जब कानून के रखवाले ही आखों में धूल झोंकना शुरू कर दे तो कोई क्या करे? कोई जब वर्दी पहन कर, देश सेवा की कसम को ही भुला बैठे, तो कोई क्या करे? कोई जब अपनों के बीच ही रहकर चालाकी दिखाए तो कोई क्या करे? कोई जब सरकारी चोगा ओढ़कर अपराधियों के लिए काम कर तो कोई क्या करे.? और जब कोई, जनता के विश्वास को तोड़े तो भी कोई क्या करे? लेकिन ये बीते समय की बात थी. ऐसे पहले चलता था कि "क्या करे" लेकिन अब योगी के राज में चलता है "नो टेंशन सीधा एक्शन"
ज्ञात हो कि उत्तर प्रदेश के जिला चित्रकूट, कारागार में बंद मुख्तार अंसारी के बेटे अब्बास अंसारी के पुत्र और उनकी पत्नी निखत पर कुछ पुलिस वाले अधिक ही मेहरबान हो रहे थे. लेकिन जब जेल में रेड पड़ा तो सबको छट्ठी का दूध याद आ गया. मीडिया सोर्स एवं प्राप्त जानकारी के अनुसार जिला चित्रकूट की जेल में बंद मुख्तार अंसार के बेटेअब्बास अंसारी के लिए जेल अधिकारीयों द्वारा विशेष छूट की व्यवस्था करवाई गयी थी. उसी छूट के दम पर अब्बास अपनी पत्नी निखत से अक्सर जेल में ही मिला करता था. वहां दोनों की अक्सर सीक्रेट मीटिंग हुआ करती थी.
जानकारी के अनुसार इस मेहरबानी के लिए चित्रकूट जेल अधीक्षक को अब्बास अंसारी के द्वारा एक एक मोटी रकम, रिश्वत के तौर पर चार लाख रूपये भी दिए गए थे. इस कार्य में चित्रकूट जेल अधीक्षक, जेल वार्डन और मेस का कांट्रेक्टर भी शामिल था. किन्तु सुचना प्राप्त होते ही जब जेल में रेड पड़ी तो वहां अब्बास की पत्नी निखत अब्बास के साथ मिली जिसके बाद एक-के बाद एक उन सभी जेल अधिकारियों की कलई खुल गयी जो अब्बास के दरबारी बनकर सरकार के साथ विश्वासघात कर रहे थे.
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