भारत के 6 राष्ट्रीय प्रतिक चिन्ह कैसे बने?
(Rastriya Prateek Chinh in Hindi)
राजा दुष्यंत के पुत्र वीर भरत के नाम से हमारे देश का नाम भारत पड़ा. वैसे भारत के और भी बहुत से नाम हैं जैसे जम्बूद्वीप आर्याव्रत, भारतवर्ष, भारतखंड, हिन्द, हिन्दुस्तान और इंग्लिश में इसे इडिया भी कहते हैं.
इंडिया अंग्रेजों का दिया हुआ नाम है. हमारे देश भारत की पहचान विश्वपटल पर ऊंचा है क्यूंकि इसे विश्वगुरु माना जाता है. जीरो और दशमलव की खोज हमारे देश भारत में ही हुई.
आर्यभट्ट भारत के महानतम गणितज्ञ हुए .रामायण और महा-भारत भारत के दो पवित्र और धार्मिक ग्रन्थ हैं और कृष्ण की गीता से हमारी संस्कृति की पहचान है.
ये तो हुई पौराणिक पहचान मगर वर्तमान समय में हमारे देश की कुछ चीजें राष्ट्रीय प्रतिक चिन्ह के रूप में भी दर्शायी गयी है.
यह पहचान और प्रतिक चिन्ह हमारी देश की विरासत
है और विश्व भर में जहाँ भरतीय बसे हैं वे इन्हें पूरे गर्व और देश भक्ति की भावना
से स्वीकार भी करते हैं.
राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा (Indian National flag tricolor)
हमारे राष्ट्रीय ध्वज में तीन पट्टियां हैं, जिनमे तीन रंग है. पहला रंग केसरिया जो त्याग और वीरता का प्रतीक है. दूसरा बीच का सफ़ेद, जो शांति का प्रतीक है और तीसरा हरा रंग, हमारी हरियाली खुशहाली और उर्वरता का प्रतीक है.
जानकारी के लिए बता दूं ध्वज की लम्बाई –चौड़ाई का अनुपात 3:2 है और बीच में जिस चक्र में 24 तीलियां लगे हैं वो अशोक स्तम्भ से लिया गया है जिसका अर्थ है रुको मत आगे बढ़ते रहो. भारत की संविधान सभा ने इस राष्ट्रीय ध्वज के प्रारूप को 22 जुलाई 1947 को अपनाया था.
राष्ट्र गान – (National anthem)
भारत का राष्ट्र गान “जन मन गण” है जिसके रचनाकार रविन्द्रनाथ टैगोर हैं. इस गान की इतनी मान्यता है कि इसे कहीं भी ऐसे ही बेवजह नहीं गाया या बजाया जा सकता. इसे केवल राष्ट्रीय त्योहारों, सैनिकों एवं खिलाडियों के सम्मानों एवं शोक अवसरों पर शहीदों की विदाई पर ही बजाया जाता है.
राष्ट्रगान को गाकर ख़त्म करने का समय 52 सेकेण्ड का है. इससे अधिक इसे नहीं गाया जा सकता. अगर यह 52 सेकेण्ड में ख़त्म होता है तो गान में कोई भी त्रुटी नहीं है. भारत के राष्ट्र गान में भारत की विविधताओं का वर्णन है यह एक मंगलगान है.
राष्ट्रीय गीत (National song)
भारत का राष्ट्रीय गीत वन्दे मातरम है, जिसकी रचना बंकिम चन्द्र चटर्जी ने संस्कृत भाषा में की थी. इसमें धरती माँ की वंदना है जो हमे फल, फसल, पुष्प और जल देती है. चांदनी रात में जिसकी किरणे हमे पुलकित करती है और हवाएं जो हमे जीवन देती है वो धरती और प्रकृति हमारे लिए एक माँ के सामान है.
इस गीत की रचना ने उस वक़्त लाखों क्रांतिकारियों को जोश से भर दिया था. इस गान का भी उतना ही महत्व है जितना की राष्ट्र गान का. इस गान को लेकर 24 जनवरी 1950 को देश के पहले राष्ट्रपति डॉक्टर राजेन्द्र प्रसाद जी ने घोषणा की थी कि इस गान का महत्व भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अधिक है इसलिए इसे राष्ट्र गान के बराबर ही माना जाएगा.
अशोक स्तम्भ – ( Ashok Stambh)
भारत का यह राजकीय प्रतिक चिन्ह अशोक स्तम्भ, सम्राट अशोक से जुडा है जो सारनाथ में स्थित है. मूल स्तम्भ में जो चार सिंह एक दुसरे की ओर पीठ किये हुए हैं, वो वीरता के प्रतीक हैं. इसके ठीक नीचे घंटे के आकर के पदम् के ऊपर एक चित्र में हाथी , घोडा, सांड और एक सिंह की उभरी हुई मूर्तियाँ है. इसके बीचों बीच में चक्र बने हुए हैं. इसे धर्म चक्र कहते हैं. इस प्रतीक को आज भारत के राजकीय चिन्ह के रूप में जाना जाता है जिसे एक तरह से हम सरकारी चिन्ह के रूप में जानते हैं.
राष्ट्रीय पक्षी मोर ( national bird peacock)
पावों क्रिस्तातुस जो आकार में एक बड़े हंस के आकर का है, जिसकी गर्दन लम्बी और पंखों में भाँती भांति के रंग होते हैं, वही मोर भारत का राष्ट्रीय पक्षी है जो सभी पक्षियों में सबसे अलग दिखता है.मोरों में नर, मादा से कहीं अधिक सुन्दर और आकर्षक होता है. बादलों को देखकर जब यह नाचता है तो इसकी सुन्दरता देखने लायक होती है. इसकी नाच और आवाज़ में इतनी मधुरता होती की यह किसी का भी मन मोह सकता है. इसके भीतर इतने गुण होने के कारण हो इसे राष्ट्रीय पक्षी का दर्जा प्राप्त है.
राष्ट्रीय पशु बाघ (National animal Tiger)
बाघ शक्ति और स्फूर्ति का प्रतीक है जो एक बार अपने लक्ष्य को देख ले तो उसे हर हाल में हासिल करके रहता है. बाघ की लम्बाई करीब 6-7 फीट की होती है और इसके शरीर में उगे हुए रोंवे काफी नर्म और मुलायम होते हैं.
बाघ के नाख़ून अत्यधिक तेज धार वाले होते हैं. मगर जब यह चलता है तो इसके पदचाप सुनाई नहीं पड़ते. इसमें अपार ताकत और शक्ति होने के कारण ही इसे भारत का राष्ट्रीय पशु माना जाता है.
भारत के आखरी बाघ के बारे में पढ़िए.
राष्ट्रीय फूल (National flower lotus)
कमल पुष्प जिसका एक नाम निलम्बो नूसिपेरा गेर्टन भी है, भारत के राष्ट्रीय पुष्प के रूप में स्वीकार किया जाता है. यह एक अति प्राचीन पुष्प है जिसका सम्बन्ध देवी- देवताओं से भी है. ब्रह्मा, सरस्वती और नारायण से जुड़े होने के कारण यह पूजा-पाठ में बहुत ही अधिक पवित्र माना जाता है.
यह पुष्प पुराने सरोवर और दलदली क्षेत्रों में स्वत: ही उग आता है. इसकी पंखुडियां बहुत ही आकर्षक होती है और डंठल लम्बे होते हैं.
भवरों का यह अतिप्रिय फूल है जो शाम होते ही पुष्प के सिकुड़ने पर उसके भीतर चले जाते हैं और सुबह होते ही जैसे ही कमल खिलता है, भवरे निकल आते हैं.
यह पुष्प भारतीय
संस्कृति का मांगलिक प्रतीक माना जाता है इसलिए इसे राष्टीय पुष्प का दर्ज़ा प्राप्त
है.
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