श्रीमद्भागवतमाहातय
श्रीमदभागवत महापुराण कहानी सूची खंड - 1
वेद व्यास रचित हिंदी भागवत पुराण
Bhagwat Puran hindi stories part-1
१- देवर्षि नारदकी भक्तिसे भेंट
२- भक्तिका दुःख दूर करनेके लिये नारदजीका उद्योला.
३- भक्तिके कष्ट निवृत्ति,
४- गोकर्णोपाख्यान प्रारम्भ
५- धुन्धुकारीको प्रेतयोनिकी प्राप्ति और उससे
६- सप्ताहयज्ञको विधि,
प्रथम स्कन्ध
१- श्रीसूतजीसे शौनकादि ऋषियोंका प्रश्न,
२- भगवत्कथा और भगवद्भक्तिका माहात्म्य
३- भगवान्के अवतारोंका वर्णन.
४- महर्षि व्यासका असंतोष,
५- भगवान्के यश-कीर्तनकी महिमा और देवर्षि नारदजीका पूर्वचरित्र,
६- नारदजीके पूर्वचरित्रका शेष भाग.
७- अश्वत्थामाद्वारा द्रौपदीके पुत्रोंका मारा जाना और अर्जुनके द्वारा अश्वत्थामाका मानमर्दन
८- गर्भमें परीक्षित्की रक्षा, कुन्तीके द्वारा भगवान्की स्तुति और युधिष्ठिरका शोक
९- युधिष्ठिरादिका भीष्मजीके पास जाना और भगवान्श्री कृष्णकी स्तुति करते हुए भीष्मजीका प्राणत्याग करना
१०- श्रीकृष्णका द्वारका-गमन
११- द्वारकामें श्रीकृष्णका राजोचित स्वागत
१२- परीक्षित्का जन्म.
१३- विदुरजीके उपदेशसे धृतराष्ट्र और गान्धारीका वनमें जाना १४- अपशकुन देखकर महाराज युधिष्ठिरका शंका करना और अर्जुनका द्वारकासे लौटना.
१५- कृष्णविरहव्यथित पाण्डवोंका परीक्षित्को राज्य देकर स्वर्ग सिधारना
१६- परीक्षित्की दिग्विजय तथा धर्म और पृथ्वीका संवाद
१७- महाराज परीक्षित्द्वारा कलियुगका दमन.
१८- राजा परीक्षितको श्रृंगी ऋषिका शाप.
१९- परीक्षितका अनशनव्रत और शुकदेवजीका आगमन...
५- सृष्टि-वर्णन.
द्वितीय स्कन्ध
१- ध्यान-विधि और भगवान्के विराट्स्वरूपका वर्णन..
२- भगवान् के स्थूल और सूक्ष्म रूपोंकी धारणा तथा क्रममुक्ति और सद्योमुक्तिका वर्णन.
३- कामनाओंके अनुसार विभिन्न देवताओंकी उपासना तथा भगवद्भक्तिके प्राधान्यका निरूपण.
४- राजाका सृष्टिविषयक प्रश्न और शुकदेवजीका कथारम्भ
६- विराट्स्वरूपकी विभूतियोंका वर्णन
७- भगवान्के लीलावतारोंकी कथा
८- राजा परीक्षितके विविध प्रश्न.
९- ब्रह्माजीका भगवद्धामदर्शन और भगवान्के द्वारा उन्हें
चतुःश्लोकी भागवतका उपदेश.
१०- भागवतके दस लक्षण
तृतीय स्कन्ध
१- उद्भव और विदुरकी भेंट
२- उद्धवजीद्वारा भगवान्की बाललीलाओंका वर्णन
३- भगवान्के अन्य लीला-चरित्रोंका वर्णन...
४- उद्धवजीसे विदा होकर विदुरजीका मैत्रेय ऋषिके पास जाना..
५- विदुरजीका प्रश्न और मैत्रेयजीका सृष्टिक्रमवर्णन ..
६- विराट् शरीरकी उत्पत्ति,
७- विदुरजीके प्रश्न.
८- ब्रह्माजीकी उत्पत्ति.
९- ब्रह्माजीद्वारा भगवान्को स्तुति.
१०- दस प्रकारको सृष्टिका वर्णन. ११- मन्वन्तरादि कालविभागका वर्णन.
१२- सृष्टिका विस्तार.
१३- वाराह अवतारकी कथा.
१४- दितिका गर्भधारण.
१५- जय-विजयको सनकादिका शाप.
१६- जय-विजयका वैकुण्ठसे पतन.
१७- हिरण्यकशिपु और हिरण्याक्षका जन्म तथा हिरण्याक्षकी दिग्विजय
१८- हिरण्याक्षके साथ वराहभगवान्का युद्ध
१९- हिरण्याक्षवध..
२०- ब्रह्माजीकी रची हुई अनेक प्रकारकी सृष्टिका वर्णन
२१- कर्दमजीकी तपस्या और भगवान्का वरदान..
२२- देवहूतिके साथ कर्दम प्रजापतिका विवाह
२३- कर्दम और देवहूतिका विहार
२४- श्रीकपिलदेवजीका जन्म.. २५- देवहूतिका प्रश्न तथा भगवान् कपिलद्वारा भक्तियोगकी महिमाका वर्णन....
२६- महदादि भिन्न-भिन्न तत्त्वोंकी उत्पत्तिका वर्णन..
२७- प्रकृति-पुरुषके विवेकसे मोक्ष-प्राप्तिका वर्णन
२८- अष्टांगयोगकी विधि.
२९- भक्तिका मर्म और कालकी महिमा.
३०- देह-गेहमें आसक्त पुरुषोंकी अधोगतिका वर्णन
३१ - मनुष्ययोनिको प्राप्त हुए जीवकी गतिका वर्णन..
३२- धूममार्ग और अर्चिरादि मार्गसे जानेवालोंकी गतिका और भक्तियोगकी उत्कृष्टताका वर्णन.
३३- देवहूतिको तत्त्वज्ञान एवं मोक्षपदकी प्राप्ति....
चतुर्थ स्कन्ध
१- स्वायम्भुव मनुकी कन्याओंके वंशका वर्णन
२- भगवान् शिव और दक्ष प्रजापतिका मनोमालिन्य
३- सतीका पिताके यहाँ यज्ञोत्सवमें जानेके लिये आग्रह करना
४- सतीका अग्निप्रवेश..
५- वीरभद्रकृत दक्षयज्ञविध्वंस और दक्षवध.
६- ब्रह्मादि देवताओंका कैलास जाकर श्रीमहादेवजीको मनाना ......
७- दक्षयज्ञकी पूर्ति
८- का वन गमन
९- ध्रुवकावर पाकर घर लौटना
१०- उत्तमका मारा जाना, ध्रुवका यक्षोंके साथ युद्ध.........
११- स्वायम्भुव मनुका ध्रुवजीको युद्ध बंद करनेके लिये समझाना
१२- ध्रुवजीको कुबेरका वरदान और विष्णुलोककी प्राप्ति,
१३- ध्रुववंशका वर्णन, राजा अंगका चरित्र,
१४- राजा वेनकी कथा.
१५- महाराज पृथुका आविर्भाव और राज्याभिषेक. १६- बंदीजनद्वारा महाराज पृथुकी स्तुति
१७- महाराज पृथुका पृथ्वीपर कुपित होना और पृथ्वीके द्वारा उनकी स्तुति करना
१८- पृथ्वी दोहन...
१९- महाराज पृथुके सौ अश्वमेधयज्ञ
२०- महाराज पृथुकी यज्ञशालामें श्रीविष्णुभगवान्का प्रादुर्भाव
२१- महाराज पृथुका अपनी प्रजाको उपदेश..
२२- महाराज पृथुको सनकादिका उपदेश
२३- राजा पृथुकी तपस्या और परलोकगमन..
२४- पृथुकी वंशपरम्परा और प्रचेताओंको भगवान् रुद्रका उपदेश.. दक्षयज्ञका पूर्ति
२५- पुरंजनोपाख्यानका प्रारम्भ.
२६- राजा पुरंजनका शिकार खेलने वनमें जाना और रानीका कुपित होना..
२७- पुरंजनपुरीपर चण्डवेगकी चढ़ाई तथा कालकन्याका चरित्र..
२८- पुरंजनको स्त्रीयोनिकी प्राप्ति और अविज्ञातके उपदेशसे उसका मुक्त होना .
२९- पुरंजनोपाख्यानका तात्पर्य .
३०- प्रचेताओंको श्रीविष्णुभगवान्का वरदान
३१- प्रचेताओंको श्रीनारदजीका उपदेश और उनका परमपद- लाभ.
पंचम स्कन्ध
१- प्रियव्रत चरित्र.
२- आग्नीध्र-चरित्र.
३- राजा नाभिका चरित्र.
४- ऋषभदेवजीका राज्यशासन
५- ऋषभजीका अपने पुत्रोंको उपदेश देना और स्वयं अवधूतवृत्ति ग्रहण करना..
६- ऋषभदेवजीका देहत्याग
७- भरत चरित्र,
८- भरतजीका मृगके मोहमें फँसकर मृगयोनिमें जन्म लेना.
९- भरतजीका ब्राह्मणकुलमें जन्म
१०- जडभरत और राजा रहूगणकी भेंट..
११- राजा रहूगणको भरतजीका उपदेश
१२- रहूगणका प्रश्न और भरतजीका समाधान
१३- भवाटवीका वर्णन और रहूगणका संशयनाश.............
१४- भवाटवीका स्पष्टीकरण.
१५- भरतके वंशका वर्णन.
१६- भुवनकोशका वर्णन
१७- गंगाजीका विवरण और भगवान् शंकरकृत संकर्षणदेवकी स्तुति
१८- भिन्न-भिन्न वर्षोंका वर्णन.
१९- किम्पुरुष और भारतवर्षका वर्णन
२०- अन्य छः द्वीपों तथा लोकालोकपर्वतका वर्णन .......
२१- सूर्यके रथ और उसकी गतिका वर्णन
२२- भिन्न-भिन्न ग्रहोंकी स्थिति और गतिका वर्णन
२३- शिशुमारचक्रका वर्णन ......
२४- राहु आदिकी स्थिति, अतलादि नीचेके लोकोंका वर्णन
२५- श्रीसंकर्षणदेवका विवरण और स्तुति
२६- नरकोंकी विभिन्न गतियोंका वर्णन
१- अजामिलोपाख्यानका प्रारम्भ
२- विष्णुदूतोंद्वारा भागवतधर्म-निरूपण और अजामिलका परमधामगमन.
३- यम और यमदूतोंका संवाद..
४- दक्षके द्वारा भगवान्की स्तुति और भगवान्का प्रादुर्भाव
५- श्रीनारदजीके उपदेशसे दक्षपुत्रोंकी विरक्ति तथा नारदजीको दक्षका शाप....
६- दक्षप्रजापतिकी साठ कन्याओंके वंशका विवरण. ७- बृहस्पतिके द्वारा देवताओंका त्याग और विश्वरूपका देवगुरुके रूपमें वरण..
८- नारायणकवचका उपदेश
९- विश्वरूपका वध, वृत्रासुरद्वारा देवताओंकी हार और भगवान्की प्रेरणासे देवताओंका दधीचि ऋषिके पास जाना........
१०- देवताओंद्वारा दधीचि ऋषिकी अस्थियोंसे वज्र-निर्माण और वृत्रासुरकी सेनापर आक्रमण.
११- वृत्रासुरकी वीरवाणी और भगवत्प्राप्ति. १२- वृत्रासुरका वध.....
१३- इन्द्रपर ब्रह्महत्याका आक्रमण
१४- वृत्रासुरका पूर्वचरित्र.
१५ चित्रकेतुको अंगिरा और नारदजीका उपदेश,
१६- चित्रकेतुका वैराग्य तथा संकर्षणदेव के दर्शन, १७- चित्रकेतुको पार्वतीजीका शाप
१८- अदिति और दितिकी संतानोंकी तथा मरुद्गणोंकी उत्पत्तिका वर्णन,
१९- पुंसवन विधि
सप्तम स्कन्ध
१- नारद- युधिष्ठिर संवाद और जय-विजयकी कथा......
२- हिरण्याक्षका वध होनेपर हिरण्यकशिपुका अपनी माता और कुटुम्बियों को समझाना
३- हिरण्यकशिपुकी तपस्या और वरप्राप्ति
४- हिरण्यकशिपुके अत्याचार और प्रह्लादके गुणोंका वर्णन
५- हिरण्यकशिपुके द्वारा प्रह्लादजीके वधका प्रयत्न
६- प्रह्लादजीका असुर-बालकोंको उपदेश
७- प्रह्लादजीद्वारा माताके गर्भ में प्राप्त हुए नारदजीके उपदेशका वर्णन.
८- नृसिंहभगवान्का प्रादुर्भाव, हिरण्यकशिपुका वध एवं ब्रह्मादि देवताओंद्वारा भगवान्की स्तुति.
९- प्रह्लादजीके द्वारा नृसिंहभगवान्की स्तुति ..
१०- प्रह्लादजीके राज्याभिषेक और त्रिपुरदहनकी कथा.......
११- मानवधर्म, वर्णधर्म और स्त्रीधर्मका निरूपण.
१२- ब्रह्मचर्य और वानप्रस्थ आश्रमोंके नियम.
१३- यतिधर्मका निरूपण और अवधूत-प्रह्लाद-संवाद..
१४- गृहस्थसम्बन्धी सदाचार.....
१५- गृहस्थोंके लिये मोक्षधर्मका वर्णन.
अष्टम स्कन्ध
१- मन्वन्तरोंका वर्णन.
२- ग्राहके द्वारा गजेन्द्रका पकड़ा जाना.
३- गजेन्द्रके द्वारा भगवान्की स्तुति और उसका संकटसे मुक्त होना......
४- गज और ग्राहका पूर्वचरित्र तथा उनका उद्धार.....
५- देवताओंका ब्रह्माजीके पास जाना और ब्रह्माकृत भगवान्की स्तुति
६- देवताओं और दैत्योंका मिलकर समुद्रमन्थनके लिये उद्योग करना...
७- समुद्रमन्थनका आरम्भ और भगवान् शंकरका विषपान समुद्रसे अमृतका प्रकट होना और भगवान्का मोहिनी-
८- अवतार ग्रहण करना.
९- मोहिनीरूपसे भगवान्के द्वारा अमृत बाँटा जाना ....
१०- देवासुर संग्राम.
११- देवासुर संग्रामकी समाप्ति.
१२- मोहिनीरूपको देखकर महादेवजीका मोहित होना....
१३- आगामी सात मन्वन्तरोंका वर्णन ........
१४- मनु आदिके पृथक्-पृथक् कर्मोंका निरूपण.
१५- राजा बलिकी स्वर्गपर विजय
१६- कश्यपजीके द्वारा अदितिको पयोव्रतका उपदेश.
१७- भगवान्का प्रकट होकर अदितिको वर देना.
१८- वामनभगवान्का प्रकट होकर राजा बलिकी यज्ञशाला में पधारना
१९- भगवान् वामनका बलिसे तीन पग पृथ्वी माँगना, बलिका वचन देना और शुक्राचार्यजीका उन्हें रोकना .
२०- भगवान् वामनजीका विराट्रूप होकर दो ही पगसे पृथ्वी और स्वर्गको नाप लेना.
२१- बलिका बाँधा जाना
२२- बलिके द्वारा भगवान्की स्तुति और भगवान्का उसपर प्रसन्न होना.
२३- बलिका बन्धनसे छूटकर सुतललोकको जाना.
२४- भगवान्के मत्स्यावतारकी कथा..
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