Essay on a Cow in Hindi
गाय पर लेख
एक अतिसंवेदनशील प्राणी गाय, जिसका रिश्ता आज से नहीं बल्कि हजारों सालों से हम इंसानों के साथ रहा है . गाय (Cow) पर हिंदी में लेख.
अपने छात्र जीवन में प्राय: सभी स्कूल के छात्रों को उनके क्लास या फिर परीक्षा ( Exam) में किसी न किसी एक विषय पर अवश्य ही लेख ( Essay) लिखना पड़ता है. हमारे समय में दो- चार तरह के लेख दिए जाते थे जिनमे प्रमुख होते थे- स्कूल पर , छात्रवृत्ति , भैया से मनिआर्डर मंगवाने हेतु प्रार्थना पत्र , प्रधानाध्यापक या फिर किसी पशु- पक्षी पर यानि गाय cow पर.
हम उन लेखों में से जल्दी से गाय (cow) के विषय को चुन लेते थे. अब आप पूछेंगे गाय पर ही क्यूँ ? आइये जाने कि हम जैसे छात्र अकसर लेख में गाय का ही विषय क्यूँ चुन लेते थे?
दरअसल इसका सबसे प्रमुख कारण यह होता था कि हमे बाकी चीजों के बारे में भले ही कुछ पता हो न हो, गाय के बारे में हमे बहुत सारी जानकारी होती थी. क्यूंकि गाय उस समय एक ऐसा पशु था जो गाँव में प्राय: सभी के घरों में होती थी.
लेकिन उस वक़्त हम गाय पर जो लेख (Essay on a Cow) या निबंध लिखते थे वो प्राय: बहुत ही सतही और साधारण सी होती थी. जैसे कि “गाय एक चौपाया पशु होता है, जिसकी दो आखें, दो कान. नाक , सिंग, एक मुंह और पूँछ होती है और यह काली, गोरी और चितकबरी रंग की होती है. फिर आगे लिखते थे कि गाय दूध देती है और दूध से मिठाई बनती है. और अंत में लिखते, गाय के गोबर से उपले बनाये जाते हैं जो जलावन के काम आते हैं . इसके बाद गाय पर हमारी लेख खत्म हो जाती.
ऐसा इसलिए क्यूंकि उस समय हमारी समझ के अनुसार हम गाय के बारे में बस इतना ही जान पाते थे. इस तरह हर बार लेख में यही दोहराव होता था . शायद हम गाय के बारे में और जानना ही नहीं चाहते होंगे या फिर जिज्ञासा ही नहीं रही होगी .लेकिन मेरे प्यारे छात्रों, मैंने स्कूल में बहुत सालों तक पढाया है और उसी अनुभव के आधार पर आपको एक कहानी सुनाता हूँ, उसके बाद हम फिर से गाय की चर्चा करेंगे .
तो प्यारे छात्रों, कहानी यह है कि बिजली के बल्ब का निर्माण करने वाले थॉमस अल्वा एडिसन बचपन में पढने- लिखने में काफी कमज़ोर थे. टीचर उन्हें कम अक्ल वाला बच्चा समझते थे. मगर एडिसन के मनोभाव और उनके व्यवहारों को बचपन में शायद कोई टीचर समझ नहीं पाते थे .आप तारे ज़मीन के दर्शील सफारी का उदहारण ले सकते हैं जिसे हमेशा डांट पड़ती थी.
तो फिर क्या हुआ कि एक बार एडिसन जब क्लास में थे तो उनके डेस्क में एक मक्खी आ गयी .डेस्क में कुछ गन्दगी थी, इसलिए मक्खी बार -बार वहीँ आकर बैठ रही थी . एडिसन को उस मक्खी को देखने में बड़ा मज़ा आने लगा .वो घंटो तक उसे देखता ही रहा .मक्खी उड़ती फिर वापस आती. उस स्थान पर कुछ देर बैठती और फिर से उड़ जाती. टीचर ने जब एडिसन को यह पागलपन वाली हरकते करते देखा तो उन्होंने आगबबुला होकर एडिसन के पेरेंट्स से उसकी भरपूर शिकायत कर दी और कहा कि आपका बच्चा किसी लायक नहीं है.
मगर फिर क्या हुआ पता है ? अगले साल परीक्षा शुरू हुई और बच्चों को एक लेख लिखने दिया गया .लेख के लिए कुछ विषय दिए गए थे जिनमे पशु- पक्षी और कीट-पतंगे भी शामिल थे. एडिसन ने एक विषय को चुना और उस पर लिखना शुरू कर दिया. जब एडिसन की कॉपी जाँची गयी तो उस लेख के लिए एडिसन को क्लास में सबसे अधिक नंबर मिले थे . पता है एडिसन ने कौन सा विषय चुना था ?
अब रुक जाइए. छात्र ईमानदारी से यहीं रुककर अपने दिमाग का इम्तिहान दे सकते हैं .सोचिये. सोच लिया ? बहुत सारे छात्रों ने सही सोचा होगा कि एडिसन ने जिस विषय को अपनी लेख के लिए चुना था, वो थी - एक मक्खी . जी हाँ प्यारे छात्रों , एडिसन ने जिस तरीके से उस मक्खी के बारे में लिखा था, उसे पढ़कर स्कूल के सारे शिक्षक चकित थे. उनके मुताबिक एक साधारण सा लड़का, जो पढने-लिखने में ज़रा भी अच्छा नहीं था, वो भला एक मक्खी के बारे में इतनी बारीकी से कैसे लिख सकता है ?
मगर यह सच था कि एडिसन ने उस मक्खी के बारे में पूरी बारीकी से लिखा था . जैसे कि मक्खी कैसे दिखती है.? कैसे उड़ती है. वह बार -बार एक ही जगह पर क्यूँ आती है? मक्खी क्या सोचती होगी? वगैरह वगैरह. प्यारे छात्रों क्या आपको पता चला कि एडिसन एक मक्खी के बारे में इतना अच्छा कैसे लिख पाया होगा? सही सोचा . यह उसका अपना ओब्जर्वेशन यानि कि नजरिया था .
ठीक वैसे ही जैसे हमने गाय पर लेख तो बहुत सारे लिखे मगर गाय के बारे में कभी ठीक से जानने की कोशिश नहीं की .अगर जानने की कोशिश करते तो सबसे अच्छा लेख लिख पाते और हमे सबसे ज्यादा नंबर मिल जाता .खैर मुझे ना सही लेकिन आपको वो सबसे अधिक वाला नंबर ज़रूर मिल सकता है, अगर आप लिखना चाहें तो. और गाय ही क्यूँ? आप किसी भी चीज़ पर कमाल का लेख लिख सकते हैं. बस आप उस चीज़ को देखिये, परखिये और फिर लिखना शुरू कर दीजिये .तो आइये हम अपने गाय के लेख को पूरा करते हैं.
प्यारे छात्रों , आपको शायद पता नहीं होगा, गाय सभी जानवरों में एक सरल स्वभाव वाली ऐसी पशु है, जिनमे सबसे अधिक मानवीय संवेदनाएँ होती हैं, इसलिए वो इंसानों से इनती अधिक घुली-मिली होती है कि बड़ी -बड़ी सींगों के वाबजूद वो जल्दी से किसी को चोट नहीं पहुंचाती .आपने कई तस्वीरों और वीडियों में देखा होगा, नुकीले सिंग वाली गाय के साथ कोई बच्चा खेल रहा होता है और उस बच्चे को गाय कोई नुकसान नहीं पहुंचाती.
वैसे भी जो प्राणी दूध देती है उसके भीतर एक माँ वाली फिलिंग होती है. और यह कुदरत का एक करिश्मा ही है कि ऐसे दूध देने वाले सभी प्राणी, मानवीय व्यवहारों को बहुत अच्छे से समझती है. हर माँ का दूध उसके बच्चे के लिए अमूल्य होता है. इसलिए गाय के बछड़े के दूध पी लेने के बाद भी यदि कोई व्यक्ति उस गाय का दूध निकालता है तो भी उस गाय की पूरी नज़र उसी में रहती है कि उसका दूध कौन पी रहा है?
इतना ही नहीं गाय की यादाश्त भी बहुत तेज़ होती है .वो ना तो अपने घर को कभी भूलती है ना ही कभी मालिक को .कभी -कभी तो ऐसा भी देखा गया है कि किसी गाय को बेच देने पर वो वापस फिर से अपने उसी पुराने मालिक के पास लौट आती है. गाय न सिर्फ अपने मालिक से प्यार करती है बल्कि वो अकसर परिवार जनों को दुखी: देखकर खुद भी आसूं बहाने लगती है. आपने गौर किया होगा.
गाय और इंसानों का रिश्ता आज का नहीं बल्कि हजारों साल का है. लोग हजारों सालों से गाय का दूध पीते आ रहे हैं, इसलिए उसकी पूजा भी करने लगे .महाराष्ट्र में पोला पर्व में गायों को सजाकर उनकी पूजा की जाती है. महाराष्ट्र के अलावे दक्षिण, बंगाल और बिहार झारखण्ड में भी गाय की पूजा होती है. गाय का सम्बन्ध कृष्ण से जुडा होने के कारण गुजराती लोग भी गाय की पूजा करते हैं .
कामधेनु नामक गौ (गाय) को सभी गायों में सबसे अधिक उत्तम, पूजनीय और अलौकिक माना गया है .क्यूंकि यह कामधेनु गाय समुद्र मंथन से बाहर आई थी और जैसे कि इसके नाम से ही स्पष्ट है कि यह कामधेनु गाय सभी की मनोकामना पूरी करनी वाली थी. पौराणिक कथा के अनुसार यह गाय अभी स्वर्गलोक में है.
आज के समय में भी गाय को दूसरी माँ का दर्ज़ा इसलिए दिया गया है क्यूंकि कभी -कभी जो माँ अपने बच्चों को जन्म देकर गुजर जाती हैं उन्हें फिर वही गाय अपना दूध पिलाकर बड़ा करती है.
निष्कर्ष के तौर पर यही समझिये कि गाय और इंसानों का सम्बन्ध बहुत ही पुराना और अटूट है. भारत में गाय को माता कहकर उसकी पूजा करना और गौ हत्या पर विरोध जताने के पीछे यही एक प्रमुख कारण है कि गाय को हमने दूसरी माँ का दर्ज़ा दिया है, इसलिए हमे जीवन में गौ की रक्षा के साथ- साथ उसकी सेवा ज़रूर करनी चाहिए.
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