गंगूबाई काठियावाडी मूवी न्यूज़ में कमाठीपुरा का दर्द (Gangubai kathaiwadi Movie news Kamathipura ka dard)

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             गंगूबाई का कमाठीपुरा


गंगूबाई मूवी न्यूज़ कामठीपूरा का दर्द  (Gangoobai Movie news Kamathipura ka dard)


"जो अमीर निर्माता- निर्देशक बड़े –बड़े घरों और ऊंची इमारतों में रहते हैं उन्हें क्या पता कि कमाठीपुरा में नाम और पता छुपाना क्या होता है"

एक रहिवासी. (कमाठीपुरा)

 


गंगूबाई काठियावाडी मूवी न्यूज़  में कमाठीपुरा  का दर्द .

Movie Gangubai kathiawadi 2022 Kamathipura news


मुंबई नगरी जहाँ बड़े बड़े उद्योगपतियों और कलाकारों का गढ़ माना जाता है उसी गढ़ में एक ठिकाना वेश्याओं यानि कि सेक्स वर्करों (Sex workers) का भी रहा है और उस मशहूर ठिकाने को आज भी कमाठीपुरा के नाम से जाना जाता है जहाँ की गंगूबाई (gangubai) कभी किसी ज़माने में काफी मशहूर हुई. वही Gangubaai जिनपर अभी एक film release हुई है Gangubai kathiawadi.


Gangubai kathiwadi मूवी की story वर्षों पहले मायानगरी मुंबई के कमाठीपुरा में रहने वाली उन गंगूबाई की कहानी पर आधारित है जिन्हें जब उनके हमसफ़र ने धोखा दिया तो उन्होंने Mumbai के कमाठीपुरा में अपना देह व्यपार शुरू कर दिया. बाद में उन्होंने डॉन करीम लाला को अपना मुँह बोला भाई बनाया और फिर राजनीती में उतर आई. 


मगर एशिया के सबसे पुराने और बड़े रेड लाइट एरिया कमाठीपुरा की कहानी आज की नहीं बल्कि वर्ष 1795 के आस पास की हैं, जहाँ आन्ध्र प्रदेश की महिलाओं ने देह व्यपार का धंधा शुरू किया और वर्ष 1880 आते -आते यह अंग्रेजों की अय्याशी का अड्डा बन गया.


आज भी यहाँ करीब 2 लाख सेक्स वर्कर का परिवार रहता है. सेक्स वर्कर की समाज में क्या इज्ज़त होती है, यह बात अगर न भी लिखी जाए तो भी इसे समझा जा सकता है.


ये लोग आज भी अपनी जीविका इसी से चलाते हैं. मगर कुछ लोग सिर्फ अपने फायदे के लिए इनका हर तरीके से शोषण करते है. कभी शारीरिक पीड़ा देकर तो कभी इनका सामजिक हक़ छिनकर या फिर किसी पुराने दर्द को कुरेदकर. 




कमाठीपुरा की गलियाँ आज बभी बदनाम है. लेकिन उन्ही बदनाम गलियों में कई परिवार ऐसे हैं जिनके बच्चे आज अच्छी पढ़ाई-लिखाई करके डॉक्टर- इंजिनियर के पेशे से जुड़ चुके हैं. 


मगर जब भी बात इनके इलाके और पहचान की आती है, तो ये पढ़े-लिखे लोग अपने घर का पता बताने में, किसी को घर लाने में. या मुंबई से बाहर के किसी दूर के रिश्तेदार को अपने यहाँ लाकर ठहराने में झिझक और संकोच महसूस करते हैं. क्यूंकि ये यहाँ के इस दर्द और सच्चाई से वाकिफ होते हैं. 


मगर आखों में आंसू और दिल में दर्द तब और उमड़ पड़ता है जब  इन्ही बदनाम गलियों के लेकर कोई निर्माता निर्देशक गंगूबाई (gangubaikathawadi) जैसी फ़िल्में बनाता है. क्यूंकि आज की नयी पीढ़ी के इन्ही रहवासियों के मुताबिक जिन लोगों को कामाठीपुरा के बारे में पता नहीं होता उन्हें फिर से पा चल जाता है


ऐसे ही लोगों के साथ जब एक पत्रकार ने गंगूबाई मूवी रिलीज़ होने बाद उनका इंटरव्यू किया तो वहां के रहिवासियों का दर्द झलक उठा. उनके मुताबिक़ क्या ज़रुरत है किसी को ऐसी फ़िल्में बनाकर वाहवाही लूटने की जिससे वो समाज का भला नहीं कर सकते. जो अमीर निर्माता- निर्देशक बड़े –बड़े घरों और ऊंची इमारतों में रहते हैं उन्हें क्या पता कमाठीपुरा में नाम और पता छुपाना क्या होता है.


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