जन्मजय कौन था ? उसने सर्पमेध यज्ञ क्यूँ करवाया था? Janmjay hindi story

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जन्मजय कौन था ? उसने सर्पमेध यज्ञ क्यूँ करवाया था?    Janmjay hindi story

!! जन्मजय !!


janmjay kaun tha?

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जन्मजय, अभिमन्यु के पुत्र राजा परीक्षित का पुत्र था. जब राजा परीक्षत को तक्षक नाग ने मार डाला तो पुत्र जन्मजय ने सर्पमेध यज्ञ द्वारा धरती से सभी साँपों को नष्ट करने का संकल्प कर लिया था. किन्तु फिर ये सर्पमेध यज्ञ कैसे रुका? और कैसे तक्षक और सभी सर्प अपनी-अपनी जान बचा सके जानिये

   

कहानी विस्तार:-

महाभारत का युद्ध समाप्त होने के बाद राजा परीक्षित शासन करने लगे..लेकिन उस समय कलियुग आने वाला था लेकिन कलियुग को किसी भी तरह से धरती पर आने का मौक़ा नहीं मिल रहा था. इसके बाद कलियुग राजा परीक्षित के सोने के मुकुट में समा गया जिसके प्रभाव से राजा परीक्षित ने शमिक ऋषि के गले में एक मरा हुआ सर्प डालकर उसका अपमान कर दिया. जिसके परिणाम स्वरुप शमिक के पुत्र ऋषि श्रृंगी ने परीक्षित को सात दिन के भीतर तक्षक नाग द्वारा काट लिए जाने का श्राप दिया..


जब राजा परीक्षित को इस बारे में पता चला तो उसने स्वयं को बचाने की बहुत कोशिश कि मगर जब देखा कोई उपाय नहीं तो वो सुकदेव के पास भागवत सुनने गए. जिसके बाद उन्हें मृत्यु का फिर कोई भय नहीं रहा. एक निश्चित समय के बाद तक्षक ने आकर राजा परीक्षित को मार डाला. जब राजा परीक्षित के पुत्र जन्मजय जो तप करने गया था आया, तो इस बारे में पता चला तो उसने सभी ऋषि मुनियों को बुलाकर एक विशाल सर्पमेध यज्ञ करवाया जिससे रोज़ सभी सर्प मारे जाने लगे. उस यज्ञ के प्रभाव से सभी सर्प खुद ही यज्ञ वेदी में मरने चले आते...


मन्त्रों की ध्वनि सर्पों के कानों पर पड़ते ही वे काल के गाल में समाने लगे..तक्षक ने भी जन्मजय को मारने कि कोशिश की मगर सफल ना हो सका. सर्पों की माँ देवी कद्रू सर्प जाति के समाप्त होने से परेशान थी...लेकिन जन्मजय रुकने वाला नहीं था..तक्षक ने अपना प्राण सूर्य के पहिये से लिपटकर बचाया और कर्कोटक इंद्र के पास आ गया.. इंद्र और जन्मजय का युद्ध हुआ. लेकिन फिर भी जन्मजय रुका नहीं. बाद में ऋषि अस्तिका के हस्तक्षेप के बाद ही जन्मजय ने उस यज्ञ को बंद कर सभी को माफ़ कर दिया सभी सर्प फिर से रहने लगे.

    

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