विवाह प्रथा ( Vivah partha )कितना पुराना है? - दुनियाँ में सबसे पहला विवाह कब -कहाँ और क्यूँ हुआ ?

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4 हज़ार 5 सौ साल पुराना है विवाह  प्रथा (4 hazar 5 sau saal purana hai viwah pratha)  


Duniyan ka sabse pehla viwaah kab hua? viwah kab kahan aur kyun shuru hua? 4 hazar 5 sau saal purana viwah pratha kya hai? How old is Marriage system. When and where was it started in hindi?


विवाह प्रथा कितना पुराना? - दुनियाँ में सबसे पहला  विवाह कब -कहाँ और क्यूँ हुआ ?  ( 4 hazar 5 sau saal purana viwah pratha kab kahan aur kyun shuru hua)


4 हज़ार 5 सौ साल पुराना है विवाह  प्रथा (4 hazar 5 sau saal purana hai viwah pratha)  


विवाह को परिवार का आधार स्तम्भ माना जाता है. इसके बिना परिवार की कल्पना नहीं की जा सकता. परिवार नहीं तो गाँव, समाज या कोई राष्ट्र नहीं. 


हिन्दुओं में इस प्रथा को विवाह का नाम दिया गया और मुसलमानों में निकाह का. विवाह तो आये दिन होते रहते हैं. फिर मन में सवाल आता है दुनियाँ में सबसे पहला विवाह कब, कहाँ और क्यूँ शुरू हुआ? हजारों-लाखों साल पहले ऐसी आवश्यकता नहीं पड़ी फिर बाद में क्यूँ पड़ गयी आइये जानते हैं.

 

लाखों साल पहले जब मानव अलग-थलग, जल- जंगल और ज़मीन के साथ संघर्ष करता हुआ जीवन की कला सीख रहा था, तब उस दौरान वो एक दुसरे को सुरक्षा देने की भावना से करीब आये.


फिर उन्होंने एक दूसरों के साथ रहना शुरू कर दिया. जिसके बाद- स्त्री-पुरुषों ने आपस में सम्बन्ध बनाने शुरू कर दिए जिनसे उनकी सख्या बढ़ने लगी. 


ऐसा सदियों तक चलता रहा. आज से कई हज़ार साल पहले भी विवाह जैसी कोई प्रथा नहीं थी. और ना ही किसी ने इसकी ज़रूर ही महसूस की. लेकिन फिर गुजरती सदियों के साथ ही मानव अपने संघर्षों से अपने नए-नए ठिकानों और संपत्तियों की स्थापना करने लगा. 


किन्तु फिर इसके बाद आया संघर्ष का दौर. जो जीता वही सिकंदर वाली बात. एक दुसरे की संपत्ति और ठिकानों को हथियाने का संघर्ष शुरू हुआ. और फिर इसी संघर्ष ने जन्म दिया उत्तराधिकारी की भावना को जिसके लिए समाज को विवाह जैसी प्रथा की आवश्यकता पड़ी. 


विवाह आज से 4 हज़ार 5 सौ साल पुरानी एक प्रथा और व्यवस्था है जिसका निर्माण अगले उत्तराधिकारी को उसका हक़ और अधिकार दिलवाने के लिए ही आरम्भ हुआ था. आज से लगभग 2030 ईसा. पूर्व मेसोपोटामिया में पहला विवाह हुआ था. उसके बाद इसे सभी धीरे-धीरे अपनाते चले गए. 


विवाह मनुष्य की कई आवश्यकताओं की पूर्ति करता है. यह परिवार को बढाकर समूह और समाज में तब्दील करता है. यही समाज बाद में गाँव और गाँव से राष्ट्र का निर्माण करता है. 


लेकिन यदि हम इसके मूल में जाए तो आज भी विवाह की आवश्यकता का मूल आधार हमे वही पुराना वाला ढांचा ही दिखेगा, जो हजारों साल पुराना है - उत्तराधिकारी का चुनाव.         

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