ऋषि च्यवन हमेशा कैसे युवा बने रहे? Shraap aur vardano ki stories Indian mythology.
राम जी का कुल
सूर्यवंशी रहा है. इसमें कई वीर और प्रतापी राजाओं का जन्म हुआ. इक्ष्वाकु और
शर्याति भी इसी सूर्यवंशी परिवार में जन्मे थे. एक पौराणिक कथा के अनुसार राजा
शर्याति चार हज़ार पत्नियों के पति थे जिनके ९ पुत्र और एक पुत्री हुई थी. पुत्री
का नाम सुकन्या था. सुकन्या बालपन से ही बहुत चंचल स्वभाव की थी जो अक्सर अपनी
सहेलियों के साथ भ्रमण के लिए निकल जाया करती और मार्ग में तरह तरह की शरारतें
करतीं. एक समय की बात है भृगुवंश में पैदा हुए च्यवन मुनि कई वर्षों से एक स्थान
पर बैठे माँ जग्दमा की तपस्या कर रहे थे. तपस्या करके-करते च्यवन ऋषि का शरीर
दीमकों की बांबी बन चुकी थी. इसलिए उस स्थान पर अब वहां मानव शरीर के आकर का बस एक
दीमक का टीला ही दिखाई देता था. एक बार राजा शर्याति की पुत्री सुकन्या अपनी
सखियों के साथ जल क्रीडा करने आई तो उसकी नज़र उस दीमक लगे बाम्बी पर पड़ गयी. उस
बाम्बी को गौर से देखने पर सुकन्या को उसमे दो जुगनू जैसे ज्योति जलते हुए दिखाई
पड़े जो वास्तव में जुगुनू नहीं बल्कि च्यवन ऋषि की आखें थीं जो चमक रही थी.
सुकन्या ने कौतुहलवश एक काठी लेकर उन दोनों छिद्रों में घुसा दी जिससे तत्काल ही
खून बहने लगे और ऋषि च्यवन अंधे हो गए. सुकन्या के इस व्यवहार से ऋषि क्रोधित होकर
जाग उठे. तभी वहां राजा-रानी और सैनिक सभी दौड़े भागे आ गए. जब राजा-रानी को सारी
कहानी पता चली तो उनकी हालत ख़राब हो गयी. क्यूंकि उन्हें आभास हो गया था कि अब ऋषि
च्य्वयन बिना शाप दिए नहीं मानेंगे. लेकिन च्यवन ऋषि ने सुकन्या को शाप ना देते
हुए राजा से कहा कि वो अपनी पुत्री का विवाह उनसे करा दे. ऋषि के इस प्रस्ताव से
राजा- रानी चकित हो उठे. लेकिन चूंकि भूल सुकन्या से हुई थी इसलिए सुकन्या ने
सहर्ष च्यवन ऋषि से विवाह कर लिया और फिर दिन रात उनकी सेवा में लग गयी.
एक दिन सूर्य के दोनों
अश्विनी कुमार पुत्र उस मार्ग से गुजरे. जब उनकी नज़र सुकन्या पर पड़ी तो वे सुकन्या
पर आसक्त हो उठे. अब अश्विनी कुमारों ने सुकन्या को प्राप्त करने की चेष्टा शुरू
कर दी. क्यूंकि सूर्य पुत्र दोनों अश्विनी कुमार संसार के सबसे सुन्दर देव थे. ऐसी
सुन्दरता किसी भी देव के पास नहीं थी. इसलिए वो पूरी तरह से आश्वस्त थे कि वे
सुकन्या को अपनी सुन्दरता में लुभा लेंगे. लेकिन सुकन्या अपने बूढ़े और अंधे पति की
सेवा में लगी रही. दोनों अश्वनी कुमार जब सुकन्या को उसके पितव्रत धर्म से डिगा
नहीं सके तो दोनों अश्वनी कुमारो ने सुकन्या से कहा कि यदि उसे उसके पतिव्रत धर्म
पर इतना ही विश्वास और भरोसा है तो फिर वो उनका एक प्रस्ताव स्वीकार करे. सुकन्या
ने पुछा कैसा प्रस्ताव? इस पर अश्विनी कुमारों ने कहा कि हम तुम्हारे पति को हमेशा
के लिए युवा अवस्था प्रदान करने जा रहे हैं. इसके लिए तुम्हे एक परीक्षा देनी
होगा. हम दो भाई और तुम्हारे पति ऋषि च्यवन जब दोनों ही एक साथ सरोवर में डूबकी
लगाकर ऊपर आयेंगे तो तुम्हारे पति भी हमारी तरह सुन्दर और युवा हो जायेंगे. उस समय
यदि तुमने हम तीनो में अपने असली पति का चुनाव कर लिया तो ऋषि च्वयन हमेशा के लिए
युवा बने रहेंगे. अन्यथा तुम्हे हमारे साथ विवाह करना होगा. सुकन्या इसके लिए
तैयार हो गयी. और फिर जब दोनों अश्विनी कुमार और ऋषि च्यवन सरोवर से डूबकी लगाकर
बाहर आये और एक जैसे युवा दिखने लगे तो अपने सच्चे पतिव्रत धर्म के कारण सुकन्या
ने अपने वास्तविक पति ऋषि च्यवन को पहचान लिया और तब से ऋषि च्यवन हमेशा के लिया
जवान बने रहे. ऋषि च्यवन के नाम से ही च्यवनप्राश का प्रोडक्ट बना है.
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