उमेश पाल केस :- अब क्या होगा कातिल उस्मान और अरबाज़ के परिवार का ??

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पहले एनकाउंटर में अरबाज़ नाम का एक ड्राईवर मारा गया और दूसरा कल उस्मान चौधरी नाम का व्यक्ति ढेर हुआ. ये दोनों मर गए लेकिन क्या अब इनकी रूह या आत्माएं उनके बीवी बच्चों और उनके माता - पिता के दुखों की भी ह्त्या करने आयेंगे..?


उमेश पाल केस :- अब क्या होगा कातिल उस्मान और अरबाज़ के परिवार का ??


कहते हैं जब व्यक्ति तैश या गुस्से में आ जाता है तो उससे अपराध हो जाता है. अपराध भी कई प्रकार के होते हैं. लेकिन किसी की ह्त्या कर देना इसे कानून की दृष्टि में बड़ा अपराध माना जाता है. मनोविज्ञान की माने तो अपराध करते वक़्त व्यक्ति का मस्तिस्क उन चीज़ों के बारे में सोचना बंद कर देता है जो आगे घटित होने वाला हो.



                                                             




यानि कि एक अपराधी किसी की ह्त्या करते वक़्त ये कभी नहीं सोच पाते कि इसके बाद उसका क्या परिणाम निकलने वाला है. यदि उससे किसी का खून हो जाए तो उसका असर उस पर, समाज पर या फिर उसके घर-परिवार के लोगों पर क्या होने वाला है.?? वो सोच नहीं पाता तभी तो अपराध कर बैठता है. लेकिन वो सोच क्यूँ नहीं पाता? क्यूंकि जब वो अपराध नहीं कर रहा होता है तो  वो सब कुछ सोच पा रहा होता है लेकिन फिर उस वक़्त क्यूँ नहीं सोच पाता जब वो किसी अपराध को अंजाम दे रहा होता है.?? 


मेरे अनुसार इसके पीछे मुख्य कारण है उस परिवेश और संगती का जिनके साथ व्यक्ति रहता है. हम भले ही मानव है, लेकिन फिर भी हमारा दिमाग एक कंप्यूटर की तरह की एक मशीन ही है..वहां वहीँ प्रोग्राम इंटाल होते हैं जो आप डालते रहते हैं. बुरी संगती एक ऐसे ही बुरा सा सोफ्टवेयर है जो यदि एक बार हमारे दिमाग रुपी कंप्यूटर में इंटाल हो जाए तो फिर वो उसी के मुताबिक़ काम भी करने लगता है. कुछ लोग इसे इंस्टाल तो करके रखते ही हैं, बार बार इस पर क्लीक करके इसे एक्टिव भी रखते हैं. यही कारण होता है कि हम बस उस अपराध के बारे में सोचते हैं जो हमे करना है.


हर अपराधी को पता होता है कि उसके अपराध का परिणाम गलत होगा. उसका खामियाजा उसके परिवार को भुगतना होगा फिर भी वो अपराध कर बैठता है. लेकिन देखा जाए तो अपराध के बाद एक परिवार का ढांचा ही बदल जाता है. यदि हम अभी वर्तमान में चल रहे केस उमेशा पाल का उदाहरण ले तो पाते हैं कि उन्हें ५-६ लोगों ने मिलकर मार डाला. लेकिन अब पुलिस उन अपराधियों का एनकाउंटर कर रही जिन्होंने उस अपराध को अंजाम दिया. 


पहले एनकाउंटर में अरबाज़ नाम का एक ड्राईवर मारा गया और दूसरा कल उस्मान चौधरी नाम का व्यक्ति ढेर हुआ. ये दोनों मर गए लेकिन क्या अब इनकी रूह या आत्माएं उनके बीवी बच्चों और उनके माता - पिता के दुखों की भी ह्त्या करने आयेंगे..? वो नहीं आ सकते..क्यूंकि अब वो इस संसार से अलविदा कह चुके हैं. उन्हें अपने बीवी बच्चों को छोड़कर जाना पड़ा ? उन्हें किसी ने नहीं भेजा वो खुद गए..? जब खुद जाना था तो शादी क्यूँ की ? बच्चे क्यूँ पैदा किये. अपराध क्यूँ किया? तुम्हारे अपराध का दंड तुम्हारे बीवी बच्चे क्यूँ भोगे ? तुमने सोचा क्यूँ नहीं. ? 


तुमने सिर्फ एक आदमी की ह्त्या नहीं की अपने अपने परिवार की ह्त्या की है. आप खुद देख सकते हैं इस स्त्री के दुःख को...लेकिन कभी- कभी तो ये भी सोचता हूँ क्या पत्नियों को अपने उन बदमाश पतियों की हरकतों के बारे में पहले से कुछ पता नहीं होता? या वो सब कुछ जानकार भी शांत रहती है ? अगर शांत रहेंगी तो फिर ऐसे दिन देखने के लिए भी तैयार रहना चाहिए.

 


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