जानिये भारत पहले कितना अमीर देश था? ( India kitna rich tha?)

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मुगलों के पहले और बाद, भारत कितना अमीर देश था जानें.


जानिये भारत पहले कितना अमीर देश था?  ( India kitna rich tha?)



भारत पहले कितना अमीर देश था?  ( India kitna rich tha?) 



अपना देश भारत किसी समय सोने की चिड़ियाँ वाला देश कहा जाता था, क्यूंकि यहाँ वो सब कुछ था जिसकी कल्पना आज हम नयी पीढ़ियों को हैरत में डाल देती है .राजा विक्रम , हर्षवर्धन, चंद्रगुप्त मौर्य, सम्राट अशोक से भी पहले और बाद अनेकों राजे- महाराजे हुए जिनके पास विपुल धन सम्पदा थी. तुर्कों द्वारा लूट के बाद फिर बाबर ने 1526 में इब्राहीम लोदी को हराकर यहाँ मुग़ल वंश की नीव रखी. मुग़ल वंश और अंग्रेजों के समय की कुछ संपत्तियों का लेखा-जोखा देखने पर पता चलता है कि वो सारा धन -दौलत भारत में ही मौजूद था . 


कहते हैं ताजमहल को छोड़ दें तो भी मुग़ल बादशाह शाह रंगीला का तख्ते -ताउस भी, ताजमहल से तिगुने खर्च पर बना था. शाहजहाँ का मयूर सिंहासन, जिसपर कभी कोहिनूर जड़ा हुआ करता था, बेशकीमती था. इसके अलावे न जाने कई आलिशान महल, कीले और गुप्त खजाने रहे होंगे, जिनका मूल्य आंकना उस वक़्त असंभव रहा होगा.

 

इतिहास के पन्नो को पलटने पर हमें पता चलता है कि उस समय हमारा भारत वर्ष, दुनियाँ के सभी देशों से कितना अधिक संपन्न वाला देश था. मगर ये भी सच है कि भारत की उसी सम्पन्नता और विशालता का ही परिणाम था कि कुछ गिद्ध और भेडियों की नज़र हमारे देश पर पड़ी. इतिहास में ऐसे कई उदाहरण भरे पड़े हैं जो हमें ये बताते हैं कि कैसे बाहरी लूटेरों ने भारत पर हमला कर उस सोने की चिड़िया के पंख कुतरने शुरू कर दिए थे.


जानिये भारत पहले कितना अमीर देश था?  ( India kitna rich tha?)



हिंदुस्तान में मुगलों की नीव पड़ने से पहले भी, बाहरी लूटेरों द्वारा भारत में लूट का सिलसिला जारी था, जो न सिर्फ भारत को लूटने में लगे थे बल्कि वे भारत की संस्कृति को भी बर्बाद करने पर आमादा थे . इस कड़ी में उन हमलावरों के भी नाम शामिल हैं जिन्होंने सन 1340 से लेकर 1509 तक न सिर्फ पूरी के जगन्नाथ मंदिर की धन -सम्पदा को लूटा बल्कि मंदिर में स्थित जगन्नाथ ,सुभद्र और बलभद्र की मूर्तियों को भी नुक्सान पहुँचाने की कोशिश की. 


सन 1556 में अफगान हमलावर काला पहाड़ के अलावे 1692 में औरंगजेब ने भी जगन्नाथ मंदिर को ध्वस्त करने की कोशिश की. तुर्कों ने तो हमारे मंदिर से बेशकीमती कोहिनूर हीरे को ही चुरा लिया था . कोहिनूर, वह बेशकीमती हीरा, जिसे बेचकर पूरी दुनियाँ को 2-3  दिनों तक  खाना खिलाया जा सकता था आज अंग्रेजों के पास है. कोहिनूर और जगन्नाथ मंदिर की लूट तो बस एक छोटा सा उदहारण है . सन 1750 के समय नादिरशाह जैसे दरिन्दे ने दिल्ली में जो कत्ले -आम मचाया था, उसे रुकवाने के लिए मुगल बादशाह मोहम्मद शाह रंगीले को उसे सौ करोड़ रूपये देने पड़े थे. 


मगर उस वक़्त ये सौ करोड़ रूपये शाह रंगीले के पास आये कहाँ से होंगे  ? ज़ाहिर सी बात है ये पैसा हिन्दुस्तान का था .भारत की संपन्नता के कई और उदाहरणों में, सोमनाथ मंदिर का भी नाम आता है, जिसकी अमूल्य निधियों  को महमूद गजनवी ने लूटा था .हिंदुस्तान की और बड़ी संपदाओं की बात की जाए तो नालंदा विश्व विधालय भी उनमे से एक था, जिसे बख्तावर खिलजी ने इर्ष्या और जलन में आकर जलवा दिया था..


अब यह गौर करने लायक है कि यदि उस वक़्त हजारों मंदिर और ऐतिहासिक इमारते तोड़े गए और फिर से नए मिनार- महल अदि बनाये गए होंगे तो ज़रा सोचिये कि उनके निर्माण और विध्वंश में कितने पैसे लगे होंगे और वो पैसा कहाँ से आया  होगा ? एक बात यह भी है, यदि भारत में इतना धन नहीं होता तो लार्ड क्लाईब ने बंगाल के  नवाब सिराजोदोल्ला के पास से इतना धन कैसे लूटा था कि उन्हें इंग्लैंड ले जाने के लिए उसे पानी के नौ बड़े -बड़े जहाज़ मंगवाने पड़े थे.अत: इससे साफ़ पता चलता है कि भारत की विश्व पटल पर अपनी एक अलग ही शाख रही होगी. समय -समय पर कई देशों ने संघर्ष किया है. भारत ने बाहरी लूटेरों और आक्रमणकारियों के कारण कुछ अधिक ही किया है. लेकिन इससे भारत की पुरानी पहचान और उसकी छवि पर कोई असर नहीं पड़ेगा कि भारत किसी समय सोने की चिडया हुआ करता था.

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