daanton ki problem se nizad kaise paayen?
हमारे दांत : सुन्दरता और सेहत दोनों के लिए है उपयोगी
इंसान के मुंह में अगर दांत ना हो तो उसका चेहरा ना तो आकर्षक दिखेगा और ना ही उसकी Health अच्छी रहेगी . क्यूंकि हमारी सेहत का सीधा सम्बन्ध हमारे दाँतों से ही है . जी हाँ, वो दांत ही हैं जिनके द्वारा हम भोजन को अच्छी तरह से चबाकर खाते हैं और फिर वो खाना रसायन बनकर हमारे शरीर में रक्त ,मांस और मज्जा का निर्माण करता है .मगर फिर भी हम और आप दाँतों की समस्या को Seriously नहीं लेते . हमारे मुंह के ये 32 सिपाही, दिखने में भले ही एक हड्डिनुमा ढांचा हो मगर उसकी importance हमे तब समझ आती है जब हम उन्हें खो देते हैं और उन्हें फिर से पाने के लिए किसी Doctor या Dentist ko एक मोटी फीस देते हैं . मगर फिर भी वो दांत असली की तरह काम नहीं करते . बस वो काम चलाऊ ही होते हैं .
कहते हैं दांत और कानो का दर्द, इंसान को इतना मजबूर और असहाय कर देता है कि वो उस वक़्त उस दर्द से छुटकारा पाने के लिए कुछ भी कर सकता है . क्यूंकि दर्द इतना तेज़ और severe होता है कि मानो कोई दांतों के बीच से Gums को चीरते हुए भाला चुभा रहा हो. बदकिस्मती से इस पीड़ा और दर्द से एक दिन सबको गुजरना पडेगा और आखिरकार आपको भी एक न एक दिन Dentist के पास जाना ही होगा .
दांतों पर पड़ता है मिलावटी खाद्य पदार्थ का प्रभाव
लेकिन अब सवाल है कि आप डेंटिस्ट के पास जाते कब हैं ? Routine check up के लिए मंथली, सालाना या फिर कई सालों के बाद जब आपके दांत पूरी तरह से जवाब दे चुके होते हैं .? उस वक़्त आपकी Condition ऐसी होती है कि दांतों की पीड़ा से आप न तो ठीक से सो पाते हैं और ना ही कोई काम कर पाते हैं .मगर आप इन सब चीज़ों को एक लम्बे समय तक के लिए टाल सकते हैं, अगर आप नियमित तौर पर अपने दांतों का ध्यान रखें तो .अब यहाँ ये भी सवाल आता है आखिर ऐसा क्या कारण रहा होगा कि पुराने गुजरे हुए ज़माने में लोगों को दाँतों की समस्या कम होती थी और उस ज़माने में दन्त - चिकित्सकों की सख्या भी ज्यादा नहीं थी ? तो इसका सीधा सा जवाब है , उस वक़्त वैसा भोजन नहीं था जो आजकल हम खापी रहें. सभी उस ज़माने में केमिकल या रसायनमुक्त भोजन किया करते थे .इसलिए उस वक़्त चारकोल या नीम के दातुन से भी दांत आसानी से साफ हो जाते थे .
बचाव के तरीके :
मगर आज के दौर में ऐसा नहीं है. हम और आप आज जो भी खा पी रहे हैं उसका आधा भाग हमरे पेट में जाता और आधा बचा हुआ भाग पूरा दिन हमारे दाँतों से चिपका रहता है, जो धीरे धीरे हमारे दांतों और मसूड़ों में जगह बनाकर अपना घर बना लेता है जिसे हम केवैटी ( Cavity ) कहते हैं. इससे बचाव का एक ही तरीका है कि आप जो भी खाएं, खाने के फ़ौरन बाद गरम पानी से दांतों को टच करते हुए अच्छे से गरारे या कुल्ला जरूर करें . इसके साथ ही कभी भी दांतों के लिए कड़े ब्रश का इस्तेमाल ना करें क्यूंकि एक वक्त के बाद दाँतों की घिसाई होते- होते उसकी वो परत ख़त्म हो जाती है जो हमे झनझनाहट से बचाती है . इसलिए हफ्ते में सिर्फ दो ही दिन दांतों पर ब्रश का इस्तेमाल करना चाहिए और बाकी के दिन मंज़न से दाँतों को अच्छी तरह से साफ किया जा सकता है . मगर गरम पानी से सुबह शाम गरारे ज़रूर करना चाहिए . फिर देखिये, आपकी मसूड़ों और दांतों में कभी कोई cavity प्रॉब्लम नहीं करेगी और आप हर तरह की दांतों की problem से बचे रहेंगे .
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