अप्सरा की जादुई साडी
कहानी बरेली में रहने वाले एक ऐसे गरीब धोबी की है जिसकी तीन महँगी साड़ियों को
चूहे ने कुतर खाया है..लेकिन ऐसी विकट परिस्थिति में उसे एक जादुई अप्सरा की साडी
मिल जाती है. लेकिन वो साडी अब कैसे उस गरीब धोबी के लिए आफत बन जाती है यही आगे
की सम्पूर्ण कहानी है.
लेखक :- श्रीकांत विश्वकर्मा
सीन. 1
लोकेशन – रास्ता + धोबी की दूकान
ननकू, मस्तराम. पूनम. ज्योति. रानी
सीन शुरू होता है, वाइड शॉट में हम दिखाते हैं धोबी मस्त-राम अपनी सायकिल के पीछे कपड़ों की पोटली लादे घंटी बजाता हुआ चला जा रहा है..वौइस् ओवर जाता है...
V/O - ये हैं रसिकपुर
के एकलौते धोबी मस्तराम... मस्त तो रहते हैं
लेकिन राम के नाम से नहीं, लक्ष्मी जी के नाम से...मतलब पैसा..वैसे, खानदानी हैं.. इनके दादा परदादा राजा महाराजों के ज़माने के धोबी
थे..लेकिन रसिकपुर का राज पाट
गया तो, इनका भी ठाट –बाट ले गया. समय के साथ इनकी हालत
इतनी हिल गई कि मस्तराम अपनी लौंड्री के
मालिक होते हुए भी गधे की तरह काम करते हैं और जो नौकर है वो दिन भर आराम करता है.
हम दिखाते हैं ननकू दूकान के पास मस्त चारपाई पे लेटा मुस्कुराते हुए सपने देख रहा है..तभी मस्तराम सायकिल खड़ी करके ननकू के पास आता
है और मुस्कुराते हुए ननकू को देखकर कहता है.
मस्तराम – का टंच ज़िन्दगी
है इसकी ! जागते भी मस्ती और सोते भी
मस्ती... और इहाँ हमरा ई हाल है कि हम सपने में भी कपड़े धोते रहते हैं... ( ननकू
को जगता है ) अरे ननकू सरऊ अभी तक सो रहा है...?
ननकू अब सपने में हँसते हुए बडबडाता है
ननकू – प्लीज़- प्लीज़ -
प्लीज़... एक बार हाँ बोल दो मेरी जान... तुम्हारा दुःख - दलिदर सब दूर कर देंगे...
मस्तराम – सरऊ ! हमरा खाओगे और दुःख - दलिदर किसी और का दूर करोगे ? साले...
अभी हम तुम्हरा बुखार छुड़ाते है...
ननकू उठता नहीं तो मस्तराम उसकी खाट ही पलट
देता है....
ननकू (नींद में चिल्लाता
है) - धरती पलट गयी मालिक ..धरती पलट गयी...
मस्तराम - अभी धरती पलटी
नहीं है बेटा लेकिन तुम्हरी यही चाल –चलन रही तो हमलोग जल्दी ही रसिकपुर से पलट
जायेंगे...मांगे भीख नहीं मिलेगा
काहिल कहीं का ... सारा सपना पिछवाड़े में घुस जाएगा... जब देखो तब सोता रहता है ...
ननकू – मिस्टेक हो गया मालिक...
लेकिन का ( क्या ) करेंगे , किसी
को ना किसी को तो आना ही था. राह देखते –देखते ग्राहक नहीं आए लेकिन ससुरी नींद आ
गई...
मस्तराम – बना लो बात
बेटा लेकिन कहावत सुनी है ना ? जो जागत है सो पावत है और जो सोवत है सो..
ननकू – खोवत है...
मस्तराम – नहीं फिर मिस्टेक हो गई है तुमसे... जो सोवत है उसका पगार जावत है.. अब सोते रहो आराम से... कुछ नहीं मिलेगा इस महीने.. वैसे भी जीतना दिन अपना धंधा चल रहा है सो चल
रहा है, वरना एक दिन अपनी भी लगने ही वाली है.
क्योंकि रसिकपुर वालों के घर -घर में लाइट वाली स्त्री लगती जा रही है...
धोबी मस्तराम अपने टूटे–फूटे दूकान को झाड़ता है. दूकान का नाम लिखा है “नंबर वन मस्तराम धोबी की दूकान”.
ननकू – सही कह रहे हो मालिक... अपने धंधे पर ख़तरा तलवार
की तरह लटका हुआ है... अब मैं सिरियस हो
कर काम करूंगा... अच्छा किया आपने मेरी आखें खोल दी...
मस्तराम – तो अब पोटली भी खोल लो... और देखो
गिनकर कितने कपडे हैं.... और कब तक उसे स्त्री
कर पाओगे ?
मस्तराम पूजा पाठ करता है. ननकू कपडे गिनता है...तभी वहां एक सुन्दर सी
औरत पूनम भाभी अपने कपडे लेने आती है. ननकू की की नज़र हमेशा की
तरह पूनम भाभी पर टिक जाती है.
ननकू ( सोचता है ) v/o – नीचे वाले मालिक ने
सपना तोड़ दिया लेकिन ऊपर वाले मालिक ने तो साक्षात पूनम भाभी को भेज दिया... कैसे कोई इतनी हसीन हो सकती है... अब कपड़ा
गिने कि रूप निहारे समझ में ही नहीं आ रहा है !!!
पूनम भाभी – ( बुदबुदाती
है ) कमीना ऐसे देखता है कि लगता है इसकी
नज़र मेरी बॉडी की आर – पार कर देगी !!
धोबी ननकू को इशारे से डांटता है फिर संभालता
है...
मस्तराम – आ गए हमारे पहले भगवान... मतलब देवी जी... भाभी
आपके चरण पड़ते नहीं कि हमारी दूकान में तेज़ी आ जाती है... कहिए क्या सेवा करूँ
?
तभी पूनम अपनी साडी मांगती है.
पूनम भाभी – मैं सेवा
करवाने नहीं आई हूँ... साड़ी दो मेरा... मैं जाऊं नहीं तो तुम्हारा बटला तो लगता है मुझे देख –देख के ही खा जाएगा...
मस्तराम – ई का सुन रहे
हैं ननकू ? एक तो तेरा काम धाम तेरह बाईस ऊपर से हमारा ग्राहक बिगाड़ेगा ?
ननकू – नहीं मालिक... हम
तो पवित्र भाव से देखते हैं... जी करता है ... जल –फूल चढ़ा के पूजा कर ले...
मस्तराम – चुप साला...
काम कर अपना.... ( फिर भाभी से कहता है ) एक मिनट भाभी जी अभी देते है... आपकी
साड़ी तो कई दिन से तैयार है... हम तो
इंतज़ार ही कर रहे थे आपका...
मस्तराम पूनम भाभी की साडी ढूंढता है
तब तक पूनम का फोन अता है. अपनी सहेली से उस
कीमती और फैशनेबल साडी की चर्चा करती है जो उसने नयी नयी खरीदी है और कल पहनकर
पार्टी में जाने वाली है.
पूनम भाभी – हाँ –हाँ कल
की पार्टी की ही तैयारी कर रही हूँ... बताया
था ना बनारसी सिल्क की साड़ी ली है ... जितनी की साड़ी है उतने में सोने का एक गहना
बन जाता... हाँ , वही पहनूंगी... अरे फोटो
क्या भेजूं... सरप्राइज तो रहने दो... कल ख़ुद ही देख लेना...
तभी मस्तराम देखता है कि पूनम भाभी की उस कीमती
साडी को चूहे ने बीच से कुतर दिया है. मस्तराम चकित होकर मन ही
मन बडबडाता है
मस्तराम – हे भगवान अब
क्या करे ! गहने से भी महंगी है ये साड़ी...
ये साले चूहे मेरी ही मारने में लगे हैं. खाते भी मेरी है और बजाते भी मेरी
ही है... आज तो इनका पक्का इलाज करके रहूँगा... लेकिन भाभी का क्या करूँ... कुछ तो
करना पड़ेगा नहीं तो जान ले लेगी मेरी...
मस्तराम साडी की कीमत सुनकर सुनकर रिएक्ट करता
है जब पूनम फोन पर बात करती है. तभी मस्तराम झूठ मूठ का
साडी ढूंढते हुए अचानक से पूनम भाभी की सुन्दरता की तारीफ करने लगता है और फिर
प्यार से बोलता है
मस्तराम – एक बात बोले
भाभी जी... साड़ी कितनी भी कीमती हो लेकिन
शरीर ब्यूटीफूल नहीं हुआ तो सब बेफिजूल है... आप तो कैसी भी साड़ी पहन ले, वो
कीमती हो जाएगी... क्योंकि भगवान ने टाइम दे के बनाया हैं आपको...
पूनम भाभी – ननकू वाला
काम तुम ले लिए हो क्या जो लगे, मेरी बॉडी की तारीफ़ करने... ? चुप –चाप साड़ी दो मेरी, मेरे पास टाइम नहीं
है...
मस्तराम – भाभी जी वो...
आप कई दिन से आ नहीं रही थी तो साड़ी कहीं रखा गई है... आप बाद में आइए तब तक ढूंढ
कर रखते हैं...
पूनम चली जाती है. मस्तराम को गुस्सा आता है और डंडा लेकर छिपे हुए चूहे को ललकारता हुए कहता है.
मस्तराम – साले चूहे की
औलादों... गहने से भी कीमती साड़ी को तुमलोगों ने कुतर दिया... हरामखोरों... नाक
में दम कर रखा है... आज निकालो बाहर...
काल बन के नहीं बरसा तो हमारा नाम भी मस्तराम नहीं...
ननकू – इतना गुस्सा
काहे मालिक ? का हो
गया ?
मस्तराम ननकू को चूहे की कुतरी साडी दिखाता है..
मस्तराम – ई देखो..
ननकू – अरे बाप रे ! ई तो
सर्वनाश कर दिया है... आप तो हर्जाना भरने में मालिक से नौकर बन जाएंगे फिर भी
नहीं भर पाएंगे...
मस्तराम – अरे टेंशन मत
दो... निकालों सालों को...
ननकू भी ललकारता है चूहों को...
ननकू – निकलों रे छिछोरे
चूहे ... साले लम्पट... पूनम भाभी की साड़ी
पर मुँह मारता है... मेरे मालिक की खटिया खड़ी करेगा ? आज ऐसी तुड़ाई करूंगा तेरी कि मुँह से कुतरने के
बजाय भजन गाते उमर बीतेगी तुम्हरी...
चूहा नहीं निकलता..तभी वहां ज्योति नाम की लड़की अपनी सलवार सूट लेने आती है..
दोनों फ़ौरन डंडे फेंक देते हैं ताकि पता ना चले
दूकान में चूहे भी रहते हैं ... ज्योति को देखते ही दोनों
मालिक नौकर डांडिया रास खेलने लगते हैं...ज्योति रिएक्ट करती है...
ज्योति – अरे अरे ये क्या
कर रहे हो तुम लोग ?
ननकू और मस्तराम दोनों एक दूसरे का मुँह देखते
हैं. उन्हें समझ में नहीं आ रहा है कि क्या कहे... तब ननकू कहता है...
ननकू – अरे वो हमलोग
डांडिया रास खेल रहे थे...
ज्योति – ( चकित हो कर )
डांडिया रास ? अभी तो सीजन भी नहीं...
मस्तराम – हाँ, लेकिन कभी तो सीजन आएगा... यही सोच कर हमलोग प्रेक्टिस कर रहे है ...ताकि जब आएगा , गर्दा मचा देंगे...
ज्योति अपनी सलवार शूट मांगती है .
ज्योति – गर्दा मचाते
रहना... लेकिन अभी मेरा शूट सलवार दे दो....
मस्तराम के कहने पर ननकू ज्योति की सलवार शूट
ढूंढता हुआ उसके बॉय फ्रेंड के बारे में चटकारे ले लेकर पूछता है.
ननकू – ज्योति जी ... हम
अच्छी नियत से कुछ कहे ?
ज्योति – कहो ...
ननकू – आपको और आपके
ब्वाय फरेंड को देखते है तो लगता है कामदेव और रति की जोड़ी है... एक दम स्पेशल...
ऐसा लगता है कि आपका फरेंड मजनू की तरह एक पल के लिए भी आपको अपने से दूर नहीं
करता होगा... ?
ज्योति – ये क्या बकवास कर रहे हो ?
ननकू –मेरा मतलब है कि
... आपके वो , आपको तो हमेशा फेविकोल वाला जोड़ के साथ अपने सीने में सटाए
रहते होंगे ना ?
मस्तराम फिर से ननकू को डांटता है.
मस्तराम – अरे तू अपना
काम करेगा कि हम सटाए तुमको अपने सीने से … ? ( फिर बात को सम्भालते हुए कहता है ) अरे उसकी
बातों में क्यों आ रही हैं... जानती नहीं है खिसका हुआ है... खैर ! ई बताइए , आप
आनंद बाबू के साथ चारों महानगर के टूर पर गई थी , सब अच्छे से हो गया ना ? कहाँ का होटल अच्छा लगा ?
ज्योति (भड़क जाती है. ) –
अब तुमको सब डिटेल दूं कि कहाँ का होटल अच्छा है और कहाँ का बेड ?
मस्तराम - अरे नाराज
क्यों हो रही हैं... हम तो अइसे ही नालेज
के लिए पूछ रहे थे... किसी –किसी होटल का खाना बहुते बेस्ट होता है
और किसी का एकदमे ख़राब... आपको कहाँ का बेस्ट लगा ? वो क्या है कि हम भी जाने वाला हैं अपनी फगुनियाँ को साथ लेकर...
ज्योति - जब जाना तब बता
दूँगी... अभी मेरे कपडे दो..
मस्तराम ज्योति के कपडे ढूँढने लगता है मगर उसे
ज्योति के भी कपडे नहीं मिलते...ज्योति बोलती है
ज्योति - अपनी बीवी
फगुनिया से पूछो ना... वही रखी थी..
ननकू - वो तो गयी मालिक का दिल लेकर... अब नहीं आने वाली... .
ज्योति ( मजे लेती है ) –
गयी ? मतलब भाग गयी ? किसके साथ भागी ? कैसा दिखता है वो..? मैं भी क्या पूछ रही हूँ... जैसा भी दिखता
होगा... ऐस –मौज तो फगुनियाँ के साथ कर ही रहा होगा... घुमा रहा होगा हाथ में हाथ डाल के....
धोबी रिएक्ट करता है..
मस्तराम – ऐसी नहीं है
हमरी फगुनिया... हमरा दिल ले के गई है तो अपना दिल छोड़ के भी गई है... आ जाएगी
किसी दिन... टेंशन मत दीजिए... अभी आप का सूट नहीं मिल रहा है... थोड़ी देर बाद आइए... हम
खोज कर रखते हैं....
ज्योति चली जाती है. मस्तराम, ननकू को डांटता है
मस्तराम – ननकू बता रहे
है तुमको... जबान पर कंट्रोल नहीं किया तो
किसी दिन अच्छे से सुताई करेंगे तुम्हरी ... कुछ भी कहीं भी बक देता है ? का ज़रुरत
थी उसे बताने की ? दिल पर पत्थर रख के इज्जत से दो रोटी कमा रहे हैं और तुमको भी
खिला रहे हैं तो तुम्हरी चर्बी चढ़ रही है ?
ननकू - मालिक मुँह फिसल गया... क्या करूँ .?
मस्तराम - मज़े ले रहे हो ? और बोलते हो क्या करूँ ? बची खुची इस महीने की
पगार भी कट तुम्हारी...
ननकू – मालिक पगार देने के बाद कट करते तो मज़ा भी आता.. कम से कम इस बहाने पगार क्या होती है वो तो देख
ही लेता मैं ...
मस्तराम – काम दिखा पहले , फिर पगार देखने का सपना
देखना....
मस्तराम प्यार से अपनी बीवी फगुनिया को फ़ोन
लगाता है पूछता है...
मस्तराम – ई का कर रही हो
फगुनिया ? बसा घर काहे उजाड़ रही हो ? लोग हँसते है कि मस्तराम की बीवी छोड़ के भाग
गई... लोग तरह –तरह की बात करते हैं... कोई हमरी मर्दना कमज़ोरी की बात करता है तो
कोई कुछ और .... ई सब ठीक लगता है ?
( फ़ोन एक तरफा ही होगा तो संवाद उसी तरह के होंगे
एक तरफा वाले. खुद के सवाल खुद के जवाब
वाले टाइप) दूसरी तरफ से बीवी मना
करती है.
मस्तराम – का करे का क्या
मतलब ? आओ रहो... साथ लो –साथ दो... तब ना
सब सही होगा... का बोला था ? का पूरा करे
?
फगुनिया - नया फ़ोन दिला रहे हो तो बोलो.. अभी चल दूंगी... काहे कि मुझे शॉर्ट्स डालने हैं..उसके बिना हमरी लाइफ़ बर्बाद हो रही है...
मस्तराम (चकित होकर) - शाट्स ... ई का होता है ?
ननकू (सिर खुजाता है ) –
शॉट्स ...??
धोबी प्यार से बीवी से ज्योति के सलवार शूट के बार में पूछता है.
मस्तराम – अच्छा ठीक है... ई बताओ ज्योति का सलवार शूट कहाँ रखी
हो ?
धोबी की बीवी फिर से फ़ोन की डिमांड करती है...
फगुनिया – फोन दिलावो तो
सब बता देंगे...
मस्तराम – अरे हम का पूछ
रहे है और तुम फोन का डिमांड कर रही हो... ? घर आना है कि नहीं ?
फगुनिया – बिना स्मार्ट
फोन के मैं ना तो कुछ बताऊंगी , ना आऊँगी... बोलो... दिलवा रहे तो अभी के अभी
दौड़ी चली आती हूँ...
मस्तराम (भड़क जाता है) -
भाड़ में जाओ तुम और तुम्हरा शॉट्स... मत आओ.एक दिन पता चलेगा मस्तराम ने नयी धोबन रख ली है फिर हाथ (
ऊंगली ) मलते रहना...
मस्तराम गुस्से से फोन काटकर फिर से कपडे प्रेस
करने में लग जाता है... धोबी ननकू से पूछता है
मस्तराम – भगवान जाने, ई फगुनियाँ को शॉट्स की बीमारी कहाँ से लग गयी ? ई होता का है ननकू ?
यहाँ हम दिखाते है कि रानी आती है. और उनकी
बातें सुनती है...
ननकू (सिर खुझाता है) - सुना –सुना तो लग रहा है मालिक... कच्छा बनियान होगा शायद... लेकिन इसके लिए कोई घर छोड़ देगा... ? (
सोचता है ) अब समझा... बिकनी होता होगा
मालिक जो हीरोइने पहनती है...
रानी – तुम लोग मर्द के
नाम पर कलंक हो... औरत के बारे में जानना
तो दूर की बात जो चल रहा है उसके बारे में भी नहीं जानते... ये देखो मेरे मोबाइल
में शॉट्स ... इसे बना कर फेमस हो रहे
है लोग... क्योंकि लटका –झटका में दुनिया
फँस जाती है...
ननकू और मस्तराम दोनों रानी के शॉट्स देखने
लगते हैं...
ननकू – अरे ये होता है मालिक शॉट्स !!! तब
तो मुझे भी मोबाइल दिलवा दो... अपने पास बहुत टैलेंट है... मुझे भी फेमस होना है...
मस्तराम ( डांटता है ) –
सरऊ सोने के अलावा कौन सा टैलेंट है तुम्हरे पास...? बकैती मत करो ... काम करो काम ...
तभी रानी मस्तराम को भाई बोलकर कपडे मांगती है..
रानी – भाई मेरी साड़ी दे
दो...
धोबी रिएक्ट करता है और भड़क कर बोलता है
मस्तराम – रानी जी...
पहली बात तो आप मुझे चाहे कसाई कह के बुला लो लेकिन भाई नहीं... दिल दुःख जाता है
और मन खट्टा हो जाता है... ( इतना कह के रानी के कपडे
ढूंढता है)
रानी – दूसरी बात भी बोल
दो...
इतनी देर में ननकू देख लेता है चूहे ने
रानी के कपडे भी कुतर दिए हैं जिसे मस्तराम छिपा लेता है... ननकू मज़े लेते हुए बोलता है. बोलता है और
ननकू - दूसरी बात ये कि आपके
कपडे आज नहीं मिल सकते है... है ना मालिक
?काहे कि वो तो चूहे...
मस्तराम तभी
ननकू के मुंह में प्रसाद डाल देता है
मस्तराम – अरे प्रसाद तो खा
लो पहले... सदबुद्धि मिलेगी...
रानी – ये चूहा क्या बोल
रहा था ?
मस्तराम ( बात को सम्भालते हुए ) – हाँ वो...
चूहा खाने के लिए बेचैन है ससुरा... बताइए
चूहा भी खाने की चीज़ है...? इसलिए
प्रसाद खिला दिया... ताकि इसकी गन्दी इच्छा
का अंत हो... खैर ! आप एक काम करिए... कल आइए... अभी आपकी साड़ी नहीं मिल
रही है...
रानी – अरे मेरे धंधा का टाइम हो रहा है ... और तुम कल बुला रहे
हो...? सब चौपट करेगा क्या... ? एक तो
कस्टमर बहुत कम मिल रहे हैं आजकल... ऊपर से साड़ी भी साफ़ नहीं पहनूंगी तो कौन आएगा
मेरे पास... नहीं – नहीं.... मुझे अभी
चाहिए....
मस्तराम – अरे खोजने में
टाइम लगेगा, रानी जी... कब तक रुकोगी... जाओ शाम को ले जाना...
रानी – पक्का ना ?
मस्तराम – पक्का हमरी
अम्मा...
रानी जाती है.
मस्तराम (डांटता है ) –
अरे बैल बुद्धि तुम मरवाओगे एक दिन हमें... तुम्हरे ,मुँह में प्रसाद नहीं ठूसे
होते तो तुम तो बता देते कि साड़ी को चूहे ने काट लिया है...
ननकू - लेकिन मालिक मर तो
हम वैसे भी जायेंगे... क्योंकि तीनो औरतों
के इतने महंगे कपडे है कि हम कभी नहीं
चुका सकते... अब क्या करे... कहाँ जाए...
मस्तराम - एक काम करते है...
कुछ दिन दूकान बंद रखते हैं , बाद की बाद
में, देखेंगे... वरना अब क्या बहाना बनाएंगे जब तीनों अपने कपडे लेने आएंगी... ?
ननकू (खुशी ) – एकदम
करेक्ट और शुभ सोच रहे हैं मालिक... वरना इस बार आएंगी तो आफत लेकर आएंगी... इसलिए
चलिए कुछ दिन इन्जोय करते हैं..
मस्तराम उसकी नक़ल करके चिढाता है
मस्तराम - एन्जॉय करते
हैं ... ? घर में भूजी भांग नहीं और नौकर पादे रबड़ी... साले उसके लिए पैसे कहाँ से आएगा... ?
ननकू - मालिक भले ही आपका नौकर हूँ... मगर इस रसिकपुर
में मेरी भी कुछ इज्ज़त-मरजाद है ..एन्जॉय करने भर तो चलती है आपनी... आइये आपको बाटली पिलाता
हूँ..
मस्तराम (खुश होते हुए ) –
सही में...? मज़ाक तो नहीं कर रहा है... ?
ननकू – अपनी कसम मालिक...
पहले इस चूहादार दुकान को बंद तो करिए... फिर जलावा देखिए मेरी...
मस्तराम - पहले क्यूँ
नहीं बोले मेरे भोले प्यारे... हम तो कब से दो घूँट के लिए तरस रहे हैं...( चूम
लेता है) चलो आज हम एन्जॉय करेंगे...
दोनों दूकान बंद करके निकलते हैं...
कट ...
सीन 2
रात . पार्क . खुली जगह
मस्तराम. ननकू. अप्सरा..
रात का सीन है....हम दिखाते हैं मस्तराम और ननकू एक खुले पार्क में बैठे हैं..उनके सामने दो बियर की बोतल , ग्लास और चखने रखे हैं... मस्तराम गटकता है. फिर ननकू से पीने बोलता है.
मस्तराम – अरे देख का रहा
है ननकू... गटक बेटा... आत्मा तृप्त हो जाएगी...
ननकू – नहीं मालिक... पता
नहीं क्यूँ शर्म सी आ रही है मुझे... संकोच सा हो रहा आपके साथ पीने में..
मस्तराम ( खुशी और गर्व
से कहता है ) – तू हमरी इतनी इज्ज़त करता
है ननकू... दिल खुश कर दिया तूने .. अब मालिक होने के नाते हमरा भी फर्ज बनता है
कि हम भी तुम्हरी खुशी का ख़याल करे... चल पी ले ननकू... पी ले... आज हम मालिक नौकर
भूलकर साथ में आत्मा तृप्त करेंगे...
ननकू - मालिक मुझे याद
आया पीने के बाद मैं मै नहीं रहता...इसलिए मैं रहने देता हूँ... हैं.. आप के पीने से ही मैं मान लूंगा कि मेरी भी आत्मा तृप्त हो गई...
मस्तराम – ऐसे कैसे मान
लेगा... ? हम बोल रहे है ना... मालिक की बात नहीं मानेगा... चल पी... बाटली अंदर
ले और दर्द बाहर निकाल ...
ननकू – आप का आदेश सर माथे मालिक... चलिए... पी लेता
हूँ...
ननकू जैसे ही पहला पेग लेता है.. नशे में उसका सुर बदल जाता है और मस्तराम को
नाम लेकर बोलता है ...
ननकू – एक बात बता
मस्तराम... ? तू इतनी चिंदीगिरी कैसे कर
लेता है ? काम करवाता है... पगार की बात करता है... और काट भी लेता है लेकिन कटा
हुआ पैसा भी नहीं देता ? क्यों ? अरे देख क्या रहा है ? कब देगा मेरा पैसा... ? तेरे
जैसा मेरा चिरकुट आदमी मैंने आज तक नहीं
देखा...इसीलिए मैंने तेरा
नाम रख दिया है- खाऊराम ...जो मेरे पैसे खा जाता है... हँसता
है...
मस्तराम मुंह बनाकर रिएक्ट करता है.. उससे पेग ले लेता है
मस्तराम - रहने दे ननकू...
जैसे घोड़े को घी नहीं पचता वैसे नौकर को
इज्जत नहीं पचती... तू भी हमरी
इज्जत पचा नहीं पा रहा...
ननकू (मस्तराम को डांटता
है ) - ए..खबरदार खाउराम... नौकर इसीलिए नौकर रहता है कि
इज्जत पचा लेता है... वरना नौकर अपने पर उतर जाए तो खटिया खड़ी कर देगा मालिक का...
इसलिए पी रहा है तो चुप चाप पी... और मेरी
बातों को सुन... नहीं तो अगर आज ननकू को
रोकने की कोशिश की तो...यहीं पर तेरी समाधि बना
दूंगा साले... ( इमोशन में कहता है)
तेरी नौकरी बजाते –बजाते , अपनी बैंड बज गई है... जब से पैदा हुआ हूँ... स्त्री
चला रहा हूँ लेकिन अपने हिस्से में एक भी स्त्री नहीं आई...
मस्तराम – अरे तो इसमें
क्या है... तू चिंता क्यूँ करता है ? दूकान में दो दो पड़ी है एक ले लेना...
ननकू – अरे डकैत ... मैं
उस स्त्री की बात नहीं कर रहा .. मैं उस स्त्री की बात कर रहा जिससे शादी होती है..जो आकर घर संभालती है... जिसके साथ वो सब कुछ
होता है, जिसके बिना जिनगी व्यर्थ लगती है... मेरी जिनगी भी व्यर्थ हो गई है... कोई मतलब नहीं इसका... मज़ा
का होता है मैंने जाना नहीं... बस सुन –सुन
के काम चला रहा हूँ... ( इतना कहते हुए रोने लगता है.. ) कब तक ऐसा चलेगा रे
दादा... अब सहा नहीं जा रहां है...
मस्तराम गले लगाकर बोलता है ..
मस्तराम - ना ना ननकू रोते नहीं... कौन सी हमरी पांचो ऊंगली मजे में डूबी हुई है... शादी हुई लेकिन वो मायके बैठी है...घर जाने पर लगता है कि भूत ने डेरा डाला है... इस
धरती लोक की स्त्रियाँ के बड़े नखरे होते हैं... मज़ा तो तब होता जब अपने साथ कोई
अप्सरा होती... और अपनी होती...
ननकू – अप्सरा ?
मस्तराम – हाँ जो ऊपर रहती है ... जिसे देख कर बड़े –बड़े ऋषि –मुनियों के तन-मन
डोल जाते हैं...
तभी एक तारा टूटकर गिरता हैं ...
ननकू - मालिक देखो तारा
टूटकर गिर रहा. सूना है टूटते तारों से
कुछ मांगों तो इच्छा पूरी होती है..
दोनों काफी देर तक ऊपर देखते हैं .मगर अब एक भी तारा टूटकर नहीं गिरता..
ननकू – लगता है... अब कोई
तारा नहीं गिरेगा... अपनी तो किस्मत ही कीड़े –मकोड़े के भाग्य से लिखी हुई है...
वरना कुछ नहीं तो अपने लिए एक स्त्री ही मांग लेता... अब चलता हूँ सोने... जो
मिलेगी , सपने में ही मिलेगी...
वो चला
जाता है. मस्तराम वहीँ बैठा तारों
को देखता है...तारों को अनाब शनाब बोलता
है .
मस्तराम – गिर जाओ रे
तारों... हम कुछ ऐसा नहीं माँगने वाले जो तुम नहीं दे सकते... बस उन तीन औरतों के कपड़े
से निजात दिला दो... लेकिन हमारे लिए क्यों गिरोगे...? हम तो धोबी है... दूसरों के
गंदे कपड़े धुलते है... अभी यहाँ शारुख और काजल होते तो दुबारा टूटकर गिरते .. सब समझते हैं... तुम लोग ऐसे लोगों की इच्छाओं
को पूरी करने के लिए गिरते हो.... जिनकी सारी इच्छाएं पूरी हो गई होती है...
तभी एक और तारा टूटकर गिरने लगता है...धोबी
खुश हो जाता है..
मस्तराम - अब गिर पड़े हो
तो हमारी इच्छा भी पूरी कर दो... तीनों औरतों से छुटकारा दिला दो... जिनगी भर तुम्हारा अहसान
नहीं भूलेंगे....
तभी अचानक
हवा का एक झोंका लगता है वो रिएक्ट
करता है...
मस्तराम – आह ! कितनी
मस्त हवा को झोंका है... कितनी ख़ुशबू है इन हवाओं में... अगर सर पे तीनो औरतों के
कपड़े देने का बोझ नहीं होता... इस खुशबू का कितना मज़ा लेता...
बेक ग्राउंड में रहस्यमई धुन बजता है...मस्तराम कुछ देर के लिए सा जाता है... गोफ में हमे एक औरत दिखाई पड़ती है. मस्तराम सामने जाता है..तभी अचानक मस्तराम को रात के अँधेरे में एक सुन्दर सी अप्सरा दिखाई पड़ती है...धोबी आखें माल मलकर देखता है..
मस्तराम – हे भगवान... इतनी
सुन्दर स्त्री होती है ??? हमने तो आज तक
नहीं देखी...( वो अपने गाल पर एक थप्पड़ मारते हुए कहता है )
अगर हम सपना नहीं देख रहे है तो कुछ बोलो... बताओ कौन हो तुम ..?
अप्सरा - मैं अप्सरा हूँ...
उर्वशी नाम है मेरा... इंद्रलोक से आई हूँ...वैसे हम अपनी सहेलियों के साथ भ्रमण पर निकले
थे... लेकिन तुमने टूटते हुए
तारों से अपनी इच्छा व्यक्त की तो मैं आ गई उसे पूरी करने... हम अप्सरा साल में एक बार किसी भी प्राणी की इच्छा
पूरी करते हैं... तुम्हारी भी इच्छा पूरी होगी...
धोबी चकित होकर देखता है.. फिर हकलाते हुए कहता है...
मस्तराम – ह ह हम्म ...हमरी
इच्छा पूरी करेंगी आप... हमरी तो बड़ी समस्या है... कैसे हल करोगी ?
उर्वशी – वो तो तुम्हे शीघ्र
ही पता चल जाएगा...
इतना कह के अचानक ही अप्सरा गायब हो जाती है और वहां बस
अप्सरा की पहनी लाल रंग की साडी रह जाती है....धोबी उस साडी को उठा लेता
है...
मस्तराम – नहीं ये सच
नहीं हो सकता... हम सपना ही देख रहे है...
साडी लेकर निकलता है
कट .
सीन- 3
रात . धोबी की दूकान
मस्तराम . ननकू
मस्तराम धोबी साडी लेकर दूकान पर आता है और खाट
पर सो रहे ननकू को एक लात मारकर जगाता है
मस्तराम – अरे उठ बे
चूतिए... देख तो चमत्कार हुआ है कि बंटाधार हुआ है... ?
ननकू ( हडबडा के जगता है
) – अभी तो सोने का टाइम है मालिक... फिर क्यों मार रहे हो ?
मस्तराम – इसलिए कि अब तू
भी दो लात मारेगा मुझे..
ननकू – ये क्या कह रहे है
मालिक... नौकर से लात खाएंगे...? ऐसा तो
सपने में ही होता है... लगता है मैं सपने में ही हूँ मालिक...
मस्तराम – चल सपने में ही
मार... ताकि पता चले कि हम तो कोई सपना तो नहीं देख रहे है...
ननकू मस्तराम
को दो लाग लगाता है...मस्तराम खुश हो जाता है..
मस्तराम - यानी की ये
सपना नहीं सच है...
वो ननकू को साडी दिखाकर बोलता है
मस्तराम – ये साड़ी अप्सरा
दे गई है हमें...
वो पूरी कहानी सुनाता है. जिसे हम फ्लैश बैक के कट्स में शो करते हैं. फ्लैश बैक इंड होता है... तो
मस्तराम कहता है -
मस्तराम - इससे ज़रूर हमरी
समस्या का समाधान हो जाएगा... संभालकर रख देते
है... अप्सरा की साड़ी है... इसके आगे तो
दुनिया की सारी साड़ी फेल है... और सुन आज तुम इधर बाहर ही सो जाना.... वरना पता चला कोई साडी ही मार ले गया...ठीक है... ?
ननकू हाँ में सर हिलाता है.. धोबी वो साडी
दूकान के हेंगर में टांग देता है....एक रहस्यमयी धून बजती है. अप्सरा दूर से देख रही है जिसके चारो और धुंवा
फोग है.
कट टू...
सीन 4+ 4A
नेक्स्ट डे.
ननकू . मस्तराम
हम दिखाते हैं सूर्य उगने का शॉट जाता है. मस्तराम हमेशा की तरह सायकिल लेकर दूकान की ओर
आ रहा है ..खुश है और अपने आप से
बातें करते हुए जा रहा है...
मस्तराम – अप्सरा ने साड़ी
दी है... आज कुछ तो चमत्कार ज़रूर होगा... ननकू अभी तक तो जाग ही गया होगा... दूकान पर जल्दी पहुँचना होगा हमें... ( वो
साईकिल तेज़ चलाने लगता है)
कट टू ...
4A
इधर हम दिखाते हैं ननकू दूकान के बाहर खाट पर
खर्राटे मारकर सो रहा जिसने अप्सरा की वही साडी ओढ़ रखी है...मस्तराम जैसे ही आता है देखकर बिगड़ जाता है ..
मस्तराम – अरे... ई का
किया रे ननकू... ? साला सब नाश दिया रे...
ननकू मस्तराम की बातों से बेपरवाह सो रहा है...
तब मस्तराम गुस्से में आ कर फिर से खाट पलट देता है..
मस्तराम – उठ साला....
सरऊ तू अप्सरा की साड़ी ओढ़ कर सो रहा है...
ननकू नींद में चिल्लाता है
ननकू - नहीं, मुझे स्वर्गलोक से मत फेकों मैं अप्सरा से शादी
करने आया हूँ...
मस्तराम उसके कान पकड़ता है
मस्तराम – साला भूतिया
शकल लेके स्वर्गलोक में शादी करेगा रे लम्पट ...? तुम्हरी शादी तो हम अभी कराते है... तेरी हिम्मत कैसे हुई अप्सरा की साडी नाशने की ...? डंडा कहा है...
वो डंडा खोजने लगता है...
ननकू – का करे रहे है मालिक...
बाहर बहुत ठंढी लग रही थी..और कोई चद्दर भी नहीं थी.. सो ओढ़ लिया... गुस्सा थूक दीजिए... गुस्सा
इंसान का भविष्य बिगाड़ देता है... साड़ी मिल गई है... आपको तो खुश होना चाहिए... मैं अभी स्त्री कर
देता हूँ....
मस्तराम – रूक एक मिनट...
मस्तराम दूकान से एक डब्बा गंगा जल छिड़कर उसकी
शुद्धि करता है. ननकू को समझ में नहीं आता
कि क्या कर रहा है
ननकू – ई का कर रहे है मालिक ?
मस्तराम – देख नहीं रहा है... गंगाजल से पवितर कर रहे
है... शुद्धि तो करनी पड़ेगी ना मुर्खराम ..पता नहीं तूने कौन सा कुकर्म किया होगा इसके
साथ...
ननकू – मेरा मन तो सदा
पवितर ही रहता है मालिक...
मस्तराम - अब हमसे मत
बताओ कि तेरा मन कितना पवितर रहता है... चल चुप चाप काम कर...
मस्तराम साडी प्रेस करता है और अप्सरा साडी को
प्रणाम करता है
मस्तराम – धन्य हो हे
अप्सरा की साड़ी... हम तुझे शीश झुका के प्रणाम करते हैं... हमें मिली हो तो पसंद आ
जाना पूनम भाभी को... आज तुम्ही बचा सकती
हो हमें...
ननकू – मालिक अपना कहा ही
भूल रहे हैं आप... सौ नखरे होते हैं औरतों के... उर्वशी हो चाहे मेनका... उनकी
लहरे मर्दों के लिए उठती है, औरतों के लिए
नहीं... पूनम भाभी औरत की जात है... पसंद नहीं भी आ सकती है उन्हें ...
मस्तराम के डिस्टर्ब फेस पर सीन कट होता है...
कट टू...
सीन 5
दिन/ अन्दर
पूनम का बेडरूम
पूनम . राकेश. ( पूनम का पति)
इधर हम दिखाते हैं पूनम का बिजनेसमैन पति राकेश
आहुजा कहीं जाने के लिए तैयार हो रहा है. तभी पूनम आती है झगडे के
मूड में कहती है
पूनम – मुझे तुमसे बात
करनी है राकेश...
राकेश – जल्दी बोलो...
मुझे निकलना है...
पूनम – वो तो मैं देख ही
रही हूँ कि मेरे लिए टाइम नहीं है तुम्हारे पास... और रहेगा भी कैसे जब मेरा टाइम
किसी और को दे रहे हो...
राकेश – मेरे पास फालतू
बात का कोई ज़वाब नहीं है....
पूनम – ज़वाब तो मुझे मिल
गया है कि अब तुम मेरे पास क्यों नहीं आते
हो ... अब जवाब क्या दोगे ?
किस मुँह से दोगे ? मुझे तुम्हारे मोबाइल से सब पता चल चुका है... किस
औरत के पास जाते हो और क्या करते हो... ?
राकेश अपनी बीवी से फोन झपड़ लेता है.
राकेश – मेरा फोन देखने
की हिम्मत कैसे हुई तुम्हें... ?
पूनम – अच्छा तो इतना
मुझसे मन भर गया है कि मैं तुम्हारा फोन भी नहीं देख सकती... तुम रंगरेलिया मनाते
रहो और मैं यहाँ तड़पती रहूँ... यही चाहते हो तुम... ?
राकेश – हाँ यही चाहता
हूँ.. क्या कर लोगी तुम...? और तुम्हारे भीतर बचा ही क्या है रंगरेलिया
मनाने के लिए... ? वैसे भी तुम मुझे पसंद
ही कहाँ थी ? वो तो बाबुजी ने तुम्हें मेरे गले बाँध दिया, इसलिए फाटे ढोल की तरह बजा
रहा हूँ और ढो रहा हूँ...
पूनम – अब मैं तुम्हें
फटा हुआ ढोल लग रही हूँ... ?
राकेश – देखो
पूनम... अच्छा हुआ तुमने सच जान लिया...
और सच जान लिया तो उसे स्वीकार भी करो... और मैं क्या कर रहा हूँ, कहाँ जा रहा
हूँ... इस चक्कर में रहोगी तो परेशान रहोगी... इसलिए चुपचाप खाओ - पियों और
पड़ी रहो... पैसे रूपए कि तुम्हें कोई प्रोबल्म नहीं
होगी... अगर है तो बताओ.... ?
पूनम – कैसी बात कर रहे
हो राकेश... क्या मैं तुम्हें पैसे रूपए कि इतनी भूखी लगती हूँ कि इसके लिए अपने
रिश्ते को छोड़ दूं ? पति –पत्नी का रिश्ता इतना गिरा हुआ होता है ? तुम इतना गिरा हुआ समझते हो मुझे... ? तुम मुझे
रखैल बना के रखना चाहते हो ? और मैं इसे स्वीकार कर लूं ? शर्म नहीं आती है
तुम्हें ये कहते हुए ?
राकेश – तुम्हें जो समझना
है समझो... मुझे देर हो रही है...
पूनम राकेश को जाने से रोकती है.
पूनम – नहीं... मैं
तुम्हें नहीं जाने दूंगी... बात करो मुझसे ... बताओ क्या प्रोबल्म है मुझ में ?...
मेरे पास अगर रंगरेलिया मनाने के लिए नहीं है तो वो कौन सी कोरी कँवारी परी है ?
देखने से ही चालबाज लगती है... पता नहीं
कहाँ – कहां मुँह मारती होगी और तुम्हें भी फँसा के रखी है छिनाल...
राकेश – मुझे बकवास नहीं
सुननी है तुम्हारी... हटो मेरे रास्ते से...
राकेश पूनम को धक्के देकर गिराकर चला जाता है....पूनम रोने लगती है
पूनम –मैं इतनी बुरी हो गई हूँ...? नहीं... नहीं मैं इतना अपमान नहीं बर्दाश्त कर
सकती... अभी मम्मी को फोन कर के बताती हूँ...
अपनी मम्मी को फोन करती है.
पूनम – सब ख़त्म हो गया
मम्मी... फिनिश हो गया सब ... राकेश अपनी नज़र से इतना गिरा दिया है कि जी करता है
उसका खून पी जाऊं... नहीं मम्मी... अब इस रिश्ते को बचाना मेरे बस का नहीं... हर
तरीके से ट्राय कर लिया लेकिन अब तो खुलेयाम उस औरत से रिश्ता रखने की बात करने
लगा है... अब तो एक ही उपाय बचा है.... वो जिस रास्ते चल रहा है... उसी रास्ते
मुझे भी जाना होगा... फिर देखती हूँ कैसे रोकता
है...
सीन 6
दिन/ पार्क
ज्योति . आनंद
इधर ज्योति अपने बॉय फ्रेंड आनंद के साथ कहीं
बैठी है. वो आनंद के लिए काफी
अपजेसिव है कि कहीं कोई दूसरी लड़की उससे आनंद को छीन ना ले...
ज्योति – तुम्हें पता है
आनंद... मैं तुम्हें खोने से कितनी डरती
हूँ... पता नहीं कैसे कोई किसी से अलग हो जाता है और जी लेता है .... मैं तो सोच
के ही सिहर जाती हूँ कि तुम्हारे बिना मैं कैसे रह पाऊँगी...
आनंद – अरे ये सब क्या
सोचती रहती हो... ?
ज्योति आनंद से प्यार के कसमे वायदे ले रही है. भविष्य के सपने देख रही.
ज्योति – पता नहीं आनंद
ऐसा क्यों सोचती हूँ... शायद तुम्हारे लिए ये मेरा प्यार है... जिसके बिना मेरी लाइफ़ यूजलेस है... मैंने तुम्हारे साथ न जाने कितने
सपने देखे है... उन सभी सपनों को मुझे पूरा करना है तुम्हारे साथ... एनी
वे... मैंने अपनी फीलिंग बता दी...प्लीज़
तुम भी कुछ कहो ना... प्लीज़... प्रोमिश
करो मुझसे कि कभी मेरा साथ नहीं छोड़ेगे... ?
आनंद – प्यार में प्रोमिश
क्या होता है ज्योति...
आनंद टाल रहा और बार बार फ़ोन देख रहा है.
आनंद – मैं क्या कह रहा
था... ? हाँ फ्यूचर को लेकर इतना क्यों सोचना ... जो चल रहा है... चलने दो...
उसकी हरकतों से पता चल रहा वो बस ज्योति से
टाइम पास कर रहा.
ज्योति – क्या हुआ
आनंद... प्लीज बैठ जाओ.... कहो कुछ... शेयर करो अपनी फीलिंग...
तभी आनंद का फ़ोन बजता है वो फ़ोन उठा लेता है और
बहाने बनाता है...
आनंद – सॉरी ज्योति....
एक ज़रूरी कॉल आ गया.... मुझे जाना पड़ेगा.... फ्री हो के फोन करता हूँ...
ज्योति – ऐसा क्या ज़रूरी
काम आ गया आनंद कि अभी आए और अभी चल दिए... बैठे तो ... एक कॉफ़ी पीकर जाना...
आनंद – नहीं यार देर हो
जाएगी... कोई वेट कर रहा है मेरा....
इतना कह के आनंद वहां से चला जाता है...
ज्योति (सोचती है और ख़ुद
से बात करती है ) - मैं भी तो तुम्हारा वेट ही कर रही थी आनंद...
लेकिन तुम उसके लिए चल दिए... क्यों
आनंद...? शायद मैं अब तुम्हें अच्छी नहीं लगती.. मैं भी कितनी बेपरवाह हूँ... जैसे तैसे रहती
हूँ इसलिए तुम मुझमें इन्ट्रेस्ट नहीं
दिखाते ना ... समझ गई... मुझे आनंद के
पास सज सवारकर ही आना चाहिए... लेकिन उस इडियट धोबी ने अभी तक मेरा शूट नहीं दिया... अभी उसकी
खबर लेती हूँ...
सीन 7
दिन – रास्ता + धोबी की दूकान
पूनम . मस्तराम. ननकू. ज्योति
इधर पूनम फ़ोन पर अपनी माँ से बातें करती हुई आ
रही..
पूनम – नहीं मम्मी...
राकेश ने आज जिस तरह से मेरा अपमान किया
है... उसे मुझे कहते हुए भी शर्म आ रही है... बहुत हो गया... अब कहने को कुछ रह नहीं
गया है... अब तो कर के ही दिखाना पडेगा...
वो छिप के मिल रहा है ना... मैं तो सामने से करूंगी... आज मैं पार्टी में जा
ही रही हूँ... वहीं किसी का हाथ थाम लूंगी और घर पर भी ले आऊँगी... फिर देखती हूँ
उसे कैसा लगता है और क्या करता है...
तभी मस्तराम को पूनम भाभी आती दिख जाती है...मस्तराम धोबी फिर से पुनम भाभी की सुन्दरता की
तारीफ करता है..
मस्तराम – आइए ... आइए
भाभी ... कहीं जा रही हैं क्या ? बच के रहना ... बड़ी ब्यूटीफूल लग रही हो...
कहीं मार न हो जाए आपके लिए...
पूनम अचानक से भड़क जाती है.
पूनम – ब्यूटीफूल नहीं
तेरा सर लग रही हूँ पापी कहीं का ... झूठी तारीफ़ कर –कर के जीना हराम कर रखा है
तुमने मेरा...तुम सब मर्द एक जैसे होते
हो... अपनी बीवी फटा ढोल लगती
है और दूसरे की व्यूटीफूल... लाओ मेरी
साडी दो...
मस्तराम किसी तरह हिम्मत जुटाकर बोलता है
मस्तराम - भाभी जी आपकी
साडी मिल नहीं रही है.... लेकिन आज आपको खाली
हाथ लौटाएंगे नहीं... आप को ऐसी साड़ी देंगे
कि आपकी आँखें फटी की फटी रह जाएगी.... ये देखिए... और ले जाइए.... इसे पहन
के अप्सरा लगेंगी आप....
और वो अप्सरा वाली साडी आगे कर देता है... लेकिन पूनम भाभी नहीं मानती...
पूनम – पागल तो नहीं हो
गए हो... मैं दूसरे की साड़ी क्यों ले जाऊँगी... मुझे मेरी साड़ी दो....
मस्तराम (टालता है.) - भाभी जी ... आपकी साड़ी
मिल नहीं रही है... ढूंढकर रखते है... लेकिन आप इस साड़ी की अहमियत नहीं समझ रही
है... पहन के देखिए फिर बताइए .. जहाँ जाएंगी हल्ला मच जाएगा , नहीं तो हमारा नाम
मस्तराम बदल दीजिएगा...
तभी पूनम की नज़र उसकी साडी पर जाती है. वो साडी उठा लेती है.
पूनम – अरे ये तो रही
मेरी साडी और बोलते हो कि मिल नहीं रही....
मस्तराम डर जाता है कहीं पूनम भाभी को चूहे का
कुतरा हुआ छेद ना दिख जाए.
ननकू – अब क्या होगा
मालिक... अगर ये सपना होता तो कितना अच्छा होता... मार –गाली जो भी पड़ती सपने में
पड़ती...
मस्तराम – लेकिन ये हकीकत
है ननकू... कैसे बचे....
लेकिन तभी मस्तराम यह देखकर चौक जाता है कि जो
साडी चूहे ने कुतर दी थी वो अपने आप ही पहले की तरह हो गयी है.. ननकू मस्तराम हैरान है
ननकू – ई चमत्कार कैसे हो
गया मालिक... साड़ी तो एक दम ठीक हो गई...
मस्तराम – ई सपना तो नहीं है... ?
तभी वहां ज्योति आ जाती है मस्तराम को सौ बातें
खरी खोटी सुनाती है अपनी साडी मांगते हैं.
जयोति – कौन से सपने की
बात कर रहे हो तुम लोग...? कहाँ है मेरा
शूट ? लाओ दो नहीं तो आज मैं बैंड बजा के रख दूंगी तुम दूनो की...
ननकू – मैं तो नौकर
हूँ... मेरी तो ऐसे ही बजी रहती है... जो बजाना
होगा मालिक की बजाइएगा...
मस्तराम – अरे गुस्साइए
मत ज्योति जी... अभी देते हैं...
मस्तराम फिर से पत्नी को फ़ोन लगता है...
मस्तराम – अरे बताओ ना
फगुनिया... कहाँ रख दी है ज्योति जी का कपड़ा.... ? गुस्सा रही है वो...
वो फिर से मोबाइल मांगती है.मस्तराम फिर से बीवी पर भड़क जाता है...
मस्तराम – अरे तुम पत्नी
हो कि भूतनी... हम यहाँ खतरे के निशान पर खड़े हैं और तुम मोबाइल मांग रही हो...
रत्ती भर भी हमदर्दी है कि नहीं तुम्हारे अंदर.... ? क्या ? नहीं है... ? ठीक है.... घंटा देते है तुमको
मोबाइल...
और फोन काटकर ननकू को साडी ढूँढने में लगा देता
है.
मस्तराम – अरे खोजो
तुम... वो नहीं बताएगी...
साडी तो मिल जाती है.लेकिन लेकिन ननकू देखता है उसकी भी साडी कुतरी है ..कल आने बोलता है.
मस्तराम – देखिए ज्योति
जी.... जैसे आपने इतना दिन इंतजार कर लिया , वैसे
एक दिन और इंतजार कर लीजिए... बस एक दिन और... हम कल आपको पक्का आपका शूट दे देंगे...
तभी
ज्योति की नज़र उस अप्सरा साडी पर जाती है..वो उसे देखकर जैसे मोहित
सी हो जाती है.... बोलती है..
ज्योति – ( अपने आप से )
कितनी सुन्दर साड़ी है !! (मस्तराम से
) एक काम करो ... मेरा शूट नहीं मिल रहा है तो रहने दो... ये दे
दो मुझे... इसी से काम चला
लूंगी....
तभी अचानक पूनम वो साडी झपट लेती है.. बोलती है
पूनम - लेकिन इसे तो पहले मुझे दे रहा था... मैं ही ले जाऊँगी इसे..
ज्योति – आपने तो अपनी
साड़ी ले ली है... फिर क्यों इसे ले जाएँगी... ?
पूनम – क्योंकि पहले इसने
मुझे ऑफर किया था... ?
ननकू – लेकिन भाभी ऑफर
करने से क्या होता है... ? आपको तो आपकी साड़ी मिल ही गई है.. इसे दे दीजिए ज्योति
मैडम को...
पूनम –चुप रह बटला नहीं
तो, मैं तेरा सर फोड़ दूंगी...
तभी मस्तराम को आयडिया आता है बोलता है
मस्तराम – अरे आपलोग झगड़
क्यों रही है... हम इसे किसी को नहीं देते... वो तो आपकी साड़ी
नहीं मिल रही थी सो ऑफर कर दिया... लेकिन ये रसिकपुर की महरानी की साड़ी
है... कई पुश्तों से हमारा खानदान इसे संभालता आ रहा है... अब ये हमारे हिस्से आई है... तो हम इसे भाडा पर
चलाते है.... जो इसका भाड़ा देगा, और जितने दिन का देगा ... वो उतने दिन के लिए ले
जाएगा.... एक दिन का सौ रूपए लगेगा...
पूनम – तो ठीक है सौ रूपए
मैं दे दूँगी...
पूनम वो साडी लेकर जाती है..अब ज्योति धोबी को हड़काती है..
ज्योति - अगर कल मुझे वो
साडी नहीं मिली तो तुम देख लेना.... अब तो मैं वही साडी लूंगी....
ज्योति चली जाती है...मस्तराम बोलता है
मस्तराम – देखा अप्सरा की
साड़ी का कमाल... भाड़े पर नहीं देता तो मार हो जाती... लेकिन अब सही हो गया... ऐसी साडी मिली है कि भाड़े पर कमाएगी ... लगता है अब अपनी किस्मत खुल जाएगी...
ननकू - लेकिन मालिक अप्सरा
की साडी है... कोई ना कोई तो ये साड़ी अपना
खेल ज़रूर दिखाएगी पूनम भाभी के साथ.?
सीन 8
पूनम का घर.
पूनम. अप्सरा. राकेश ( पूनम का पति)
रात होती है हम दिखाते हैं पूनम बडबडाती हुई
तैयार हो रही है.
पूनम – आज तो मैं राकेश
ऐसी जलाऊँगी कि आह निकल जाएगी उसकी... कमीना साला ठरकी... बोल रहा था कि मुझ में कुछ रह नहीं गया है... दिखाती
हूँ कि इतना कुछ है मेरे पास कि लाइन लगा दूंगी कुंवारों की...
वो जैसे ही साडी पहनती है. उसके मन में इच्छा होती है...
पूनम – ये साड़ी ... कितनी
खिल रही है मुझ पर... इसे पहन के लगता है कि आज ही मेरी शादी हुई है... पता नहीं
कुछ अजीब सी स्पेशल फीलिंग हो रही है....
काश मेरा पति मुझे प्यार करता तो मुझे यह सब नाटक करने की ज़रुरत नहीं पड़ती.
तभी पूनम को अपने पीछे मिरर में अप्सरा खड़ी
दिखाई देती है. पूनम जैसे ही टर्न करती
है वो गायब हो जाती है..पूनम भीतर जाती है . तभी उसका पति आता है.. उसे पूनम में वही अप्सरा दिखाई देता है वो आखें मलने लगता
है.
राकेश – ये... कौन हो तुम
? पूनम तो नहीं हो सकती...
पूनम – क्या हुआ ? मैं
पूनम ही हूँ...
inter cut
उधर धोबी और ननकू आपस में बातें करते हैं
मस्तराम - अप्सरा की साडी
ने कुछ तो चमत्कार ज़रूर किया होगा ननकू...
ननकू – पूनम भाभी आएगी तो
पूछूंगा... अगर साड़ी ने चमत्कार किया तो एक दिन के लिए मैं भी टेस्ट करने के लिए
पहनूंगा...
मस्तराम – पागल हो
क्या... गंधाने के लिए हम देंगे तुम्हें साड़ी... ?
ननकू – आप साड़ी का भाडा
पगार में से काट लेना मालिक... लेकिन एक बार तो मुझे भी चाहिए...
inter cut
इधर अचानक से पति का मूड बदल जाता है...
राकेश – सॉरी यार पूनम...
मैंने गुस्से में क्या –क्या बोल दिया... ऐसा लगता है कि मैंने तुम्हें कभी ठीक से
कभी देखा ही नहीं था... तुम इतनी दूर क्यों हो मेरी जान... पास आओ ना... प्लीज़...
प्यार भरी बातें करने लगता है और पूनम को जाने
से रोक लेता है....
फ्रीज.
अप्सरा
Dissolve
एपिसोड – 2
सीन-1
दिन/ पूनम का घर
राकेश और पुनम
हम दिखाते हैं पूनम का
पति बिस्तर पर आराम से अप्सरा की साडी पकडे मुस्कुराता हुआ
सो रहा है.....पूनम साडी बदल चुकी है जो
बहुत बहुत खुश है...चाय लेकर आती है. राकेश को सोती हुई देख कर सुकून की सांस लेती है... उसके चेहरे पर स्माइल आ जाती है. वो सोचती है...
पूनम – मुझे आज भी याद है , जब हमारी शादी हुई थी...एक पल भी मुझे अकेला नहीं छोड़ता था राकेश...फिर ना जाने
किसकी नज़र लग गयी हमारे प्यार को कि मेरा पति मुझसे ही दूर रहना लगा..लेकिन कहते
हैं न सुबह का भुला अगर शाम को घर लौट आये तो उसे भुला नहीं कहते..आय लव यू
राकेश...
वो चाय की ट्रे टेबल पर या बेड पर कहीं साइड में रखती हैं और राकेश को जगाने के लिए आवाज़ देने को होती है...
पूनम – राके... ( फिर ख़ुद को रोक लेती है) नहीं...नहीं अभी जगाना ठीक नहीं है...इन्हें आराम से सोने देती हूँ... थैंक यू राकेश, मेरे ज़िन्दगी में वापस लौटने के लिए....
पूनम चाय वापस लेकर भीतर
जाती है. तभी पति राकेश अंगड़ाई लेते हुए जागता है...उसके फेस पर स्माइल है... अंगड़ाई लेते हुए आहे भरते हुए कहता है
राकेश – क्या रात थी यार ! जीतनी क़ातिल उतनी हसीन !! लग रहा है कि सुहाग रात की सुबह है...
तभी उसकी नज़र साडी पर जाता है... और उसे देखकर रिएक्ट करता है...इधर –उधर कमरे को देखता है...
राकेश – ये मैं कहाँ सो गया था...ये तो मेरा ही कमरा है..
टाइम देखता है.
राकेश – और दस भी बज गया !!! इतनी देर तक मैं ढोलकी के साथ??? ये कैसे हो सकता है..ज़रूर इसने मेरे खाने में कुछ नशीली चीज़ मिलाई होगी ताकि ये मेरे साथ ? अच्छा तो अब ये इस हरकत पर उतर आई है..लेकिन मैं इसकी कोई चाल कामयाब नहीं होने दूंगा...
वो बेड से उठकर अपना कपड़ा पहनने लगता है... तभी पूनम आती है..
पूनम – थैंक यू राकेश ! मेरा फिर से साथ देने के लिए..
राकेश अपने शर्ट का बटन बंद कर रहा है... वो कुछ कहता नहीं लेकिन पूनम की बातों से वो चीढ़ रहा है... लेकिन पूनम उसके प्यार में डूबी हुई अपनी बात कह रही है... कहती है
पूनम : मैं शायद गलत थी राकेश...जो हमेशा तुम्हे कोसती रही...लेकिन तुमने साबित कर
दिया कि तुम सिर्फ मेरे हो...
राकेश अपना बटन बंद कर के गुस्से में दांत पीस रहा है... लेकिन कुछ कह नहीं रहा है... लग रहा है कि कब वो भड़क उठेगा...
पूनम – कहीं जाना है तुम्हें ...? कुछ लाऊँ तुम्हारे लिए खाने को...
राकेश चिढ़कर पूनम से ख़ुद को अलग करता है और बोलता है
राकेश - ज़हर...ज़हर लाकर दे दो मुझे..वो तो तुम मुझे एक दिन बिना मांगे
ही दे दोगी है ना..?
पूनम ये सुन के चौंक जाती है कि अचानक से इसे क्या हो गया... राकेश जूते पहनने लगता है.... पूनम पूछती है....
पूनम – ये तुम क्या बोले जा रहे हो राकेश..??? क्या हुआ ? कुछ बात है क्या ? कहाँ जा रहे हो... ?
राकेश चिढ़कर बोलता है
राकेश – ज़हन्नुम में...चलोगी मेरे साथ?
पूनम – ये क्या बोल रहे हो ? ऐसा क्या हो गया मुझसे प्लीज् बताओ तो ?
राकेश : ( चिढ़कर ) तो सुनो...अगर आज के बाद तुमने अपना
दिमाग चलाया..और मुझे उल्टा सीधा खिलाकर अपने वश में करने की कोशिश कि तो मैं इस
घर में दोबारा पैर भी नहीं रखूँगा...जा रहा हूँ...
राकेश चिढ़कर चला जाता है..पूनम पूरी तरह से हैरान हो जाती है..
पूनम – अचानक से क्या हो गया राकेश को... ? कल रात तो मैं इनके लिए सब कुछ थी..और अब ऐसी हरकतें कर रहा है जैसे दूध से मक्खी की तरह निकाल के फेंक दिया हो मुझे....
पूनम की नज़र साडी पर जाती
है वो बिस्तर से अप्सरा साडी उठा लेती है...और बडबडाती है
पूनम – ये नहीं सुधरने वाले....आज फिर मुझे धोखा
दे गए...लेकिन मैं भी पूनम अवस्थी हूँ..इनकी तो ऐसी अवस्था करुँगी कि ये दस जन्मो
तक याद रखेंगे..
कट .
सीन – 2
दिन / रास्ता
ज्योति. आनंद. रानी.
इधर रास्ते में ज्योति, अपने बॉयफ्रेंड
आनंद को रोक रही है..उसे मानाने कि कोशिश कर
रही है...
ज्योति – प्लीज़ आनंद...रुक जाओ... समझने की कोशिश करो तुम...प्यार कोई कपड़ा नहीं जो पसंद बदल गई तो , दूसरा बदल लिया... इसका रिश्ता तो आत्मा से है... जब तक शरीर में प्राण है इसे कोई कैसे बदल सकता है...? सच्चा प्रेम तो रोम –रोम पुकारता है अपने प्यार को....जैसे मैं तुम्हे सोते जागते उठते बैठते पुकारती हूँ..
आनंद : ( मुस्कुराता हुआ ) ओह कम ऑन यार ज्योति...तुम्हारे dialogueसुनकर ऐसा लग रहा जैसे त्रेताकाल में श्री कृष्ण अर्जुन को गीता का ज्ञान दे
रहे हो....
ज्योति : मैं तुम्हे कोई ज्ञान नहीं दे रही आनंद..बस अपनी
फिलिंग बता रही हूँ..
आनंद : और मैं भी तुम्हे अपनी फिलिंग ही बता रहा
ज्योति..तुम मेरी सबसे अच्छी दोस्त तो हो..लेकिन प्यार नहीं...क्यूँकी प्यार तो
मैं माधुरी से करता हूँ...क्यूंकि वो मुझे बहुत अच्छी लगती है..उसका पहनावा..रहन
सहन मुझे बहुत भाता है...अपनी और attract करता है मुझे..
ज्योति : तुम जिसे प्यार समझते हो वो सिर्फ एक अट्रैक्शन है
आनंद..कब समझोगे तुम इस बात को..
आनंद : अब तुम इसे जो समझो ज्योति...लेकिन मेरे लिए यही
प्यार है..और सिर्फ मेरे ही नहीं..आजकल तो
नौजवानों का ऐसा ही प्यार चलता है...इसलिए तुम भी अपनी सोच को बदल दो...अपना ध्यान
रखना चलता हूँ..
आनंद वहां से जाता है..तभी रानी ज्योति के पास आती है...
रानी - यही तो जालिम मर्दों का
काम है. पहले इस्तेमाल
करो फिर दुसरे पे विश्वास करो...फिर तीसरे को इस्तेमाल करो और चौथे पे विश्वास करो... बाबा रे बाबा... इसलिए मैं किसी मर्द से दिल नहीं
लगाती... अपना तो दामन लगाने का धंधा ही ठीक है... काम हुआ, फिर तु अपने घर मैं अपने घर... नहीं तो देखो... कैसे तुम तड़प रही हो...
ज्योति कुछ बोलती नहीं... वो अपनी आँसू पोछती है...
रानी – एक बात कहूँ, इन मर्दों को अपने वश में
रखना हो ना तो रोज़ संज –संवर के लटके झटके दिखाने पड़ते है... बिना रिझाए टिकते नहीं ये साले औरतखोर... लेकिन क्या करे ऐसे ही मर्दों से तो अपना धंधा भी चलता है... अरे मैं तो भूल ही गयी थी उस धोबी के बच्चे से मेरी
साडी भी लेनी है...साले ने शाम को
दूकान बंद कर दी थी आज पकडती हूँ उसे. अगर सज संवर के ना रहूँ तो साले सारे ग्राहक भाग जायेंगे, तुम्हारे सोना बाबू की तरह....चलती हूँ मैं...
रानी जाती है...ज्योति उसे जाते हुए देखती है...
सीन 3
दिन/ धोबी की दूकान
पूनम . मस्तराम धोबी. ननकू. ज्योति.
मस्तराम धुप अगरबत्ती घबराहट में दिखाते हुए ननकू से पूछता है -
मस्तराम – अपनी बिलार वाली
आखों का इस्तेमाल करके देखो तो ननकू कोई तूफ़ान मेल आ रही क्या...? जल्दी काम निपटा कर फिर
से दूकान बंद करके गुल हो जाते हैं...
ननकू दोनों हाथों को
दूरबीन बनाकर देखता है..
ननकू – दूर दूर तक मैदान साफ़ है
मालिक....
मस्तराम : फिर तो हम भी यहाँ से साफ़ हो लेते हैं..
दोनों खुश होते हैं... तभी कैमरा पैन होता है हम दिखाते है कि रानी बडबड़ाती हुई आती दिखाई देती है...
रानी – आज साड़ी नहीं दिया तो... नंगा नचाऊँगी दोनों को...
intercut
ननकू चिल्लाता है
ननकू – मालिक..मालिक वो आफत की
पूडिया इधर ही आ रही है...अपनी साडी लेने...
मस्तराम : कौन ?
ननकू : अरे वही रनिया जिसकी साडी मूषक महाराज खा
चुके हैं...
मस्तराम – अरे जल्दी बंद कर दुकान....
दोनों फ़ौरन दूकान बंद
करके छिप जाते हैं...रानी आकर इधर उधर देखते
हैं..
रानी - साला ये धोबी की दूकान है
या सदर हस्पताल जब देखो तब जगह पे कोई नहीं मिलता... लेकिन कभी तो खोलेगा बेटा.... फिर देखना मैं कैसे तुम दोनों की पतलून उतारती हूँ....
इतना कह के रानी चली जाती है..
दोनों छिपे हुए मस्तराम
और ननकू हाथ में ताली देकर खुश..
ननकू – मालिक...ये आफत की पुडिया तो चली गयी...
तभी उनके जस्ट पीछे से
आवाज़ आती है..
ज्योति - लेकिन मैं नहीं
जाने वाली...
दोनों टर्न करके देखते
हैं ज्योति खड़ी है. और अपनी साडी मांग रही है.
ज्योति - कैसे काहिल निकम्मे हो तुम दोनों कि टाइम पर कपडे नहीं देते हो किसी के... और अपना कपड़ा मांगने वाली तुम्हें आफत की पुडिया लगती है... ? ऐसा है तो मैं बिपत्ती की पुडिया हूँ... जल्दी दो मेरा शूट नहीं तो ...आज फूंक दूंगी तुम्हारी दुकान....
ननकू – फूंक दो...फूंक दो...फिर ना रहेगी दुकान ना लेनी पड़ेगी इतनी टेंशन... कुछ और कर लेंगे हम... कपड़ा धोते – धोते तो अपनी किस्मत धुल गई है.... इससे ना तो देह में आराम है ना दिल में सुकून... क्या मालिक .... ?
मसतराम – चुप रह चूतिए... भूखो मारेगा क्या अपने साथ...? ( फिर ज्योति को संभालता है ) ज्योति जी... बात समझने की कोशिश कीजिए... आपका शूट पता नहीं कहाँ रखा गया है... नहीं तो अभी तक दे नहीं देते...
ज्योति – ये तुम जानो... हो सकता है तुमने मेरा शूट बेच दिया होगा....
ननकू :- मेरे मालिक ऐसा नहीं है मैडम..बस दिवाली की रात एक
बार एक ग्राहक की साडी बेची थी..उसके बाद दहशरा में एक कुर्ता बेचा था...फिर होली
में एक चड्डी...और क्या क्या था मालिक ?
मस्तराम : चुप साला...
ज्योति : तो फिर ज़रूर मेरा भी शूट तुम लोगों ने बेच दिया
होगा काहिल आलसियों..चलो निकालो मेरे शूट के पैसे.....
तभी वहां पूनम गुस्से में
आकर अप्सरा साडी मस्तराम पर फेंकर बोलती है
पूनम – ये लो अपनी पनौती साडी...नहीं चाहिए मुझे...और आज से मैं
तुझे कोई काम भी नहीं देने वाली...
पूनम गुस्से से चली जाती
है...तभी ज्योति साडी को देखकर मोहित हो जाती
है...मस्तराम और ननकू रिएक्ट करते हैं...ज्योति झट से साडी उठा लेती है...वो साडी को छूकर देखती है...बोलती है
ज्योति - एक काम करो तुम
तब तक मेरा शूट ढूंढकर रखो...तब तक मैं ये ले जाती हूँ...
मस्तराम ननकू सिर हिलाकर
हाँ बोल देते हैं..
मस्तराम – हाँ –हाँ ले जाइए... कोई दिक्कत नहीं.. हम इसका भाडा भी नहीं लेंगे आपसे...
ज्योति साडी लेकर आगे
बढती है. मस्तराम और ननकू राहत की सांस लेते है...
ननकू – जान बच गई मालिक...
कट टू हम इधर दिखाते है कि ज्योति आनंद को फोन लगाती है...
ज्योति – आनंद को ज़रूर मैं
आज पसंद आउंगी इस साडी में..( फोन लगाती
है) आनंद बस आज आखरी बार मुझसे मिल लो प्लीज...फिर मैं तुम्हे कभी नहीं रोकूंगी...प्लीज ( ख़ुशी से ) ठीक है..तो वहीँ मिलते हैं..
ज्योति वहां से निकलती है.
ननकू - मालिक अप्सरा साडी ने तो
कुछ कमाल दिखाया ही नहीं तभी तो पूनम भाभी आपके मुंह पे साडी मारकर गयी...कहीं वो अप्सरा कोई नौटंकी वाली तो नहीं थी
मालिक जो आपको उल्लू बना गयी... ?
ननकू हँसता है...
मस्तराम - अब ज्यादा दांत
मत दिखाओ वरना गरम स्त्री रगड़ दूंगा..दिन भर बतकूचन करता रहता है... काम कर चुप-चाप...
सीन -4
रात / दिन पार्क
आनंद . अप्सरा
इधर हम दिखाते हैं ज्योति
ने वो साडी पहन ली है तो अब वो अप्सरा बन चुकी है. अप्सरा पीठ पीछे किये पार्क में खड़ी है. तभी आनंद आता है..बोलता है
आनंद – तुम्हरे कहने से मैं आ तो गया हूँ ज्योति लेकिन तुम बेकार में मेरे पीछे
अपना टाइम बर्बाद कर रही हो... बात मानो.... लौट जाओ...
तभी ज्योति टर्न होती है... जैसे ही टर्न
करती है..आनंद के फेस का एक्प्रेशन चेंज होने लगता है... वो अप्सरा को देखकर चकित और मेस्मराइज हो जाता है.....
आनंद – कौन हो तुम ??
अप्सरा : तुम्हारी ज्योति...
आनंद : ज्योति ??? I can’t believe ऐसा लग रहा है कि आज तक मैंने जिस ज्योति को देखा था वो कोई नकली ज्योति थी.... तुम्हारे आगे तो माधुरी क्या ... ये दुनिया ही नकली लगने लगी मुझे...
अप्सरा : तो फिर आओ...हम अपनी उसी प्यार की दुनिया में चलते
हैं जहाँ तुम मुझे छोड़ आये थे...
ज्योति के हैप्पी फेस पर सीन कट होता है....
कट.
सीन 5
आनंद रूम
अप्सरा. आनंद
हम दिखाते हैं अप्सरा, आनंद के बेड पर
बैठी है. रहस्यमयी धून बज रहा
है... आनंद ज़मीन पर घुटने टेके अप्सरा का हाथ पकडे बोल रहा.
आनंद - मुझे माफ़ करना ज्योति... मेरी नज़र में ही दोष था... मैं तुम्हे पहचान नहीं
पाया.... तुम सच में बहुत ही सुन्दर हो .लगता ही नहीं कि तुम इस धरती की हो..
अप्सरा : फिर कहाँ की हूँ मैं ?
आनंद : इन्द्रलोक की कोई अप्सरा लगती हो तुम ... मैं भी कितना इडियट था जो तुम्हें छोड़ रहा था... अब तुम्ही मेरे दिल , मेरे घर , मेरी दुनिया जहान की मालकिन हो ज्योति
आय लव यू...
अप्सरा : चलो इसी बात पर तुम्हे मैं अपने हाथों से बनी चाय
पिलाती हूँ..
अप्सरा जाती है ..आनंद उसे मोहित होकर जाते देखता है....
Dissolve.
अप्सरा चाय लेकर आती है...
अप्सरा : ये लो आनंद चाय पियो..
आनद अप्सरा को देखने के चक्कर में चाय का कप छोड़ देता है जो ज्योति की साडी
में गिरती है..
आनंद : ओह्ह आय ऍम सॉरी...
अप्सरा : कोई बात नहीं..मैं अभी साफ़ करके आती हूँ...
अप्सरा जाती है...आनंद अपने आप में बडबडाता है..
आनंद : मैं भी कितना पागल था जो इतनी सुन्दर लड़की को छोड़कर माधुरी के पीछे
मारा जा रहा था..ये ज्योति तो मेरी दुनिया ही बदल देगी..आय लव यू ज्योति...आय लव
यू
तभी अचानक ज्योति उसके सामने ड्रेस बदल कर खड़ी हो जाती है..उसके हाथ में
अप्सरा की वही साडी है....आनंद ज्योति को देख कर चौक जाता है..
ज्योति : एक बार और कहो ना आनंद..क्या बोल रहे थे तुम..??
आनंद : v/०- ये अचानक मुझे क्या हो गया था...मै इस ज्योति के लिए
इतना दीवाना क्यूँ हुआ जा रहा था.?
ज्योति : कहो ना आनंद..क्या बोल रहे थे तुम अभी ?
आनंद : दूर रहो मुझसे..तुम ज़रूर ही मुझे पाने के लिए कोई जादू टोना का सहारा
ले रही हो ज्योति..ये मैं जान चूका हूँ..लेकिन ये जान लो कि मैं तुमसे नहीं माधुरी
से प्यार करता हूँ..
आनंद चला जाता है...ज्योति ये सुनकर दंग रह जाती है....निढाल होकर बेड पर बैठ
जाती है और रोने लगती है....
सीन -6
सड़क रास्ता
रानी. एक दो पासिंग.
इधर रानी सड़क पर खड़ी ग्राहक के इंतज़ार में है.
रानी - क्यूँ राजा ,देख क्या रहे हो... देखने से क्या मिलेगा.. चलो रानी की हवेली पे, जन्नत दिखाते हैं ?
मगर उसे कोई भाव नहीं दे रहा सब उधर से गुजर जा रहे हैं. रानी परेशान है उसके
पास एक भी ग्राहक नहीं रुक रहे. गुस्सा होती है
रानी - साला जब से उस धोबी के बच्चे ने
मेरी लकी साडी गुमाई है कोई सामने खड़ा ही नहीं हो रहा. आज तो मैं उस धोबी को नहीं छोड़नी वाली...
रानी गुस्सा होकर वहां से निकलती है.
सीन 7
दिन / धोबी की दूकान
ननकू. मस्तराम. रानी . ज्योति.
इधर ननकू और धोबी आपस में बात करते हैं
मस्तराम - पूनम भाभी तो साडी फेंकर गयी अब देखते हैं ज्योति क्या करती है.
ननकू - करेगी क्या मालिक... ? नागिन है सब... मौक़ा मिलेगा तो ज़हर छोड़ने से थोड़ी बाज आएगी... वो मुँह पर मार के गई है ज्योति पिछवाड़े पर मार के जाएगी...
मस्तराम – कभी तो बिना टेंशन की बात किया करो सरऊ...
तभी हम दिखाते है कि ज्योति आती है ... आकर मस्तराम पर पर साडी फेंकती है...
ज्योति – ये लो ,रखो अपनी साड़ी अपने पास...पूनम भाभी ने सही बोला था... पनौती है ये साड़ी पनौती...
मस्तराम : ये क्या बोल रही हो आप
मैडम ? ये पनौती साडी है ??
ज्योति – हाँ , जो बनता कसम
बिगाड़ देती है....लाओ..मेरी शूट दो... शूट दो मेरा... वरना आज तो बवाल करने वाली हूँ ..यहाँ से मैं हिलने
वाली नहीं...
खाट पर बैठ जाती है..
ननकू – ( धीरे से ) मालिक शूट का कुतरा हुआ हिस्सा छिपा के दे देते हैं... घर जा कर देखेगी... तब तक दुकान बंद कर के निकल लेंगे हम....
मस्तराम – ( धीरे से ) हाँ दे दो...यही सही रहेगा..
ज्योति – क्या खुसुर – फुसुर कर रहे हो तुमलोग... जल्दी शूट दो मेरा, वरना यहीं तांडव
मचाऊंगी..वैसे भी आज मेरा दिमाग बहुत ख़राब है...
मस्तराम – अरे नहीं नहीं ज्योति जी....आप क्यूँ कष्ट
करेंगी...हम अभी आपकी शूट देते हैं ना...मिल गया था कल ही..ननकू..जल्दी निकालो
मैडम जी का शूट...
ननकू : जी मालिक
ननकू शूट निकालकर देखता है ज्योति की कुतरा शूट भी अपने आप ठीक हो गया है. ननकू खुश हो कर कहता है...
ननकू – ( धीरे से ) मालिक फिर से चमत्कार हो गया ये देखिए...शूट अपने आप सही हो
गया.
मास्तराम खुश हो जाता है...
मस्तराम : फिर जल्दी देकर जान छुडाओ...
ननकू – ( मुँह बनाते हुए देता है )लीजिए अपना शूट.... लेकिन प्यार से बोला करिए.... प्यार के बदौलत ही कपडे संवारने का काम करते हैं हम....
ज्योति – ऐसा है तो टाइम से कपडे दिया करो...
वो अपनी शूट ले जाती है. ननकू और मस्तराम हैरान
ननकू – मालिक यह कैसे चमत्कार हो रहा... कुतरी साडी अपने आप ठीक हो जा रही
है ? कहीं चूहे डर कर अपना कुतरा हुआ फिर से बुन तो नहीं रहे हैं...
मस्तराम कुछ कहे इससे पहले... तभी रानी डंडे लेकर आकर आती है. अपनी साडी मांगती है.
रानी – डंडा देख कर तो समझ में आ ही गया होगा तुम दोनों को कि मैं क्या करने वाली हूँ आज ....? इसलिए जल्दी से साड़ी दे दो नहीं तो मेरे गुस्से का मिटर बढ़ रहा है...
मस्तराम घबराते हुए कहता है ...
मस्तराम – हाँ –हाँ दे रहे हैं.... जल्दी करो ननकू....
ननकू को साडी नहीं मिलती. तभी रानी अप्सरा की साडी देख मोहित हो जाती है.
रानी – अरे वाह जब देखने में इतनी सेक्सी लग रही है तो इसे पहन लेने पर तो देखने वाले की लार टपक जाएगी ...( मस्तराम से दिखावटी गुस्से में कहती है ) बहुत हो गई तुमलोगों की नौटंकी ... मैं इसे ले जा रही हूँ... खोजते रहो तुम लोग मेरी साडी... जब मिल जाए तो आ कर दे जाना .... और इसे ले जाना...
मस्तराम हाँ में सिर हिलाता
है...रानी साडी उठा ले जाती है...
सीन 9
दिन पार्क
आनंद . राकेश ( पूनम का पति ) अप्सरा. ज्योति.
सीन हंसने से शुरू होता है . एक जगह बैठे आनंद और राकेश को दिखाते हैं. जो दोस्त हैं..ये मज़े लेने वाले प्राणी है. बातें करते हैं
राकेश - अब इस शहर में ऐसी कोई लड़की नहीं
जो अपन के दिल को भड़का सके...
आनंद - और मन को भर सके...
दोनों अपने अपने मोबाइल दिखा रहे फोट्स...
राकेश – देखो ... ये हो गई ...ये हो गई ... ये ... ये भी... इससे तो कल ही दिल एक्सचेंज कर के आया हूँ... देखने में मस्त है लेकिन खेलने में सुस्त...
दोनों हँसते हैं
आनंद - भाई कितने दिल है तुम्हारे पास ..?
राकेश ( हंसता है ) – बस उतना ही जितने तुम्हारे पास है... लेकिन अब कोई वैसी हॉट नहीं मिल रही जो अपनी आँच से राख करते...
आनंद – खोजने से भगवान मिल जाते हैं ... हॉट लड़की नहीं मिलेगी.... ?
राकेश – ऐसा है तो चलते हैं ना शिकार की तलाश में..
दोनों चल देते हैं.... थोड़ी दूर पर अप्सरा खड़ी है..दोनों पास जाते हैं... तभी उन्हें उसी अप्सरा साडी में रानी खड़ी दिख जाती
है. दोनों मोहित हो जाते हैं
राकेश ( हैरान हो कर ) - ये तो रानी है ना ...?
आनंद ( ये हैरान हो कर ) – हाँ यार वही तो है... लेकिन ये इतनी सुन्दर कब हो गई... ?
राकेश - क्या माल लग रही हो यार तुम ... एकदम हॉट...
अप्सरा – बोल के ही स्वाहा होना है कि कुछ कर के ? चलना है तो चलो वरना जाओ... ?
राकेश – हम स्वाहा होने का मौक़ा नहीं छोड़ते....
आनंद - क्योंकि इसी के लिए हम बने है... चलो...
दोनों अप्सरा के पीछे चल देते हैं. तभी ज्योति देख लेती है.
ज्योति - ये दोनों और रानी के पीछे ??
सीन -10
पूनम घर
पूनम . ज्योति
इधर पूनम फ़ोन पर अपनी माँ के साथ बात कर रही
पूनम – नहीं मम्मी ... सूरज पश्चिम से निकल जाएगा फिर भी राकेश नहीं सुधरने वाला... अब उसका इलाज तो पक्का करना होगा.
तभी ज्योति आती है बोलती है
ज्योति – भाभी चलिए ... आपका पति और मेरा आनंद उस रानी के पीछे पीछे गए हैं.
पूनम – हे भगवान ! यहाँ मेरी सोने जैसी देह कोयला हो रही है और वो कीचड़ में मुँह मार रहा है... आज तो मैं नहीं छोड़ने वाली.... चलो तुम मेरे साथ...
दोनों डंडे लेकर निकलती है. उधर ननकू और मस्तराम बात करते हैं
ननकू - पता नहीं मालिक आज अप्सरा की साडी रानी के साथ चमत्कार करेगी या हमें धिक्कार खिलवाएगी...
मस्तराम : कुछ भी ननकू..अप्सरा
साडी का चमत्कार तो है...
फ्रीज.
अप्सरा
एपिसोड – 3
सीन 1
रानी . अप्सरा . पूनम ज्योति. राकेश. आनंद
हम दिखाते हैं रानी अब
अप्सरा के रूप में एक पार्क के बेंच में बैठी या लेटी मज़े से अंगूर खा
रही है. आनंद और पूनम का पति राकेश उसे ललचाई नज़रों से
देखते हैं. आनंद बोलता है
आनंद – ( घूरता हुआ ) ये कब हुआ? क्या हुआ? कैसे हुआ पता नहीं..लेकिन अपनी रानी इतनी
नशीली होगी सोचा नहीं था यार...? अब तो आज ही कुछ करना होगा अपनी रानी के
साथ..
राकेश - ये अपनी रानी , अपनी रानी
क्यों बोल रहा है बे ...? ... अपनी नियत कंट्रोल कर के देखो...तेरी भाभी लगेगी...
आनंद - अच्छा वो कैसे ?
राकेश - वो ऐसे ( हाथ उठाकर) आज से मैं धरती, आकाश पाताल, सूरज चंद्रमा को साक्षी मानकर अपनी रानी को करवाचौथ व्रत करने का अधिकार देता हूँ... और यही अब मेरी भीष्म
प्रतिज्ञा भी है...
आनंद – ऐसा है तो तू भी इस हरिशचंद्र की वचन सुन ले.. आज से मैं भी रानी को अपनी सेविंग अकाउंट के
इंजन में बोगी बनाकर जोड़ने का वचन देता हूँ और इतना ही नहीं..जीवन बीमा में निगम बनाने का अधिकार..मतलब नॉमिनी बनाने का वचन भी देता हूँ...यही इस सत्यवादी का अटल वचन है...
तभी पीछे से आवाज़ आती है
पूनम : अच्छा, तो अब नाले के मेढक समुन्दर में गोता लगायेंगे..
पीछे पुनम और ज्योति डंडा लिए खड़ी है...राकेश पूनम की आवाज़ सुनकर रिएक्ट करता है. लेकिन उसे विश्वास नहीं
होता कि पूनम उसके पीछे है..
राकेश – इस स्वर्गलोक में अचानक नरक से आवाज़ कैसे आने लगी बे...?
ज्योति – क्यूंकि तुमलोग का वहां से बुलावा जो आ गया है..
दोनों टर्न करके देखते
हैं और वहां से भागते हैं...
राकेश : पूनम ?
आनंद : ज्योति ?? अरे भागो..
पूनम और ज्योति उनके पीछे डंडे लेकर भागती है...
पूनम – भाग कहाँ रहे हो... आज छोड़ेंगे नहीं हम तुम्हे...
ज्योति : एकदम सही बात..दोनों को चटनी बनाकर सबमे बांट
देंगे फिर किस्सा ही खत्म..
दोनों आनंद और राकेश के पीछे डंडा लेकर भागती है...
अप्सरा - इन्हें भी अभी ही
आना था ! सारा बोहनी बिगाड़ दिया मेरा... लेकिन समझ में नहीं आ रहा है कि
ये दोनों आज अचानक से मुझ पर इतने फीदा कैसे हो गए थे..? कहीं मैं सच में अप्सरा तो नहीं लग रही...? ज़रा देखूं तो दर्पण में....
अचानक तभी अप्सरा का चेहरा रानी में बदल जाता है...वो पर्स
से छोटा दर्पण निकालकर देखती है.
रानी : ये तो उसी घिसी पिटी रानी का चेहरा है...लेकिन अचानक
ये दोनों मुझे अप्सरा क्यूँ समझने लगे थे..??
कट .
सीन – 2
दिन / रास्ता . दूकान
धोबी मस्तराम. ननकू. ज्योति . पूनम
मस्तराम लोहे की स्त्री
को ज़मीन पर रगड़कर उसकी जंग हटा रहा...तभी ननकू एक चूहे
मारने की पुडिया लेकर आता है..
ननकू - मालिक मालिक मिल गया परमानेंट सोल्यूशन... ये देखिए... चूहा मार की कड़क दवा... अब इससे हम चूहों को लगाएंगे ठिकाने और अपनी इज्जत बचाएंगे...
मस्तराम – अरे चूहे भी इंसानों के
साथ रहते –रहते कड़क हो गए है ननकू... ज़हर का असर ही नहीं होता सरुऊ उन पर...
पिछली बार कहाँ कुछ हुआ था...
ननकू – पिछली बार आप लाए थे...
इस बार मैं लाया हूँ... क्योंकि मैं ज़हर का जौहरी हूँ.. ऐसी काम करेगी ये पुड़िया कि खाते ही दांत चियार
के पलट जाएंगे साले ... आपको यकीन नहीं हो रहा हो तो एक बार आप खुद
ही चख कर देख लीजिये मालिक...
मस्तराम ननकू को लुक देता
है....
ननकू - आप तो नाराज़ हो गए मालिक .. वैसे मैं ज़हर
उतारना भी जानता हूँ...
इतना सुनते ही मस्तराम
चीढ़ कर कहता है–
मस्तराम – रूक जा बिलायती बिलार , ज़हर तो हम तेरा
उतारेंगे...
ननकू जैसे ही भागने को
होता है तभी वहां आनंद और राकेश
भागते हुए आते हैं. जिनके
पीछे पूनम और ज्योति डंडे लेकर पड़े हैं... ये देख के मस्तराम और
ननकू दोनों रूक जाते हैं.
मस्तराम : हें?? आज अचानक
दोनों का जुलूस कैसे निकल गया..?
उन्हें कुछ समझ में ही
नहीं आता है कि ये क्या हो रहा है.. आनंद और राकेश धोबी और ननकू के गोल गोल
चक्कर लगते हैं... और कहते है...
राकेश - बचाओ हमे... मस्तराम बचाओ...
आनंद – भाई बचा लो... मैं
अपने हर कपडे पर दस रूपया एक्स्ट्रा दूंगा तुम्हे....
ज्योति – आज तुम्हे कोई नहीं बचा सकता...
पूनम – और जितना दौडावोगे ... उतना मार खावोगे... इसलिए मैं कह रही
हूँ रूक जाओ.... और खुद को हमारे हवाले कर दो..
मस्तराम लड़ाई रोकता है....
मस्तराम – अरे अरे भाभी जी....ऐसा क्या हो गया भाई जो आप अपने पति
को कुकुर बिलार की तरह दौड़ा रहीं ??
पूनम – पति नहीं, पति के नाम पर कलंक है ये...डेली की इसकी आदत हो गई है... बिना इधर –उधर मुँह मारे इसके पेट
का पानी नहीं पचता... हट जाओ ... आज मैं मार के पैर तोड़ देती हूँ ... पड़ा रहेगा फिर कहीं कोने में...
पूनम आगे बढ़ कर डंडा
मारने को होती है तो मस्तराम कहता है –
मस्तराम - अरे रूक जाइए..भाभी जी . बात मानिए.... ये सब शोभा नहीं देता...
और बात से क्या नहीं सुलझ सकता...? इसके
लिए मार –पीट की क्या ज़रूरत है ? ....
ज्योति – हैं ज़रुरत,
क्योंकि ये दोनों बातों के नहीं लातों के देवता है...
पूनम – हाँ और अब तो ये
दोनों इतने गिर गए है कि रानी के पीछे भी जाने लगा है...
दोनों मना करते हैं..
राकेश – अरे ये क्या बोल
रही हो ? हम और उस रानी के
पीछे ?? स्टेटस देखा है हमारा ?
आनंद – हाँ, और हम क्यूं जाएंगे उसके पीछे जब हम दोनों का सब सही चल रहा है क्या भाई ...?
दोनों बारी बारी से बोलती
है..
ज्योति – सही तो तुम्हारा
चलता ही है... इसीलिए तो तुम अपना मन भी बदलते रहते हो... क्योंकि तुम जान गए हो
कि ये तो छोड़ के जाएगी नहीं... प्यार में पड़ी हुई है... इसलिए इसको पड़े रहने दो...
और भंवरे की तरह हर फूल का रस लेते रहो...
आनंद – ऐसा नहीं है
ज्योति...
ज्योति – ऐसा नहीं है तो
कल जब तुम्हारे सामने साड़ी पहन के आई थी तो कैसे मेरे लिए पागल हो रहे थे... फिर
अचानक से तुम्हारा मन बदल गया और तुमने मुझे अपने घर से जाने के लिए कह दिया...
ऐसा अपमान कोई करता है क्या
?
पूनम ज्योति कि बात सुन
के हैरान हो कर कहती है –
पूनम – ज्योति , मेरे साथ
भी ठीक ऐसे ही किया था इस चमगादड़ ने... मैं साड़ी में
अच्छे से तैयार हो के गई तो ऐसे लिपटा जैसे तुरंत शादी कर के लाया है... और सुबह
होते ही ऐसे देख रहा है जैसे मैं पता नहीं किस खेत की मूली हूँ... मुझे रुलाकर निकल गया...आज तो मैं चुन –चुन के
सबक सिखाऊंगी...
आनंद – भागो यार... लगता
है इनके सर पे माता सवार है....
दोनों भागते हैं... दोनों लडकियां फिर से
उन्हें मारने के लिए दौड़ती
है
ज्योति – बिना सबक सिखाए
ये सुधरने वाले नहीं...आओ...
दोनों वहां से राकेश और
आनंद को खदेड़ती है. सबसे वहां से जाने के बाद. मस्तराम ननकू को बोलता है.
ननकू – वाह आज इनकी कुटाई देखकर मज़ा आ रहा मालिक..
मस्तराम अपना दिमाग चलता है..
मस्तराम : ननकू मुझे लगता है ये सब उस अप्सरा साडी के
कारण ही हो रहा है...
ननकू – वो कैसे मालिक...
?
मस्तराम – तुमने सुना
नहीं उनकी बात... जब वो अप्सरा साड़ी में अपने –अपने सोना बाबू के पास गई तो दोनों
पगला गए. और साड़ी उतरते ही... दोनों का मन भी उतर गया... मतलब जो भी औरत
उस साडी को पहनती है. वो मर्द को अप्सरा की तरह सुन्दर लगने लगती
है.
ननकू – अब समझा मालिक... रानी भी
अप्सरा साड़ी लेकर गई थी, उसने पहना होगा... और ये दोनों चितचोर रानी को देख कर
लट्टू हो गए होंगे...
मस्तराम – हाँ, इसलिए ये दोनों रानी के पीछे चले गए. .
दोनों खुश होते हैं
ननकू – मालिक... मुझे भी रानी को अप्सरा साड़ी में देखने का जी
ललचने लगा है... जाऊँ क्या ? एक बार प्लीज़...
मस्तराम – पगला गए हो
क्या... तुम्हें अपने जी की पड़ी है... ये नहीं समझ में आ रहा है कि इस साडी से हम माला माल हो
सकते हैं.... माल आएगा तो मेरी भी
घरवाली आ जाएगी और तुझे भी घरवाली मिल जाएगी...
ननकू – सही कह रहे है
मालिक... आप दूर का सोचते है... मैं साला पल दो पल के चक्कर में बर्बाद हो जाता
हूँ... लेकिन अब नहीं... साड़ी से कमाने का कुछ बड़ा प्लान करते है...
मस्तराम - लेकिन पहले रानी
से साडी तो लानी होगी ना..जाओ ले आओ उससे
साडी.
ननकू : अभी लेकर आया मालिक...
ननकू जाता है.. तभी कैमरा पैन होता है और हम दिखाते हैं कि
ये बात रानी ने सुन ली है. रानी सोचती है. उसका v/ o
जाता है -
रानी – अच्छा तो ये राज़ है साडी का...अब तो मैं ये साड़ी देने
से रही... इस अप्सरा साडी से तो मैं मालामाल हो
सकती हूँ... अब मेरे पास बहुत सारे ग्राहक आयेंगे....लेकिन यहाँ रहना मेरे लिए ख़तरे से खाली
नहीं... वैसे भी इस शहर में मेरे लिए कुछ रह नहीं गया है... मुझे ये शहर छोड़ कर भागना होगा.... नया शहर...
नई ज़िंदगी... चल रे रानी ... उड़ जा...
रानी भागती है.
सीन -3
दिन- पार्क
पूनम. ज्योति. रानी.
इधर पूनम और ज्योति दो
साइड से डंडे लेकर मिलते हैं..
पूनम - भाग गए कमीने !!! लेकिन कभी तो
आएँगे... फिर बताती हूँ... तुम भी छोड़ना नहीं...
ज्योति – नहीं छोडूंगी
भाभी... बहुत दुःख दिया है आनंद ने...
दोनों थक गई हैं और थोड़ी
हाँफ रही है... फिर वहीँ पार्क के बेंच में बैठ जाती है...अचानक से दोनों एक दुसरे को देखकर रिएक्ट करते हैं...
पूनम – ज्योति , क्या तू भी वही सोच रही
जो मैं सोच रही..?
ज्योति – हाँ भाभी ... आप
उस साड़ी के बारे में सोच रही थी ना ?
पूनम – हाँ... धोबी की दुकान
पर तुम्हारी बात सुन के ही मुझे खटक गया
था...
ज्योति – भाभी ! कहीं वो कोई
जादुई साडी तो नहीं ?
पूनम को पहनने के बाद का फ्लैश आता है.. साड़ी पहनने के बाद उसे
अप्सरा जैसी एक औरत दिखती है... फ्लैश इंड होता है और वो कहती है...
पूनम – कुछ तो उस साड़ी
में है ज्योति... क्योंकि जैसे ही मैं पहन के तैयार हुई... तो.. अचानक से लगा कि मेरे
पीछे कोई औरत खड़ी है... मैं घबरा सी गई... लेकिन एक झटके में उसे देखा... वो
अप्सरा जैसी सुन्दर थी... मैं उसे कुछ पूछती उससे पहले ही वो गायब हो गई...
ज्योति – अरे भाभी...
एक्जेक्ट ऐसे ही मेरे साथ भी हुआ था....
पलक झपकते ही वो औरत गायब हो गई थी... और आपने ध्यान दिया ? रानी भी आज वही साड़ी
पहनी थी...
पूनम – अर हाँ... तभी ये दोनों रानी के पीछे पड़े हुए
थे... इसका मतलब...उस साड़ी में हम उन्हें
अप्सरा की तरह दिखते हैं...
ज्योति - सोचिए भाभी ... अगर ये साडी हमे मिल जाए क्या कुछ नहीं कर सकते ..?
पूनम : सच कहा
तुमने फिर तो ये हमारे आगे पीछे दम हिलाते नज़र आयेंगे..
ज्योति : मगर वो
साडी तो अब रानी के पास है...
पूनम – लेकिन उससे किसी भी तरह से हमे वो साड़ी हथियानी ज्योति ... चलो चलते हैं...
हम जम्प कट में दिखाते है
कि वो दोनों वहां से निकलती है....तभी उसे रानी पेटी- सामन लेकर भागती हुई दिख जाती है.
ज्योति – भाभी वो देखिए
रानी... पता नहीं कहाँ बैग पैक कर के जा रही है....
पूनम - बड़ी खिलवाड़ी है ये रानी ...
घाट - घाट का पानी पी चुकी
है... पक्का उसे अप्सरा की साडी का राज़ पता चल चुका होगा.. इससे पहले की वो भाग जाए. उसे पकड़ना होगा. आओ.
तभी रानी देख लेती है भागती है.
पूनम : ऐ रनिया रुक...कहाँ भाग रही..छोड़ेंगे नहीं हम
तुमको...
पूनम और ज्योति डंडे लेकर
उस ओर निकल जाते हैं.रानी भागती है दोनों उसके
पीछे निककते हैं...
कट.
सीन -4
दिन/ धोनी शॉप
ननकू. मस्तराम.
इधर ननकू भागा भागा
मस्तराम के पास आता है बोलता है
ननकू – मालिक रानी का कुछ ता
पता नहीं चल रहा...ताला लटक रहा है उसके
कमरे पर... लगता है उसे साडी का राज़ पता चल गया और वो साडी
लेकर भाग गयी !!!
मस्तराम को जैसे सदमा लग
गया हो...
मस्तराम – तुम ठीक कहते थे ननकू ... अपनी किस्मत कीड़े –मकोड़े
के भाग्य से लिखी हुई है... अच्छा होने से पहले ही बुरा हो जाता है.... लग गयी लंका हमारे सपनो की... चलो घिसते है कपडे पर
इस्त्री...
ननकू – ऐसे हिम्मत मत हारिए मालिक ! जान –जोर लगा के
प्रयास करेंगे तो हम सपनो की लंका को जलने से बचा भी सकते हैं...
मस्तराम – अब क्या जान –जोर
लगाए... जब वो भाग ही गई...
ननकू – सोचिए मालिक... अगर एक बार वो
रानी मिल जाए हमे तो , हमारी किस्मत मिल जाएगी... फिर उसे खोजने के लिए जान –जोर लगाना चाहिए कि
नहीं चाहिए...
मस्तराम सोचता है तो ननकू
कहता है...
ननकू – सोचिए मत मालिक
सोचने से साहस चली जाती है... एनर्जी पैदा करिए बॉडी में और चलिए मेरे साथ... भाग के कहाँ
जाएगी... ? ज़मीन – आकाश - पाताल सब एक कर देंगे... और उसे
ढूंढ के ही दम लेंगे... क्यूंकि उसी साडी से
हमारी गरीबी दूर हो सकती है...
मस्तराम – तुम ठीक कह रहे
हो ननकू... वो मामूली साड़ी नहीं है... अप्सरा की दी हुई साड़ी है...... चलो...
दोनों वहां से निकलते हैं....ननकू जाते जाते गरम स्त्री उठा लेता है...मस्तराम पूछता है
मस्तराम - अब ये किसलिए उठा
लिए ...?
ननकू - मालिक अप्सरा की साड़ी है... कहीं ख़राब हो गई तो रंगत चली जाएगी.. इसलिए उसे मिलते ही कहीं रास्ते में प्रेस
कर दूंगा...चलिए...
मस्तराम : ठीक ठीक है
चल...
मस्तराम और ननकू वहां से
निकलते हैं...
सीन -5
दिन / बरगद का पेड़
रानी . पूनम. ज्योति.
इधर हम दिखाते हैं रानी
एक पेड़ से बंधी है...सामने पूनम और ज्योति खड़ी
है.. पूनम के हाथ में डंडा है तो ज्योति के हाथ में
चाकू...दोनों आपास में रानी को मारकर टुकड़े टुकड़े करने
की बात कर रहे हैं.
ज्योति – रानी साड़ी तो
तुम्हें देना ही होगा...
पूनम – अगर नहीं दिया तो
बारीक बारीक काट के भूर्जी बना के चील कौवो को खिला देंगे...
रानी का रिएक्शन जाता
है... वो डरी - घबराई हुई है....
ज्योति – इतनी मेहनत करने की
ज़रुरत भी क्या है भाभी... मार के यहीं मिट्टी में दबा देंगे...
पूनम – इसमें भी तो कम
मेहनत नहीं है ज्योति ... इसे दबाने के लिए बहुत मिट्टी खोदनी पड़ेगी... इससे तो
अच्छा है... सीधे आग लगा के ज़िंदा जला देते है...
ज्योति – ब्रिलिएंट
आइडिया भाभी... लाश राख बन के उड़
जाएगी, किसी को कुछ पता भी नहीं चलेगा...
और हम इसके मर्डर में फंसने से भी बच जाएंगे...
रानी ये सब सुनकर डर के एकदम से काँप जाती
है... और डरते हुए कहती है...
रानी - क्या तुमलोग अनाब
– सनाब बोले जा रही हो.... कोई ऐसा करता है क्या .... कीट –पतंगों को मारने से पाप लगता है...
मैं तो पूरी साबूत जवान औरत हूँ... सोचो कितना बड़ा पाप लगेगा तुमलोगों को... ऊपर
से उन तरसे हुए मर्दों की बद्दुआ लगेगी जो हाय रानी, हाय रानी कहते हुए मेरी राह
देखते हैं और मेरी पनाह में आ कर राहत की सांस लेते हैं.... इसलिए छोड़ दो हमें...
जाने दो...
पूनम – चुप रह, नहीं तो ज़्यादा जबान चलाओगी तो अभी काट लेंगे
जीभ... रही बात पाप लगाने की तो लगे पाप... हम भोग लेंगे...
ज्योति – और हम उन तरसे
हुए मर्दों की बद्दुआ भी ले लेंगे...
हमें फर्क नहीं पड़ता...
रानी उनसे छोड़ने की गुहार
लगा रही.
रानी – क्या हो गया है
तुम दोनों को... ? पहले तो तुमलोग ऐसी
नहीं थी... फिर क्यों अपना कलेजा ऐसे पत्थर का बना लिया कि एक साड़ी के लिए मेरी हत्या करने के लिए बेचैन
हो... ? हाथ जोड़ती हूँ... मत करो ऐसा... जाने दो मुझे...
दोनों बोलती है
पूनम – अगर जाना चाहती
हो... और जान बचानी है तो चुप-चाप हमे वो साडी दे
दो.. नहीं तो... देखो हम क्या
करते हैं...
ज्योति माचीस जला कर रानी
की तरफ बढ़ती है... रानी एक दम घबरा जाती है... जैसे ही ज्योति रानी के ऊपर जलती
हुई माचीस फेंकने को होती है... रानी डर के आँख बंद कर के कहती है... रानी तैयार हो
जाती है... देती हूँ...
रानी – देती हूँ... देती
हूँ.... रूक जाओ... बताती हूँ ... कहाँ है वो साड़ी...
कट टू
सीन 6
रात. रास्ता गली.
ननकू. मस्तराम. रानी .पुलिस. पूनम . ज्योति
रात हो चुकी है हम दिखाते है मस्तराम और ननकू दोनों चलते हुए आ रहे हैं.
मस्तराम – सब तो देख लिया ननकू... रेलवे स्टेशन,बस स्टाप... ऑटो स्टैंड... कहीं नहीं मिली रानी... मिलने की बात छोड़ो उसका कोई
सुराग तक नहीं मिल पाया कि वो कैसे भागी है ... कहाँ भागी है...
ननकू – उसके लिए मुँह में गाली आ रहा है मालिक.... बहुत तेज निकली ससुरी...
चूना लगा के भाग गई...
दोनों दुखी मन से मुँह लाताकाए जा रहे है.... ननकू आगे –आगे चल रहा है.... और पीछे –पीछे
मस्तराम... ननकू बोले जा रहा है...
ननकू – ना तो बर्दाश्त हो रहा है और ना ही विशवास हो रहा है कि अप्सरा की साडी अपने हाथ से निकल गई .... मैंने तो कितना सपना देख लिया
कि अप्सरा की साड़ी से पैसे बना कर शादी कर
लिया हूँ... मेरी बीवी मेरे लिए तैयार हो रही है... मैं उसके जुड़े में गजरा लगा
रहा हूँ... उसका नाखून रंग रहा हूँ... उसके होठो में होठ लाली लगा रहा हूँ...
इतना कह के अचानक से ननकू रूक जाता है... और चिल्ला कर पीछे की तरफ भागता
है...
ननकू – मालिक.... बाप रे बाप.... ! दादा हो दादा ...
मस्तराम सर नीचे किए चल रहा था... इसलिए उसे कुछ समझ में नहीं आता है कि क्या
हुआ... वो भी भागते हुए कहता है
मस्तराम – अबे क्या हुआ रे ननकू...?. सांप दिख गया क्या ?
ननकू – सांप नहीं लाश मालिक...लाश
मस्तराम (डर कर हैरत से पूछता है ) – लाश ? कहाँ है लाश ... ? रूक तो सही...
ननकू रूकता है.... और कहता है
ननकू – वो देखिए....
मस्तराम देख कर shocked हो जाता है... वो आगे बढ़ के लाश के पास जाता है तो
उसेक होश उड़ जाते है... हम दिखाते है कि रानी की लाश ज़मीन पर पड़ी हुई है. दोनों उसके बॉडी पर खून लगा है...
मस्तराम – ये तो रनिया है... इसको तो किसी ने मार
दिया है... ?
ननकू : लेकिन किसने मारा होगा मालिक ?
दोनों डर जाते हैं? तभी पीछे से एक पुलिस वाले की आवाज़ आती है
पुलिस वाला - खून करने के बाद हर
कातिल यही कहता है कि किसीने मारा होगा
? और जब पुलिस कहती है कि तुमने मारा है तो क़ातिल कहता है कि हमने नहीं मारा...
तुमलोग भी यही कहने वाले हो... ? है ना ?
मस्तराम : प ...पुलिस..
पुलिस – हाँ , कानून अँधा ज़रूर
होता लेकीन नाक बहुत तेज़ होती है उसकी..तभी तो
वो कातिल तक पहुँच जाती है...
ननकू – लेकिन हमने इसे नहीं मारा है...
पुलिस – देखा हमने कहा था ना कि तुमलोग भी यही कहोगे...? लेकिन जब सबूत और
गवाह के रूप में पुलिस ही मिल जाए तो , क्या कहोगे.... ? कैसे झूठलावोगे ?
पुलिस वाला लाश को इधर –उधर से देखते हुए कहता है
पुलिस वाला - लगता है इज्ज़त भी लूटी
गयी है... रेप और मर्डर एक साथ... ऐसे में
स्पेशल कोर्ट बैठा के जल्दी में तुम दोनों को फांसी होगी. अपनी आख़िरी इच्छा सोच लो... और चलो
मेरे साथ...
मस्तराम और ननकू पुलिस वाले के सामने हाथ जोड़ कर रोने- गिडगिडाने लगते हैं कि
मस्तराम - हमने कुछ नहीं किया साहब... हम तो मामूली धोबी है...हमे स्त्री चलाने के अलावा और कुछ चलाना नहीं आता..
ननकू – हाँ साहब ... हमने तो बचपन में पत्थर फेंक के आम – जामुन को भी नहीं
तोड़ा है कि कही किसी चिडिया को न लग जाए... हम एक जवान औरत को कैसे मार सकते
हैं...
मस्तराम – हमें जाने दो साहब...
पुलिस वाला – तुम लोग जाना चाहते हो... ? ऐसे ही फ़ोकट में... ? पुलिस को इतना
मूर्ख समझते हो... ?
ननकू और मस्तराम एक दूसरे का मुँह देखते हैं.... ननकू फटाक से अपनी जेब से 4
20 रूपए निकाल के देता है और कहता है
ननकू – ये 420 रूपए है साहब ... यही
मेरी टोटल पूंजी है... बाकी मेरे मालिक आपको कुछ देंगे ही... ( मस्तराम से कहता है
) दे दो मालिक जल्दी करो... फाँसी का नाम सुन के तो मेरी गीली होने लगी है..
पोलिस : गीली क्या , पिली भी हो
जायेगी ..जल्दी कर...
मस्तराम भी 1500 रूपए देता है... और कहता है
मस्तराम – ये 1500 है और यही मेरी टोटल पूंजी है....
ननकू – मालिक उस वाले पाकेट में कुछ सिक्का भी था.... चलते हुए बज रहा था...
दे दीजिए... वो भी... जान रहेगी तो जी लेंगे कैसे भी....
मस्तराम अपने दुसरे पाकेट से सारे सिक्का निकाल के भी दे देता है... पुलिस वाला पैसे ले लेता है... और कहता है
पुलिस वाला –अगर जान बचाना चाहते हो तो हमेशा –हमेशा के लिए ये शहर छोड़ के चले
जाओ... वरना यहाँ रहोगे तो बड़े साहब अपनी टीम के साथ तुम दोनों को पकड़ ही
लेंगे....
ननकू – हम नहीं रहेंगे साहब....
मस्तराम - रहने की बात तो छोडिए... हम बरेली की तरफ कभी देखेंगे भी नहीं...
पुलिस वाला - सपने में भी नहीं.... चल
भाग....
दोनों भागते हैं...
तभी छिपी हुई पूनम और ज्योति बाहर आते हैं....
पूनम : ऐ जल्दी उठ ..वो भाग गए..
रानी भी उठ कर खड़ी हो जाती है...
पूनम – ( पोलिस से ) बढ़िया काम किया तुमने... ये
लो अपने पैसा....
पोलिस : मैडम ये तो अपना रोज़ का
काम है..ज़रुरत पड़े तो याद करना ...
नकली पुलिस वाला जाता है...
पूनम – ( ख़ुशी से ) हमने तो साड़ी के असली मालिक धोबी को ही भगा दिया... अब कोई प्रोबल नहीं होगी....
ज्योति : हाँ और अब ये साडी हम तीनो बारी –बारी से इस्तेमाल करेंगे. और अपने अपने मर्दों को अपने वश में रखेंगे...
सीन 7
नेक्स्ट डे
पूनम घर.
पूनम . राकेश.
हम दिखाते हैं पूनम साडी
पहनकर अंगूर खा रही है जो राकेश को अप्सरा के रूप में दिखाई दे रही है... पूनम का पति उसके
पैर दबा रहा है. पूनम अपनी माँ से फोन पर
बात कर रही कि
पूनम – मैंने कहा था ना अम्मा....जब तक बैल के नाक में नकेल ना डालो तब तक वो खुद को सिंघम ही समझता है...अब ये
बैल मस्त आराम से मेरे घर आँगन के खूंटे से बंध चुका है...हाँ, हाँ सब याद है
मुझे...अच्छा अम्मा चलो तुम अपना केयर करो... मुझे अपना केयर
करवाने की चुल्ल मची है, घर में बहुत सारा
काम बिखरा पड़ा है...( राकेश से ) अच्छा ये सब रहने दो और जाकर सारे बर्तन मांज लो ...
राकेश : हाँ मेरी जान..मैं बर्तन मांज के बस अभी आया..अभी
तुम्हारे दुसरे पैर भी दबाने हैं मुझे...और हाँ अपने पैरो को ज़मीन पर मत
रखना..वरना मैले हो जायेंगे...
राकेश भीतर जाता
है...पूनम मुस्कुराती है...
पूनम – मेरा आज का काम तो हो गया..कल ये जादूई साडी अब
ज्योति के पास जायेगी..
कट ..
सीन 8
दिन . रास्ता.
पूनम. ज्योति.
अगले दिन हम दिखाते हैं
ज्योति एक जगह खड़ी होकर पूनम का इंतज़ार करती है तभी पूनम ज्योति को वो साडी लाकर
देती है. वो खुश होती है
पूनम - जब से हमे ये
साडी मिली है हमारे तो दिन ही बदल गए हैं... लोग अय्याशी करते होंगे... मैं तो अय्याशी को नाच नचा रही हूँ ज्योति...
ज्योति – आप तो अनुभवी है ना भाभी ... मैं भी अय्याशी धीरे –धीरे
सीख ही रही हूँ... लेकिन क्या
मजेदार लाइफ़ हो गई है अपनी... पहले एक ऊंगली नहीं
भींगती थी , अब तो बीसों ऊंगली घी में
है...
पूनम – ऊंगली छोड़ , पूरी देह घी में डाल ले... ऐसा लाइफ़ शायद ही किसी को नसीब होती
होगी...
ज्योति : हाँ ऐसी पे झप्पी हो जाए...
दोनों गले मिलते है.
कट .
सीन 9
दिन. रास्ता जंगल.
ननकू . मस्तराम.
इधर हम दिखाते हैं ननकू
और मस्तराम कहीं पोटली टाँगे घूम रहे हैं..एक जगह बैठते हैं. बातें करते हैं.
मस्तराम - रनिया नही मरी होती तो हमे
भागना ना पड़ता ननकू...
ननकू – बहुत दुःख हो रहा
है मालिक... उसी से दो बात हँस बोल के अपनी सूखी ज़िन्दगी थोड़ी रसदार हो जाती थी...
मैं तो यही दुआ करूंगा कि भगवान उसे अपने श्री चरणों में स्थान दे...
मस्तराम - आख़िर उसने क्या बिगाड़ा था
किसी का.. ?
ननकू – वो क्या बिगाड़ेगी
मालिक , जो जाता होगा उसकी तो ज़िंदगी बना देती होगी...
मस्तराम - फिर भी
पता नहीं किसने मार दिया उसे... और लग
गई अपनी... ग्राहक
भी छूटे और दूकान भी छुटी.
ननकू - अब तो मालिक लगता है खाना भी छूट जाएगा... लाले पड़ गए हैं खाने के .तभी उनको याद आता है
मसराम – अरे याद आया, डायरी ली की नहीं तूने ? उसमे सब ग्राहक के हिसाब लिखे थे. कैसे भी कर के पैसे तो उगाने
होंगे.
ननकू – बड़ी मिस्टेक हो गई
मालिक...डायरी तो दूकान पर ही छुट
गयी.... हडबडी में ध्यान से
उतर गई...
मस्तराम – हमे वो डायरी चाहिए ननकू... जो पैसा था पुलिस वाला
ले गया... थोड़ा पैसा दुकान में रखा था तो उसमे भी सौ डेढ़ सौ रह गया है... कैसे काम
चलेगा... अब तो किसी भी हाल में वो डायरी लानी होगी..
ननकू : ठीक है मालिक मैं आपका यहीं इंतज़ार करता हूँ..जाइए
आप ले आइये डायरी..
मस्तराम : सरऊ इतना बड़ा देह लेके जायेंगे कोई पहचान नहीं
लेगा...इस काम के लिए तुम ही सही रहोगे जाओ...
ननकू : और मुझे कोई पहचान लिया तो मालिक..क्या वो मेरी पूजा
करेंगे..अरे रनिया के सारे आशिक साले ईंट पत्थर लेकर बैठे होंगे इंतज़ार में..
तभी मस्तराम अपना गमछा ननकू के सिर पे बाँध देता है..
मस्तराम : अब नहीं पहचान पायेंगे..जा हिम्मते मरदे तो मदते
खुदा..
ननकू : अब आपने बकरा चुन लिया है तो उसे हलाल होने तो जाना
होगा...चलता हूँ मालिक...
ननकू वहां से निकलता है....
सीन 10
दिन/ रास्ता.
रानी . ज्योति.
इधर हम दिखाते हैं रानी
एक जगह इंतज़ार कर रही है
ननकू - ये ज्योति आई
नहीं अभी तक. लगता है साड़ी से उसको
मोह ही नहीं जा रहा...
तभी ज्योति साडी लेकर आती
है. बहुत खुश है.
ज्योति – इस साड़ी ने तो
सपने की दुनिया दिखा दी है... बल्कि सपने में भी इतना सुख मैंने नहीं सोचा था...
रानी मज़े लेती है ..
रानी - लगता है आनंद बाबू घुलट-घुलट के प्यार कर रहे हैं तुम्हें... .
ज्योति खुश होकर बोलती है
ज्योति – अब नज़र मत लगाओ रानी... टच वुड... इस साडी ने तो मेरा प्रेम, मेरा ड्रीम ,
मेरा सब कुछ बचा लिया... एनी वे ... जाओ तुम अब कल इसे पूनम
को दे देना.
रानी : ठीक है..
ज्योति जाती है..रानी को फोन आता है. ग्राहक को बोलती है
रानी – हाँ, हाँ चलूंगी ना... अरे होटल का पैसा नहीं है तो मैं
क्या करूँ... रखो फोन... अच्छा एक काम करो... धोबी की दूकान पे आ जाओ
वो मुआ तो भाग गया...वही निपटाते है तुझे.... आएगा वहा...?
हाँ तो आ जाओ....
सीन 11
दिन/ धोबी दूकान
रानी . ननकू.
इधर हम दिखाते हैं सिर पे
गमछा बांधे ननकू कॉमेडी स्टाइल में छिपते हुए आ रहा...दूसरी तरह से रानी आ रही जिसके हाथ में अप्सरा साडी है....अचानक ही दोनों
का आमना सामना हो जाता है..रानी को देखकर ननकू सिर खुजाने लगता है..तभी रानी कुछ
सोचती है और अपनी आखें ऊपर करके गोल गोल घुमाने लगती है..
ननकू : भ—भूत भूत..मालिक ....भूत
गिरते पड़ते ननकू भागता है..रानी हंसती है..
फ्रीज..
अप्सरा
एपिसोड – 4
सीन : 1
दिन/ पार्क
आनंद. राकेश. अप्सरा
हम दिखाते हैं
आनंद और पूनम का पति एक जगह बैठकर पत्ते खेल रहे हैं… कुछ इधर उधर की
बातें चलती है... राकेश अपना पत्ता फेंकते हुए कहता है...
राकेश – जानते हो आनंद , इधर –उधर चाहे जितना भी मुँह मार लो, जो मज़ा बीवी में है वो ना तो बार वाली में है ना बाहर वाली में...
आनंद – अरे वाह ! तुम्हें तो बड़ी जल्दी ज्ञान की प्राप्ति हो गई भाई...
तभी अप्सरा वहां से मुस्कुराती हुई जूप से क्रोस कर जाती है...दोनों को मधुर सुगंध आती है... दोनों फिर एक दुसरे से पूछते हैं
राकेश – ( खुशबू लेते हुए ) ये क्या था यार ! इतनी तेज़ ख़ुशूब कहाँ से आ गई अचानक ?
आनंद – हाँ ..ऐसी खुशबू जो मन
को मोह ले...लगता है कोई परी या पसरा होगी..
राकेश : हाँ, और वो भी हम दोनों का परफोर्मेंस देख के ही
आसमान से धरतीलोक में उतारी होगी..
दोनों हँसते हैं...
राकेश – लेकिन यार तुम बिलीव नहीं करोगे, ऐसी ही ख़ुशबू आती है , जब मेरी वाइफ मेरे पास तैयार हो के आती है...
आनंद ( मुस्कराते हुए राकेश से मजे लेता है ) – अच्छा कौन सी वाली वाइफ ? बार वाली या बाहर वाली ?
राकेश – अबे अब सुधर गया हूँ यार...क्यों मज़ाक उड़ा रहा है .....
आनंद : तुम और सुधर गए ?
राकेश : और क्या, अब तो मेरी पूनम ही मेरे लिए हूर भी है और
अप्सरा भी..वो कहे दिन तो दिन.. वो कहे रात तो रात... अच्छा तुम बताओ , तुम्हारी गर्ल फ्रेंड , तुम्हें कितनी सुन्दर लगती है ? मतलब कितना प्यार करते हो उसे ?
आनंद – ( आहें भरता हुआ ) क्या बताऊँ यार, मेरी गर्ल फ्रेंड की सुन्दरता के आगे तो साला ताजमहल भी फीका पड़ जाए...वो
खिड़की में आती नहीं कि चाँद को जलन के मारे छिपना पड़ता है... वो गार्डन में टहलती
नहीं कि भौरे, फूलों को छोड़कर उसके आगे पीछे मंडराने लगते हैं..वो जितनी बार दिन
भर में सांस लेती हैं उससे कहीं अधिक बार तो मैं उसका नाम लेता हूँ...
राकेश – ये कुछ ज़्यादा नहीं हो गया भाई ? खैर... लेकिन तुम्हें क्या पता मेरी पत्नी कितनी ख़ूबसूरत है... जैसा उसका नाम पूनम वैसा उसका रूप भी... पूनम की रात की तरह हमेशा खिली हुई लगती है... बल्कि सच कहूं तो उसके आगे पूर्णिमा का चाँद भी कुछ नहीं...
आनंद – सच में ?
राकेश – सच नहीं तो क्या मैं डिंग हाँक रहा हूँ... ये देखो ...
वो अपना मोबाइल निकाल कर अपनी तस्वीर दिखाता है... उस तस्वीर को देख कर आनंद दंग हो जाता है क्योंकि वो तस्वीर अप्सरा की होती है...आनंद रिएक्ट करता है...
राकेश – उड़ गए ना होश... ? ( हँसता है )
आनंद – ये कैसे हो सकता है...?
राकेश : अबे क्यूँ नहीं हो सकता...
आनंद : फिर तुम ही देख के बताओ कि ये कैसे हो सकता है..
आनंद भी उसे अपनेमोबाइल में अप्सरा की फोटो दिखता है....
राकेश – होश में हो कि नहीं तुम ? ये क्या दिखा रहे हो मुझे...?
आनंद – अरे यही है अपनी असली वाली गर्ल फ्रेंड , इसी के साथ मुझे सात फेरे लेने है...
दोनों झगड़ पड़ते हैं...
राकेश – साले मुझे तो पहले ही शक था कि तेरी नज़र मेरी बीवी पर है...
आनंद भी काउंटर करता है
आनंद - मुझे भी शक था साले कि तू दोस्त के नाम पर दुश्मन है... मेरी गर्लफ्रेंड को पटाने के लिए मेरे साथ दोस्ती की... बेशर्म ठरकी कहीं का... अपनी बीवी होते हुए भी मेरी वाली पे नज़र गढ़ाए बैठा है... ? लेकिन याद रखना ... आज के बाद तुमने मेरी गर्लफ्रेंड पर नज़र भी डाली तो मैं तेरी आँखें नोच लूंगा...
राकेश – आनन्द तू हद से ज़्यादा बढ़ रहा है... उल्टा चोर कोतवाल को डांटे... ? साले... जो मेरे नाम की सिन्दूर लगाती है, मेरे लिए मंगलसूत्र पहनती है , उसके साथ तू सात फेरे लेगा... ये सोचने की तेरी हिम्मत भी कैसे हुई ,?
दोनों लड़ाई करने लगते हैं...अप्सरा दूर से देख रही
है..मुस्कुरा रही है...
आनंद – ( उसकी कालर पकड़ लेता है ) हिम्मत की बात करता है ...? साले जान ले लूंगा तेरी... याद रख ले... गाँठ बाँध ले मेरी बात ... आज के बाद तुमने मेरी गर्लफ्रेंड पर नज़र डाली तो मैं तेरी सारी ठरक निकाल दूंगा...
राकेश – साले किसको बोला... छोड़ मेरी कालर...
वो आनंद को धक्का देता है , आनंद लडखडा जाता है...
राकेश – तू मेरी बीवी के साथ रिश्ता करेगा और मैं जानते भर में होने दूंगा ? काट डालूँगा...
आनंद मोबाइल में अपनी गर्लफ्रेंड की फ़ोटो दिखाते हुए,, जो कि अप्सरा की होती है, चिल्लाता है
आनंद – हाँ , इसी के साथ मैं शादी करूंगा... फिर देखता हूँ कि कौन किस को काटता है...
राकेश – शादी की बात तो छोड़ , कभी उसके आस –पास भी दिखा ना तो , फिर देखना मैं क्या करता हूँ...
आनंद – ठीक है देख लेना... फिर देखना मैं क्या करता हूँ....
दोनों एक दुसरे को देख लूँगा कहकर वहां से गुस्से से निकलते हैं...
राकेश – देख लूंगा तुम्हें ...
अप्सरा एक जगह से मुस्कुरा रही है गायब हो जाती है.....
सीन : 2
दिन. धोबी की दूकान
ननकू. मस्तराम.
इधर ननकू भागा भागा आता है,
ननकू – मालिक... मालिक...
मस्तराम उसे देख कर हैरत में होता है और कहता है
मस्तराम – क्या हो गया रे ननकू ?
हांफता हुआ ननकू मस्तराम के सामने
ननकू – भूत – भूत...भूत
करके बेहोश हो जाता है...
मस्तराम ( नकूक को उठाने की कोशिश करते हुए ) – ननकू... ननकू ... क्या हो गया रे... ? अरे ई ....अब इसे का हो गया... कहाँ भूत देख लिया रे ननकू...
मस्तराम घबरा जाता है... फिर ननकू को चप्पल सूंघाकर होश में लाता है...ननकू छेद वाली चप्पल देखकर रिएक्ट करता है
ननकू – अरे क्या मालिक आज भी आप वही चप्पल पहनते हैं जो दस साल साल मंदिर से चुराई थी...
मस्तराम – साले मत भूल इसी ने तेरी जान बचाई है ..और क्या हो गया था तुम्हें... क्या भूत –भूत चिल्ला रहा था... कहाँ भूत देख लिया तुमने..?
ननकू - अरे हाँ... मैं तो बेहोशी में भूल ही गया था... मालिक, मैंने रानी का भूत देखा... ...
मस्तराम को यकीन नहीं होता.
मस्तराम – का बक रहा है ननकू... वहम हुआ होगा तुम्हें... जान –पहचान वाले की लाश देखने के बाद ऐसा ही वहम होता है...
ननकू – वहम नहीं मालिक, मैंने एकदम साबूत रानी को देखा है... वही रंग –रूप , वही चाल-ढाल , जूडा बनाते हुए ( बाल बंधाते हुए ) मटक के निकली मेरे सामने से ...
मस्तराम : पगला गया है तू..
ननकू : आपको यकीन नहीं हो रहा है न मालिक तो चलिए मेरे साथ...अभी दिखता हूँ. आपको.. चलिए...
ननकू मस्तराम को अपने साथ हाथ पकड़कर ले जाता है...
सीन.3
दिन/ पूनम का घर
पूनम. ज्योति. रानी.
पूनम अपनी माँ से खुश होकर कुछ बतिया रही है...
पूनम :- सच में अम्मा.. कोई प्रोब्लम नहीं है अब मुझे... आपका फेंटम दामाद अब एकदम रास्ते पर आ गया है ...सिर्फ रास्ते पर ही नहीं आया , बल्कि अब वो तो नंदी बैल की तरह मेरे सामने
बैठा भी रहता है...और तो और उसके सामने जो भी रुखा सुखा डाल दो वो बेचारा खा भी
लेता है ...( हंसती है) ये सब कैसे हुआ ? अरी अम्मा एक बार तुम बस आ जाओ..तुमको भी
जादू दिखा देंगे...( फोन कट करती है तभी रानी की आवाज़ आती है..
रानी : अरी भाभी धीरे बोलो..दीवारों के भी कान होते हैं..आप
तो फोन पर ही अपनी अम्मा को साडी चालीसा सूना रही...कहीं ऐसा ना हो कि तीन की जगह
और तेईस औरतें यहाँ बरेली आ धमके..
पूनम : हाँ ये भी सही है..क्यूँ हम अपने ही घर में लंका
लगाए... आगे से ध्यान रहेगा...ये लो...मौज करो..
रानी : मौज तो होती रहेगी. भाभी...लेकिन एक बात की टेंशन हो
गयी है...उस करम जले , मुआ ननकू ने मुझे देख लिया है...
पूनम – क्क्क्क क्या कह रही हो रानी ... ? कहाँ कब... ?
रानी बताती है...जिसे हम छोटे फ्लैश कट में दिखाते है कि रानी निकली है जिसे ननकू देखकर भूत भूत चिल्लाता हुआ भागता है..
रानी – अब मस्तराम धोबी को ज़रूर पता चल जाएगा कि मैं मरी नहीं हूँ..फिर वो अपनी दूकान खोलेगा और मुझसे अपनी साडी मागेंगा...
पूनम – कभी मत देना... ये साड़ी हम तीनों के पास ही रहनी चाहिए.. अगर दिया तो फिर समझो हमारा अप्सरा का जादू खत्म..
तभी ज्योति आकर बोलती है...
ज्योति – लगता है.... अपनी लाइफ़ में जो चार दिन की चांदनी आई थी उस पर ग्रहण लगने वाला है...
पूनम और रानी ज्योति को हैरत से देखते है...
पूनम - अब तेरे साथ क्या हो गया ...
ज्योति – मेरे साथ नहीं, हम दोनों के साथ... एक बहुत बड़ी गड़बड़ हो गयी है.... राकेश और आनंद में लड़ाई हो गयी है पूनम भाभी....क्यूंकि दोनों को तो हम अप्सरा ही दीखते है, इसलिए उन्हें लगता है वे एक दूसरे की बीवी के साथ मज़े कर रहे हैं...
पूनम – ये तो अब एक अलग ही बवाल आ गया अपने सर पे... इधर मस्तराम का लफड़ा , उधर पतियों का झगड़ा.... भगवान् जाने क्या होगा अब...
सीन 4
दिन/ धोबी की दूकान
मस्तराम. ननकू
इधर ननकू मस्तराम को दूकान के पास लेकर आता है
ननकू – आइये , मालिक मैंने यहीं पर रानी के भूत को देखा था...
मस्तराम हैरान हो कर अपने दुकान के अंदर देख रहा है कि
मस्तराम – उसका भूत हमारी दुकान में क्यों आएगा... हमने उसका क्या बिगाड़ा है...
इतना कहता है तो उसे एक लाकेट मिल जाता है जो रानी का है...
मस्तराम – ननकू... ई देख तो... ये तो रानी के गले का लॉकेट लगता है... ?
ननकू ( मजे लेते हुए कहता है ) – बड़ी पारखी नज़र है मालिक आपकी... अब समझा मेरी तरह आप भी उसे नज़र बचा के और निशाना लगा के देखते थे ... तभी पहचान गए उसकी लाकेट को ...हें , बड़े छुपे रुस्तम हो आप..
मस्तराम – दिमाग मत ख़राब कर ननकू... हम फगुनिया के अलावा किसी को उस नज़र से नहीं देखते... और इसमें निशाना क्या लगाना है... गले की लाकेट पर तो ऐसे ही नज़र चली जाती है... लेकिन उसका लॉकेट यहाँ आया कैसे..?
मस्तराम अपना दिमाग चलाता है..उसे फ्लैश जाता है मरी रानी का...इस्पेक्टर का...
मस्तराम - कहीं उसने हमारी दुकान में ही अपना धंधा तो नहीं शुरू कर दिया....
ननकू – किसी मरे हुए के साथ ग़लत नहीं बोलते है मालिक... मरने के बाद वो धंधा कैसे कर सकती है... ? कौन इतना हिम्मती है कि भूत के साथ मजे करने आएगा... ?
मस्तराम – चौपट कहीं का... अभी भी तुम्हें समझ में नहीं आया...अरे उसने हमें बेवकूफ बनाया है... ताकि वो तीनो हमसे साडी हड़प सके...
ननकू हैरान हो कर मस्तराम को देखता है...
मस्तराम – देखो मत.... चलो कुछ करते हैं...
सीन -5
दिन. पूनम का घर
राकेश. पूनम.
इधर पूनम का पति पूनम पर भड़क रहा...
राकेश – अब मेरे प्यार में क्या कमी रह गई है जो तुम मेरे साथ बदला ले रही हो ... धोखा दे रही हो मुझे.... ?
पूनम – ये क्या कह रहे हो राकेश ? ऐसा मैंने क्या कर दिया... ?
राकेश – अच्छा तो अब झूठ भी बोलोगी मुझसे ... ? कह दो कि आनंद के साथ तुम्हरा कोई रिश्ता नहीं है... ? तुम उससे मिलती नहीं हो ?
पूनम – ऐसा कुछ भी नहीं है राकेश... ?
राकेश – तो वो कमीना कैसे कह सकता है कि वो तुमसे शादी करने वाला है... ? तुमने शादी करने का वादा किया होगा तभी तो कह रहा है ... ? और ये मैं कोई सुनी –सुनाई बात नहीं कर रहा हूँ... मुझसे कहा है उसने... ये मेरा देखा हुआ सच है...
पूनम – लेकिन जो तुमने देखा-सुना है ना ? वो सच नहीं है..क्यूंकि मै वो नहीं जो तुम देख रहे हो....
राकेश – तुम वो नहीं हो ? .... मतलब ? मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा है...
पूनम : मैं समझाती हूँ...तो सुनो...
पूनम , राकेश से कुछ बोलती चली जाती है फ्लैशबेक में हम
पुनम और राकेश के पुराने सीन दिखाते हैं कि कैसे वो अप्सरा के सम्मोहन में उसकी
सेवा कर रहा है..राकेश गौर से हैरान होकर पूनम को देखे जा रहा है..फ्लैश खत्म होता
है..
पूनम – अब समझे, सब उस साडी का चमत्कार है, जो भी औरत उस साड़ी को पहनेगी वो अप्सरा की तरह दिखाई देगी... लेकिन इसके राजदार हम तीन ही औरतें हैं...मैं , ज्योति और रानी...
पति चौकता है
राकेश – ऐसा कैसे हो सकता है ?
पूनम - इसलिए हो सकता है क्योंकिं ये कोई आम साडी नहीं है..ये एक अप्सरा की साडी है..
राकेश – तो क्या रानी ने उस दिन वही साड़ी पहनी थी इसलिए मैं और आनंद उसके चक्कर में आ......
पूनम – हाँ, हमें भी तब उसका राज पता नहीं था , इसलिए मैं और ज्योति तुम दोनों को कूटने के लिए दौड़ा लिया था...
राकेश – लेकिन अब चाहे जो भी हो यदि तुम चाहती हो कि मैं तुमसे प्यार करूँ तो तुम्हे हमेशा मेरे लिए अप्सरा बने रहना होगा. इसलिए अब तुम वो साडी ना तो ज्योति को दोगी और ना ही रानी को..
राकेश जाता है. पूनम सोच में पड जाती है...
पूनम – बहुत मुश्किल से मैंने राकेश को उस माधुरी के चंगुल से बाहर
निकाला है... अब मैं राकेश को उसके पीछे नहीं छोड़ सकती...लेकिन यदि मुझे वो जादुई अप्सरा वाली साडी चाहिए तो फिर तो फिर मुझे दोनों को रास्ते से हटाना पड़ेगा....
सीन 6
दिन/ पार्क कोई भी अच्छा लोकेशन
ज्योति. आनंद.
इधर आनंद भी ज्योति से कहता है..
आनंद - समझ गया ज्योति... ये सारा जादू उस अप्सरा की साडी का है. लेकिन अब तुम मुझे पाना चाहती हूँ तो तुम्हे उसी रूप में रहना होगा.. क्योंकि अप्सरा के रूप में ही मैंने तुम्हें प्यार किया है... और इसी रूप में मैं तुम्हें प्यार कर सकता हूँ...
ज्योति - लेकिन ये कैसे पोस्सीबल हो सकता है आनंद ? इस पर तो पूनम भाभी और रानी का भी हक़ है... हर दो दिन बाद मेरा नम्बर आएगा...
आनंद - दो दिन ?? एक पल के लिए भी मैं अप्सरा से अलग नहीं हो सकता... इसलिए अब तुम्हे दुबारा साडी मिले तो तुम पूनम और रानी को नहीं दोगी...
आनंद जाता है. ज्योति सोच में पड़ जाती है...
सीन 7
दिन/ रास्ता कोई लोकेशन
मस्तराम. ननकू. भिखारी ( नकली पुलिस वाला)
इधर ननकू और मस्तराम ने गमछे से अपना सिर छिपा रखा है..कहीं बैठे हैं...चाय पीते हुए आपस में बातें करते हैं.
ननकू – मालिक... अभी तक विश्वास नहीं हो रहा है कि वो रानी इतना बड़ा गेम खेलेगी.. पुलिस को मिला कर खेला कर गई हमारे साथ...
मस्तराम - और हम ऐसे मतिमंद और डरपोक कि भाग खड़े हुए...
तभी उधर से वही आदमी भीख माँगने आता है जो पुलिस बना था... उसे देख कर ननकू की आँखें चौड़ी हो जाती है...
ननकू – मालिक वो देखिए...असली नकली का खेल..
मस्तराम ( हैरत से उसे देख कर कहता है ) – अरे साला ... इसका मतलब पुलिस वाला भी नकली था... आओ खबर लेते है इसकी...
ननकू – थोडा इसके भी गेम खेलते हैं मालिक..फिर करेंगे इसकी
धुनाई...
ननकू और मस्तराम गमछा बांधे हैं इसलिए वो उन्हें पहचान नहीं पा रहा...बिखरी सामने आता है..
भिखारी – कुछ दे दो भइया.... ऊपर वाला बहुत बड़ा आदमी बनाएगा आपको...
ननकू – जब ऊपर वाला बड़ा आदमी बनाएगा तो आ कर ले लेना... अभी तो हम खुद भिखारी बने घूम रहे है... तुमको कहाँ से दें...
भिखारी - चाय ही पिला दो... नहीं तो कहीं एक्टिंग का काम ही दिलवा दो... मजबूरी में ये सब करना पड़ रहा है...
मस्तराम - अच्छा तो तुम एक्टिंग भी करते हो .? वाह रे भिखारी एक्टर..?
ननकू – नहीं मालिक एक्टर भिखारी.
मस्तराम – तो कुछ करके बताओ.?
भिखारी – अभी क्या कर के दिखाए... अभी तो कल ही मस्तराम और ननकू को अपनी पुलिसिया एक्टिंग से ऐसा डराया ऐसा डराया कि दोनों दूम दबा कर बरेली से भाग गए..
ये सुनकर ननकू और मस्तराम उस भिखारी को पकड़ लेते हैं
ननकू - साले हमसे होशियारी ? बरेली छुड़ाएगा हमें... ?
मस्तराम – इहाँ डर के मारे हम कलेजा पकड़ के जी रहे हैं... हार्ट फ़ल होने की नौबत आ गई है हमारी ... और ये साला हमारे साथ खेल कर रहा है...पहचाना हमे...(
गमछा खोलता है भिखारी दर जाता है ) मार साले को...
मस्तराम और ननकू उस भिखारी को पकड़ कर कूटते हैं. भिखारी बोलता है
भिखारी – आह्ह ...मुझे छोड़ दो ...मेरी कोई गलती नहीं है मस्तराम भाई... छोड़ दो मुझे... मैं तो भिखारी हूँ मुझे एक्टिंग करने के पैसे तीन औरतों ने दिए थे...
ननकू – कौन तीन औरत बे ? नाम बता...
भिखारी – सेंट वाली पूनम भाभी, लिपस्टिक वाली ज्योति मैडम और अपनी कटीली रानी ...उसमे सबसे मास्टर माइंड तो वो रनिया ही है...
ननकू : बस यही सुनना चाहते थे हम...
मस्तराम : अब उस रनिया को तो सबक हम सिखायेंगे..
सीन 8
दिन / रास्ता
रानी . एक दो पससिंग .
इधर रानी रास्ते पर खड़ी है. लेकिन कोई भी ग्राहक नहीं रुक रहा. रानी बडबडाती है.
रानी - साला जब तक अप्सरा साडी ना पहनो तो लोगों को मैं दिखती ही नहीं.... सब साले रूप के पुजारी है... लेकिन रोज़ रोज़ तो अब मिल नहीं सकती ना साडी ..(वो चीढ़ कर कहती है ) उस साडी पर तो दो और कुण्डली मार के बैठी है...
तभी वो कुछ सोचती है...
रानी - कुछ तो करना पडेगा कि ये साडी हमेशा के लिए मेरी हो जाए...वरना रात खत्म नहीं होती कि मुँह उठाए साड़ी लेने चली आती हैं ... और मेरी बारी आती है तो मुझे फोन कर के मंगाना पड़ता है... लगता है अब रानी को अपना गेम बिछाना ही होगा..
वो फ़ोन करके पूनम से कहती है
रानी – हेलो पूनम भाभी....एक काम कीजिएगा ना , कल साडी लेकर थोड़ी जल्दी आइये ना प्लीज... आज तो लगता है बोहिनी भी नहीं हो पाएगा...ठीक है मैं
इंतज़ार करुँगी... ( फोन कट करती है ) इंतज़ार करुँगी पुनम भाभी.. आप आइये तो सही...
अगले दिन की सुबह.
सीन 9
दिन / रास्ता
पूनम. ननकू . मस्तराम.
अगले दिन पूनम हाथ में साडी और एक मिठाई का डब्बा लिए घर से निकलती है खुश है..ननकू और मस्तराम सिर पे गमछा लपेटे दिवार के कोने से छिपकर देख रहे हैं...
मस्तराम – देख रहे हो... इनलोगों ने साड़ी के लिए अपनी –अपनी पारी बाँध ली है...
ननकू – हाँ और आज साडी देने की बारी पूनम भाभी की है ..
मस्तराम - चलो... देखते है ले कौन जाती है...
दोनों पीछे पीछे निकलते हैं...
सीन 10
दिन / बरगद का पेड़ लोकेश
रानी. पूनम . ज्योति. मस्तराम. ननकू
हम दिखाते हैं रानी एक जगह पूनम का इंतज़ार करती है क्यूंकि आज साडी लेने की बारी उसकी है...उसके हाथ में एक चाकू होता है.
रानी : आज तुम्हारा किस्सा खत्म हो जाएगा पूनम भाभी...उसके
बाद ज्योति की बारी...
ज्योति को आता देख रानी चौक जाती है. हाथ पीछे कर चाकू छिपा लेती है.
रानी - ज ज्योति तुम यहाँ ?? आज तो तुम्हारी बारी नहीं थी फिर तुम कैसे.?
ज्योति – पता है...( इधर उधर देखते
हुए ) लेकिन तुमसे एक ज़रूरी बात करने आई हूँ... मुझे पता चला है पूनम हम दोनों को मारना चाहती है इस साडी के लिए..
रानी – ( दिखावा करती है ) क्या बात कर रही हो..?
ज्योति - हाँ, लेकिन अब हमें इस खेल को उल्टा करना होगा रानी.अब मरेगी तो वो पूनम उसके बाद वो साडी तीन में नहीं बस दो में ही बंटेगा... एक दिन मैं और एक दिन तुम... कितना सही हो जाएगा...
रानी – हाँ, ये तो अच्छा है...बोलो क्या करना होगा...
ज्योति : तो सुनो..
ज्योति कान में कुछ बोलती है...
ज्योति - कैसा है मेरा आयडिया ....
रानी का v /o जाता है - अच्छा है पूनम को मारने में मुझे इसका साथ मिल रहा..फिर बाद में मैं इसे भी मार डालूंगी...
रानी – अच्छा है... ये तो करना ही पड़ेगा...
ज्योति – तो ठीक है... जैसा मैंने बोला है वैसे ही करना होगा तुम्हें...
रानी : हूँ ...मैं तैयार हूँ...
कट टू
सीन 11
दिन / रास्ता
ननकू . मस्तराम. पूनम
इधर पूनम साडी हाथ में और मिठाई का डब्बा लिए जा रही है. ननकू और मस्तराम गमछा लपेटे पीछे पीछे जा रहे हैं...
ननकू – मौक़ा देख रहा हूँ मालिक... आज तो ये साडी हम हथिया कर भाग लेंगे..
मस्तराम : हाँ थोडा और नज़दीक चलते हैं...
दोनों पास जाते हैं झपटने के लिए...तब अचानक पूनम पीछे मुड़ती है...दोनों फ़ौरन भिखारी बनकर बैठ जाते हैं...
ननकू और मस्तराम - अल्लाह के नाम पे दे बाबा..मौला के नाम पर दे दो ...
पूनम - तुम तो यहाँ थे नहीं, अचानक कहाँ से आ गए...बोलो..और ये सिर क्यूँ छिपा रखा है..कौन हो तुम दोनों..??
पूनम देखने जाती है तभी फ़ोन बजता है..
पूनम – हाँ अम्मा... अरे तुम स्टेशन आ गयी... रूको ज़रा मैं एक काम निपटा कर आती हूँ...
पूनम चली जाती है..मस्तराम और ननकू चैन की सांस लेते हैं.
ननकू - बच गए मालिक...नहीं तो अगर उसे ज़रा भी हमारी भनक लगती तो सब गुड गोबर हो जाता....
मस्तराम : चल चल ...वो जा रही...
दोनों पीछे से निकलते हैं...
सीन 12
दिन/ बरगद का पेड़
पूनम . ज्योति. रानी .
ज्योति बरगद पेड़ के पास खड़ी है.. तभी पूनम हाथ में साडी और मिठाई का डब्बा लिए आती है तो ज्योति को देखती है... बोलती है
पूनम – ज्योति ??? आज तो रानी की बारी है...तुम कैसे आ गयी..?
ज्योति – हाँ , मैंने रानी से रिक्वेस्ट की थी ... आज वो मुझे साडी देने के लिए तैयार हो गई है...
पूनम नहीं मानती.
पूनम – सॉरी ज्योति... हमने तय किया था न कि जिसकी बारी होगी... उसी के हाथ में हम साड़ी देंगे... अगर रानी देने के लिए बोल देगी तो मुझे कोई प्रोब्लम नहीं है...मैं फोन लगाकर
पूछ लेती हूँ..
ये कह कर वो रानी को फ़ोन लगाती है....
रानी का फ़ोन बजता है जो झाड़ियों से आ रही है....चौक जाती है...
पूनम : फोन की आवाज़ तो इधर से ही कहीं से आ रही...ये कैसे
हो सकता है?
ज्योति : मुझे क्या पता...
पूनम फ़ोन की घंटी की ओर बढती है..तभी ज्योति का फ्लैश जाता है जब वो रानी को पूनम के लिए भड़का रही थी..
फ्लैश 10 a
दिन/ बरगद का पेड़
रानी. ज्योति.
ज्योति - पूनम भाभी को ज़रा भी शक नहीं होना चाहिए... समझी.??
रानी - समझ गयी...
तभी अचानक ज्योति पर्स से रुमाल निकालती है उसमे कुछ बोटल से डालती है और रानी को रुमाल सूंघाकर बेहोश कर देती है. ज्योति चिढ़कर –
ज्योति – साली घंटा समझी ...हुआ शक तुझे... आज से साड़ी लेने की तेरी बारी हमेशा के लिए खत्म ..
ज्योति बेहोश रानी के गला घोटकर मार डालती और लाश झाडी में में घसीट ले जाती है..
फ्लैश एंड होता है.
सीन 12 कंटिन्यू
तभी इधर पूनम धीरे धीरे झाडी के पास आती है. उसे रानी की लाश झाडी में दिख जाती है...वो चौक जाती है...पूनम मुडती है
पूनम – (चीखती है ) अह्ह्ह्ह .... ये...ये तो रानी की लाश है...रानी की लाश यहाँ कैसे ...इसका मतलब तूने ही....
वो ज्योति से पूछने के लिए जैसे ही मुड़ती है तब तक ज्योति पीछे से उसके सर पर ईंट मार देती है. पूनम गिर जाती है. चेहरा खून से लथपथ ज्योति साडी उठा लेती है. खुश होती है.
ज्योति - अब ये जादुई अप्सरा
साडी हमेशा के लिए मेरी है... सिर्फ मेरी...तुम दोनों का खेल
खत्म..
पूनम तड़प रही है...
पूनम – (कराहते हुए ) मुझे बचा लो ज्योति ...आह्ह ...मैं मर जाउंगी...
ज्योति : बच के भी क्या करेगी हाँ...सारे मज़े तो तुमने ले
लिए इस अप्सरा साडी से.. ज्योति भी गयी और अब तुम भी जा रही... अब मेरा मैदान साफ़
है... अभी थोड़ी देर में सारा खून बह जाएगा... और तुम आराम से मर जावोगी...बाय...
जाते जाते मिठाई के डब्बे को उठा कर मुड़ती है कहती है...
ज्योति – अच्छा ? surprize ! लगता है प्रेग्नेंट की ख़ुशी का समाचार देनी आई थी मिठाई लेकर... बेचारी भाभी !!! जाओ भाभी, प्रसव पीड़ा से मुक्त होई गयी तुम...और इस ख़ुशी में मिठाई मैं ही खा लेती हूँ...
ज्योति मिठाई खाने लगती है...
ज्योति – वाह बहुत टेस्टी है...
कैमरा पूनम को कवर करता है... उसमें हरकत होती है... वो ज्योति के मिठाई खाते ही देख कर खून से लथपथ मुस्कुराती है.. उसकी हंसी धीरे –धीरे बढ़ती है... उसकी हंसी सुन के ज्योति पलटती है... उसे समझ में नहीं आता है कि क्यों हँस रही है... वो हैरान हो कर देखती है... लेकिन उसके आगे अन्धेरा छाने लगता है... तब पूनम कहती है...
पूनम – बधाई ! ये मेरी प्रेग्नेंस्सी की , नहीं तेरी मौत की है ज्योति... मिठाई में ज़हर था...
ज्योति : ( गला पकड़कर ) क्या ..??? आह्ह्ह
ज्योति भी वहीँ ढेर हो जाती है....मस्तराम और ननकू वहां भागे भागे आते हैं... दोनों तीनों की मौत देख कर हैरान रह जाते है... डर जाते हैं...
ननकू – अब ये मरने का कौन सा नाटक कर रही है तीनो मालिक..
मस्तराम – ( चेक करके गौर से देखता है) नाटक नहीं ननकू ... लग रहा है इनकी कथा का अंत हो चूका है अप्सरा साडी के चक्कर में ..
ननकू – अप्सरा साड़ी तो खूनी निकली मालिक... अब इस साडी का क्या करेंगे..?
मस्तराम – ख़ूनी नहीं रे ननकू... अपनी –अपनी लालच में मरी हैं... तीनो ने इसका फायदा देख लिया था इसलिए एक दूसरे को देना नहीं चाहती थी...
ननकू – इसलिए एक दूसरे को खत्म कर लिया...
मस्तराम - हाँ , लेकिन ई अप्सरा साडी की कहानी अभी खत्म नहीं हुई है ननकू... अब देखना हम इससे का करने वाले है .. आओ मेरे साथ ..
दोनों निकल जाते हैं. कैमरा पैन होता है और हम दिखाते हैं कि अप्सरा स्माइल कर रही हैं...
समाप्त.
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