सोनू के पुण्य की सूद पर कौन टैक्स लगा रहा ? sonu ke punya ki sood par kaun tax laga raha ?
सोनू सूद (SONU SOOD) एक सफल फिल्म अभिनेता माने जाते हैं, जिन्हें पूरा देश शुरू से जानता ही था, कोरोना में लोगों की मदद करने के बाद से उन्हें देश के बाहर भी लोग जानने लगे. वैसे तो कोरोनो काल में बहुत सारे लोगों के अलावे कुछ संस्थाओं ने भी गरीब मजदूरों और जरूरतमंदो की मदद की . लेकिन सोनू सूद ने उसमे बढ़चढ़कर हिस्सा लिया और वे देखते ही देखते एक अभिनेता से गरीबों के मसीहा बन गए. मसीहा भी ऐसा जो रात हो या दिन लोगों की मदद के लिए हमेशा एक पैर पर खड़े पाए गए.
लेकिन जिस तरह से वे हर गरीब सुदामा के लिए कृष्ण बनकर दान देते रहें, उससे कुछ लोगों को ये भी सोचने पर मजबूर किया कि आखिर सोनू सूद को हो क्या गया है. ? खुद को नेकी में इतना भी क्या झोकना कि दिवाला ही निकल जाए. मगर सोनू तो रुकने का नाम ही नहीं ले रहे थे. दान पर दान, मदद पर मदद , उनकी जैसी पहचान बन चुकी थी. ऐसा लग रहा था मानो उनके पास खुल -जा- सिम- सिम का कोई खजाना हो जिसका खाली होना नामुमकिन था. वरना सोनू सूद जिस हिसाब से लोगों की मदद करते आ रहे थे ,उस हिसाब से तो उनकी फायनेंसियल कंडीशन पर बहुत असर पड़ता.
मगर ऐसा कुछ हुआ नहीं और सोनू सूद ने जैसे भी हो, लोगों की मदद करना ज़ारी रखा. लेकिन अब सवाल उठता है की इसी बीच अचानक सोनू सूद दिल्ली सरकार, अरविन्द केजरीवाल के प्रोग्राम के ब्रांडअम्बेसडर क्यों बने ? अचानक गरीबो के मसीहा को खुद के लिए मसीहा ढूँढने की क्या ज़रुरत पड़ गयी? वरना एक एक्टर और समाजसेवी का किसी राजनीति पार्टी के लीडर से भला क्या काम ?
इससे तो सोनू सूद के कार्यों पर कोई संदेह भी कर सकता है कि सोनू सूद जो कल तक गरीबों की मदद करते आ रहे थे , क्या कोई शुरू से ही उन्हें पीछे से बैकअप दे रहा था ? क्या सब कुछ पहले से ही सुनियोजित था? अगर नहीं था तो फिर सोनू सूद ने राजनीती के मंच पर अचानक कदम रखकर लोगों को चौका क्यों दिया.? क्या सोनू सूद आम आदमी पार्टी से पहले भी किसी दूसरी पार्टी के दरवाजे पर गए थे , जहाँ उनका हित पूरा नहीं हुआ तो वे आम आदमी पार्टी के के पास चले गए ?
ये सब देश की गरीब जनता भले ही सोनू सूद से ना पूछे लेकिन दूसरी पार्टी को ये घटना चैन से बठने नहीं देगी. उनके मुताबिक अगर सोनू सूद अपने द्वारा किये गए मदद को राजनीती के तराजू पर तोलने निकलेंगे तो फिर विपक्ष भी इसका कुछ न कुछ तोड़ तो निकालने की ज़रूर सोचेगा, क्योंकि जब राजीनीति शुरू होती है तो फिर पार्टी केकड़े बन जाते हैं जो अकसर एक दुसरे की टांग खींचने में लगे रहते हैं .
अतत: ये संभव है यदि गरीबों के मसीहा सोनू सूद राजनीती के बाज़ार में कुछ खरीदने- बेचने निकले हैं तो फिर कुछ पार्टी के लोग सोनू सूद के पुण्य पर टैक्स लगाने की कोशिश ज़रूर कर सकते हैं ताकि सोनू सूद अपने पुण्य का सारा क्रेडिट किसी पार्टी की झोली में न डाल सके और डाले तो उन्हें परेशान किया जाए .
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