From Pachisi to Ludo: पारचीसी से लूडो तक: भारत के प्राचीन खेल की रोचक यात्रा

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पारचीसी से लूडो तक: भारत के प्राचीन खेल की रोचक यात्रा



From Pachisi to Ludo: पारचीसी से लूडो तक: भारत के प्राचीन खेल की रोचक यात्रा

भारत की सांस्कृतिक धरोहर में खेल-कूद का भी एक अनोखा स्थान रहा है। इन्हीं खेलों में से एक है "चौपड़" या "चौसर", जिसे महाभारत काल से खेला जाता रहा है। यह खेल केवल मनोरंजन का साधन ही नहीं था, बल्कि रणनीति, धैर्य और भाग्य का अद्भुत संगम भी माना जाता था।

महाभारत के युद्ध का कारण भी इसी खेल से जुड़ा है—जब कौरवों और पांडवों ने दांव पर सब कुछ लगा दिया था। यही प्राचीन चौसर कालांतर में विभिन्न रूपों में विकसित होती गई। मुग़ल काल में इसे शाही दरबारों में बड़े शौक से खेला जाता था। विशेषकर अकबर महान ने इसे अपने राजमहल में पत्थरों से बने विशाल चौकोर मैदान पर खेला। इसमें मानव आकृतियों को ही मोहरों की तरह उपयोग किया जाता था।

अमेरिकी कंपनी का प्रवेश

19वीं सदी के उत्तरार्ध में भारत आने वाले यूरोपीय और अमेरिकी व्यापारियों ने इस खेल को देखा और इसकी लोकप्रियता से प्रभावित हुए। इन्हीं में से एक अमेरिकी कंपनी "EGS Elechow & Company" ने इस भारतीय खेल को व्यावसायिक रूप देने का विचार किया। कंपनी ने इस खेल को 1867 में अमेरिका में "Parcheesi – A Royal Game of India" नाम से ट्रेडमार्क कर लिया।

इस नाम "Parcheesi" की जड़ें संस्कृत के शब्द "पचिशी" में हैं, जिसका अर्थ होता है पच्चीस (25) – क्योंकि खेल में अधिकतम अंक पचिशी (25) मिलने पर ही मोहरा चल पाता था।

अमेरिका और यूरोप में प्रसार

EGS Elechow & Company ने इस खेल को "भारत का शाही खेल" बताकर अमेरिकी और यूरोपीय बाजारों में उतारा। देखते ही देखते यह खेल पश्चिमी देशों में लोकप्रिय हो गया। इसे बोर्ड पर रंगीन खाने और पासे (डाइस) के साथ पेश किया गया, ताकि सामान्य लोग आसानी से खेल सकें।

"लूडो" नाम की उत्पत्ति

20वीं सदी में इसी खेल का एक सरल रूप "Ludo" के नाम से लोकप्रिय हुआ। "Ludo" शब्द लैटिन भाषा के शब्द "Ludere" से लिया गया है, जिसका अर्थ है "हम खेलते हैं"। धीरे-धीरे पश्चिमी दुनिया में "Parcheesi" और "Ludo" दोनों ही नाम प्रसिद्ध हो गए।

भारत से विश्व तक की यात्रा

यह विडंबना ही है कि जो खेल भारत की सभ्यता और संस्कृति से जुड़ा था, वही पश्चिमी देशों में विदेशी कंपनी के नाम से बिकने लगा। "Parcheesi" और बाद में "Ludo" ने वैश्विक लोकप्रियता हासिल की, लेकिन इसका असली उद्गम और गौरव भारत का ही रहा।

निष्कर्ष

चौसर या चौपड़ केवल एक खेल नहीं, बल्कि भारत की ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहर का प्रतीक है। महाभारत से लेकर मुग़ल दरबार तक और फिर अमेरिकी कंपनियों के बोर्ड गेम्स तक इसकी यात्रा बताती है कि भारतीय संस्कृति कितनी समृद्ध और प्रभावशाली रही है। आज "लूडो" दुनिया का सबसे लोकप्रिय पारिवारिक खेल माना जाता है, लेकिन इसकी जड़ें गहराई से भारतीय परंपरा में निहित हैं।


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