महाभारत ( Mahabharat ) के कुछ अनछुवे पहलू. जय, भारत, और महाभारत ये तीनो एक ही काव्य के नाम हैं.

@Indian mythology
0

 महाभारत ( Mahabharat ) के कुछ अनछुवे पहलू.

जय, भारत और महाभारत ये तीनो एक ही काव्य के नाम हैं.


महाभारत ( Mahabharat ) के कुछ अनछुवे पहलू.

जय, भारत और महाभारत ये तीनो एक ही काव्य के नाम हैं..किन्तु कब कैसे इनका नामकरण हुआ जानिये कैसे?


महाभारत वर्णानुसार इसके तीन संस्करण हुए, जिनके तीन  रचयिता हुआ – व्यास जी , वैशम्पायन और सौती. युद्ध के बाद ही व्यास ने “जय” नामक इतिहास  की रचना कि, जिसमे कौरव- पांडवों के युद्ध का वर्णन है. उसको व्यास के शिष्य वैशम्पायन ने पांडवों के परपौत्र जन्मेजय  को सर्प यज्ञ के अवसर पर सुनाया था. वहां उस कथा को सुनकर सूत लोमहर्ष के पुत्र सौती उग्रश्रवा ऋषि मुनियों को सुनाया.


महाभारत  ( Mahabharat ) का समय आज से लगभग पांच हज़ार वर्ष से कुछ ऊपर माना जाता है. यह काल रामायण काल से बहुत बाद का है. लेकिन रामायण और महाभारत काल में एक बहुत बड़ा अंतर ये है कि रामायण काल में वैदिक मर्यादा का पालन होता था. राम- रावण युद्ध में भी युद्ध सम्बन्धी नियमों का पालन उभय पक्ष ने किया था; किन्तु महाभारत काल में पांडव – कौरव दोनों पक्षों की ओर से वैदिक मर्यादा का खुले रूप से अवहेलना हुई थी.


अभिमन्यु , भीष्म , द्रोण , कर्ण और दुयोधन और सुप्तावस्था में अश्वतथामा द्वारा धृषटद्धुम्न, पांडव पुत्रों कि नृशंस हत्या इसके साक्षात् उदहारण है.

 

महाभारत का प्राचीन नाम ( Ancient name of Mahabharat)  “जय ग्रन्थ” है. महाभारत के आदि पर्व स्वर्गारोहण-पर्व में कहा भी गया है – ज्यो नामेतिहासोsयम , अर्थात यह “जय” नाम का इतिहास  (History of Jaya) है. आगे चलकर रचियता वैशम्पायन द्वारा दुसरे संस्करण के बाद  इसका नाम “ भारत” पड़ा और अंत में गौतम बुद्ध के निर्वाण के सैकड़ों वर्ष बाद रचियता सौती के  त्रितय संस्करण के कलेवर में अपार वृद्धि हो जाने के कारण इसका नाम “ महाभारत” पड़ा. महाभारत के आरंभिक श्लोक में ही “जय” ग्रथ का उल्लेख है.  


व्यास ( saint Vyas or rishi Vyas ) ने अपने जय नामक ग्रन्थ में जो पर्व बनाये थे वे भिन्न हैं. वे छोटे हैं और उनकी संख्या १०० है. बाद में सौती ने अपने ग्रन्थ में अठारह पर्वों को विभक्त कर दिया. विद्वानों कि राय है कि व्यास कृत जय के श्लोकों की संख्या  ८८०० , वैशम्पायन भारत के  श्लोकों कि संख्या २४०००  और वर्तमान महाभारत के श्लोक कि संख्या लगभग एक लाख है.

 


एक टिप्पणी भेजें

0टिप्पणियाँ

Hi ! you are most welcome for any coment

एक टिप्पणी भेजें (0)