Mark Zuckerberg लाइफ स्टोरी हिंदी में.
फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग.
(Mark Zuckerberg's life story)
दोस्तों, हिंदी में एक बहुत ही Famous मुहावरा है – “होनहार बिरवान के होत चिकने पात”. इसका मतलब है "पूत के पाँव पालने में ही दिख जाते हैं". यानि कि जिस बच्चे को बड़ा होकर कोई महान काम करना होता है, उसके लक्ष्ण बचपन से ही दिखने शुरू हो जाते हैं.
आप किसी भी महान इंसान के जीवन के पीछे की कहानी को उठाकर देख लीजिये, भले ही
वो किसी गरीब के घर ही पैदा क्यूँ न हुआ हो, अगर उसे भविष्य में कोई बड़ा काम करना
है, तो वो बच्चा बचपन से ही उसी दिशा में लगा रहेगा और कुछ न कुछ ख़ास करता रहगा.
आइये, आज हम बात करते हैं एक ऐसे ही इंसान की जिसे बचपन में सोते हुए भी अगर कोई सपना आता था, वो सपना कंप्यूटर का होता था. जी हाँ दोस्तों ,वो इंसान और कोई नहीं बल्कि आज के इन्टरनेट की दुनियाँ के बेताज़ बादशाह मार्क जुकरबर्ग(Mark Zuckerberg) हैं, जिन्हें फेसबुक का संस्थापक कहा जाता है.
जैसा कि हम सभी को पता है, मार्क जुकरबर्ग ने सोशल नेटवर्क साइट Facebook को 4 फरवरी 2004 में लांच कर दिया था . मगर दोस्तों आइये जाने उससे पहले की कहानी क्या है.?
मार्क जुकरबर्ग का बचपन कैसा था?
Mark Zuckerberg का जन्म, मई महीने की 14 तारीख को सन 1984 में अमेरिका में हुआ था. मार्क को बचपन से ही कंप्यूटर प्रोग्रामिंग का जबरजस्त शौक था. शौक भी ऐसा जो पागलपन और जूनून वाली हद से ऊपर हो .तभी तो उन्होंने 12 साल की उम्र में Zucknt नाम का एक ऐसा Messenger बना लिया था जिससे वो अपने पिता से घर बैठे ही बात किया करते थे.
अब मार्क के माता- पिता को लगने लगा था कि मार्क कोई साधारण बच्चा नहीं है . इसलिए उन्होंने मार्क को वही करने दिया जिस चीज़ में मार्क की ख़ास रूचि थी .और मार्क की वो ख़ास चीज़ थी- कंप्यूटर प्रोग्रामिंग. मार्क ने अपना एक्सपेरिमेंट जारी रखा. उसकी रूचि बढती गयी और उसने फिर 13 साल की उम्र में एक MP3 मीडिया प्लेयर भी बना डाला.
मार्क जुकरबर्ग का कॉलेज में कमाल
जब मार्क Harvard university गए तो वहां भी उन्होंने अपने कंप्यूटर के प्रति अपने जूनून और पागलपन को बरक़रार रखा और फिर उन्होंने पहली बार फेसमेश (FACEMSH) नाम का एक ऐसा प्रोग्राम बनाया जो लड़के -लड़कियों की तस्वीर देखकर ये बताता कि दोनों में कौन कितना अधिक हॉट है.
कहा जाता है कि लड़कियों की तस्वीरों को पाने के लिए मार्क को कॉलेज के कंप्यूटर को हैक भी करना पड़ा था .बाद में इस गलती की वजह से मार्क को इसके लिए कुछ मुश्किलों का भी सामना करना पड़ा. लेकिन जब फिर सब कुछ नार्मल हुआ तो मार्क ने अपने आयडिये को और आगे बढ़ा दिया.
कॉलेज के जिस बुक में सभी लड़के -लड़कियों के फोटोज और पूरा डिटेल्स रखा जाता था उस बुक को फेसबुक कहा जाता था . मार्क को यहीं से इस नाम का आयडिया आया और उन्होंने अपने एक ख़ास दोस्त Eduardo Saverin की मदद से सबसे पहले The Facebook नाम से वेबसाइट शुरू कर दी.
फिर बाद में इसका नाम Facebook कर दिया गया जो देखते ही देखते पूरी दुनियां में popular हो गया. बाद में इस Youngest Billionaire ने 2012 में अपनी प्रेमीका Priscilla Chan से शादी कर ली जो California की रहने वाली है.
मार्क जुकरबर्ग एक ही Gray Color की T-shirt क्यूँ पहनते हैं?
दोस्तों, पहनावा और दिखावा उसे ही करना होता है जिसे ब्रांड दिखाना होता है. मार्क जुकरबर्ग खुद ही एक ब्रांड नेम है .और सबसे बड़ी बात, जब कोई इन्सान बहुत बड़ा काम करके बहुत ऊंचा उठ जाता है तो उसे वो सब चीज़ें बहुत ही बेकार और समय की बर्बादी वाली लगने लगती है जिसे हम और आप बहुत अधिक महत्व देते हैं. मार्क के अनुसार वे डिज़ाइनर कपडे को पसंद करने, उनकी ट्रायल करके देखने फिर बाद में उन्हें चुनकर पहनने के इन समय की बर्बादी से बचे रहना चाहते हैं. ताकि वे उस समय को अपने काम पर लगा सके.
मार्क जुकरबर्ग का काम करने का अपना तरीका.
दोस्तों क्या आपने कभी फेसबुक, आलिबाबा , एप्पल जैसी कंपनियों को प्रचार करते देखा है? प्रचार वही करते हैं जिन्हें खुद के प्रोडक्ट पर शक होता है . वो चाहे कोई तेल हो या फिर साबुन, उन्हें पता होता है कि वे आज हैं, कल नहीं होंगे . इसलिए उनके मुताबिक ग्राहक को कोई भी प्रोडक्ट चिपकाकर मार्केट से जितना पैसा लूटना है लूट लो.
लेकिन फेसबुक को पता है कि वो एक लम्बी रेस का घोडा है और उसे अभी बहुत आगे जाना है . इसलिए दोस्तों मार्क अपने खुद के प्रचार में पैसे बर्बाद न करके ग्राहक के problemn को slove करने में अधिक समय देते हैं. यही कारण है कि आज मार्क जुकरबर्ग इतने कामयाब हैं.
धन्यवाद
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