वरदानी सास हिंदी कहानी अपनों की बात चैप्टर 2 (Hindi kahani vardani saas)

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वरदानी सास हिंदी कहानी 

Hindi kahani vardani saas. apno ki baat chapter -2




वरदानी सास हिंदी कहानी अपनों की बात चैप्टर -2  ( Hindi kahani vardani saas)



गुप्त कुमार को लेखक बनने मुंबई जाना था कि इसी बीच भाबी जी ने आत्म दाह कर लिया..सपने तो टूटे ही अब तो हड्डियां भी टूटने वाली थी क्यूंकि भाबी की माँ ने केस जो कर दिया था. गुप्त कुमार परेशान था क्या करे क्या ना करे? लेकिन जिस गुस्से से भाबी की माँ का आगमन घर पर  हुआ उससे तो लगा था अब तो सभी जेल जायेंगे. फिर अचानक भाबी की माँ का ध्यान उनकी दो छोटी-छोटी नावासी बच्चियों पर गया. और फिर उन्होंने ठंढे दिमाग से सोचा यदि सबको जेल भेज दिया तो इन दोनों बच्चियों की जिम्मेदारी कौन लेगा ? ये तो अपने ऊपर ही आ जायेगी. लिहाज़ा भाबी की माँ ने केस को वापस ले लिया. लेकिन उनको मुझसे अधिक गुस्सा था. क्यूंकि मैं उनसे बात नहीं करता था. इसके पीछे सबसे बड़ा कारण ये था कि वो भी मदिरा  का सेवन करके ही हमारे यहाँ आती थी. 


एक तरह से मेरे भैया को एक वरदानी सास ही मिली थी. भैया जब ससुराली में होते तो सास के साथ अवश्य पीने बैठ जाते. ससुरा भी पीने वाला था. जोड़ी अच्छी मिलती थी.  लेकिन जब भी वो नशे में  झूमती हुई हमारे यहाँ आती मुझे अच्छा नहीं लगता. मै घर से तुरंत ही रफूचक्कर हो जाता और घर तभी आता जब वो जा चुकी होती..भैया तो अपनी वरदानी सास को कुछ बोल नहीं सकते थे इसीलिए घर आकर मैं भाबी से इसी बात पर झगड़ बैठता कि उसकी माता जी हमारे घर पीकर क्यूँ आती हैं ? कई बार इसकी जानकारी भाबी की माँ को भी हो जाती. और जब वो पुन: घर पर पधारती तो गुस्से से मुझे ढूंढती बोलती "कहाँ गया देवरवा इसका? बहुत लड़ता है मेरी बिटिया से. बुलाओ उसको फैसला करना है आज." जब उनका पारा चढ़ जाता तो मेरे मासूम माँ -पिता फ़ौरन समधन को शांत कराने लगते. माँ -पिताजी को रिश्ता करते वक़्त पहले पता नहीं था कि उनकी समधन भी पीती हैं. जिस प्रकार पिताजी ने अपने बेटे यानि मंझले भैया के शराबी होने के राज़ को छिपाकर उनका विवाह कर दिया था उसी प्रकार लड़की वाले ने भी ये रज छिपा लिया कि बहु की माँ खाती पीती है. हा हा हा हा. 


खैर जब भाबी कि माँ बिना केस किये लौट गयी तो गुप्त कुमार के जान में जान आ गयी. सोचा किसी तरह यहाँ से जल्दी निकल लूं वरना फिर से भाभी की माँ का दिमाग घुमा या किसी ने बहका दिया तो वो शराबन फिर से केस ओपन कर सकती है और मैं तो उनकी आखों का कांटा था ही. इसलिए मुझे भय था कहीं वो दुबारा अपना मन ना बदल दे. लिहाज़ा मैं जल्दी से मुंबई  जाने की तैयारी में लग  गया. लेकिन इसमें थोडा वक़्त लग गया.  किन्तु फिर इसी बीच जाने कहाँ से भैया के लिए फिर से विवाह का दूसरा रिश्ता भी आ गया. वाह रे भाग्य. लेकिन वास्तव में घर में समस्या तो थी क्यूंकि भैया की दो दो बच्ची थी उन्हें कैसे और कौन संभालता? हालांकि मैं भैया के पुन: विवाह करवाने के पक्ष में नहीं था और बार बार माँ पिताजी से बहस करता था. 


लेकिन माँ बाप को लग रहा था इस बार इतना बड़ा गच्चा खाने के बाद बेटा शराब पीना छोड़ देगा और दूसरी शादी के बाद सुधर जाएगा और अपने घर संसार में ध्यान देगा. दूसरी होने वाली भाभी के परिवार वाले भी अति गरीब थे उनकी पांच बेटियाँ थी इसलिए उन्हें इस रिश्ते के लिए कोई आपत्ति नहीं थी. लेकिन मैं बार बार इसका विरोध कर रहा था. क्यूंकि अभी तक मेरा यानि गुप्त कुमार मुंबई नहीं जा सका था और सोच रहा था कहीं इस बार भी भैया के कारण फंस ना जाए क्यूंकि बहुत मुश्किल से जान बची थी. मुंबई आने के लिए अभी तक पैसों कि व्यवस्था हो नहीं पाई थी इसी बीच भैया की पुन: शादी दूसरी लड़की से हो गयी  जो गुप्त कुमार कि दूसरी भाबी बन गयी...लेकिन यहाँ भी अभी बहुत कुछ होने वाला था जिससे अब तक गुप्त कुमार अनजान था. वैसे भी वरदानी सास को अभी पता ही कहाँ चला था कि उसका  दामाद दूसरी शादी कर रहा. अभी उनका रिएक्शन आना भी बाकी था. सो तीसरे अध्याय में मैं आपको बताता हूँ.  

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