वीर अभिमन्यु की अनसुनी गाथा ( Untold story of Arjuna son Abhimanyu in Hindi )

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वीर अभिमन्यु की अन सुनी गाथा ( Untold story of Aruna son Abhimanyu in Hindi )

अभिमन्यु  ( Abhimanyu's story. Veer Abhimanyu ki katha in Hindi. Abhimanyu kaun tha?)

I. वह महाभारत के केंद्रीय पात्र अर्जुन और उनकी पत्नी सुभद्रा का वीर पुत्र था।

1) वंशावली:

वह विष्णु के वंशज थे। उनकी वंशावली इस प्रकार है:

ब्रह्मा - अत्रि - चंद्र - बुध - पुरुरवा - अयु - नहुष - ययाति - पुरु - जनमेजय - प्राचीनवा - प्रवीर - नमस्यु - वितभय - सुन्दु - बहुविध - सम्याति - रहोवदी - रौद्राश्व - मतीनार - संतुरोध - दुष्यंत - भरत - बृहद्क्षत्र - हस्ती - अजमीढ़ - ऋक्ष - संवरण - कुरु - जह्नु - सुरथ - विदूरथ - सार्वभौम - जयत्सेन - रविया - भावुक - चक्रोद्धत - देवातिथि - ऋक्ष - भीम - प्रतिया - शांतनु - व्यास - पांडु - अर्जुन - अभिमन्यु।

वीर अभिमन्यु की अन सुनी गाथा ( Untold story of Arjuna son Abhimanyu in Hindi )

2) पूर्वजन्म (पार्वजन्म):

महाभारत में अभिमन्यु के पूर्वजन्म की कथा है। वह चंद्र के पुत्र वर्चस् थे, जो अर्जुन के पुत्र अभिमन्यु के रूप में अवतरित हुए। देवताओं और चंद्र के बीच यह चर्चा हुई कि देवताओं को अधर्मियों के विनाश के लिए पृथ्वी पर अवतार लेना चाहिए। चंद्र ने देवताओं से कहा, "मैं अपने पुत्र वर्चस् को, जिसे मैं अपने प्राणों से भी अधिक प्रिय मानता हूं, पृथ्वी पर भेजना नहीं चाहता। लेकिन मैं देवताओं की योजना में बाधा डालना भी उचित नहीं समझता। यदि मैं अपने पुत्र को भेजूं तो एक शर्त है—वह अर्जुन का पुत्र बने और मैं उससे 16 वर्ष से अधिक अलग नहीं रह पाऊंगा। मेरा पुत्र शत्रुओं के चक्रव्यूह में प्रवेश करेगा और 16वें वर्ष में उनकी द्वारा मारा जाएगा और मेरे पास लौट आएगा।" देवताओं ने इस शर्त को स्वीकार किया। इसीलिए अभिमन्यु 16वें वर्ष में वीरगति को प्राप्त हुए।

(म.भा. आदि पर्व, अध्याय 67)

3) सैन्य प्रशिक्षण और युद्ध:

अभिमन्यु ने अपने पिता अर्जुन से शस्त्रों का प्रशिक्षण प्राप्त किया। बाद में वह अपनी मां सुभद्रा के साथ द्वारका गए और कुछ समय तक अपने मामा श्रीकृष्ण के साथ रहे। वहाँ उन्हें श्रीकृष्ण के पुत्र प्रद्युम्न से शस्त्र-विद्या की शिक्षा मिली।

पांडवों के अज्ञातवास के बाद अभिमन्यु ने विराट नरेश की पुत्री उत्तर के साथ विवाह किया। जब कौरवों और पांडवों के बीच युद्ध हुआ, तो पहले दिन ही अभिमन्यु ने कोसल नरेश बृहद्बल के साथ द्वंद्व किया। भीष्म के साथ हुए भयंकर युद्ध में अभिमन्यु ने भीष्म का ध्वज-पताका तोड़ दी। इसके बाद उन्होंने अपने पिता अर्जुन का साथ दिया।

महाभारत के भीष्म पर्व (अध्याय 55, श्लोक 8-13) में दूसरे दिन के युद्ध में अभिमन्यु और लक्ष्मण के बीच हुए युद्ध का वर्णन है।

उन्होंने गंधारों पर आक्रमण किया, शल्य से युद्ध किया, और मगध नरेश जयत्सेन और उनके हाथी का वध किया। उन्होंने भीमसेन की सहायता की और विकर्ण, चित्रसेन और अन्य को पराजित किया। उन्होंने धृष्टद्युम्न द्वारा बनाई गई स्रोघाटक व्यूह में भाग लिया और भगदत्त से युद्ध किया। उन्होंने अंबष्ठ और आलंबुषा को पराजित किया। इसके बाद उन्होंने दुर्योधन, बृहद्बल और अन्य से युद्ध किया।

महाभारत द्रोण पर्व (अध्याय 10, श्लोक 47-52) में धृतराष्ट्र ने अभिमन्यु की वीरता का वर्णन किया है।

उन्होंने पौरव का शस्त्र छीनकर उसे भूमि पर फेंक दिया। जयद्रथ और शल्य से युद्ध किया। शत्रुओं के चक्रव्यूह में फंसने के बाद उन्होंने दुश्मन सेना को भारी क्षति पहुँचाई। शल्य मूर्छित हो गए और उनके भाई का वध हो गया। द्रोणाचार्य ने भी अभिमन्यु की वीरता की प्रशंसा की। दु:शासन अभिमन्यु से युद्ध करते हुए मूर्छित हो गया। कर्ण पराजित हुए। वृषसेन, सत्यश्रवस, और शल्य के पुत्र रुग्मरथ का वध हुआ। दुर्योधन भाग गया। लक्ष्मण मारे गए। अभिमन्यु की वीरता देखकर कर्ण के छह मंत्री मारे गए। मगध नरेश के पुत्र अश्वकेतु का वध हुआ। भोज नरेश भी मारे गए। शल्य को फिर पराजित किया गया। शत्रुंजय, चंद्रकेतु, मेघवेग, सुवर्चस्, सूर्यभास जैसे कई राजाओं का वध किया। शकुनि घायल हो गए। कालयकेय, सुभाल के पुत्र का वध हुआ।

महाभारत द्रोण पर्व (अध्याय 40, श्लोक 13-14) में वर्णन है कि दु:शासन ने अपनी गदा से अभिमन्यु को मार डाला।

4) मृत्यु के बाद:

वीर अभिमन्यु की अनसुनी गाथा ( Untold story of Arjuna son Abhimanyu in Hindi )

महाभारत द्रोण पर्व (अध्याय 71, श्लोक 12-16) में कहा गया है कि मृत्यु के बाद अभिमन्यु संतों के अमर लोक में चले गए। अभिमन्यु के पुत्र राजा परीक्षित थे।

महाभारत स्वर्गारोहण पर्व (अध्याय 5, श्लोक 18-20) में वर्णन है कि मृत्यु के बाद अभिमन्यु अपने पूर्व रूप वर्चस् में लौटकर चंद्रलोक में प्रविष्ट हुए।

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