Chitragupt ki pooja mei Kalam davat kyun pooje jaate hain .?
सबसे पहले जानते हैं इस नाम का अर्थ .जैसा कि नाम से ही पता चलता है , वो दिव्य पुरुष जो ऐसे चित्रों को देखता हो जो गुप्त हो और जिन्हें वो बाद में अपने पास संजोकर रखता हो . पौराणिक मान्यताओं के अनुसार चित्रगुप्त इंसानों के द्वारा किये गए उनके पाप- पुण्यों का लेखा –जोखा रखते हैं , जिसके बारे में धर्मराज यमराज के अलावे और किसी को भी पता नहीं होता . इस गुप्त कार्य को करने के लिए ही देवताओं ने जिन दिव्य पुरुष को चुना है वो चित्रगुप्त हैं . यही चित्रगुप्त कायस्थों के इष्ट देव भी माने जाते हैं.
जी हाँ , चित्रगुप्त की पहचान ही उनकी बही-खाते से हैं जिनपर वो अपनी कलम से लिखते हैं . बही-खाता और कलम चित्रगुप्त से जुडा होने के कारण ही कायस्थ लोग इन्हें अपना भगवान या इष्ट देव मानते हैं .अधिकतर कायस्थ भाई किसी न किसी व्यवसाय से ज़रूर जुड़े होते हैं और सभी व्यवसायी अपने काम का लेखा- जोखा अपने बही -खाते में ही रखते हैं . इसीलिए उन्हें ( चित्रगुप्त को ) इसी से जोड़कर देखा गया है .
दीपावली शुरू होने के साथ ही कायस्थ
लोग अपने अपने बही- खातों को पूजा वाली जगह
पर रख देते हैं और फिर उनकी पूजा करते हैं . माना जाता है कि इसी के बाद ही उनका नववर्ष
आरम्भ होता है . भारत में अनेकों कायस्थ परिवार हैं जो अपने इष्ट देव यानि कि चित्रगुप्त
की पूजा के दिन अपने बही –खातो पर स्वास्तिक
का निशान बनाकर उसमे ॐ गणेशाय नम: लिखकर
उसकी पूजा करते हैं .
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