22 मिनट के हैं. इस शो की खासियत ये है कि ये आपको शुरु से बांधे रखती है. कहानी से लेकर फिल्माए गए दृश्य और ग्राफ़िक्स इस शो की USP है. खासकर के ग्राफ़िक्स. पहला एपिसोड देखकर ही दर्शक इस शो से जुड़ जाए, ऐसी खूबी रखता है यह शो. इस शो का निर्माण उसी प्रोडक्शन हाउस पेनिन्सुला पिक्चर्स ने किया है जिन्होंने पहले Sony Sab tv के लिए ही अलादीन और HERO बनाया था. अलादीन तो काफी अच्छा चला मगर Hero नहीं चल पाया जिसके बाद प्रोडूसर ने इस नए कांसेप्ट को तैयार किया और अभी कुछ दिनों पहले ही इसका प्रसारण हुआ.
सब टी.वी अली बाबा ( Alibaba) दास्तान- ए-काबुल की कहानी क्या है?
इसकी कहानी अलिबबा चालीस चोर की ज़रूर है मगर वैसी नहीं जैसी की पुरानी थी. इसमें बहुत कुछ बदलाव किये गए हैं और वो बदलाव अच्छे भी लगते हैं. कहानी शुरु होती है एक बीहड़ रेगिस्तान इलाके से, जहाँ काबुल के शहर परवाज़ के एक सैन्य कमांडर ने अपना पड़ाव डाल रखा है और वो अपने लोगों को उस हैवान इबलिश चोर की कहानी सुनाता है जो चालीस चोरो का सरदार था.
तभी अचानक वहां घड़ों पर सवार चालीस चोर अपने सरदार के साथ आते हैं और चोरों का सरदार परवाज के सैन्य कमांडर को डराकर ये हुक्म देता है कि वो काबुल की शहजादी मरियन के लिए जो आशियाना बनने वाला है उसके ठेके का काम परवाज़ शहर के मामूली नामक गली में रहने वाले एक नौजवान अलीबाबा को दे दे. कमांडर डरकर हां बोल देता है. इसके बाद हमें पता चलता है कि ये अलीबाबा और उसकी के साथी हैं जो गरीबी और बेरोज़गारी से झूझ रहे हैं.
अलीबाबा जो कुछ यतीम बच्चों को पालता है, शहर परवाज़ का एक छोटा मोटा ठेकेदार है तो जो छोटे-मोटे काम करके अपना और उन यतीम बच्चों का जीवन चलता है. लेकिन इस कहानी में नयापन ये है कि अलीबाबा किसी मुस्तफा दर्जी का बेटा नहीं बल्कि वो एक महान जादूगर, जादूगर मुस्तफा का बेटा है. वर्षों पहले जादूगर मुस्तफा ने ही अपनी जादू की शक्ति से परवाज़ शहर के लोगों को उन खतरनाक चालीस चोरों और उनके सरदार से बचाया था. मुस्तफा की जादुई शक्ति की वजह से आज भी सभी चालीस चोर पत्थर की बुतों में तब्दील हैं और सरदार चोर ईब्लिश की आत्मा एक तालिस्मान नामक शक्ति में कैद है जिसके दो तुकडे हैं. एक टुकडा अलीबाबा के गले हैं और दूसरा समुद्र की गहराइयों में.
लेकिन अलीबा को ना तो बचपन की कोई बात याद है ना ही उसे उस ताबीज़ के बारे में पता है जो उसके गले में है. सिमसिम नामक एक लड़की जो ईब्लिश की प्रेमिका है, उस खजाने वाले गुफे के पहरेदार है जिसे इंतज़ार है ईब्लिश के जागने का. सिमसिम गुफे से बाहर नहीं जा सकती इसलिए उसके काम को अंजाम देने के लिए काबुल के बादशाह का साला उसके साथ मिला हुआ है. वहीँ दूसरी ओर काबुल के बादशाह की बेटी मरियम जो एक बहुत ही भोली और नेक दिल राजकुमारी है उसका निकाह हिरत के राजकुमार से होना तय हो चुका है.
इसी बीच कुछ खगोलीय घटनाएँ शुरु हो जाती हैं और काबुल के बादशाह को याद आता है जादूगर मुस्तफा की बातें, जिसमे उसने कहा था कि वो दुनियाँ वालों को कभी ये पता न चलने दे की शहजादी मरियम कौन है और कैसी दिखती है वरना उस पर खतरा मंडरा सकता है. इसी के बाद मरियम को हिरत शहर भेज दिया जाता है.
क्रमशः
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