हिंदी पौराणिक- शिवपुराण के अनुसार कौन से वार में कौन सा फल मिलता है जानिये . Hindi pauranik -Shiv puran mein likha hai kaun se vaar mein kaun sa phal milta hai.

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शिवपुराण के अनुसार कौन से वार में कौन सा फल मिलता है जानिये .  


वैधनाथ ,यानि की महादेव जो पूरी सृष्टी के भी  वैध एवं चकित्सक  हैं,  मनुष्यों के जीवन से समस्त दुखों और कष्टों  को दूर करने के लिए उन्होंने वारों की संरचना की , जिनमे महादेव ने पहले अपने वार की उत्पत्ति की जो आरोग्य प्रदान करने वाला बना . फिर उन्होंने अपनी मायाशक्ति का वार बनाया जो संपत्ति प्रदान करने वाला बना . 


जन्मकाल में दुर्गतिग्रस्त बालक की रक्षा के लिए उन्होंने कुमार के वार की रचना की फिर आलस्य और पाप निवृत्ति के लिए लोकरक्षक भगवान विष्णु का वार बनाया . फिर बनाया ब्रह्मा जी का आयुष्कारक वार जिससे सबकी आयु में वृद्धि उनके कर्म अनुसार हो सके . इसके बाद तीनो लोकों की वृद्धि के लिए पहले पुण्य -पाप की रचना की . फिर उनके करने से शुभ -अशुभ का फल देने के लिए  इंद्र और यम के वारों का निर्माण हुआ . 


फिर भगवान  शिव ने उनके स्वामी और अधिष्ठाता देवों को नियुक्त लिया . शिववार या दिन के स्वामी सूर्य हैं . शक्ति सम्बन्धी वार का स्वामी सोम है .कुमार सम्बन्धी दिन के अधिपति मंगल है .विष्णुवार के स्वामी बुद्ध हैं . ब्रह्माजी के वार के  अधिपति बृहस्पति हैं. इंद्र के वार के स्वामी शुक्र और यम के वार के स्वामी शनिश्चर हैं .सभी अपने -अपने प्रकार से फल देते हैं . सूर्य आरोग्य के और चन्द्रमा संपत्ति के दाता हैं . मंगल व्याधियों का निवारण करते हैं .बुध बल देते हैं . बृहस्पति आयु में वृद्धि करते हैं .  शुक्र भोग देते हैं और शनैश्चर मृत्यु का निवारण करते हैं .


देवताओं को प्रसन्न करने के लिए कुछ पूजा  विधियां – देवताओं का मंत्र जाप एवं होम करना प्रथम विधि है  . दूसरा दान करना है  तीसरा तप करना . इनमे पूजा के उत्तरोतर आधार श्रेष्ठ है . नेत्रों , मस्तक के रोग एवं कुष्ट रोग निवारण हेतु भगवान सूर्य की पूजा करनी चाहिए . सोमवार को संपत्ति प्राप्ति के लिए लक्ष्मी जी की पूजा करनी चाहिए . मंगल वार को रोगों की शान्ति के लिए काली की पूजा . बुद्ध बार को भगवान विष्णु का पूजन किया जाता है . दीर्घायु के लिए गुरु वार को पूजन करना चाहिए . भोग की प्राप्ति के लिए शुक्र वार को पूजन करना चाहिए . उसी प्रकार अपमृत्यु के निवारण हेतु शनिवार को पूजा की जाती है .

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