भारत का सबसे पहला पवन -जल आटा चक्की
इसे पवन- जल आटा चक्की इसीलिए कहा जाता है क्यूंकि इसे चलाने के लिए पवन यानि ही हवा और जल का सहारा लेना पड़ता है. माना जाता है कि ये पवन -जल चक्की अंग्रेजों के ज़माने का बना है जो हवा और जल के सहारे आटा पिसने का काम करती है. इसे चलाने वाला बताता है कि ये पवन -जल आटा चक्की करीब २०० साल पुराना है जो आज भी बिना रुके निरंतर चलती रहती है.
अंग्रेजों ने भारत पर लम्बे समय तक राज किया. अँगरेज़ ज़्यादातर भारतीयों के लिए क्रूर थे . उन्हें हम फूटी आखं भी नहीं भाते थे. उनके ज़ुल्मों और अत्याचारों का इतिहास बहुत ही लम्बा रहा है. लेकिन ये भी सच है कि इसी भारत देश में ही कुछ अँगरेज़ ऐसे भी हुए जो हम भारतीयों से सहानूभूति का भाव रखते थे. चाहे वो ए.ओ. ह्यूम हो या फिर लार्ड मेकाले या फिर कुछ ऐसे अँगरेज़ जो भारतीयों के लिए अच्छा सोचते थे, उन्होंने ही हम भारतीयों के जीवन को थोडा आसन और सरल बनाने के बारे में सोचा.
देखा जाए तो अँगरेज़ बहुत ही जबरजस्त क्रिएटिव होते हैं. उस वक़्त भी ऐसे बहुत से इंजिनियर अँगरेज़ हमारे देश में ही मौजूद थे जिनका हर प्लान जबरजस्त होता था. चाहे वो किसी पूल का निर्माण कार्य हो , रेल की पटरी बिछानी हो , कोई बाँध , सड़क या फिर कोई ईमारत बनानी हो, अंग्रेजों ने जो भी चीज़ें बनाई वो आज भी सही सलामत है क्यूंकि उन चीजों में अंग्रेजों की लगी होती थी अच्छी इंजीनियरिंग, मेहनत और इमानदारी से किया गया काम.
पानी और हवा के सहारे चलने वाला ये पवन जल चक्की भी अंग्रेजों द्वारा की गयी उसी अच्छी सी इंजीनियरिंग का एक बढ़िया सा उदहारण है. आप सोचते होंगे कि ये पवन -जल चक्की बिना बिजली के केवल हवा और पानी से आखिर कैसे चलती होगी. तो हम बता देते हैं. दरअसल पानी का तेज़ बहाव एक यांत्रिक उर्जा पैदा करता है यानि की जब पानी बहता है तो वो आगे धक्का देकर तेज़ गति से बढ़ता है. अंग्रेजों ने भारत में ही ऐसे कई नहरों का निर्माण करवाया था जिसमे से होकर जब पानी बहता तो उस पानी के बहाव को कम या ज्यादा किया जा सकता था.
इसके लिए कई उपकरण लगे होते थे. इस आटा चक्की को चलाने के लिए भी इसी ट्रिक का इस्तेमाल किया गया है. जब नहर में पानी का तेज़ बहाव आता है तो वो नहर के साइड से बने कुछ खोह में पानी तेज़ी से चला जाता.
उस खोह के नीचे लोहे के ब्लेड्स लगे होते हैं, जैसे मोटर में होते हैं. वहां पानी गिरते ही वो ब्लेड एक राउंड घूम जाता है. और फिर लगातार पानी गिरते रहने के कारण ब्लेड घूमता रहता है. इसी ब्लेड से जो लोहे का गोल राड जुड़ा होता है वो घुमने लगता है, जो आटा चक्की को घुमाने का काम करता है. इस नहर से पानी आता रहता है. इसलिए ये पवन जल आटा चक्की बिना रुके चलता रहता है और ये आज भी २०० सालों से लोगों का आटा पिस रहा है. है ना कमाल की बात.??
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