कुम्भकर्ण की कहानी हिंदी में @Story Kumbhkran ki Hindi mein

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कुम्भकर्ण की कहानी हिंदी में @Story Kumbhkran ki Hindi mein


कुम्भकर्ण की कहानी........

Kumbhkarna ki story in hindi



रामयण पढने या देखने पर हमें बहुत से पात्रों के बारे में पता चलाता है उन्ही पात्रों में एक पात्र Kumbhkarna का भी है...वह ऋषि व्रिश्रवा और राक्षसी कैकसी का पुत्र तथा लंका के राजा  लंकेश का छोटा भाई था...जिस प्रकार लंकेश रावण के नाम क़ा अर्थ है दूसरों को रुलाने वाला, उसी प्रकार कुम्भकर्ण के नाम का भी एक अर्थ है..कुम्भ का अर्थ होता  है घड़ा और कर्ण  का मतलब होता है कान...बचपन से ही बड़े- बड़े कान होने के कारण इसका नाम कुम्भकर्ण रख दिया गया था...यह रावण के अलावे विभीषण और शूर्पनखा का बड़ा भाई भी था..



माना जाता  है कि बचपन से ही इसके पास शारीरिक भीषण बल था, इतना कि एक बार में यह जितना भोजन करता था उतना कई नगरों के प्राणी मिलकर भी नहीं कर पाते थे...पौराणिक ग्रंथों के अनुसार जब इनकी माता ने तीनों भाइयों को तपस्या करने के लिए भेजा तो कुम्भकर्ण ने पहले से ही सोच लिया था कि वो वरदान में माता सरस्वती से इंद्र का इन्द्रासन ही मांग लेगा...देवता गण इसी बात को  लेकर परेशान थे..जब सभी देवता महादेव के पास गए तो महदेव ने उन्हें उपाय के रूप में बताया कि इस समस्या समाधान केवल देवी सरस्वती ही कर सकती हैं...जिसके बाद जब भगवान ब्रह्मा जी ने कुम्भकर्ण को  दर्शन दिए और वो वरदान में इन्द्रासन मांगने को हुआ तो माता सरस्वती कुम्भकर्ण की जिह्वा पर बैठ गयी जिसके बाद कुम्भकर्ण ने जब ब्रह्मा जी से वरदान माँगा तो उनके मुख से इन्द्रासन की जगह निद्रासन निकल गया...




निद्रासन अर्थात सोने रहने का वरदान..ब्रह्मा जी ने तत्काल कुम्भकर्ण की वो इचा पूरी करते हुए उसे निद्रासन का वरदान दे दिया.. परंतु बाद में जब कुम्भकर्ण को इसका पश्चाताप हुआ तो ब्रह्मा जी ने दया दिखाकार इसकी अवधि घटा कर एक दिन कर दिया जिसके कारण यह वह छः महीने तक सोता रहता फिर एक दिन के लिए उठता और फिर छः महीने के लिए सो जाता...परंतु ब्रह्मा जी ने उसे  सचेत भी किया कि यदि कोई  उसे बलपूर्वक उठाएगा तो वही दिन कुम्भकर्ण का अंतिम दिन होगा...और ऐसा ही हुआ जब रावण के सभी सैनिक श्री राम के हाथों मारे जाने लगे और उनके कई सगे सम्बन्धियों का नाश हो गया तो रावण ने कुम्भकर्ण को जगा दिया aur इसी कारण श्रीराम के हाथों उसका भी वध हो गया...कुम्भकर्ण दिखने में बहुत ही अत्यधिक बलशाली और भीमकाय असुर था और वो एक साथ पूरे गाँव इतना भोजन खा जाता था...इस बात वर्णन रामचरित मानस में भी है..पुराणों  के अनुसार कुम्भकर्ण अपने पूर्व जन्म में असुरराज हिरन्याक्श्यपू का छोटा भाई हिरण्याक्ष था जो पृथ्वी को पाताल ले जाने के क्रम में नारायण वराह अवतार द्वारा मारा गया था..



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