नूरजहाँ (Noorjahan) का जीवन चरित्र एवं मुग़ल सल्तनत में नूरजहाँ का महत्व
भारत जैसे विशाल और पुरातन देश में काफी लम्बे समय तक औरतें पिछड़ी और हांसिये पर बनी रही हैं. न तो उस वक़्त उनके विकास की चर्चा थी उर न ही अधिकारों की. मगर जहाँगीर की बेगम नूरजहाँ ने इस ओर ध्यान दिया. नूरजहाँ का जीवन चरित्र एवं मुग़ल सल्तनत में नूरजहाँ के महत्व को देखने के बाद हमे इस बाद का पता चलता है.
फिर कैसे 17वीं शाताब्दी में मुग़ल घराने की एक
महिला नूरजहाँ ने उस वक़्त की सबसे असरदार और महत्वपूर्ण महिला बनकर इतिहास में अपना
नाम दर्ज करवा लिया? आइये नूरजहाँ के जीवन चरित्र के ज़रिये इस बात का पता लगाते
हैं.
नूरजहाँ का जन्म बचपन और
पहली शादी
नूरजहाँ (Noorjahan)का जन्म 1577 में कंधार के अफगानिस्तान में हुआ था. उनके माता पर फारसी थे. लेकिन सफवी शासन काल में बढ़ते अत्याचर के कारण उन्हें ईरान छोड़कर कंधार में शरण लेनी पड़ी.
तब अरब और फारस के लोग भारत को अलहिंद के नाम से जानते थे. माता-पिता के इधर उधर भटकते रहने से नूरजहाँ कई संस्कृतियों में पली बढ़ी. माँ –बाप की चहेती नूरजहाँ दिमाग से तेज़ होने के साथ- साथ बहादुर भी थी .
एक बार उसने आदमखोर शेर को मारने के लिए हाथी पर चढ़ी गयी और उस पर गोली चला दी. नूरजहाँ के कुछ ऐसे ही कारनामों के चलते उसकी पहली शादी 1594 में मुग़ल सरकार के एक पूर्व सिख अधिकारी से हुई.
बाद में वो बंगाल चली गयी. बंगाल में नूरजहाँ ने अपनी एकलौती संतान को जन्म दिया. बाद में नूरजहाँ के पति पर जहाँगीर के खिलाफ षड़यंत्र का आरोप लगा और बंगाल के गवर्नर ने उसकी ह्त्या कर दी.
नूरजहाँ की दूसरी शादी
जहांगीर के साथ
विधवा नूरजहाँ को आश्रय फिर जहाँगीर के महल में मिला. जल्द ही नूरजहाँ ने पुरानी यादों को भुलाकर एक नया जीवन शुरू किया. और फिर उसके काम को देखकर वहां की औरतें उसकी मुरीद हो गयीं.
नूरजहाँ तब एक साधारण औरत की तरह महल में ही रहती थी जिसे कभी जहाँगीर ने देखा भी नहीं था. नूरजहाँ और जहांगीर की पहली मुलाक़ात का एक बड़ा ही दिलचस्प किस्सा मशहूर है.
एक दिन मुग़ल बाग़ में जहाँगीर ने दो कबूतर पकडे. उन्हें फ़ौरन कुछ काम याद आ गया तो उन्होंने बाग़ में काम कर रही नूरजहाँ को दोनों कबूतर पकड़ने को कहा. कुछ देर बाद जब जहाँगीर लौटकर आये तो देखा नूरजहाँ के एक हाथ में कबूतर नहीं है.
जहाँगीर ने जब उससे पुछा कि एक कबूतर का क्या हुआ? तो नूरजहाँ ने कहा वो तो उड़ गया. इसके बाद जहाँगीर ने दोबारा पुछा कैसे? तो इस बार नूरजहाँ ने दूसरा कबूतर उड़ाकर कहा ऐसे. नूरजहाँ की यही अदायगी उस दिन जहाँगीर को भा गयी. उसके बाद वर्ष 1611 में जहाँगीर ने नूरजहाँ से शादी कर ली. उसके बाद अचानक से नूरजहाँ का कद काफी बड़ा हो गया.
16वीं सदी की शुरूआत में भारत की सत्ता मुगलों के हाथों में आ गयी थी. मुगलों ने भारत के एक उपमहाद्विप के बड़े हिस्से पर 300 सालों तक राज़ किया था. उस वक़्त मुग़ल भारत में सबसे बड़े राजवंश बनकर उभरा था और अब नूरजहाँ उसी मुग़ल वंश की बेगम बन चुकी थी.
नूरजहाँ के इस किस्मत ने उसे 17वीं शताब्दी की सबसे चर्चित और ताकतवर महिला बना दिया था. वो एक आकर्षक महिला के साथ साथ एक कवित्री, शिकारी, स्थापत्य कला में रूचि रखने वाली और मुगल शासन की कमान सम्भालने वाली एक ऐतिहासिक महिला थी.
नूरजहाँ के कार्य
नूरजहाँ मुग़ल दरबार में शरीक होने लगी जिसके बाद उन्हें जब कई चीज़ों की समझ आई तो उन्होंने अपने कम शुरू कर दिए. नूरजहाँ ने सबसे पहला काम कर्मचारियों के ज़मीनों की सुरक्षा के लिए एक शाही फरमान ज़ारी किये.
फिर उसने मुग़ल कला- संस्कृति और स्थापत्यकला पर काम शुरू किया. उसने कई मकबरे, भवन मस्जिदें और शानदार शहर बनवाए. नूरजहाँ ने गरीबों की समस्याओं को अलग से सुनने का दरबार लगाया. गरीबों के हर हालत में मदद की और उन औरतों पर विशेष ध्यान दिया जिन्हें समाज ने हासिये पर डाल रखा था.
नशे के आदि जहांगीर जब शासन संभालने के लायक नहीं रहे तो उस वक़्त नूरजहाँ ने मुग़ल सत्ता की कमान संभाल ली थी. धीरे- धीरे शाही फरमानों पे भी नूरजहाँ बेगम बादशाह का नाम दिखने लगा. और फिर ऐसे बहुत से फैसले लेकर उन्होंने कुछ ऐसे कार्य किये जिसके ज़रिये वो उस समय की सबसे चर्चित और असरदार महिला बनकर उभरी
निष्कर्ष:
नूरजहाँ के व्यक्तित्व में बढ़त का कारण उनका पालन पोषण, उनके आसपास उत्साह बढाने वाले लोग, जहाँगीर के साथ करीबी रिश्ते, और महत्वकांक्षाओं का बड़ा योगदान था.
उसके अन्दर कई गुण थे जिनका उन्होंने उचित अवसर देखकर प्रयोग किया और कुछ ऐसे कार्य किये जिसके बदौलत वो आज भी भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश के लोक साहित्य में अमर है.
वो उस सदी की पहली औरत है जिसने मर्दों के भीड़ में घुसकर अपनी अलग पहचान बनायी थी. इस तरह नूरजहाँ के जीवन चरित्र एवं मुग़ल सल्तनत में नूरजहाँ के महत्व को देखकर हमे पता चलता है वो एक असाधारण प्रतिभा की धनी महिला थी.
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