26 जनवरी गणतंत्रता दिवस (Republic day ) पर लेख और कविता . Essay and poem on Republic day.
हे माटी के लाल तुम्हे हो शत शत नमन !
तेरी खुशबू महकती रहे सदा, बस हो एक ऐसा चमन !!
भूमिका
भारत की आन- बान और शान का प्रतीक हमारा राष्टीय ध्वज तिरंगा, उन दो ख़ास राष्ट्रीय समारोह से जुडा हैं जिन्हें हम गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस के रूप में जानते हैं.
हर साल की 26 जनवरी को हम
जो राष्ट्रीय तिरंगा ध्वज फहराकर राष्ट्रीय पर्व मानते हैं उसे ही 26 जनवरी का गणतंत्र दिवस कहा जाता है.
इस ख़ास पावन दिन पर देश के राष्ट्रपति लालकीले पर ध्वजारोहण कर तिरंगे को सलामी देकर उन वीर दिवंगत आत्माओं को श्रद्धांजलि और आदारांजलि अर्पित करते हैं जिन्होंने देश की आज़ादी में अपना सर्वस्व न्योछावर किया.
वहीँ राज्यों के जिलों में राज्यपाल पहुंचकर झंडोतोलन में भाग लेते हैं. इस राष्ट्रीय पर्व पर भारत के सभी सरकारी और गैर सरकारी कार्यालयों में तिरंगा फहराकर राष्ट्रीय गीत गाया जाता है. समारोह के एक दिन पहले से ही इस पर्व का जोश खासकर के उन स्कूली छात्रों में देखा जाता है जो कई तरह के कार्यक्रमों में भाग लेने के लिए उत्सुक रहते हैं.
कुछ बच्चे भाषण देते हैं तो कुछ खेल कूद में हिस्सा लेकर कई छोटे- बड़े ईनाम जीतते
हैं. स्कूल- कॉलेज और कार्यालयों में पूरे दिन भर का माहौल देश भक्ति वाला होता है, जहाँ पूरे
दिन देशभक्ति वाले गीत बजाये जाते हैं और छात्र शाम तक स्कूलों में डंटे रहते हैं
उस वक़्त तक जब तककि शाम को 6 बजे झंडे को न उतर लिया जाए.
गणतंत्रता दिवस क्या है और इसे क्यूँ मनाया जाता है ?
आज़ादी के बाद, भारत को एक संसदीय प्रणाली वाला गणराज्य बनाये जाने की आवश्यकता महसूस हुई ताकि भारत में कोई भी सरकार लोकतांत्रिक पद्दति से जनता के फैसले और उनके मतों से ही चुनी जा सके .
लिहाज़ा 2 साल 11 महीने और 17 दिनों की 11 बैठकों
के बाद 26 जनवरी 1949 भारत का संविधान बनकर तैयार हुआ और इसे 26 जनवरी 1950 से लागू
कर दिया .इसी तिथि में भारत को एक गणराज्य
घोषित किये जाने के इस शुभ अवसर को गणतंत्र दिवस का पर्व कहा जाने लगा.
जैसे स्वाधीनता दिवस पर देश के वास्तविक प्रधान, प्रधानमंत्री को राष्टीय ध्वज फहराने का अधिकार है उसी प्रकार देश के संवैधानिक प्रधान राष्ट्रपति महोदय गणतंत्र दिवस में झंडा फहराते हैं. राष्ट्रपति को देश का पहला नागरिक माना जाता है. इस दिन वे भारत के लालकिले पर झंडा फहराते हैं और अपने व्यक्तव्य को जनता के समक्ष रखते हैं .
उसके बाद भारतीय सेनाओं के तीनो टुकड़ी अपने- अपने शौर्य का प्रदर्शन करती हैं. कई राज्यों से आये कलाकार इस पर्व में भाग लेकर तरह की पारंपरिक झांकियां निकालते हैं. इसी दिन राष्ट्रपति के हाथों बहादुर बच्चों को उनकी बहादुरी के लिए पुरस्कार भी दिए जाते हैं जिनमे पदक , प्रमाणपात्र और कुछ धनराशि होती है.
यह राष्ट्रीय पर्व पूरे तीन दिनों
तक चलता है और और इसका समापन बीटिंग रिट्रीक के समारोह के समापन के बाद होता है
जिसे राष्ट्रपति ही करते हैं.
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