भगवान शिव बाघ के चर्म को धारण कर बने बाघाम्बर

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                                                                  बाघाम्बर शिव  ( Baghambar lord shiva)





                 शिव के अनेकों नामों में एक नाम बाघाम्बर भी है. 


 




वैसे तो भगवान् शिव के अनेकों नाम है: भोलेनाथ , महादेव , नीलकंठ, आशुतोष , कैलाशपति. लेकिन एक और विशेष नाम भी है जिसे संसार बाघाम्बर के नाम से जानता है. बाघ  का चर्म (tiger skin) धारण करने के कारण ही शिव जी का यह नाम पड़ा बाघाम्बर शिव (Bhaghambar Shiva). वैसे शिव जी द्वारा सर्प को धारण करने पर उन्हें भुजंगधारी, डमरू को धारण करने पर डमरूधारी, त्रिशूल को धारण करने पर त्रिशूलधारी भी पुकारा जाता हैं.

 


देखा जाए तो महादेव ने अपने पूरे शरीर मे ऐसी- ऐसी चीज़ें धारण कर रखी है जिसे कोई भी देवता धारण नहीं करता. इसके पीछे एक ही कारण है कि देवो के देव महादेव, त्रिदेवों में सबसे बड़े भगवान माने जाते हैं. त्रिदेवों में महादेव ही एक ऐसे देव है जो न किसी नियम से बंधे है न किसी सीमा से. जिनका न कोई गोत्र है न धर्म, न कोई वर्ग है न समुदाय. वे सबके लिए सामान हैं. इसलिए नाना प्रकार के जानवर , पशु –पक्षी ,भूत –पिशाच सभी को महादेव ने अपने यहाँ स्थान दे रखा है.


 

 

अब प्रश्न है शिव ने जो बाघ का चर्म धारण किया है वो बाघम्बर उनके पास आया कैसे ? यह सवाल कई लोगों के मन में आता है . इस पर तो कई भ्रामक कहानियाँ भी पढने और सुनने को मिलती है. मगर वे सब की सब कपोलकल्पित हैं. कुछ लोगों को बस अपनी कहानियाँ गढ़नी होती है तो वे कोई न कोई बाघ-बकरी टाइप का किस्सा गढ़कर पाठकों के आगे परोस देते हैं. लेकिन वे सब की सब अनर्गल और झूठी कहानियां है. भगवान् शिव, बाघ का चर्म धारण कर बाघम्बर अवश्य कहलाते हैं.


 

लेकिन उन्हें वो बाघ का चर्म किसी बाघ को मारने के बाद ही मिला है, ऐसी कोई भी कहानी- कथा शिव पुराण में भी नहीं है .महादेव जब पहली बार नारायण और ब्रह्मा के सामने आग्नेयलिंग से प्रकट हुए थे तो उसी समय से उन्होंने सब कुछ पहले से ही धारण कर रखा था. महादेव अपने पूरे रूप के साथ प्रकट हुए थे. इसलिए जो भी महादेव के बाघ चर्म की अलग से किस्से कहानियां बनता है वो सब मिथ्या और बकवास है. हर हर महादेव.

 

 

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