2022 ke baad bhi corona humara kya-kya badalne wala hai ? 2022 के बाद भी कोरोना हमारा क्या क्या बदलने वाला है ?.
कहते हैं यदि बीते हुए कल से कुछ नहीं सीखा तो वर्तमान हमें फिर से भूत काल की याद दिला देता है . 2021 में आया कोरोना इसका जीता जागता उदहारण है. जानकारों के मुताबिक स्पेनिस फ्लू से सौ साल पहले भी महामारी आई थी और उससे सौ साल पहली भी. इसका मतलब है, किसी महामारी का सायकल चक्र सौ साल का होता है. लेकिन इसके बावजूद भी जब हम इसकी परवाह नहीं करते तो फिर साल 2021 में भी वही बीमारी कोरोना के रूप में हमे निगलने फिर से आ जाती है. अब तक कोरोना लाखों लोगों की जान ले चुकी है और पता नहीं कब तक लेती रहेगी . लेकिन यह भी सच है कि जीवन को रोका नहीं जा सकता, उसे आगे बढ़ाना ही पड़ता है . इसलिए अब कोरोना के साथ भी और कोरोना के बाद भी लोगों का जीवन चलता रहेगा . लेकिन बहुत सारी चीज़ें बदल जायेंगी और बहुत कुछ तो पहले से बदल भी चुकी है.
थियेटर जाना :- ऐसा नहीं है कि लोग फ़िल्में देखने थियटर नहीं जायेंगे..लेकिन भीड़ उस संख्या में नहीं होगी जो पहले की होती थी . इसके पीछे एक नहीं कई कारण है . सबसे पहला कारण तो लोग अब खुद को खतरे में डालना नहीं चाहेंगे . दूसरा कारण , लोगों के काम धंधे जब बंद हो चुके हैं तो अब सबका ध्यान ज्यदातर काम ढूढने पर होगा . तीसरा, अगर काम शुरू भी होंगे तो भी अब अधिकतर लोग ,पैसों को ज्यादा तवज्जों देंगे और फिजूल खर्च से बचेंगे .
मोबाइल एवं टीवी :- मोबाइल , टीवी और टेबलेट्स की बिक्री और बढ़ेगी. वैसे भी ज़्यादातर विद्यार्थी इस वक़्त मोबाइल और टेबलेट्स पर ही पढ़ाई कर रहें . इसके अलावे जिस तरह से आये दिन नए -नए चैनल लांच हो रहे हैं और लोगों को नेट
की सुविधा मिल रही है, उससे लोग अब घरों में ज्यादा वक़्त बिताना पसंद करेंगे . इससे
दो फायदे होंगे एक तो लोग घर में परिवार से जुड़े रहेंगे दूसरा उन्हें बिना थियेटर गए
ही घर में ही बहुत सारी फिल्म और वेब सिरीज़ फ्री में देखने को मिल जायेंगे .
लेकिन इससे थियेटर जगत पर लम्बे समय तक भीड़ न होने का अकाल छाया ही रहेगा .
व्यपार :- एक लम्बे
समय तक अब व्यपार का रूप बदलता हुआ दिखेगा जिसका असर पूरे बाज़ार पर छाया रहेगा .क्यूंकि जब सही वक़्त पर माल और पैसों का लेन -देन नहीं होगा तो बाज़ार का ढांचा ही
बदल जाएगा. जो व्यपारी दुकानदारों को उधार पर माल देते हैं वो अब अधिक लम्बे समय तक बाज़ार
में अपना उधार नहीं रखेंगे , क्यूंकि उनके सर पर भी पैसे डूबने का ख़तरा मंडराता
रहेगा. वैसे भी व्यपार जोखिम का काम होता है , फिर भी लोग आज तक ये जोखिम लेते रहे हैं
. मगर अब कारोबार में ज्यादा जोखिम न लेने पर उत्पादन और खरीद -बिक्री पर बहुत
फर्क पड़ सकता है.
जीवन शैली : – दुकाने और होटल्स खुलने के बाद भी आज भी लोगों
को बाहार खाने-पीने में हिचक महसूस हो
रही है. इस डर का कारण है कि कोरोना अभी पूरी तरह से गया नहीं है. लोगों के बाहर न खाने -पीने से इसका असर लम्बे समय तक दुकानों और होटलों पर छाया रहेगा.
सेहत : – किसी को न सही, कमसे कम इससे हमारी सेहत को इसका फायदा तो
ज़रूर ही पहुँचने वाला है. क्यूंकि जब लोग बाहर का खाना छोड़ घर का खाना शुरू कर चुके
होंगे तो इसका असर उनकी सेहत पर भी अच्छा ही पड़ेगा.
डॉक्टर्स और क्लिनिक : – दुनियाँ की सारी दुकाने बंद होने के बाद भी इनकी दुकानें हमेशा चलती रहेंगी. क्यूंकि अब लोगों में सेहत को लेकर एक डर बैठ चूका है . मामूली सर्दी -बुखार होने पर भी खुद को कोरोना का मरीज़ समझकर डॉक्टर्स के पास जाते रहेंगे और फिर डॉक्टर्स भी उन मरीजों को वही आईना दिखायेंगे जो वो देखना चाहेंगे. इससे बेवजह की बीमारी पर बेवजह का पैसा खर्च होता रहेगा.
रिश्तेदारी : – बीमारी के डर से या फिर इसी के बहाने लोग अब रिश्तेदारी निभाने में थोडा परहेज़ करेंगे. क्यूंकि मंदी और तंगी के वक़्त कोई भी अब अपने घरों में भीड़ लगाना नहीं चाहेगा. इसी के साथ ज़रुरत के वक़्त रिश्तेदारों के लिए भी पैसे नहीं निकल पायेंगे क्यूंकि उस वक़्त पैसों को ज्यादा महत्व देकर उन्हें संभाल कर रखा जाएगा .
विद्यार्थी जीवन : – कोरोना ने पिछले साल से विद्यार्थियों के जीवन में सुस्ती सी ला दी है. उनकी सारी लिखाई-पढ़ाई डिजिटल माध्यम से घर बैठे ही होती रही. अब अगर सुहलियत के मुताबिक आने वाले भविष्य में यह भी एक माध्यम बन जाएगा तो स्कूल कालेजों में शिक्षक और स्टूडेंट्स के बीच तालमेल में असंतुलन भी आ सकता है .क्यूंकि विद्यार्थी जितना अधिक अपने शिक्षक के करीब रहेंगे उनकी पढ़ाई उतने ही अच्छे से हो पाएगी.
निष्कर्ष : – कुलमिलाकर ये कोरोना अगर चला भी गया तो भी चीज़ों को ठीक होने में एक बहुत लम्बा समय लगेगा और तब तक लोगों को कम में भी अधिक जीने की आदत लग चुकी होगी, जिसका परिणाम कुछ के लिए अच्छा होगा तो बहुतों के लिए बुरा भी होगा .
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