इंडिया गेट (India gate) में मौजूद अमर जवान ज्योति और राष्ट्रीय युद्ध स्मारक (National war Memorial) की क्या कहानी है? जिन्हें अब एक दुसरे से विलय किया जा रहा.
इंडिया गेट ( INDIA GATE)
दिल्ली के इंडिया गेट को अखिल भारतीय युद्ध स्मारक भी कहा जाता है. इसका निर्माण अंग्रेजों ने 1931 में प्रथम विश्वयुद्ध में मारे गए उन हिन्दुस्तानी फौजियों की याद में बनवाया था जो अंग्रेजों की सेना में थे.
प्रथम विश्वयुद्ध में लगभग 84000 हिन्दुस्तानी अँगरेज़ सिपाही शहीद हुए थे. इंडिया गेट दिल्ली के राजपथ पर स्थित है जो भूमि से लगभग 42 मीटर ऊंचा है. पहले इसका नाम किंग्सवे था मगर आज़ादी के बाद इसका नाम इंडिया गेट कर दिया गया. इसके डिजाइन को एडवर्ड लुटियंस नामक एक अँगरेज़ इंजिनियर ने तैयार किया था. आज यह भारत की एक अमिट पहचान है.
अमर जवान ज्योति. ( AMAR JAWAN JYOTI)
इंडिया गेट के ठीक नीचे अमर जवान ज्योति है जिसकी लौ उन शहीदों की याद दिलाती है जो भारत-पाकिस्तान के 1971 के युद्ध में शहीद हुए थे. यह अमर जवान ज्योति 50 सालो से अनवरत जल रही है.
राष्ट्रीय युद्ध स्मारक ( NATIONAL WAR MEMORIAL)
इसी अमर जवान ज्योति से ठीक 200 मीटर की दुरी पर वर्ष 2015 में राष्ट्रीय युद्ध समर स्मारक (national war memorial) बनाया गया था जिसका उदघाटन 26 फरवरी 2019 को प्रधानमंत्री मोदी के द्वारा किया गया.
इस राष्ट्रीय युद्ध स्मारक में लगभग 25942 वीर शहीद सैनिकों के नाम अंकित हैं. इसे एक चक्रव्यूह की तरह बनाया गया है और यहाँ चार चक्र है. सबसे भीतर है अमर चक्र, जो अमरता का प्रतिक है . उसके बाहर वीर चक्र, जो वीरता का प्रतिक है. उसके बाहर त्याग चक्र और फिर सबसे बाहर सुरक्षा चुक्र है.
इन चारो चक्र के बीच में जो अमर चक्र है उसमे भी एक ज्योति जलती है .अब इसी अमर ज्योति में उस अमर जवान ज्योति के लौ को विलय किया जा रहा. यानि कि पहले दो ज्योति जल रही थी अब दोनों ज्योति को एक कर दिया जाएगा.
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