नीम भारत की वो प्राचीन वनस्पति है जो आज भी भारत के हर घर - आँगन में देखा जाता है. आज इसके गुणों को देखते हुए भले ही इसे विदेशों में तेज़ी से उगाया जा रहा लेकिन ये एक भारतीय वृक्ष है जिसकी उत्पत्ति बहुत पुरानी है. इसका प्रयोग हमारे ऋषि मुनि पौराणिक काल से करते आ रहे हैं..ये वृक्ष ना केवल घनी छाया देता है बल्कि इसके आस पास रहने वाले बीमार प्राणी भी स्वत: ही ठीक हो जाते हैं. इसके फल को कोई नहीं खाता ना ही कोई जीव इसकी पत्तियों को ही खाना पसंद करता है क्यूंकि ये स्वाद में बहुत कडवा होता है. लेकिन यही कडवापण इसकी विशेषता है.
Neem और Turmeric की एक गोली आपके लिए एक वरदान कैसे हैं?
रिसर्च बताते हैं कि नीम की पत्तियों में सौ से अधिक रासयनिक तत्त्व पाए जाते हैं. इससे स्वास्थ , ऊर्जा और आध्यत्मिक तीनो प्रकार से कार्य लिए जाते हैं. नीम हमारे आहार के मार्ग को बिल्कुल साफ़ कर देता है. शरीर में कुछ विशेष स्थान होते हैं जहाँ जीवन की कोशिकाएं सभी अधिक मात्रा में पाई जाती है. उनकी के कारण हम जीवित हैं और हम अपना भोजन भी आसानी से पचा भी लेते हैं. सारे कार्य उन्ही कोशिकाओं के कारण होते हाँ.
यह नीम, इस पेड़ का गाँव-घरों में अधिकता होने के पीछे एक ही कारण है कि ये किसी संजीविनी बूटी से कम नहीं.चाहे इसकी पत्ती हो, फल या या फिर इसके पेड़ से निकालने वाले गोंद. यह आज भी कई बीमारियों के इलाज में एक रामबाण औषधि की तरह काम करता है. मगर आज के पढ़े लिखे युवा इसकी उपयोगिया से अनभिज्ञ हैं. आइये जानते हैं इसकी उपयोगिता के बारे में.
ज्वर में नीम -
नीम की सीकें एक तोला, काली मिर्च 6 नग, दोनों को पीसकर पानी के साथ पीने से सब प्रकार का ज्वर दूर हो जाता है
नीम के फल की गिरी , सफ़ेद जीरा, पीपल ये सब चीज़ें सामान भाग में लेकर करेले के रस में 24 घंटे खरल करके सुखा लें. सूख जाने पर पुन: करेले के रस में घोंटकर एवं सुखाकर कपडे में छानकर रख लें. इस चूर्ण को ज्वर सलाई द्वारा सुरमे की तरह आखों मर अंजाने से ज्वर उतर जाता है.
नीम के पत्तों के दो तोले रस को गर्म लोहे में छौंककर पीने से ज्वर नष्ट हो जाता है.
नीम मलेरिया में
नीम की पत्तियाँ 1 तोला, भुनी हुई फिटकरी, ६ माशा दोनों चीज़ों को पानी के साथ पीसकर डेढ़ डेढ़ रत्ती की गोलियां बना लें. ज्वर आने के दो घंटे बाद एक गोली का सेवन करे. इससे मलेरिया ज्वर रुक जाता है .
आतप ज्वर में नीम
5 तोले नीम के पंचाग का क्वाथ , 2 तोले मिश्री मिलाकार पीने से लू लगने पर आया हुआ ज्वर दूर हो जाता है
हैजा में नीम
हैजा में नीम सीकें 4 नग, इलायची बड़ी 1 नग,लौंग 5 नग, नारियल की जटा की भष्म 2 रत्ती , सब चीज़ें एक छटांक जल में बारीक पीसकर थोडा गर्म कर लें . दो दो घंटे के अंतराल में इस औषधि को पिलाने से हैजे में बहुत लाभ मिलता है .
मन्दाग्नि में नीम :
पकी हुई निबोलियों को नित्य खाने से मन्दाग्नि और रक्त विकार में आशातीत लाभ होता है .
जुकाम में नीम
नीम की पत्तियाँ 1 तोला, काली मिर्च 6 माशे, दोनों चीज़ें नीम के डंडे से बारीक घोंटकर चने बराबर गोलियां बनाकर छाया में सुखा ले गर्म जल के साथ तीन चार गोलियां खाने से जुकाम दूर हो जाता है.
प्लेग में नीम
प्लेग के दिनों में नीम का तेल लगाने से तथा पत्तियों की धूनी देने से प्लेग में रक्षा होती है.
प्लेग में नीम की पत्ती और काली मिर्च पीसकर पिलाना अत्यंत हितकारी होता है.
वमन करने पर नीम :
नीम के सीकें 7 नाग गर्म राख में भुनभुना कर , 2 बड़ी इलायची और 5 काली मिर्च के साथ बारीक पीसकर , आधी छटांक पानी के साथ पीने से वमन होना बंद हो जाता है .
किन्तु शरीर में कुछ ऐसे भी कोशियायें बनती hai जो हमें नुक्सान भी पहुंचाती hai. नीम गुणकारी तो hai ही यदि इसे हल्दी के साथ लिया जाए तो जो शरीर के लिए ज़रूरी नहीं वो अपने आप ही नष्ट हो जाते हैं.
हल्दी (Curcuma longa) अदरक परिवार का ही एक पौधा है, जो दक्षिण पूर्व एशिया में बहुतायात पाया जाता है. आमतौर पर हल्दी के रूप में जाना जाने वाला मसाला बनाने के लिए पौधे के राइजोम (भूमिगत तने) को सुखाया जाता है और पाउडर में डाला जाता है। यह आमतौर पर खाना पकाने में प्रयोग किया जाता है, विशेष रूप से भारतीय और मध्य पूर्वी व्यंजनों में इसका अधिकतर प्रयोग किया जाता है हल्दी में प्राथमिक सक्रिय संघटक कर्क्यूमिन है, जो इसके विशिष्ट पीले रंग और इसके कई स्वास्थ्य लाभों के लिए जिम्मेदार है। करक्यूमिन एक शक्तिशाली एंटी-इंफ्लेमेटरी कंपाउंड है और संभावित स्वास्थ्य लाभ के लिए जाना जाता है. यह मस्तिष्क के कार्य में सुधार, हृदय रोग के जोखिम को कम करना और गठिया और अवसाद के लक्षणों को प्रबंधित करने में मदद करता है..
जब हल्दी और नीम का मिश्रण होता तो एक विशेष रसायन तैयार हो जाता है. अधिकतर लोग इसके बारे में नहीं जानते. चरक संहिता में कई वनस्पतियों जड़ी बूटियों के बारे में बताया गया है. लेकिन हल्दी और नीम के महत्व कुह अधिक ही है. हल्दी और नीम की एक छोटी सी गोली के सेवन से आपके भीतर जो रासायनिक प्रक्रिया होगी उससे आपके पुराने बेकार कोशिकाएं मृत होते चले जायेंगे और नए कोशिकाओं का जन्म होना शुरू हो जाएगा. यही किशिकाएं हमारे भीतर उमंग, औज और तेज़ लाती है जो हमे जवान बने रहने का अनुभव दिलाती है. वैसे तो आयुर्वेद में कोई भी वनस्पति नुक्सानदेह नहीं किन्तु फिर भी सेवन से पहले वैध कि उचित सलाह ले लेनी चाहिए.
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