भविष्य पुराण में क्या-क्या कथा कहानी लिखी है जानीये ? Bhavishya Puran ki Stories in hindi

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भविष्य पुराण 


 Bhavishya Puran kya hai ? Bhavishya puran in hindi stories chapters

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भविष्य पुराण में क्या-क्या कथा कहानी लिखी  है ?  Bhavishya Puran ki Stories in hindi



१. युगों की संख्या व धर्म और चारों वर्णों की उत्पत्ति व संस्कार


२. यज्ञोपवितादि संस्कारों की विधि और भोजन विधि व निषेध


३. वेद व विद्याध्ययन विधि और गायत्री महात्म्य


४. स्त्री के सर्वांगों का लक्षण


५. धन सम्पादन करने की आवश्यकता का कथन, तुल्य कुल में सम्बन्ध करने की प्रशंसा


६. चारों वर्णों के विवाह व उनसे उत्पन्न हुए पुत्रों के लक्षण ७. उत्तम देश में रहने व गृह बनाने का विचार व स्त्रियों के आचरण का कथन


८. शास्त्र व परम्परा के धर्म व आचरण की आवश्यकता


९. पतिव्रता का आचरण


१०. गृहस्थ का व्यवहार


११. गृहस्थ की स्त्री के आचरण


१२. प्रोषित पति का आचरण और छोटी बड़ी सपत्नियों का परस्पर व्यवहार


१३. दुर्भगा को योग्य आचरण का उपदेश जिससे पति अनुकूल हो जाय


१४. तिथियों के व्रत की विधि, प्रतिपदा व्रत का महात्म्य


१५. ब्रह्माजी का पूजन व मंदिर बनाने व दुग्धादि द्रव्यों से स्नान कराने का फल १६. ब्रह्माजी की रथयात्रा का विधान, कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा की प्रशंसा


१७. द्वितीया कल्पारम्भ, च्यवन मुनि की कथा, पुष्प द्वितीया व्रत की विधि


१८. फलद्वितीया का व्रत विधान और कल्प की समाप्ति


१९. तृतीया कल्पारम्भ, गौरी तृतीया व्रत-विधान और उसका फल २०. चतुर्थी व्रत विधि, गणेशजी का वृतान्त और शिव-ब्रह्मा विवाद का वर्णन


२१. गणपति के विघ्नराज होने का कारण और उपद्रुत पुरुष-लक्षण


२२. पुरुषों के लक्षण (१)


२३. पुरुषों के लक्षण (२) 


२४. पुरुषों के लक्षण (३)


२५. राजा के लक्षण


२६. स्त्रियों के लक्षण


२७. गणपति की आराधना का विधान, मंत्रों के अनेक प्रयोग


२८. तीन प्रकार की चतुर्थी का फल और व्रत का विधान, चतुर्थी कल्प समाप्ति 

२९. पंचमी कल्प का प्रारम्भ, नागों को माता से शाप होने की कथा, नागपंचमी का विधान और व्रत का फल


३०. सर्पों की उत्पत्ति व शरीर, दाढ़ और अवस्था तथा काटने के कारण व काटे हुए दंश के लक्षण


३१. काल सर्प से इसे हुए पुरुष व दूत के लक्षण, नागों का उदय, सर्प काटने की तिथि व नक्षत्र का विचार


भविष्य पुराण 


३२. विष के फैलने से सात वेग और सात धातुओं में प्राप्त हुए  विष के अलग-अगल लक्षण व चिकित्सा ३३. सर्पों की भिन्न-भिन्न जातियाँ उनके काटे हुए लक्षण और नागपंचमी पूजनफल व विधान 


३४. पष्ठीकल्प का प्रारम्भ, पुष्प षष्ठी का विधान और फल, स्कंद की प्रशंसा


 ३५. जाति भेद का खण्डन (१)


 ३६. जाति भेद का खण्डन (२)


 ३७. जाति भेद का खण्डन (३)


 ३८. जाति भेद का खण्डन (४)


 ३९. चारों वर्णों के लक्षण और उनमें भेद होने के कारण ४०. भाद्रपष्ठी का महात्म्य, स्कंद के दर्शन और पूजन आदि का फल


 ४१. सप्तमी कल्पारम्भ, सूर्य भगवान की उत्पत्ति, उनकी स्त्री संज्ञा और छाया की कथा व सप्तमी व्रत का विधान


 ४२. श्री कृष्ण व साम्ब का संवाद व सूर्य नारायण की आराधना


 ४३. सूर्य नारायण के नित्यार्चन का विधान


 ४४, नैमित्तिकार्चन और व्रत के उद्यापन का विधान व व्रत का फल


 ४५. माघ आदि व ज्येष्ठ आदि और आश्विन आदि चार-चार महीनों में


 सूर्य पूजन-विधान रथ सप्तमी का फल


 ४६. सूर्य भगवान के रथ का वर्णन


 ४७. रथ के साथ वाले देवताओं का कथन व गमन का वर्णन और उदयास्त का भेद


 ४८. सूर्य भगवान के गुण व ऋतुओं में इनके अलग-अलग वर्ण व वर्णों का फल


 ४९. सूर्य नारायण के अभिषेक का वर्णन, रथ यात्रा के प्रथम दिन का कृत्य


 ५०. रथ के अंगों का वर्णन व नगर के चार द्वारों पर ले जाने का विधान


 ५१. रथ के अंग-भंग होने का दुष्ट फल, उसकी शांति और ग्रहशांति


 ५२. सब देवताओं की बलि द्रव्य का कथन


 ५३. रथ यात्रा का फल


 ५४. रथ सप्तमी के व्रत का विधान व फल और उद्यापन विधि


 ५५. राजा शतानीक द्वारा की हुई सूर्य प्रशंसा ५६. ऋषियों के प्रति ब्रह्माजी का उपदेश देना


 ५७. तंडी नामक गण के प्रति सूर्य नारायण का उपदेश करना ५८. तंडी के प्रति ब्रह्माजी का दिया उपदेश


 ५९. उपवास की विधि व पूजन का फल व फलसप्तमी व्रत का विधान ६०. व्रत के दिन त्याज्य पदार्थ और रहस्य सप्तमी का फल


 ६१. शंख और द्विज का संवाद; वशिष्ठ और साम्ब का संवाद;


 याज्ञवल्क्य और ब्रह्माजी का संवाद ६२. सूर्य भगवान का परब्रह्म रूप से वर्णन


 ६३. अनेक पुष्प चढ़ाने का पृथक् पृथक फल और दीप आदि का फल


 ६४. शुभ स्वप्नों का फल


 ६५. सप्तमी व्रत के उद्यापन का विधान और फल


 भविष्य पुराण 


६६. सूर्य नारायण का स्तोत्र और उसका फल


६७. सूर्य के स्थानों का कथन, साम्य के प्रति दुर्वासा मुनि का शाप


६८. अपनी रानियों को और अपने पुत्र साम्ब को श्री कृष्णचन्द्र का शाप


६९. सूर्य नारायण की द्वादश मूर्तियों का वर्णन


७०. नारदजी के प्रति साम्ब का प्रश्न


७१. नारद का कहा हुआ सूर्य नारायण का प्रभाव


७२. नारदकृत प्रकृति पुरुष वर्णन


७३. सूर्य भगवान की उत्पत्ति व किरणों का वर्णन और सर्वव्यापकत्व कथन ७४. सूर्य नारायण की दो भार्या और उनकी सन्तानों का वर्णन


७५. सूर्य को प्रणाम, प्रदक्षिणादि करने का फल और अर्वावसु ब्राह्मण का इतिहास


७६. बारह प्रकार के आदित्यवारों का कथन व कल्प ७७. वैश्य व ब्राह्मण की कथा और सूर्य मन्दिर में पुराण बाँचने का फल


७८. तिथि स्वामी और नक्षत्र स्वामियों के पूजन का फल ७९. सूर्य नारायण की उपासना की आवश्यकता


८०. फाल्गुन शुक्ल सप्तमी के उपवास का विधान ८१. सप्तमी व्रत के उद्यापन का विधान और फल


८२. सूर्य मन्दिर बनवाने का फल, सूर्य भक्तों का प्रभाव ८३. कौशल्या और गोमती की कथा, पूजा के योग्य पुष्पों का कथन


८४. राजा सत्राजित की कथा और क्रमव्रत का विधान ८५. भोजक की उत्पत्ति और उसके लक्षण


८६. भद्र नामक ब्राह्मण की कथा, सूर्य के मंदिर में दीपदान का फल


८७. यमदूत और नरकीय जीवों का संवाद, मंदिर से दीपक हरने का दोष


८८. वैवस्वत के लक्षण और सूर्य नारायण की महिमा ८९. सूर्य नारायण के उत्तम रूप बनाने की कथा और उनकी स्तुति


९०. सूर्य नारायण की स्तुति और उनके परिवार के देवताओं का वर्णन


९१. सूर्य नारायण के आयुध व्योम का लक्षण, ग्रह और लोकों का वर्णन


९२. मेरु पर्वत का वर्णन


९३. साम्बकृत सूर्य नारायण की आराधना और स्तुति


९४. सूर्य नारायण का एकविशतिनामात्मस्तोत्र ९५. चन्द्रभागा नदी से साम्ब को सूर्य नारायण की प्रतिमा प्राप्त होने का वृतान्त


९६. सूर्य नारायण का सर्वदेवमयत्व प्रतिपादन ९७. नारदजी की आज्ञा से साम्ब का गौरमुख के समीप गमन,


देवलक की निन्दा, मगों की उत्पत्ति, शाकद्वीप से मगों का लाना


९८. मगों के ज्ञान का वर्णन और उनके विवाहों का वर्णन


९९. मगों के विवाह और सन्तान का वर्णन


१००. अव्यंग का लक्षण और महात्म्य


१०१. श्रीकृष्णजी के प्रति व्यासजी का कहा मग ज्ञानयोग का वर्णन १०२. आदित्य हृदय स्तोत्र


१०३. आगे होने वाले राजाओं का वर्णन और उनके राज्य का समय


भविष्य पुराण 


भविष्य पुराण- उत्तरार्द्ध


 १०४. सृष्टि को उत्पत्ति और भूगोल का वर्णन


 १०५. नारदजी को विष्णु माया का दिखाना 


१०६. संसार के दोषों का वर्णन महापातक, पातक आदि का वर्णन


 १०८ शुभाशुभ कर्मों के फल और नरकों का वर्णन


 १०९. सकट व्रत का महालय 


११० किलक प्रत का विधान और महात्म्य


 १११. अशोक व्रत का महात्म्य और विधान


 ११२ भद्रवत का फल और विधान, यम द्वितीया का विधान


 ११२. अवियोग तृतीया व्रत का विधान और फल 


११३. उमा महेअर व्रत का विधान और फल


 ११४ सौभाग्य शयन व्रत का विधान और फल


 ११५. अक्षय तृतीया का फल और विधान


 ११६. अंगारक चतुर्थी का विधान और फल


११५ गणपति से उपदुत पुरुष के लक्षण और गणपति के अभिषेक का विधान


 ११८. विघ्न विनायक चतुर्थी का विधान और फल 


११९. नाग पंचमी के व्रत का विधान और फल


 १२० श्री पंचमी के व्रत का विधान और फल


 १२१. अचला सप्तमी के स्नान का महात्म्य और विधान


 १२२. बुधाष्टमी का विधान और फल


 २३. श्री कृष्ण जन्माष्टमी का विधान और फल


 १२४. दुर्वाष्टमी का विधान और फल


 १२५. प्रति मास की कृष्णाष्टमी का विधान और फल


 १२६. दत्तात्रेय और कार्तवीर्य को कथा अनघाष्टमी का विधान और फल


 १२७ सोमाष्टमी और अष्टमी का विधान और फल


 १२८. श्रीवृक्ष नवमी का विधान और फल


 १२९. ध्वज नवमी का विधान और फल, नवदुर्गा स्तोत्र


 १३०. दशावतार व्रत का विधान और फल


 १३१. तारक द्वादशी का विधान व फल और एक राजा की कथा


 १३२. रोहिणी व्रत का विधान और फल


 १३३. गोवत्स द्वादशी का विधान व फल और गौओं का महात्म्य व मुनियों और राजा उत्तापनाद की कथा


१३४. गोविन्द शयन व्रत का विधान व चातुर्मास्य के नियम और फल १३५. सब प्रकार की शान्ति करने वाला नोराजन विधान


 १३६. भीष्म पंचक का विधान और फल


 १३७ अखण्ड द्वादशी व्रत का विधान और फल,


 १३८. तिल द्वादशी का विधान और फल


 १३९. एक वैश्य की कथा और सुकृत द्वादशी का विधान

 

१४०. विभूति द्वादशी का विधान व फल और राजा पुष्पवाहन की कथा


१४१. मदन द्वादशी का विधान और फल एवं गर्भिणी स्त्री के धर्म १४२. दुर्गा महिमा और अंकपाद व्रत का विधान


१४३. उतथ्य मुनि और अंगिरा मुनि की कथा, शिव चतुर्दशी का विधान और फल


१४४. श्रवणिका व्रत का विधान और फल


१४५. नक्त व्रत का विधान और फल १४६. प्रति मास की शिव चतुर्दशी का विधान और फल


१४७, तारा के निमित्त देवताओं से चन्द्रमा का युद्ध, विजय मूर्णिमा व्रत का विधान व फल और अमावस्या को श्राद्ध आदि करने का फल १४८. वैशाखी, कार्तिक और माघी पूर्णिमा का विधान और फल


१४९. सत्यवान और सावित्री की कथा व सावित्री व्रत का विधान और फल


१५०. कलिंगभद्रा रानी की कथा कृत्तिका व्रत का विधान और फल


१५१. रानी शीलघना की कथा और अनन्त व्रत का विधान और फल


१५२. साम्भरायिणी की कथा और मास नक्षत्र व्रत का महात्म्य


१५३. वैष्णव नक्षत्र पुरुष व्रत का विधान


१५४. वेश्याओं को कल्याण देने वाले कामव्रत का विधान और फल १५५. ग्रह नक्षत्र व्रत का फल सहित विधान


१५६. पिप्पलाद मुनि की कथा और शनैश्चर व्रत का विधान और फल १५७. संक्रांति व्रत का विधान और फल


१५८. भद्रा की कथा, भद्रा व्रत का विधान और फल


१५९. अगस्त्य मुनि के चरित्रों का वर्णन व अगस्त्य दान का विधान और फल


१६०. नवीन चन्द्र को अर्घ्य देने का विधान


१६१. शुक्र और बृहस्पति को अर्घ्य देने का विधान और फल


१६२. माघ स्नान का विधान


१६३. नित्य स्नान का विधान और तर्पण की विधि 


१६४. रुद्रस्नान का विधान और फल


१६५. ग्रहणारिष्टहर स्नान का विधान


१६६. मरण का विधान


१६७. तड़ागादि की प्रतिष्ठा व बनाने का विधान व फल व समुद्र स्नान की विधि


१६८. वृक्ष लगाने का महात्म्य और वृक्षोद्यापन का विधान 


१६९. देवप्रासाद बनाने का, देव प्रतिमा स्थापना का और देवता को गन्धादि उपचार समर्पण करने का फल 


१७०. देवालय में दीपदान का विधान फल और ललिता नामक एक रानी की कथा


१७१. वृषोत्सर्ग का विधान और फल


१७२. होलिका की उत्पत्ति और फल सहित विधान १७३. रथ यात्रा का विधान और फल


१७४. कामदेव का चरित्र और मदन त्रयोदशी का विधान


१७५. रक्षाबन्धन का विधान


१७६. इन्द्रध्वज का विधान

 

१७७. दीपमाला की कथा और विधान


१७८. ग्रहयज्ञ, अयुतहोम और लक्षहोम का विधान


१७९. कोटि होम का विधान १८०. महाशान्ति का विधान


१८१. दान की प्रशंसा गोदान का विधान और फल


१८२. वृषभदान का विधान और फल


१८३. महिषी दान का विधान और फल


१८४: भूमि दान का विधान और फल 


१८५.  स्वर्ण भूमि दान का विधान और फल


१८६. राजा बभ्रुवाहन की कथा और अपाक दान का विधान


१८७, अन्नदान का महात्म्य, राजा श्वेत की कथा और एक वैश्य की कथा


१८८. दासीदान का विधान और फल १८९ प्रपादान और जल दान का विधान और फल


१९०. शीतकाल में अंगीठीदान का विधान और फल १९१. पुस्तक दान और विद्यादान का विधान और फल


१९२. तुलादान का विधान और फल १९३. हिरण्यगर्भ दान का विधान और फल


१९४. ब्रह्माण्डदान का विधान और फल


१९५. भुवन प्रतिष्ठा का विधान और फल


१९६. नक्षत्रदान का फल सहित विधान १९७. तिथिदान का फल सहित विधान


१९८. वराह दान का विधान और फल


१९९. धान्याचल के दान का विधान और फल 


२००. लवणाचल के दान का विधान और फल


२०१. गुड़ पर्वत के दान का विधान और फल


२०२. स्वर्ण पर्वत के दान का विधान और फल


२०३. तिल पर्वत के दान का विधान और फल और तिलों की उत्पत्ति सहित प्रशंसा


२०४. कर्पासाचल दान का विधान और फल


२०५. घृताचल दान का विधान और फल २०६. रत्नाचल दान का विधान और फल


२०७. रजताचल दान का विधान और फल एक राजा की कथा


२०८. जलधेनुका विधान फल और मुद्गल मुनि की कथा


२०९. सदाचार निरूपण


२१०. पुराण श्रवण आदि का महात्म्य और पुराण समाप्ति २११. सूर्य पुराण (सूर्य माहात्म्य)

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