कैसे करे शिव की पूजा? शिव-पूजन के लाभ जानिये Shiv Pooja Ke Laah janiye

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मित्रों आज हम आपको शिव पूजन ( Shiv Poojan in Hindi) की महिमा बताने जा रहे हैं. How to worship of Lord Shiva? शिव महिमा ( Shiva Mahima) Kaise karen Shiv ki pooja?  


कैसे करे शिव की पूजा? शिव-पूजन के लाभ जानिये   Shiv Pooja Ke Laah janiye

शिवपूजन ( Shiva Pooja)


लोमशजी कहते हैं - जो मनुष्य शिवमन्दिरके है आँगन में झाड़ लगाते हैं, वे निश्चय ही भगवान् व शिवके लोक में पहुँचकर सम्पूर्ण विश्वके लिये वन्दनीय हो जाते हैं। जो भगवान् शिवके लिये यहाँ अत्यन्त प्रकाशमान दर्पण अर्पण करते हैं, वे आगे चलकर शिवजीके सम्मुख उपस्थित रहनेवाले पार्षद होंगे। जो लोग देवाधिदेव, शूलपाणि शंकरको चॅवर भेंट करते हैं, वे त्रिलोकीमें जहाँ कहीं जन्म लेंगे, उनपर चॅवर डुलता रहेगा। जो परमात्मा शिवकी प्रसन्नताके लिये धूप निवेदन करते हैं, वे पिता और नाना दोनोंके कुलोंका उद्धार करते हैं तथा भविष्यमें यशस्वी होते हैं। 


जो लोग भगवान् हरि- हरके सम्मुख दीपदान करते हैं, वे भविष्यमें तेजस्वी होते और दोनों कुलोंका उद्धार करते हैं। जो मनुष्य हरि-हरके आगे नैवेद्य निवेदन करते हैं, वे एक- एक (ग्रास)-में सम्पूर्ण यज्ञका फल पाते हैं। जो लोग टूटे हुए शिव-मन्दिरको पुनः बनवा देते हैं, वे निस्सन्देह द्विगुण फलके भागी होते हैं। जो ईंट अथवा पत्थरसे भगवान् शिव तथा विष्णुके लिये नूतन मन्दिर निर्माण कराते हैं, वे तबतक स्वर्गलोकमें आनन्द भोगते हैं, जबतक इस पृथ्वीपर उनकी वह कीर्ति स्थित रहती है। जो महान् बुद्धिमान् मानव भगवान् शिवके लिये अनेक मंजिलोंका महल (मन्दिर) बनवाते हैं, वे उत्तम गतिको प्राप्त होते हैं। जो अपने और दूसरोंके बनवाये हुए शिव- मन्दिरकी सफाई करते या उसमें सफेदी कराते हैं, वे भी उत्तम गतिको प्राप्त होते हैं। जो पुरुष अथवा स्त्रियाँ शिवजीके आँगनमें विविध रंगोंके चौक पूरती हैं, वे सर्वश्रेष्ठ शिवधाममें पहुँचकर दिव्य रूप प्राप्त करेंगी। जो पुण्यात्मा मनुष्य भगवान् शिवको चंदोवा भेंट करते हैं, वे स्वयं तो शिवलोकमें जाते ही हैं, अपने समस्त कुलको भी तार देते


 जो अधिक आवाज करनेवाला घण्टा लेकर ान् उसे शिव-मन्दिरमें बाँधते हैं, वे भी त्रिलोकीयें ■ये तेजस्वी और कीर्तिमान् होंगे। धनवान् हो या दरिद्र, ये जो एक-दो या तीनों समय भगवान् शिवका दर्शन वे करता है, वह सुखी होता और समस्त दुःखोंसे ने छूट जाता है।

हे हरे! और हे हर! इस प्रकार भगवान् शिव म और विष्णुके नाम लेनेसे परमात्मा शिवने बहुतेरे की मनुष्योंकी रक्षा की है।* तीनों लोकोंमें महादेवजीसे ना बढ़कर दूसरा कोई देवता नहीं दिखायी देता। बा इसलिये सब प्रकारके प्रयत्नोंसे भगवान् सदाशिवकी पूजा करनी चाहिये। पत्र, पुष्प, फल अथवा स्वच्छ जल तथा कनेरसे भी भगवान् शिवकी न पूजा करके मनुष्य उन्हींके समान हो जाता है। - आक (मदार) का फूल कनेरसे दसगुना श्रेष्ठ ■ माना गया है। आकके फूलसे भी दसगुना श्रेष्ठ है धतूरे आदिका फल । नील-कमल एक हजार - कहलार (कचनार)-से भी श्रेष्ठ माना गया है। यह चराचर जगत् विभूतिसे प्रकट हुआ है। वह = विभूति भगवान् शिवके श्रीअंगोंमें भलीभाँति लगती है, इसलिये सदा उसे धारण करना चाहिये।


कैसे करे शिव की पूजा? शिव-पूजन के लाभ जानिये   Shiv Pooja Ke Laah janiye

जिनके मुखसे 'नमः शिवाय' यह पंचाक्षर मन्त्र सदा उच्चारित होता रहता है, वे मनुष्य भगवान् शंकरके स्वरूप हैं। प्रात:काल, मध्याह्नकाल तथा सन्ध्याके समय शंकरजीका दर्शन करना चाहिये। प्रात:काल भगवान् शिवके दर्शनसे सम्पूर्ण पातकोंका नाश हो जाता है। दोपहरके समय शिवजीके दर्शनसे मनुष्योंके सात जन्मोंके पाप नष्ट हो जाते हैं तथा रात्रि-कालमें शंकरजीके दर्शनसे जो पुण्य होता है, उसकी तो कोई गणना ही नहीं है। 'शिव' यह दो अक्षरोंका नाम महापातकोंका भी नाश करनेवाला है। जिन मनुष्योंके मुखसे 'शिव' नामका


जप होता रहता है, उन्होंने ही इस सम्पूर्ण जगत्को धारण किया है। पुण्यात्मा पुरुषोंने शिवजीके आँगनमें आरतीके समय बजानेके लिये जो बड़ा-सा नगारा रख छोड़ा हो, उसकी आवाजसे पापी मनुष्य भी पवित्र हो जाते हैं। इसलिये चिरकालसे संचित प्रचुर धन, बहुमूल्य चॅवर, मंच, शय्या, दर्पण, चंदोवा, आभूषण तथा विचित्र वस्त्र भगवान् शिवकी सेवामें अर्पित करने चाहिये। पुराण-पाठ, कथा, इतिहास और संगीत आदि नाना प्रकारके आयोजन भगवान् शिवको प्रिय हैं; इनकी व्यवस्था करनी चाहिये। ऐसी व्यवस्था करके पापी मनुष्य भी अपने पापसे मुक्त होकर शिवलोकमें चले जाते हैं। जो स्वधर्मका पालन करनेवाले, महात्मा और शिव-पूजाके विशेषज्ञ हैं, जिन्होंने गुरुके मुखसे शिवकी दीक्षा ली है, जो निरन्तर शिवजीकी


कैसे करे शिव की पूजा? शिव-पूजन के लाभ जानिये   Shiv Pooja Ke Laah janiye

 पूजामें संलग्न रहते हैं, मनमें दृढ़ विश्वास रखकर सम्पूर्ण विश्वको शिवके रूपमें देखते हैं, उत्तम बुद्धिका आश्रय ले सदाचारका पालन करते तथा अपने वर्ण-धर्म और आश्रम-धर्ममें स्थित रहते हैं, वे ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र तथा कोई भी क्यों न हों, भगवान् शिवके परम प्रिय होते हैं। चाण्डाल हो या सर्वश्रेष्ठ ब्राह्मण, भजन करनेपर सभी भगवान् शंकरको अत्यन्त प्रिय लगते हैं। भगवान् शंकर ही इस सम्पूर्ण चराचर जगत्के आधार हैं, अतः सब कुछ शिवस्वरूप है - यह बात विशेष रूपसे जाननी चाहिये। वेद, पुराण, शास्त्र, उपनिषद्, आगम और देवता-सबके द्वारा भगवान् सदाशिव ही जानने योग्य हैं। मनुष्य निष्काम हो या सकाम, सबको भगवान् सदाशिवकी आराधना करनी चाहिये।

Source Skand Puran.

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