सम्पूर्ण नारद पूरण की कथा सूची देखें.
९- बलिके द्वारा देवताओंकी पराजय तथा अदितिकी तपस्या.
१७
२१
पूर्वभाग प्रथम पाद
श्री नारद पुराण की हिंदी कथा सूची :- ( Shree Narad Puran hindi stories list)
Narad puran ki hindi katha aur kahani
१- सिद्धाश्रममें शौनकादि महर्षियोंका सूतजीसे प्रश्न तथा सूतजीके द्वारा नारदपुराणकी महिमा और विष्णुभक्तिके माहात्म्यका वर्णन
२- नारदजीद्वारा भगवान् विष्णुकी स्तुति.... ३- सृष्टिक्रमका संक्षिप्त वर्णन; द्वीप, समुद्र और भारतवर्षका वर्णन, भारतमें सत्कर्मानुष्ठानकी महत्ता तथा भगवदर्पणपूर्वक कर्म करनेकी आज्ञा...
४- श्रद्धा-भक्ति, वर्णाश्रमोचित आचार तथा सत्सङ्गकी महिमा, मृकण्डु मुनिकी तपस्यासे संतुष्ट होकर भगवान्का मुनिको दर्शन तथा वरदान देना
५- मार्कण्डेयजीको पिताका उपदेश, समय- निरूपण, मार्कण्डेयद्वारा भगवान्की स्तुति और भगवान्का मार्कण्डेयजीको भगवद्भक्तोंके लक्षण बताकर वरदान। देना
५०
१०- अदितिको भगवद्दर्शन और वरप्राप्ति, वामनजीका अवतार, बलि-वामन-संवाद, भगवान्का तीन पैरसे समस्त ब्रह्माण्डको लेकर बलिको रसातल भेजना
५२
११- दानका पात्र, निष्फल दान, उत्तम- मध्यम-अधम दान, धर्मराज-भगीरथ- संवाद, ब्राह्मणको जीविकादानका माहात्म्य तथा तडाग-निर्माणजनित पुण्यके विषयमें राजा वीरभद्रकी कथा... ५९
१२- तडाग और तुलसी आदिकी महिमा, भगवान् विष्णु और शिवके खान- पूजनका महत्त्व एवं विविध दानों तथा देवमन्दिरमें सेवा करनेका माहात्म्य
२
१३ - विविध प्रायश्चित्तका वर्णन, इष्टापूर्त्तका फल और सूतक, श्राद्ध तथा तर्पणका विवेचन..
६८
१४- पापियोंको प्राप्त होनेवाली नरकोंकी यातनाओंका वर्णन, भगवद्भक्तिका निरूपण तथा धर्मराजके उपदेशसे भगीरथका गङ्गाजीको लानेके लिये उद्योग...
७३
३४
३८
६- गङ्गा-यमुना-संगम, प्रयाग, काशी तथा गङ्गा एवं गायत्रीकी महिमा...
७- असूया दोषके कारण राजा बाहुकी अवनति और पराजय तथा उनकी मृत्युके बाद रानीका और्व मुनिके आश्रममें रहना.
१५- राजा भगीरथका भृगुजीके आश्रमपर जाकर सत्सङ्ग-लाभ करना तथा हिमालयपर घोर तपस्या करके भगवान् विष्णु और शिवकी कृपासे गङ्गाजीको लाकर पितरोंका उद्धार करना..
४१
- सगरका जन्म तथा शत्रुविजय, कपिलके क्रोधसे सगर-पुत्रोंका विनाश तथा भगीरथ- द्वारा लायी हुई गङ्गाजीके स्पर्शसे उन सबका उद्धार..
१६- मार्गशीर्ष माससे लेकर कार्तिक मासपर्यन्त उद्यापनसहित शुक्लपक्षके द्वादशी व्रतका
विषय
पृष्ठ संख्या
विषय
वर्णन ३१- मोक्षप्राप्तिका उपाय, भगवान् विष्णु हो मोक्षदाता हैं इसका प्रतिपादन, योग
वर्णन
१७ मार्गशीर्ष पूर्णिमासे आरम्भ होनेवाले लक्ष्मीनारायण व्रतकी उद्यापनसहित) ९३ विधि और महिमा.
१३७ तथा उसके अङ्गका निरूपण.. ३२- भवबन्धनसे मुक्तिके लिये भगवान्
१८- श्रीविष्णुमन्दिर में ध्वजारोपणकी विधि
९५ और महिमा.
विष्णुके भजनका उपदेश ........ ३३- वेदमालिको जानन्ति मुनिका उपदेश
१९- हरिपञ्चक व्रतकी विधि और माहात्म्य... ९७)
तथा वेदमालिकी मुक्ति ................. १८ ३४- भगवान् विष्णुके भजनकी महिमा- सत्सङ्ग तथा भगवान्के चरणोदकसे एक व्याधका उद्धार
२०- मासोपवास- व्रतको विधि और महिमा ९९ २१- एकादशी व्रतकी विधि और महिमा
भद्रशीलकी कथा. १०० २२- चारों वर्णों और द्विजका परिचय तथा विभिन्न वर्णोंके विशेष और सामान्य धर्मका वर्णन १०४
१५१
३५- उत्तङ्कके द्वारा भगवान् विष्णुकी स्तुति और भगवान्की आज्ञासे उनका नारायणाश्रममें जाकर मुक्त होना १५४ महिमा १५९
२३- संस्कारोंके नियत काल, ब्रह्मचारीके धर्म, अनध्याय तथा वेदाध्ययनकी आवश्यकताका वर्णन २४- विवाहके योग्य कन्या, विवाहके आठ
३६- भगवान् विष्णुके भजन-पूजनकी ३७- इन्द्र और सुधर्मका संवाद, विभिन्न मन्वन्तरोंके इन्द्र और देवताओंका वर्णन तथा भगवद्भजनका माहात्म्य. १६१
१०६
भेद तथा गृहस्थोचित शिष्टाचारका वर्णन १०९ २५- गृहस्थ सम्बन्धी शौचाचार, स्नान, संध्योपासन आदि तथा वानप्रस्थ और संन्यास आश्रमके धर्म..
३८- चारों युगोंकी स्थितिका संक्षेपसे तथा कलिधर्मका विस्तारसे वर्णन एवं भगवन्नामकी अद्भुत महिमाका प्रतिपादन १६३ द्वितीय पाद
११०
२६- श्राद्धकी विधि तथा उसके विषयमें अनेक ज्ञातव्य विषयोंका वर्णन ... २७- व्रत, दान और श्राद्ध आदिके लिये तिथियोंका निर्णय. १२२
३९- सृष्टितत्त्वका वर्णन, जीवकी सत्ताका प्रतिपादन और आश्रमोंके आचारका निरूपण,
२८- विविध पापोंके प्रायश्चित्तका विधान तथा भगवान् विष्णुके आराधनकी महिमा.
१६९ ४० उत्तम लोक, अध्यात्मतत्त्व तथा ध्यानयोगका वर्णन. १७३
१२५
२९- यमलोकके मार्गमें पापियोंके कष्ट तथा पुण्यात्माओंके सुखका वर्णन एवं कल्पान्तरमें भी कर्मो के भोगका प्रतिपादन
१७७ ४१ - पञ्चशिखका राजा जनकको उपदेश ........ ४२- त्रिविध तापोंसे छूटनेका उपाय, भगवान् तथा वासुदेव आदि शब्दोंकी व्याख्या, परा और अपरा विद्याका निरूपण, खाण्डिक्य और केशिध्वजकी कथा, केशिध्वजद्वारा अविद्या बीजका प्रतिपादन १८२
१३०
३०- पापी जीवोंके स्थावर आदि योनियोंमें जन्म लेने और दुःख भोगनेकी अवस्थाका
1589
3917
४२ मुकिप्रद योगका वर्णन ४४- राजा भरतका मृगशरीरण आमलिके कारण मृग होना, फिर ज्ञानसम् ब्राह्मण होकर जड-वृत्तिसे रहना, जडभरत और सौवीरनरेशका संवाद १९२
योग
व्यासजीके पास आकर भागवतशास्त्र ४१७ पड़ना......
तृतीय पाद
५८- शैवदर्शनके अनुसार पति, पशु एवं पाश आदिका वर्णन तथा दीक्षाकी महत्ता
४२१
४५- जडभरत और सौवीरनरेशका संवाद- परमार्थका निरूपण तथा भुका निदानको अद्वैतज्ञानका उपदेश
१९७
४७ वेदके द्वितीय अङ्ग कल्पका वर्णन-- गणेश पूजन, ग्रहशान्ति तथा श्राद्धका
निरूपण.............
२१६
४८- व्याकरण-शास्त्रका वर्ण
२२५
१५४४९- निरुक्त-वर्णन २५५
7. १५०
५०- त्रिस्कन्ध ज्यौतिषके वर्णन प्रसङ्गमें गणित विषयका प्रतिपादन
२६२
५१- त्रिस्कन्ध ज्योतिषका जातकस्कन्ध ३०१
५२- त्रिस्कन्ध ज्यौतिषका संहिताप्रकरण (विविध उपयोगी विषयोंका वर्णन )..... ५३ - छन्दः शास्त्रका संक्षिप्त परिचय .......... ३९४
१६१
३३९
1५४- शुकदेवजीका मिथिलागमन, राजभवनमें युवतियोंद्वारा उनकी सेवा, राजा जनकके द्वारा शुकदेवजीका सत्कार और शुकदेवजीके साथ उनका मोक्षविषयक संवाद..
१६३
२६९ ५५- व्यासजीका शुकदेवको अनध्यायका कारण बताते हुए 'प्रवह' आदि सात ७३ वायुओंका परिचय देना तथा सनत्कुमारका शुकको ज्ञानोपदेश.
४११
५६ - शुकदेवजीको सनत्कुमारका उपदेश ४१५
५७- श्रीशुकदेवजीकी ऊर्ध्वगति, श्वेतद्वीप तथा वैकुण्ठधाममें जाकर शुकदेवजीके द्वारा भगवान् विष्णुकी स्तुति और भगवान्की आज्ञासे शुकदेवजीका
५९ मत्रके सम्बन्धमें अनेक ज्ञातव्य बातें, मन्त्रके विविध दोष तथा उत्तम आचार्य
एवं शिष्यके लक्षण, ६०- मन्त्र शोधन, दीक्षाविधि, पशदेवपूजा तथा जपपूर्वक इष्टदेव और
आत्मचिन्तनका विधान ६१- शौचाचार, स्नान, संध्या-तर्पण, पूजागृह में देवताओंका पूजन, केशव कीर्त्यादि मातृका-न्यास, श्रीकण्ठमातृका, गणेशमातृका, कला-मातृका आदि न्यासोंका वर्णन.
४३२
४३६
६२- देवपूजनकी विधि ६३- श्रीमहाविष्णु-सम्बन्धी अष्टाक्षर, द्वादशाक्षर आदि विविध मन्त्रकि अनुष्ठानकी विधि,
४४३
४५२
६४- भगवान् श्रीराम, सीता, लक्ष्मण, भरत तथा शत्रुघ्र सम्बन्धी विविध मन्त्रोंके अनुष्ठानकी संक्षिप्त विधि
.४५६
६५- विविध मन्त्रद्वारा श्रीहनुमान्जीकी उपासना, दीपदानविधि और भूतविद्रावण मन्त्रोंका वर्णन .४६४ कामनाशक
६६ - भगवान् श्रीकृष्ण-सम्बन्धी मन्त्रोंकी अनुष्ठान विधि तथा विविध प्रयोग..
४७४ ६७- श्रीकृष्ण सम्बन्धी विविध मन्त्रों तथा व्यास सम्बन्धी मन्त्रकी अनुष्ठानविधि...४९०
६८- श्रीनारदजीको भगवान् शङ्करसे प्राप्त हुए युगल-शरणागति-मन्त्र तथा राधाकृष्ण- युगलसहस्रनाम स्तोत्रका वर्णन..........
1930
फल बताना ब्रह्माजीका ६९- नारद-सनातन-संवाद, मरीचिको ब्रह्मपुराणकी अनुक्रमणिका तथा उसके पाठ श्रवण एवं दानका
1945
. ५४४ ८४- मत्स्यपुराणकी विषय-सूची तथा इस पुराणके पाठ, श्रवण और दानका माहात्म्य. ८५- गरुडपुराणकी विषय-सूची और पुराणके
25
1951
1952
स्वरूप विषयोंकी अनुक्रमणिका ५२३ ७१- विष्णुपुराणका और
-५५१ ५२६ ८८- बारह मासोंके द्वितीया-सम्बन्धी व्रतों और आवश्यक कृत्योंका निरूपण. • ५२८ १८९- बारह महीनोंके तृतीया-सम्बन्धी व्रतोंका
728 मा
परिचय... ५५२ ५२९ ९०- बारह महीनोंके चतुर्थी व्रतोंकी विधि
38 मा 1589
विषय
उसके पाठ, श्रवण तथा दानका
चतुर्थ पाद
माहात्म्य.
५२१
७० पद्मपुराणका लक्षण तथा उसमें वर्णित
पाठ, श्रवण और दानकी महिमा......... ८६- ब्रह्माण्डपुराणका परिचय, संक्षिप्त विषय-
विषयानुक्रमणिका..
५२४
सूची, पुराण- परम्परा, उसके पाठ, श्रवण एवं दानका फल. ५२५ ८७- बारह मासोंकी प्रतिपदाके व्रत एवं
७२- वायुपुराणका परिचय तथा उसके दान एवं श्रवण आदिका फल
५४६
७३- श्रीमद्भागवतका परिचय, माहात्म्य तथा दान जनित फल..
आवश्यक कृत्योंका वर्णन
. ५४८
७४- नारदपुराणकी विषय-सूची, इसके पाठ, श्रवण और दानका फल. ७५- मार्कण्डेयपुराणका परिचय तथा उसके
श्रवण एवं दानका माहात्म्य.
७६- अग्निपुराणकी अनुक्रमणिका तथा उसके पाठ, श्रवण एवं दानका फल.. ७७ भविष्यपुराणका परिचय तथा उसके
और उनका माहात्म्य. ५३० ९१- सभी मासोंकी पञ्चमी तिथियोंमें करनेयोग्य
व्रत-पूजन आदिका वर्णन ...................५५७. ९२- वर्षभरकी षष्ठी तिथियोंमें पालनीय व्रत एवं देवपूजन आदिकी विधि और
पाठ, श्रवण एवं दानका माहात्म्य ५३१ ७८ ब्रह्मवैवर्तपुराणका परिचय तथा उसके पाठ, श्रवण एवं दान आदिकी महिमा ५३२
महिमा. ९३- बारह मासोंके सप्तमी सम्बन्धी व्रत
७९- लिङ्गपुराणका परिचय तथा उसके पाठ, श्रवण एवं दानका फल ५३३
.५५९
८०- वाराहपुराणका लक्षण तथा उसके पाठ,
५६१
९४- बारह महीनोंकी अष्टमी-सम्बन्धी व्रतोंकी
श्रवण एवं दानका माहात्म्य.
. ५३४
विधि और महिमा . ५६४ ९५- नवमी सम्बन्धी व्रतोंकी विधि और
८१- स्कन्दपुराणकी विषयानुक्रमणिका, इस पुराणके पाठ, श्रवण एवं दानका
महिमा. ५६८ ९६- बारह महीनोंके दशमी सम्बन्धी व्रतोंकी विधि और महिमा.
माहात्म्य. ८२- वामनपुराणको विषय-सूची और उस पुराणके श्रवण, पठन एवं दानका माहात्म्य...
५३५
५७०
५४२
८३- कूर्मपुराणकी संक्षिप्त विषय सूची और
और उनके माहात्म्य.
९७- द्वादश मासके एकादशी व्रतोंकी विधि और महिमा तथा दशमी आदि तीन दिनोंके पालनीय विशेष नियम ५७२
१८- बारह महीनोंके द्वादशी-सम्बन्धी व्रतोंकी विधि और महिमा महाद्वादशियोंका निरूपण. तथा आठ
९९- त्रयोदशी-सम्बन्धी व्रतोंकी विधि और महिमा....... १०० - वर्षभरके चतुर्दशी व्रतोंकी विधि और महिमा.
१०१ - बारह महीनोंकी पूर्णिमा तथा अमावास्यासे सम्बन्ध रखनेवाले व्रतों तथा सत्कर्मोंकी विधि और महिमा.
५८७
१०२- सनकादि और नारदजीका प्रस्थान, नारदपुराणके माहात्म्यका वर्णन और पूर्वभागकी समाप्ति..
उत्तरभाग
१०३ - महर्षि वसिष्ठका मान्धाताको एकादशी- व्रतकी महिमा सुनाना १०४ - तिथिके विषयमें अनेक ज्ञातव्य बातें तथा विद्धा तिथिका निषेध
५९५
१०५- रुक्माङ्गदके राज्यमें एकादशी व्रतके प्रभावसे सबका वैकुण्ठ गमन, यमराज आदिका चिन्तित होना, नारदजीसे उनका वार्तालाप तथा ब्रह्म-लोक-गमन .
१०६ - यमराजके द्वारा ब्रह्माजीसे अपने कष्टका निवेदन और रुक्माङ्गदके प्रभावका वर्णन
६००
१०७- ब्रह्माजीके द्वारा यमराजको भगवान् तथा उनके भक्तोंकी श्रेष्ठता बताना..
६०२
१०८- यमराजकी इच्छा पूर्ति और भक्त रुक्माङ्गदका गौरव बढ़ानेके लिये ब्रह्माजीका अपने मनसे एक सुन्दरी नारीको प्रकट करना, नारीके प्रति वैराग्यकी भावना तथा उस सुन्दरी 'मोहिनी'का मन्दराचलपर जाकर मोहक संगीत गाना
६०२
१०९- रुक्माङ्गद धर्माङ्गद-संवाद, धर्माङ्गदका प्रजाजनोंको उपदेश और प्रजापालन तथा रुक्माङ्गदका रानी संध्यावलीसे वार्तालाप ६०५
११० - रानी संध्यावलीका पतिको मृगोंकी हिंसासे रोकना, राजाका वामदेवके आश्रमपर जाना तथा उनसे अपने पारिवारिक सुख आदिका कारण
६०८
पूछना १११ - वामदेवजीका पूर्वजन्ममें किये हुए "अशून्य शयन व्रत को राजाके वर्तमान सुखका कारण बताना, राजाका मन्दराचलपर जाकर मोहिनीके गीत तथा रूप-दर्शनसे मोहित होकर गिरना और मोहिनीद्वारा उन्हें आश्वासन प्राप्त होना
११२- राजाकी मोहिनीसे प्रणय-याचना, मोहिनीकी शर्त तथा राजाद्वारा उसकी स्वीकृति एवं विवाह तथा दोनोंका राजधानीकी ओर प्रस्थान
.६१२
११३- घोड़ेकी टापसे कुचली हुई छिपकलीकी राजाद्वारा सेवा, छिपकलीकी आत्मकथा, पतिपर वशीकरणका दुष्परिणाम, राजाके पुण्यदानसे उसका उद्धार.
११४- मोहिनीके साथ राजा रुक्माङ्गदका वैदिश नगरको प्रस्थान, राजकुमार धर्माङ्गदका स्वागतके लिये मार्गमें आगमन तथा पिता-पुत्र-संवाद.
६१७
११५ - धर्माङ्गदद्वारा मोहिनीका सत्कार तथा अपनी माताको मोहिनीकी सेवाके लिये एक पतिव्रता नारीका उपाख्यान सुनाना .. ६१९
११६ - संध्यावलीका मोहिनीको भोजन कराना और धर्माङ्गदके मातृभक्ति-पूर्णवचन...... ६२३
११७- धर्माङ्गदका माताओंसे पिता और
[१०]
(विषय
पृष्ठ-सं १२६- मोहिनीका संध्यावलीसे उसके पुत्रका मस्तक माँगना और संध्यावलीका उसे स्वीकार करते हुए विरोचनकी कथा
पृष्ठ संख्या
मोहिनीके प्रति उदार होनेका अनुरोध तथा पुत्रद्वारा माताओंका धन-वस्त्र
1930
६२४
१९८- राजाका अपने पुत्रको राज्य सौंपकर नीतिका उपदेश देना और धर्माङ्गदके
सुराज्यकी स्थिति ११९- धर्माङ्गदका दिग्विजय, उसका विवाह
आदिसे समादर
सुनाना १२७- रानी संध्यावलीका राजाको पुत्रवधके लिये उद्यत करना, राजाका मोहिनीसे अनुनय-विनय, मोहिनीका दुराग्रह तथा धर्माङ्गदका राजाको अपने वधके लिये प्रेरित करना..
६२७
तथा उसकी शासन व्यवस्था मोहिनीसे १२०- राजा रुक्माङ्गदका कार्तिकमासकी महिमा तथा चातुर्मास्यके
१२८- राजाको पुत्रवधके लिये उद्यत देख मोहिनीका मूर्छित होना और पत्नी, पुत्रसहित राजा रुक्माङ्गदका भगवान्के शरीरमें प्रवेश करना.
नियम, व्रत एवं उद्यापन बताना. ६२९
१२१ - राजा रुक्माङ्गदकी आज्ञासे रानी संध्यावलीका कार्तिकमासमें कृच्छ्रव्रत प्रारम्भ करना, धर्माङ्गदकी एकादशीके लिये घोषणा, मोहिनीका राजासे एकादशीको भोजन करनेका आग्रह और राजाकी अस्वीकृति ........ ६३२
१२९ - यमराजका ब्रह्माजीसे कष्ट निवेदन, वर देनेके लिये उद्यत देवताओंको स्वाद पुरोहितकी फटकार तथा मोहिनीका ब्राह्मणके शापसे भस्म होना
१२२- राजा रुक्माङ्गदद्वारा मोहिनीके आक्षेपोंका खण्डन, एकादशी व्रतकी वैदिकता, मोहिनी द्वारा गौतम आदि ब्राह्मणोंके समक्ष अपने पक्षकी स्थापना.
१३०- मोहिनीको दुर्दशा, ब्रह्माजी का राजपुरोहित के समीप जाकर उनको प्रसन्न करना, मोहिनीकी याचना
६३५ (१३१- मोहिनीको दशमौके अन्तभागमें स्थानकी प्राप्ति तथा उसे पुनः शरीरकी प्राप्ति १३२- मोहिनी वसु-संवाद- गङ्गाजीके
(१२३- राजाके द्वारा एकादशी के दिन भोजनविषयक मोहिनी तथा ब्राह्मणोंके वचनका खण्डन, मोहिनीका रुष्ट होकर राजाको त्यागकर जाना और धर्माङ्गदका एवं पितासे मोहिनी दी हुई वस्तु देनेका अनुरोध करना उसे लौटाकर लाना
माहात्म्यका वर्णन. १३३- गङ्गाजीके दर्शन, स्मरण तथा उनके
१३४- कालविशेष जलमें स्नान करनेका महत्त्व. और स्थलविशेषमें गङ्गास्नानकी महिमा......
६३७
१२४- राजा रुक्माङ्गदका एकादशीको भोजन न करनेका ही निश्चय. ६३९
१२५ संध्यावली मोहिनी-संवाद रानी संध्यावलीका मोहिनीको पतिकी इच्छा विपरीत चलनेमें दोष बताना
१३५- गङ्गाजीके तटपर किये जानेवाले स्नान, तर्पण, पूजन तथा विविध प्रकारके दानोंकी महिमा..
१३६- एक वर्षतक गङ्गार्चन व्रतका विधान और माहात्म्य, गङ्गातटपर नक्तव्रत
करके भगवान् शिवका पूजन, प्रत्येक मासकी पूर्णिमा और अमावास्याको शिवाराधन तथा गङ्गा-दशहराके पुण्य- कृत्य एवं उनका माहात्म्य .....
बलभद्र तथा सुभद्राके और भगवान्
नृसिंहके दर्शन-पूजन आदिका माहात्म्य ७०३ १४९- श्वेतमाधव, मत्स्यमाधव, कल्पवृक्ष और अष्टाक्षर मन्त्र, स्नान, तर्पण आदिकी महिमा.......
१३७- गयातीर्थकी महिमा. १३८- गयामें प्रथम और द्वितीय दिनके कृत्यका वर्णन, प्रेतशिला आदि तीर्थोंमें पिण्डदान आदिकी विधि और उन तीर्थोंकी महिमा.
६७४
१३९- गयामें तीसरे और चौथे दिनका कृत्य, ब्रह्मतीर्थ तथा विष्णुपद आदिकी महिमा..
• ६७९
- १४०- गयामें पाँचवें दिनका कृत्य, गयाके विभिन्न तीर्थोकी पृथक्-पृथक् महिमा... ६८२
१४१- अविमुक्त क्षेत्र- काशीपुरीकी महिमा... ६८६ १४२- काशीके तीर्थ एवं शिवलिङ्गोंके दर्शन-
पूजन आदिकी महिमा १४३- काशी- यात्राका काल, यात्राकालमें यात्रियोंके लिये आवश्यक कृत्य, अवान्तर तीर्थ और शिवलिङ्गों का वर्णन
१४४- काशीकी गङ्गाके वरणा-सङ्गम, असी- सङ्गम तथा पञ्चगङ्गा आदि तीर्थोका माहात्म्य....
१५० - भगवान् नारायणके पूजनकी विधि ७१० १५१ - समुद्र स्नानकी महिमा और श्रीकृष्ण-
बलराम आदिके दर्शन आदिकी महिमा तथा श्रीकृष्णसे जगत् सृष्टिका कथन एवं श्रीराधा-कृष्णके उत्कृष्ट स्वरूपका प्रतिपादन
७९३
१५२ - इन्द्रद्युम्न सरोवरमें स्नानको विधि, ज्येष्ठ मासको पूर्णिमाको श्रीकृष्ण, बलराम तथा सुभद्राके अभिषेकका उत्सव ७१५
१५३- अभिषेक-कालमें देवताओं द्वारा जगन्नाथजीकी स्तुति, गुण्डिचा - यात्राका माहात्म्य द्वादश यात्राकी प्रतिष्ठा-विधि तथा
७१७
१५४- प्रयाग-माहात्म्यके प्रसङ्गमें तीर्थयात्राकी सामान्य विधिका वर्णन.. १५५ - प्रयागमें माघ- मकरके स्नानकी महिमा
७२०
तथा वहाँके भिन्न-भिन्न तीर्थोका
६९४
माहात्म्य..
७२२
१४५ - उत्कलदेशके पुरुषोत्तम क्षेत्रकी महिमा, राजा इन्द्रद्युम्नका वहाँ जाकर मोक्ष प्राप्त करना
६९५
६९६
२४६ - राजा इन्द्रद्युम्नके द्वारा भगवान् श्रीकृष्णकी स्तुति ...
४७- राजाको स्वप्रमें और प्रत्यक्ष भी भगवान्के दर्शन तथा भगवत्प्रतिमाओंका निर्माण, वर-प्राप्ति और प्रतिष्ठा
४८- पुरुषोत्तमक्षेत्रकी यात्राका समय, मार्कण्डेयेश्वर शिव, वट-वृक्ष, श्रीकृष्ण,
१५६ - कुरुक्षेत्र-माहात्म्य.
७२६
१५७- कुरुक्षेत्रके वन, नदी और भिन्न-भिन्न तीर्थोंका माहात्म्य तथा यात्राविधिका क्रमिक वर्णन
७२७
१५८- गङ्गाद्वार (हरिद्वार) और वहाँके विभिन्न
तीर्थोंका माहात्म्य.. १५९ - बदरिकाश्रमके विभिन्न तीर्थोंकी महिमा ७३३
७३२
१६० - सिद्धनाथ-चरित्रसहित कामाक्षा माहात्म्य ७३६
१६१- प्रभासक्षेत्रका माहात्म्य तथा उसके अवान्तर तीर्थोंकी महिमा.
१६२ पुष्कर-माहात्म्य
१६३ - गौतमाश्रम- माहात्म्यमें प्राकट्यका तथा पञ्चवटीके माहात्म्यका वर्णन
गोदावरीके
१६९- अवन्ती- महाकालवनके
महिमा.
१७० - मथुराके भिन्न-भिन्न तीर्थोंका माहात्म्य..... १७१ - वृन्दावन क्षेत्रके विभिन्न तीर्थोके सेवनका
७४२
१६४- पुण्डरीकपुरका माहात्म्य, जैमिनिद्वारा
भगवान् शङ्करकी स्तुति ...
७४३
१६५ - परशुरामजीके द्वारा गोकर्णक्षेत्रका उद्धार
तथा उसका माहात्म्य......
७४९
१६६- श्रीराम-लक्ष्मणका संक्षिप्त चरित्र तथा
माहात्म्य.
१७२- पुरोहित वसुका भगवत्कृपासे वृन्दावन- वास, देवर्षि नारदके द्वारा शिव- सुरभि-संवादके रूपमें भावी श्रीकृष्णचरितका वर्णन
१७३- मोहिनीका सब यमुनामें प्रवेशपूर्वक दशमीके अन्तभागमें स्थित होना तथा नारदपुराणके पाठ एवं श्रवणकी महिमा तीर्थोंमें घूमकर
लक्ष्मणाचलका माहात्म्य
७५१
१६७ - सेतु क्षेत्रके विभिन्न तीर्थोंकी महिमा १६८- नर्मदाके तीर्थोंका दिग्दर्शन तथा उनका
७५५
माहात्म्य.
७५६
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