भारत में आजकल एक नारा बुलंद पर है - हर घर झन्डा. आखिर क्यूँ ना हो क्यूंकि इस तिरंगे को पाने के लिए भारत के कई वीर सपूतों ने अपनी आहुति दे दी. जिस तिरंगे को हम आज इतनी आसानी से फहरा लेते हैं उसकी कल्पना अंग्रेजी हुकूमत के समय एक सपने की तरह था .
लेकिन आज़ादी के मतवालों ने उस सपने को सच कर दिखाया और उसे अपने ख्वाबगाह से बाहर निकालकर भारत के आसमान पर फेहरा दिया. लेकिन जिस झंडे को हम तीन रंगों में देखते हैं वो असल में एक ही रंग से रंगा है और वो है भारत के सच्चे वीर सपूतों के लहू का रंग.
हर घर झन्डा से हम उस आज़ादी और बलिदान के मर्म को समझेंगे जिसके बाद भारत आज़ाद हुआ और उसे एक आज़ादी का प्रतीक चिन्ह मिला जो हमारा राष्ट्रीय ध्वज बन गया.
भारत की आन-बान- शान का प्रतीक है भारत का राष्ट्र ध्वज तिरंगा. इसका नाम तिरंगा (tricolor) इसलिए है क्यूंकि इसमें तीन रंग हैं- केसरिया, सफ़ेद और हरा. लेकिन देखा जाए तो इसमें एक नीला रंग भी है जिससे एक गोल चक्र बना है जिसमे कुल 24 तिल्लियां यानि चक्र हैं..
भारत के राष्ट्रिय ध्वज की
लबाई और चौड़ाई 3:2 अनुपात जिसके अभिकल्पनाकर्ता और निर्माणकर्ता पिंगली वेंकैया
हैं. भारत के राष्ट्रिय ध्वज को 15 अगस्त 1947 को अंग्रजों से भारत की स्वतंत्रता
के कुछ ही दिन पहले 22 जुलाई 1947 को संविधान सभा की बैठकी में सर्व सम्मति से
अपनाया गया था. राष्ट्र ध्वज में मौजूद तीन पट्टियां भारत के गौरव को दर्शाती है.
केसरिया पट्टी :- सबसे ऊपर की केसरिया पट्टी देश की ताकत और साहस को दर्शाती है. लेकिन कैसे, ये भी जान लीजिये..? ये केसरिया ही भगवा रंग है और भगवा रंग हिन्दुओं की वीरता का प्रतीक रहा है. जब भी कोई क्षत्रिय या मराठा युद्ध भूमि में जाते थे, इसी रंग की पगड़ी को सर में धारण करके जाते थे..
ये केसरिया भगवा रंग शान्ति और ज्ञान का भी प्रतीक है. भारत के प्राचीन ऋषि मुनि और साधु संत इसे ही धारण कर तप करते और ज्ञान दिया करते थे. आज भी हिन्दुओं के सभी मंदिरों में आप भगवा रंग का झंडा ही देखेंगे. वीर शिवाजी महाराज का पताका भी भगवा रंग का ही था.
इसलिए भगवा रंग को सबसे पहले झंडे के ऊपर
रखा गया क्यूंकि भारत आदिकाल से ही सनातन हिन्दुओं का देश रहा है जिन्होंने भारत
की आन बान और शान में अपनी अहम भूमिका निभाई है.
सफ़ेद पट्टी : झंडे के मध्य में जो दूसरा भाग है वो सफ़ेद रंग का है. ये सफ़ेद रंग शन्ति ,सत्य और युद्ध विराम का प्रतीक है. इसीलिए तो सफ़ेद कबूतर को भी शांति का प्रतीक ही माना जाता है. विश्व में एकमात्र भारत ही ऐसा देश है जिसने कभी यद्ध में पहल नहीं की. वो हमेशा युद्ध से दूर रहकर शान्ति को अपनाता रहा.
सफ़ेद रंग को आत्मसमपर्ण का सूचक
माना जाता है, युद्ध में भी और मृत्यु के बाद भी . तभी तो मरने के पश्चात व्यक्ति
का कफ़न सफ़ेद होता है..क्यूंकि उस इंसान ने मृत्य के समक्ष अपना आत्मसमपर्ण कर
दिया होता है.
हरे
रंग की पट्टी :- राष्ट्रीय ध्वज के सबसे नीचे गहरे हरे रंग की पट्टी देश की शुभता,
विकास और उर्वरता का प्रतीक है.
चक्र
और 24 तीलियाँ :- यह इस बात का प्रतीक है कि भारत का विकास 24 घंटे में कभी नहीं
रुकेगा यह रात दिन निरंतर गतिशील रहेगा.
भारत का राष्ट्रीय झंडा खादी का ही होना चाहिए जिसे एक विशेष प्रकार के हाथ से काते गए सुत से बनाया जाता है. माना जाता है कि सबसे पहले वो महात्मा गाँधी ही थे जिन्होंने 1921 में कांग्रेस के अपने झंडे की बात कही थी.
पहले भारत के झंडे में बापू का चरखा था..मगर ये चरखा पीछे से दिखने पर उल्टा लगता था इसलिए चरखे को निकालकर बीच में अशोक चक्र को स्थापित किया गया जिसे डॉक्टर बाबा साहब ने लगवाया था.
जानकारी
के लिए बता दूं कि भारत में केवल तीन ही ऐसे जगह है जहाँ 21 फूट गुणा 14 फीट के
झंडे को फेहराया जाता है और वो स्थान है मध्य प्रदेश का ग्वालियर स्थित किला,
दुसरा कर्नाटक का नार्गुंड किला और महारष्ट्र का पन्हाला किला.
1968 में तिरंगा निर्माण के लिए जो मानक तय किये गए वो ये थे कि केवल खादी या फिर हाथ से काता गया कपड़ा ही झंडा बनाने के लिए उपयोग में लाया जाएगा. इसकी कई बार टेस्टिंग की जाती है. इसे बनाने के लिए दो प्रकार के कपड़ों का इस्तेमाल किया जाता है एक खादी और दूसरा खादी-टाट.
खादी के केवल कपास, रेशम और उन का प्रयोग किया जाता है.
इसकी बुनाई इतनी ख़ास है ख़ास है कि देश भर में सिर्फ दर्जन भर लोगों को ही इसकी
बुनाई आती है. जानकारी के लिए बता दें कि भारत देश में धारबाण के निकट गदग और कर्नाटक
के बागलकोट में ही खादी की बुनाई की जाती है. जबकि हुबली एक मात्र लासेंस प्राप्त
जगह है जहाँ से झंडे की आपूर्ति और उद्पादन किया जाता है. लेकिन किसी भी कपडे का
झंडा बनाकर फहराया नहीं जा सकता. एक टीम है बी.आई.एस. जो झंडे के गुणवत्ता की जांच
करता है तभी इसे आगे भेजा जाता है.
भारत
में राष्ट्रीय ध्वज दो ही राष्ट्री पर्व में फहराते हैं – एक स्वाधीनता दिवस जो पन्द्र
अगस्त को मनाया जाता और दूसरा गणतंत्र दिवस जो 26 जनवरी के दिन मनाया जाता है.
इसके अतिरिक्त भारत के राष्ट्रिय ध्वज का में लिपटने का सौभाग्य भारत के उन वीर सपूतों
को मिलता है जो भारत माता की रक्षा में अपने प्राण न्योछावर करते हैं..
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