अहमदबाद से लन्दन जाने वाली बोइंग नंबर 787-8 FLIGHT NUMBER AI171 (NEW UPDATE) जिसमे कुल 260 लोग सवार थे, उड़ान भरते ही दोनों इंजन फ़ैल हो जाने की वजह से 30 सकेंड के भीतर ही एअरपोर्ट बाउंड्री के बाहर जाकर प्लेन एक होस्टल वाली बिल्डिंग से टकराकर क्रैश गया था, आखिरकार उसके मलवे से मिले ब्लैक बोक्स को पूरे एक महीने के भीतर डिकोड कर लिया गया.
इस घटना (Ahmedabad to Landon plane crash latest news) से जुडी जिस तरह की रिपोर्ट अभी-अभी सामने आयी है उसमे बताया गया है कि जैसे ही फ्लाइट का इंजन बंद हुआ कॉकपीट के भीतर बैठे पहले पायलट ने दुसरे से पुछा " तुमने इंजन क्यूँ बंद कर दिया?" दुसरे पायलट का जवाब था "मैंने बंद नहीं किया". इसी के बाद अचानक कुछ ही पलों में दूसरा इंजन भी बंद हो गया और प्लेन क्रैश हो गया.
इस हादसे के बाद सरकार और इन्सुरेंस कपनियों ने तत्काल ही मुआवजे की घोषणा कर दी और मामले की जांच शुरू हुई. लेकिन जिस तत्परता से बाकी देशों में किसी घटना अथवा हादसे की जांच होती हैं, हमारे देश भारत में नहीं होती. यहाँ एक छोटी सी फाइल को एक टेबल से दुसरे टेबल पर जाने में महीनो लग जाते हैं और अगर घटना बड़ी हो तो उसमे सालों लग जाते हैं.
यह अपने आप में एक बहुत बड़ा सवाल है कि किसी भी प्लेन के दोनों इंजन एक साथ कैसे फ़ैल हो सकते हैं.? यह करोडो में से एक-आद केस हो सकते हैं. वैसे भी इंजन को चेक करना ग्राउंड इंजिनियर का काम होता है पायलट का नहीं. सबसे बड़ी बात उसके ब्लैक बोक्स को डिकोड करने में एक महीना कैसे लग गया जबकि बाहरी देश इसे २४ घंटे में कर सकते हैं. यह कोई महज़ इत्तेफाक नहीं कि अचानक से दोनों इंजन फ़ैल हो जाए. इसके पीछे कई एंगल हो सकते हैं जो जांच का विषय है. वैसे भी भारत अगर इस पर सही से जांच नहीं करता है तो उधर वाशिंगटन ने कमर कस ली है और अगर उसने दूध का दूध और पानी का पानी किया कर दिया तो अन्तराष्ट्रीय स्तर पर भारत की छवि धूमिल हो सकती है.
निष्कर्ष :( Ahmedabad to Landon plane crash new update report)
हमारे भारत में अगर कोई चीज़ सबसे अधिक सस्ती है तो वो है एक इन्सान की ज़िन्दगी. ऐसा इसलिए कहना पड़ रहा है क्यूंकि सब कुछ आखों देखा हाल है जो आज से नहीं शुरु से चलता आ रहा है. यहाँ किसी के साथ कोई भयानक हादसा हो जाए और जिम्मेदारी खुदा-न-खास्ता अगर किसी बड़ी एजेंसी, कंपनी या किसी नामी संस्था पर लगने की गूंजाइश हो तो सरकार जल्दी से कुछ मुआवजा देकर अपना पीछा छुडा लेती है.
अचानक हुए प्लेन हादसे कुछ ऐसे ही उदहारण हैं. उनमे दोष और त्रुटी ढूँढने में , रिपोर्ट तैयार करने में लंबा वक़्त क्यूँ लगता है? क्यूंकि उसे बड़ी-बड़ी कंपनियां बनाती है जिससे उनका रेपो और नाम जुडा रहता है..जैसे कि बोइंग के निर्माता अमेरिकन कंपनी है.अगर एक बार बदनामी हुई तो लाखों करोड़ का नुकसान एक ही झटके में हो सकता है. इसलिए उन्हें बचाने के लिए हादसे से जुड़े दोष और त्रुटियों के साथ खिलवाड़ कर दिया जाना निश्चित होता है. बाकी जनता खुद ही समझदार होती है समझ लेती है.
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