सब टीवी का धर्मयोद्धा गरुड़ कैसा शो है और इसकी कहानी क्या है जानिये. ( Sab Tv Show Dharmyoddha Garud's Story & public opinion)

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                                                          DHARM YODDHA GARUD





सोनी सब (SONY SAB TV) पर स्टार्ट हुआ नया TV SHOW  DHARM YODDHA GARUDA कैसा शो है? जानिये अब तक की कहानी.



दोस्तों, सोनी के SAB TAV चनैल की लोकप्रियता सिर्फ भारत में नहीं बल्कि विदेशों में भी है. इसमें दिखाए जाने वाले कॉमेडी शोज ने एक लम्बे समय तक दर्शकों का भरपूर मनोरंजन किया है और आज भी यह चैनल सबको बांधे रखने में सफल है. 


शायद इसलिए इसकी लोकप्रियता को और अधिक बढाने के लिए बीते समय में इसमें दिखाए जाने वाले शोज के कंटेंट और कहानियों में कुछ बदलाव हुए और फिर SONY SAB TV ने स्टार्ट किया फंतासी शोज दिखाना, जिसमे यम है हम, बालवीर, तेलानीरमण आदि जैसे शो काफी सफल रहे. 


अब उन्ही सफलताओं के पैमाना को देखते हुए SONY SAB TV  ने स्टार्ट किया है एक और नया शो जिसका नाम है- धर्मयोद्धा गरुड़ (DHARM YODDHA GARUD)

 

धर्मयोद्धा गरुड़ एक मायथोलोजी शो है जो भगवान श्री नारायण के वाहन गरुड़ पर आधारित हैं. गरुड़ कौन थे और कैसे बने भगवान नारायण के वाहन? यह तो बालक गरुड़ की आगे की कथा में आएगी ही. लेकिन वर्तमान समय में जो कहानी चल रही है वो कुछ इस प्रकार से है -


धर्मयोद्धा गरुड़ टीवी शो में दिखाया गया है कि ब्रह्मा के मानस पुत्र मरीचि से जन्मे ऋषि कश्यप की सत्रह पत्नियों में दिति, अदिति कद्रू और विनता प्रमुख हैं. दिति से असुरों का जन्म हुआ, अदिति से देवताओं का, कद्रू से नागों का तो वहीँ विनता से गरुड़ और अरुण का जन्म हुआ. 


विनता और कद्रू जहाँ एक समय में दोनों बहने एक दुसरे से अटूट प्रेम किया करती थीं वहीँ पुराने समय में किसी एक शर्त को हारने के कारण छोटी बहन विनता अब अपनी ही बड़ी बहन कद्रू की दासी बन चुकी है और वो हमेशा एक नौकरानी की तरह अपनी बहन कद्रू समेत उनके पुत्रों – वासुकी , शेषनाग, तक्षक और कालिय समेत और नागपुत्रों की सेवा में लगी रहती है. 


कद्रू तो अपनी बहन विनता के साथ निष्ठुरता दिखाती ही है इसके साथ ही उसके नागपुत्र भी हमेशा विनता को डराते और उसका उपहास करते दिखाई पड़ते हैं. वर्षो पहले जहाँ कद्रू ने अपने पति ऋषि कश्यप से हज़ार शक्तिशाली पुत्रों का वरदान माँगा था वहीँ विनता ने केवल दो ही योग्य, कर्मठ और संस्कारी पुत्रों की कामना की थी. 


कद्रू को विषैले नागों के रूप में हजारों पुत्रों की प्राप्ति हो चुकी अब  बारी थी विनता के पुत्रों की. विनता के दो अण्डों में थे वही वरदानी पुत्र जिसकी उसने कामना की थी. मगर 500 वर्ष बीत जाने के बाद भी उन अण्डों से उनके बच्चे बाहर नहीं आ रहे थे. 


विनता इसके लिए अधीर हुई जा थी. कद्रू ने विनता की इसी अधीरता का फायदा उठाना शुरू कर दिया ये कहते हुए की शायद उसके अड़े भीतर से सड चुके हो . दुष्ट कद्रू बार -बार अपनी चाल चलती रही जिसमे विनता आ गयी और जब उसके धर्य का बांध टूटा तो विनता ने अपना एक अंडा फोड़ दिया. 


मगर वो अंडा अभी पूरी तरह से परिपक्कव नहीं हुआ था इसलिए विनता के पुत्र अरुण के पैरों का निचला हिसा बन नहीं पाया. अर्ध विकसित अरुण ने जब स्वयं को किसी योग्य नहीं समझा तो उसने सूर्य देव की उपासना आरम्भ कर दी और सूर्य देव ने उसे अपना सारथी बना लिया. 


लेकिन जब गरुड़ जन्मा तो उसने अपनी माँ को गुलामी और दासत्व की जंजीरों में देखा. कई बार अपमानित होते देखा. मगर जब गरुड़ बार बार माता विनता से इसके पीछे का कारण पूछ पूछकर हार गया तो वो इस घटना के पीछे के कारण का पता लगाने वैकुण्ठ अपने भाई शेषनाग के पास चला गया. 


शेष नाग ने गरुड़ को देवताओं की माता अदिति के पास जाने को कहा. जब गरुड़ देवताओं की माता अदिति के पास पहुंचा तो उसने वहां देखा की तप करती माता अदिति को असुर वज्रांग और उनके असुर सैनिकों ने उनके तप को बाधित करने के लिए घेर रखा है. यहाँ अब युद्ध आरम्भ हो जाता है....अभी तक इतनी ही कहानी दिखाई गयी है.


कैसा लग रहा दर्शकों को शो ?


सोशल मिडिया में मौजूद कई फीडबैक और कॉमेंट्स को पढने के बाद मै इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि इस शो की कहानी दर्शकों को ज़रा भी पसंद नहीं आ रही. सिर्फ इसमें ग्राफ़िक्स का काम अच्छा है बाकी कहानी में कोई दम नहीं. इस शो को प्रस्तुत करने वाली कंपनी भी वही है. लेकिन अगर उनके पहले के शोज संकटमोचन महाबली हनुमान और गणेशा को देखें तो वे बहुत अच्छे थे...लेकिन यदि आप धर्मयोद्धा गरुड़ को देखें तो आपको बिल्कुल संकटक मोचन हनुमान की कहानियों की तरह ही लगेंगी. फर्क बस इतना होगा कि उसमे हनुमान की पूँछ थी इसमें गरुड़ के पंख है जिसमे शक्ति है.       



निष्कर्ष –


इस शो की कहानी के अच्छा न बन पाने की एक वजह यह भी हो सकती है कि गरुड़ को लोग भगवान के रूप में नहीं स्वीकार करते जैसा कि हनुमान और गणेशा के साथ था. इसे लोग एक फंतासी की तरह देख रहे हैं, लेकिन फंतासी की कहानियां भी अगर अच्छी और नयी तरह की होती तो यह शो शायद हीट हो जाता. संभावना है कि इसमें कुछ बदलाव हो या फिर जब गरुड़ भगवान नारायण से जुड़ जाएँ तो उसकी दिव्यता को देखते हुए दर्शकों को इसका प्यार मिलना शुरू हो जाए.

 

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