पौराणिक हिंदी कथा मतस्य अवतार में हयग्रीव का वध कैसे किया विष्णु ने ? Lord Vishnu ne vadh kiya Haygreev asur ka Hindi story
विष्णु ने मत्स्य अवतार हयग्रीव को समाप्त करने के लिए लिया था. इसके पीछे की कहानी उस प्रलयकाल से जब ब्रह्मा का 100 वर्ष पूरा होता है और पूरी सृष्टी में प्रलय आ जाती है . लेकिन उससे पहले जानिये देवतों के काल और समय को .
खगोलीय घटनाओं में उत्तरायण और दक्षिरायण का सम्बन्ध यदि धरती पर मनुष्यों के साथ है तो उसका सम्बन्ध देवताओं के साथ भी है . छ: माह का एक उत्तरायण काल मानवों के लिए तो वही देवताओं के लिए एक दिन का होता है और दक्षिरयान एक रात्री का . देवताओं के 12 सहस्त्र वर्ष बीत जाने का अर्थ है एक चतुर्युग का बीत जाना.
कई कल्प मिलकर एक युग बनता है और सहस्त्रों युग मिलकर एक चतुर्युग बनता है. एक सहस्त्र चतुर्युग मिलकर ब्रह्मा का एक दिन बनता है . इसी दिन को प्रलय आती है और फिर उतने ही समय की रात्री बीत जाने के बाद ब्रह्मा पुन: सृष्टी की रचना शुरू कर देते हैं .
एक ऐसे ही प्रलय काल के वक़्त एक असुर जिसका नाम हयग्रीव था ब्रह्मा के चारो वेदों को लेकर समुद्र में जा समाया और बहुत दिनों तक छिपा रहा. हयग्रीव एक शंख में छिपा रहता था जहाँ तक कोई जीव नहीं पहुँच पाता.
लेकिन उस असुर तक पहुँचने के लिए अंतत: विष्णु को मीन अर्थात मत्स्य अवतार लेना पड़ा और वे उसी शंख में प्रवेश किये जहाँ उन्होंने हयग्रीव का संहार कर उन वेदों को पुन: प्राप्त का ब्रह्मा जी को लौटाया दिया.
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