इन गड्ढों का रंग काला है जो आकर में किसी बड़ी घाटी की तरह दिखते हैं . ये गड्ढे इतने बड़े हैं कि इनमे कई धरती समा सकती है. वैज्ञानिकों ने पाया कि इन गड्ढों से तेज़ सौर लहर निकल रही है. साइंटिस्ट इन गड्ढों को कोरोनल होल बता रहे हैं जो हमारे सूर्य के बीचो बीच बन चुका है.
इन गड्ढों के किनारे सूरज की चुम्बकीय रेखाएं मज़बूत हो जाती हैं. ऐसे में वो गड्ढे के भीतर उपस्थित सौर पदार्थों को तेज़ी से बाहर खींचती हैं . इन गड्ढों के कारण जो सौर तूफ़ान धरती की ओर आ रहा है वो जी -1 जियोमेट्रिक स्टॉर्म है.
इस समय इन गड्ढों से जो सौर तूफ़ान उठ रहा उसकी गति 2.90 करोड़ किलो मीटर प्रति घंटा है. इस लहर में तीव्र एलेक्ट्रोंन, प्रोटोन और अल्फा पार्टिकल्स निकलते हैं. ये बिजली के ग्रीड और सेटेलाइट्स पर असर डाल सकते हैं. पहला गड्ढा सूरज में तब बना था जब भारत में छठ पूजा मनाया जा रहा था. तब से ये गड्ढे बढ़ते जा रहे हैं .
30 नंबवर 2022 को हाल ही में फिर से गड्ढे देखे गए. माना जाता है कि सूरज के तूफ़ान को धरती पर आने के लिए लगभग 18 घंटे लगते हैं लेकिन वो तब होगा जब वो तूफ़ान बहुत ही अधिक तीव्र हो. कमज़ोर तूफ़ान को धरती पर आने में लगभग 30 घंटे लग जाते हैं.
इस तरह की घटना पहली बार हो रही है. लेकिन ऐसा सूर्य के साथ होना किसी बहुत बड़े खतरे की घंटी हो सकती है. सूर्य , धरती से कई गुणा बड़ा है. यदि ऐसे ही ये गड्ढे बनते रहे तो इसका प्रभाव हमारी धरती पर भीषण पड़ सकता है. ये भी हो सकता है हमारी धरती रातों रात इन्ही गड्ढों के भीतर समा जाए और धरती सहित पूरे मानव का अस्तित्व एक दिन में ही समाप्त हो जाए.
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