2023-2026 के आते आते हिंदी सिनेमा जगत बॉलीवुड पर लग जाएगा ताला? वजह है ख़ास .

@Indian mythology
0

 Shamshera. Hindi Movie review. producer Aditya Chopra .Director Karan Malhotra. Ranveer kapoor starrer Bollywood Hindi Movie Shamshera.  flop or Hit 2022?


Shamshera. Hindi Movie review. producer Aditya Chopra .Director Karan Malhotra. Ranveer Kapoor starrer  Bollywood Hindi Movie Shamshera. flop or Hit? 2022
 

कोरोना काल के एक लम्बे समय के बाद बॉलीवुड ( Bollywood) के रुपहले परदे पर एक हिंदी मूवी ( hindi movie) आयी नाम है जिसका Shamshera. इस मूवी का बजट लगभग 150 करोड़ है और जिसे भारत में कुल 4350 और वर्ल्ड वाइड 5550 स्क्रीन्स मिले. लेकिन रिजल्ट बहुत ही निराशा जनक रहा क्यूंकि शमशेरा मूवी ने पहले दिन 10 करोड़ 25 लाख , दुसरे दिन 10 करोड़ 50 लाख और तीसरे दिन 12 करोड़ 10 लाख ही कमाए और फिर जनता जनार्दन ने इस मूवी के भाग्य का फैसला कर दिया. 


निर्माता आदित्य चोपड़ा , निर्देशक करण मल्होत्रा के निर्देशन में बनी रणवीर कपूर (Ranveer Kapoor) कि मूवी का नाम अगर थोडा बड़ा यानि कि क्रांतिकरी शमशेरा, शहीद शमशेरा, जांबाज़ शमशेरा , उखाड़ देगा शमशेरा, चीरकर फाड़ देगा शमशेरा या आदित्य करण रणवीर का शमशेरा ये नाम भी रख लेते ना तो भी दर्शकों पर कोई असर नहीं पड़ता क्यूंकि अब ये दर्शक वो वाले दर्शक नहीं रहें जिनके सामने कुछ भी बनाकर परोस दो ये तो थियेटर में देखकर घर चले आयेंगे. 


इन निर्मातों ने दर्शकों को ठगकर बहुत पैसे कमाए. लेकिन अब भी ये मानने को तैयार नहीं कि इनका ये पैतरा काम नहीं करने वाला मगर ये मानने को तैयार ही नहीं..और पता नहीं हर फिल्म के बड़े बड़े स्टार आजकल स्क्रिप्ट पढ़ते है या नहीं पता नहीं ? अगर उनको पता है कि कहानी में कोई दम नहीं और सिर्फ बड़े बैनर को देखकर उस घिसी-पिटी कहानी में टार्ज़न बनकर कूद जा रहे हैं तो इसका सीधा मतलब है वो भारतीय दशकों को उल्लू और बेवकूफ समझते हैं..


दर्शक आहत हैं. ये लोग स्वप्नलोक से निकलने को तैयार ही नहीं कि भाई बस बहुत हो गया माफ़ करें हमे..अब ताम तम्बूरा समेटकर आप  बंगले के भीतर चले जाओ और तब तक बाहर मत आना जब तक तुम्हे कोई अच्छी सी कहानी ना मिल जाए . और मिल जाए तो भी उसे दस बार पढो..ना समझ में आये तो एक्सपर्ट की राय लो..


फ़िल्म के हीरो तो तुम बनने जा रहे मगर दर्शकों के टाइम और पैसा का नहीं सोच रहे...और हाँ देखा देखि वाला सीन अब तो नहीं चलने वाला...गाँव में एक कहावत है नाई को देखते ही ससुरी नाख़ून बढ़ गवा..साउथ के फिल्मों की नक़ल तुम कर नहीं पाते और अच्छी कहानी पर अवसर मिलता है तो अक्षय कुमार जी उस वीर योद्धा पात्र के लिए असली मूंछ उगाना भी ज़रूरी नहीं समझे, बस पृथ्वी राज चौहान जैसी ऐतिहासिक फिल्म को केवल 45 दिन के शेड्यूल में निपटा कर आ जाते, क्यूंकि उन्हें एक साथ बहुत सारी कंपनी चलानी होती है. 


मगर इस बार दर्शकों ने अक्षय कुमार को भी अच्छा सबक सिखा दिया है..उन्हें दर्शकों कि इस बार कि लताड़ ज़रूर ही याद रहेगी...एक वक़्त था जब हिंदी मूवी में हिन्दू देवी देवताओं का जी भरकर अपमान किया जाता था..उनकी कॉमेडी की जाती थी. बेचारे सहिष्णु और शांति प्रिय दर्शक वो सब कुछ देखकर घर आते और चुपचाप सो जाते. फिर अगले दिन उसे भुला दिया जाता. 


एक ख़ास बात, किसी ने उस वक़्त भले ही न गौर किया हो. आप पुरानी फिल्मों को ज़रा उठाकर देखिये. उस वक़्त भी कुछ पुराने ज़माने के मुस्लिम लेखक जिहादी मानसिकता से पीड़ित होकर उस वक़्त भी अपना धर्म निभा रहे थे, तभी तो उनकी फिल्मों में आपको लूंगी कुर्ता वाले बहुत ही नेक शरीफ और ईमानदार देखेंगे और सभी गुंडे मावली हिंदी नाम वाले ही मिलेंगे जिनकी आपको सर पे पगड़ी, तिलक, चन्दन और पूजा पाठ करते दिख जायेंगे. इन सबको झूठा चोर और मक्कार बताया जाता है. आजतक आपने किसी फिल्म में देखा क्या कि कोई आसमानी चादरी वाला व्यक्ति या लोगों को मोर पंख लेकर झाड फूंक करता आदमी आपको बुरा दिखाया गया हो. कुछ  हिंदी राइटर भी इसको आगे बढाते गए. फिर तो ये सब आम बनता चला गया.  


इसी बात पर याद आया कि शमशेरा में ये क्या है ? संजय दत्त को एक ऐसा त्रिपुंड धारी बेईमान अँगरेज़ अफसर दिखाना जिसका खुद का नाम शुद्ध सिंह है और वो शूद्रों पर अत्याचार करता है. वो बार बार अपने संवाद में इन सब चीज़ों को दोहराता भी है.. रणवीर का पीर बाबा का नाम लेते हो जोश से भर जाता और विलेन को मारने लगना ये सब आप क्या कहेंगे. वास्तव में आप कुछ कहें या ना कहें जो दर्शक है उन्होंने अब इन सबी चीज़ों को नोटिस करना शुरू कर दिया है. 


आज के ज़माने के दर्शक अगर हिन्दू हो और उसे लगता है कि फिल्म में उनके देवी देवता के साथ मजाक हुआ है या उनकी भावनाएं आहत हुई हैं तो वो फ़ौरन रिएक्ट करते हैं. शमशेरा के फ्लॉप होने में एक बड़ा कारण ये भी है.. वैसे भी इस फिल्म कि ना तो कहानी अच्छी न निर्देशन अच्छा न स्टाइल या लुक अच्छा ना संवाद अच्छे फिर कैसे चल पाती य फिल्म. आशा है अब निर्माता नर्देशक समझ रहे होंगे कि समय बदल गया है और इस बदले हुए समय में उन्हें दर्शकों की भावनाओं का भी पूरा ख्याल रखना होगा. वरना यही हाल रहा तो 2023-2026 के आते आते हिंदी सिनेमा  जगत बॉलीवुड पर लग जाएगा ताला.           

            

Tags

एक टिप्पणी भेजें

0टिप्पणियाँ

Hi ! you are most welcome for any coment

एक टिप्पणी भेजें (0)