मुग़ल बादशाह जहाँगीर ( Jahangir ) का जीवन इतिहास एवं नूर जहाँ और जहाँगीर.

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मुग़ल बादशाह जहांगीर (Jahangir) का इतिहास



मुग़ल बादशाह  जहाँगीर ( Jahangir )  का जीवन इतिहास

                Mughal king Jahangir


 

हुमायूं (Humanyun) के बाद उनके पुत्र अकबर (Akbar) हिन्दुस्तान के बादशाह बनें. अकबर के पास भले ही किताबी ज्ञान न के बराबर था लेकिन बैरम खान के संरक्षण में उन्होंने जो युद्ध की तरबियत हासिल की और ज्ञानी संत-जनों की संगती में रहकर आध्यात्म को समझा, उन्हीं गुणों ने उन्हें बहुत ही कम समय में पूरे हिन्दुस्तान का मालिक बना दिया था. 


लेकिन इतने बड़े शहंशाह होने के बावजूद अकबर औलाद के लिए तड़पते रहे क्यूंकि उनकी पहले हुई दो संताने हसन और हुसैन की मौत हो चुकी थी और वो दौर 1564 का था, जब अकबर 32 साल के थे .


लेकिन फिर बाद में शेख सलीम चिस्ती के फज़ल से उन्हें तीन संतानें हुईं. मगर दो शराब के अति सेवन के कारण जवानी में ही गुजर गए. तीसरे पुत्र जहाँगीर का भी वही हाल था. जहाँगीर ने १८ वर्ष की उम्र से ही शराब पीना सीख लिया था और यह चस्का उन्हें तब लगा जब वे शिकार से लौटते थे. 


देखा जाए तो अकबर के पिता हुमायूँ भी अफीम के आदि थे. इसी नशे के कारण उन्हें हार का सामना करना पड़ा था. अब वही नशे का रक्त जहाँगीर के नसों में भी दौड़ना शुरू कर चुका था. सन १७ अक्तूबर १६०५ में अकबर की मृत्यु के बाद जहाँगीर बादशाह बने थे .मगर उस गद्दी तक पहुँचने के लिए उन्हें कई मुश्किलों का सामना भी करना पड़ा था.

   

माना जाता है कि जहाँगीर (Jahangir) दिन भर में पूरे 30 ग्लास शराब गटक जाते थे .शराब के साथ साथ जहाँगीर को औरतों का भी शौक था. जब वे शिकार पर नहीं जाते तो वे उस दिन औरतों के साथ अपना समय बिताते थे. 


फिर उसी हरम में कई दिन बीत जाते मगर जहाँगीर को याद तक नहीं रहता. इसके अलावे जहाँगीर को ज्यादा चीज़ों में कोई दिलचस्पी नहीं थी. मगर बयालीस वर्ष के आस पास उनकी मुलाक़ात नूरजहाँ (Noorjahan) से हो गयी. 


तब वो ३४ साल की थी. नूरजहाँ (Noorjahan) से उनका मिलना भी एक इत्तेफाक था. मगर जब दोनों का प्यार परवान चढ़ा तो दोनों एक दुसरे के हो गए. इसी मोहब्बत के कारण जहाँगीर (Jahangir) कभी -कभी नूरजहाँ के लिए आम आदमी बनकर उन्हें साथ लेकर घुमने निकल जाए तो कभी कई दिनों तक महल नहीं लौटते. 


मगर यह भी सच था कि जहांगीर (Jahangir) का प्रेम और हैवानियत कब जाग जाता यह कहना मुश्किल था . कुछ इतिहासकार मानते हैं कि जहाँगीर के मिज़ाज को ठीक से जान पाना बहुत मुशिकल था.  


एक बार तो उन्होंने अपने नौकर का अंगूठा ही कटवा दिया था और एक नौकरानी को किसी अपराध के कारण ज़मीन पर आधा गडवा दिया था.


किसी को कोड़े से सजा मिलती तो किसी को हाथी के पैरो तले कुचलवा दिया जाता. जहांगीर ने खुद अपने बेटे दारा शिकोह की आखें निकलवा दी थी. उन्हें उन लोगों से बहुत नफरत थी जो बगावत और विद्रोही स्वाभाव के होते थे. 

  

जहाँगीर (Jahangir) अपना अधिकतर समय हरम में बिताते थे. राजकीय काम काज में उनकी कोई दिलचस्पी नहीं थी,लेकिन वे बादशाह ज़रूर बनना चाहते थे. मगर अकबर के बहुत करीबी और ख़ास दरबारी अबुल-फज़ल जिन्होंने बाबरनामा लिखा था ,जहाँगीर को पसंद नहीं करते थे इसलिए जहाँगीर ने राजा वीरसेन  के हाथों उन्हें मरवा दिया था. 


जहाँगीर ही वो पहले बादशाह थे जिन्होंने अंग्रज़ों को भारत में मसाले का व्यपार करने की अनुमति दी. मगर बाहर से आये अँगरेज़, जहाँगीर जैसे नशेबाज़ और लापरवाह बादशाह के व्यक्तित्व को अच्छी तरह से परख कर उन्हें लबे समय तक धोखे में रखकर अपना उल्लू सीधा करते रहे, जिन्होंने अंग्रेजों की शाख को भारत में मज़बूत कर दिया.


माना जाता है कि जहाँगीर को उत्तर भारत की धूल, मिट्टी और गर्मी बर्दाश्त नहीं होती थी इसलिए वे अक्सर नूरजहाँ के साथ बाहर घूमने जाया करते थे .एक समय के बाद जहाँगीर दमे की बीमारी का शिकार हुआ और १६२७ में उनकी मौत हो गयी उस वक़्त वे केवल 56 साल के थे.      

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