उत्तर भारतीय विकास सेना के संस्थापक और राष्ट्रीय अध्यक्ष पंडित सुनील शुक्ला जो कि हिन्दुओं के हितैषी माने जाते हैं, खासकर के मुंबई महाराष्ट्र में रहने वाले उन परप्रान्तियों के जो बाहर से आकर बसे हैं और जो कई वर्षों से राज ठाकरे की पार्टी M.N.S के कार्यकर्ताओं द्वारा प्रताड़ित किये जाते रहे हैं, शुक्ला जी हमेशा से ही एक प्रखर आवाज़ बनकर इसका विरोध करते रहे हैं. जब भी परप्रान्तियों पर अत्यचार हुआ है सुनील शुक्ला ने अपना हाथ आगे बढ़ाया है और हमेशा सभी को ढाडस और हिम्मत देते हुए कहा कि "तुम हमारा साथ दो हम तुम्हे जीत देंगे".
लेकिन इस बार उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे जब दोनों भाई सालों बाद एक बार फिर मिले तो पानी सिर के ऊपर से बह निकला. क्यूंकि उसी भरत मिलाप के परिणाम स्वरुप ही जगह -जगह हिंदी भाषियों को पीटा जाने लगा वो भी सिर्फ मराठी भाषा ना आने की वजह से.
परप्रान्तियों पर चल रहे इस भीषण "चांटा मार" दबंगई को देखते हुए शुक्ला जी ने भी कडा रुख और तेवर अपना लिया है और एक बहुत ही सोचने-समझने योग्य बात भी कही. शुक्ला जी के मुताबिक़ M.N.S के कार्यकर्ता परप्रांतीयों को चांटा तो मार रहे हैं लेकिन कभी उनके बीवी बच्चों और परिवार के बारे में सोचा है?
यह एक नाहक ही शर्मनाक बात और घटना है जब आप किसी को मारते हैं और मारकर जानबूझकर उसका वीडियों भी वायरल करते हैं तो उसका असर उस मार खाए व्यक्ति के घर परिवार में क्या पड़ता होगा कभी सोचा भी है?
आप किसी को सिर्फ थप्पड़ मारकर शारीरिक कष्ट नहीं दे रहे हैं बल्कि उस "चांटा मार" दबंगई से उसके घर वालों को मानसिक प्रताड़ना भी दे रहे हैं जो सरासर कानूनी और सामजिक दोनों तरह की अपराधों की श्रेणी में आते है.
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