फारसी में ज़जिया कर ( zajiya tax) क्या है लोग औरंगज़ेब को कितना tax देते थे जानिए ?
ज़जिया कर या tax क्या है?
ज़ज़िया (zajiya) एक फारसी शब्द है, जिसका मतलब होता है “धर्म स्थलों पर लगाये जाने वाला कर” यानि कि वो Tax जिसे उस वक़्त देवी- देवताओं के पूजा स्थलों पर जाने के लिए हिन्दुओं को मुगल राजाओं को देना पड़ता था.
अकबर द्वारा जजिया कर पर रोक
वर्ष 1556 में अकबर राजा बने और उनका भारत में 1605 तक यानि कि 50 वर्षों तक शासन रहा. अकबर हर धर्म को सम्मान देने वाले एक उदारवादी बादशाह थे.
हिंदुस्तान की सरज़मीं पर हुकूमत करने के लिए जो गूढ़ बातें हुमायूँ ने अपने पिता बाबर से सीखी थी उन्ही नीतियों का अनुसरण अकबर ने किया और जब उन्हें पता चला कि हिन्दुस्तानी लोग अपने देवी देवताओं के दर्शन के लिए मुगलिया सलतन को कर Tax देते हैं तो अकबर ने फ़ौरन ज़ज़िया कर पर रोक लगा दी.
औरंगज़ेब द्वारा ज़जिया कर पुन: लागू
लेकिन फिर औरंग़ज़ेब ने वर्ष 1679 में दोबारा ज़ज़िया कर को लागू कर दिया. औरंग़ज़ेब, हिंदुस्तान में बस चुके मुग़ल सल्तनत के छठे बादशाह थे. उन्होंने मुग़ल सल्तनत को चलाने के लिए अपने दादा अकबर की बस राजनितिक निति का अनुसरण किया मगर धार्मिक निति के मामले में उन्होंने शरियत कानून को ज्यादा तव्वजों दिया और हिन्दुओं के लिए एक कट्टर बादशाह बने रहे.
कई इतिहासकारों का औरगंज़ेब पर इलज़ाम है और यह इतिहासिक में लिखित है कि उन्होंने सिखों के ९वे गुरु , गुरु तेगबहादुर को धर्म परिवर्तन करने के लिए विवश किया और न करने पर उनका क़त्ल किया.
इतिहासकारों के मुताबिक मथुरा का केशवराय मंदिर जिसे वीर सिंह बुन्देला ने
बनवाया था उसे वर्ष 1669 में औरंग़ज़ेब के द्वारा तुडवा दिया गया था. इसलिए यदि औरंग़ज़ेब
ने फिर से जजिया कर लगा दिया तो यह कोई आश्चर्य की बात नहीं.
जजिया कर (tax) की रकम कितनी तय थी?
माना जाता है कि जजिया कर के लिए जो हिन्दू बहुत अधिक गरीब थे, उन पर लागू नहीं था. (वैसे जो दे ही नहीं सकते उससे अच्छा
कि उन्हें करमुक्त ही रखा जाता)
जो हिन्दू मध्यम वर्ग के थे
उन पर सालाना 3 रुपया कर था.
उनसे थोड़े अमीर हिन्दुओं
पर सालाना कर 6 रुपया था.
सबसे अधिक अमीर हिन्दुओं पर
सालाना कर 12 रुपया था.
राजपूतो को इस दायरे से
बाहर रखा जाता था.
इसके अतिरिक्त जो व्यपार के लिए कर Tax था वो हिन्दुओं पर 5% था. मगर वही व्यपार कर मुस्लिम व्यपारियों के लिए आधा 2.5% था. इसलिए कई हिन्दू व्यपारी मुस्लिम नौकरों को नौकरी पर रख लेते थे और उनके नाम से व्यपार करके आधा कर चुकाते थे.
लेकिन ज़मीन के लगान हिन्दुओं और मुसलमानों से
बराबर लिए जाते थे.
निष्कर्ष-
उस वक़्त के दौर में बाहर से आते- जाते अंग्रेजों में जैसे हेमलटन लिखते हैं “औरंग़ज़ेब के ज़माने में भारत में सभी धर्मों को समान अवसर दिए जाते थे. कर के बारे में भी ज्यादा कुछ नहीं लिखते.
मगर मेरे ख्याल से वैसे लोग सिर्फ भारत के कुछ बाहरी दृश्यों को ही देख पाते होंगे और देखकर चले जाते होंगे. कई इतिहासकार यह भी बताते हैं कि औरंग़ज़ेब ने 12-15 मंदिरें तोड़ डालें तो बहुत से मंदिरों के निर्माण कार्य में योगदान भी दिया. ( हो सकता है).
लेकिन उस वक़्त के
दरबारी इतिहासकारों ने औरंग़ज़ेब के बारे में कुछ भी गलत नहीं लिखा है. (आप किसी की
गुस्ताख में कैसे लिख सकते) हैं?) ऊपर वर्णित सभी बातें इतिहास में दर्ज हैं.
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