Makar Sankranti मकर संक्रांति
मकर संक्रांति एक खगोलीय घटना है जिसका प्रभाव इंसानों पड़ता है.
इस पर्व को भारत में मकर संक्रांति (Makar Sankranti), तमिलनाडू में पोंगल ,असम में माघीविट्टू , गुजरात में उत्तरायण और कर्नाटक में सुग्गीहव्बा कहते हैं. जैसा कि भारत शुरू से ही विविधताओं का देश रहा है और प्राचीन काल से ही लोग इसे अपने -अपने जात -कबिले और समुदाय के साथ अलग- अलग तरीके से मानते आ रहे हैं .
लेकिन इस पर्व में सबसे ख़ास सूर्य है. जी हाँ, यह पर्व जहाँ भी मनाया जाता है वहां सूर्य
की पूजा ज़रूर की जाती है. आइये जाने की सूर्य का कैसे और क्या महत्व है मकर संक्रांति में?
1.यह पर्व एक खगोलीय घटना है.
2.मकर एक राशि का नाम है.
2.सूर्य का धेनु राशि से
मकर में जाना एक संक्रमण है इसलिए इसे संक्रांति कहते हैं
3.इस समय सूर्य दक्षिणी
गोलार्ध से उत्तरी गोलार्ध की ओर बढ़ने लगता है.
4.लेकिन सूर्य कहीं नहीं
जाता, ऐसा पृथ्वी के घूर्णन के कारण होता है जिसे परिभ्रमण कहते हैं.
5.यह घटना 22 दिसंबर की रात
के बाद से आरम्भ होनी शुरू हो जाती है.
6.सूर्य का मकर राशि में जाने के
बाद से ही दिन लम्बे होने शुरू हो जाते हैं.
7.14 जनवरी के बाद से ही उत्तरी गोलार्ध में धीरे –धीरे सूर्यास्त का समय आगे बढ़ना शुरू हो जाता है.
8.सूर्य के आगे खिसकने से
सर्दियां कम होने लगती है
9.इस पर्व को उत्तरायण
इसलिए भी कहा जाता है क्यूंकि सूर्य दक्षिणी गोलार्ध से उत्तरी गोलार्ध में आने
लगता है.
10.सूर्य का मकर में जाने की घटना कभी एक निश्चित दिन की होती है तो कभी एक दिन आगे भी बढ़ जाता है.
11.प्राचीन भारतीय ज्योतिष
कलेंडर चंद्रमा पर आधारित होने के कारण कभी- कभी इसकी तारीख आगे पीछे होती रहती है.
12.ग्रेगोरियन कलेंडर सूर्य
पर आधरित होने के कारण इसकी तारीख नहीं बदलती क्यूंकि मकर संक्रांति एक खगोलीय
घटना है.
13.यह पर्व सूर्य की
स्थिति को देखकर मनाया जाता है.
भारत के अलावे वो देश जहाँ भारतीय रहते हैं वहां भी यह पर्व धूमधाम से मनाया जाता है. सुबह -सुबह स्नान आदि और पूजा के बाद गुड, तील और दही- चुडा खाकर इस पर्व को मनाया जाता है. मकर संक्रांति पर्व सूर्य से सम्बंधित होने के कारण इस पर्व का ज्योतिष विज्ञान के मुताबिक़ काफी महत्व है. इस दिन में बहुत कुछ बदल जाता है..कभी-कभी इतिहास भी.
14 जनवरी 1761 को पानीपत के तीसरे युद्ध का दिन भी यही मकर संक्रांति का दिन था और उस दिन मराठो और अफगानों के बीच एक भयंकर युद्ध हुआ था. इस पर्व में सूर्य की पूजा होती है, वह सूर्य जिससे धरती पर जीवन पनपता है. प्रचानी समय में कई कबिले और समुदाय के लोग शायद इसलिए सूर्य, अग्नि, जल , धरती , आकाश की पूजा करते होंगे क्यूंकि वे उन्हें अपने जीवन से जोड़कर देखते थे.
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