सुभाष चन्द्र बोस आज़ाद हिन्द सेना और जीवनी ( Shubhas Chandra Bose Biography)

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आज़ाद हिन्द फ़ौज की सेना

Azad Hind Fauj Army

Subhas Chandra Bose Biography



तुम मुझे खून दो मैं तुम्हे आज़ादी दूंगा” , इस नारे को बुलंद करने वाले सुभाष चन्द्र बोस की भारत स्वाधीनता की कल्पना उस समय के तमाम इंकलाबियों और देश भक्तों से बहुत ही अलग थी. 


तभी तो गुलाम भारत के समय में ही सुभाष चन्द्र बोस ने आज़ाद हिन्द फ़ौज ,महिलाओं की झाँसी रेजिमेंट, आज़ाद हिन्द बैंक ,आज़ाद हिन्द मुद्रा की स्थापना कर ली और जापान की मदद से सबसे पहले अंडमान आयलैंड को सवतंत्र भारत का भू-भाग घोषित कर दिया.


एक तरह से आज़ाद हिन्द फ़ौज ही भारत की पहली सरकार थी जिसे 9 देशों ने मान्यता भी दे दी थी. सुभाष चन्द्र बोस ने कैसे आज़ाद हिन्द फ़ौज की स्थापना की? और उनकी वह फौज कितनी शक्तिशाली थी आइये जानते हैं. 



सुभाष चन्द्र बोस: जीवन परिचय (Biography) 


सुभाष जी का जन्म जनवरी की 23 तारीख को वर्ष 1897 में कटक में हुआ था. उन्होंने कलकत्ता यूनिवर्सिटी से शिक्षा प्राप्त की मगर प्रशासनिक सेवा में जाना छोड़ वे भारत की आज़ादी में कूद पड़े.



आज़ाद हिन्द फ़ौज से पहले के नेताजी 



देश की आज़ादी में उस वक़्त नेताजी सुभाष चन्द्र बोस, गाँधी जी के साथ ही थे. मगर दोनों की विचारधाराओं में भिन्नता होने के कारण उनमे मतभेद उत्पन्न हुआ और वे अपने अपने तरीके से कार्य करने लगे. 



जब 1939 में अँगरेज़ दुसरे विश्वयुद्ध में उलझ गए तो नेताजी ने इसे भारत की आज़ादी का एक अच्छा अवसर बताया. नेताजी के मुताबिक अगर हर भारतीय के दिलों में आज़ादी की बात आ जाए तो अँगरेज़ यहाँ फिर ठहर ही नहीं पायेंगे. 



मगर अँगरेज़ जब हिन्दुस्तानी फौजियों का इस्तेमाल दुसरे विश्वयुद्ध में करने लगे तो नेताजी ने इसका पुरजोर विद्रोह किया जिस कारण उन्हें जेल में डाल दिया गया. मगर जब नेताजी ने जेल में ही अन्सन्न शुरू कर दिया तो उनकी हालत को देखते हुए उन्हें जेल से घर पहुंचाकर उन्हें नज़र बंद कर दिया लेकिन वे अंग्रेजों को चकमा देकर जर्मनी भाग निकले.



जर्मनी में नेताजी. 


कैसे पहुंचें नेताजी ज़र्मनी पूरी कहानी पढ़िए



जर्मनी में नेताजी ने युद्ध अभ्य्यास किये और फिर एक सेना का गठन किया. नेता जी के जोश और ज़ज्बे को देखते हुए आज़ाद हिन्द फ़ौज के संस्थापक रास बिहारी बोस ने उन्हें जापान बुलाया और अपनी सेना का कमान सुभास चन्द्र बोस के हाथों सौप दिया.



आज़ाद हिन्द फ़ौज के महानायक बने नेताजी



रास बिहारी से जिम्मेदारी मिलने के बाद आज़ाद हिन्द फ़ौज को एक शक्तिशाली सेना में बदलने के लिए सुभाष जी ने जन-धन जुटाने शुरू किये. उस वक़्त लोगों को जोड़ने के लिए आज़ाद हिन्द फ़ौज रडियो और महिलाओं के लिए झाँसी रेजिमेंट बनायी गयी जिसकी प्रमुख कैप्टन लक्ष्मी स्वामी नाथन थी. 



बाद में नेताजी ने स्वतंत्र भारत की अस्थाई सरकार बनाई जिसे जर्मनी, जापान, फिलिपिन्स, कोरिया, चीन, इटली, आयरलैंड जैसे नौ देशों ने मान्यता भी थी. जापान की मदद से नेता जी ने अंडमान निकोबार द्वीप समूह को भारत का स्वतंत्र भू-भाग भी घोषित किया.



आज़ाद हिन्द फ़ौज के नाम से मुद्रा और डाक टिकट भी ज़ारी किये गए और फिर लेख, भाषण और पत्रिकाओं के माध्यम से लोगों को इससे जोड़ा जाने लगा. मगर दुसरे विश्वयुद्ध में जर्मनी और इटली की हार हो गयी. अमेरिका ने जापान में बम गिराए जिससे जापान को आत्मसमर्पण करना पड़ा. 



ज़र्मनी, जापान, इटली के हारने के कारण आज़ाद हिन्द फ़ौज को सरेंडर करना पड़ा और लालकिला में इस फ़ौज से जुड़े लोगो पर मुकदमा चलने लगा. मगर इस बार भारतीयों के भीतर जो आज़ादी की आग लगी थी उसे अँगरेज़ बुझा पाने में नकाम होने लगे.



भारतीय अँगरेज़ सिपाहियों ने विद्रोह कर अंग्रेजों की नौकरियों को लात मारनी शुरू का दी. जिसके बाद अँगरेज़ समझ गए कि अब उनका कोई भी पैतरा या निति भारत में काम नहीं करने वाली .और फिर इसी के परिणाम स्वरुप अंग्रेजों को भारत की आज़ादी की घोषणा करनी पड़ी और भारत 15 अगस्त 1947 को आज़ाद हुआ.  


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