चीते पर रिसर्च और पूरा निबंध Research & Essay on Cheetah

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चीते  पर रिसर्च और पूरा निबंध  Research & Essay on  Cheetah


इस धरती पर दुनियाँ की सबसे तेज़ रफ़्तार से दौड़ने वाले चीते की कुछ दिलचस्प बातें, आप भी जानिये.


1.चीते (Cheetah) पर अब तक लिखे गए सभी प्रकार के निबंधों एवं लेखों ( Essay) में ये लेख सबसे अलग है क्यूंकि इसमें चीते के बारे में बहुत सारी अतरिक्त जानकारियाँ ( information) एक नए रिसर्च में बाद जोड़ी गयी हैं. प्रस्तुत है चीते पर एक विस्तृत Research और जानकारी.


2.चीता बिल्ली की प्रजाति का ही दिखने में दुबला -पतला और सुढौल शरीर वाला एक वन्य पशु है जिसके शरीर पर चितकबरे धब्बे होते हैं. इसे ये नाम संस्कृत के एक शब्द चित्राका से मिला है जिसका मतलब होता है चितकबरा या धब्बेदार. चीते की आखों के कोने से होकर, नीचे नाक और फिर मुंह तक एक काले रंग की रेखा बनी होती है जिसे अश्रु चिन्ह कहते हैं.


3.चीते (Cheetah) के ख़ास अपनी शारीरिक बनावट के कारण ही उसे धरती पर सबसे अधिक तेज़ दौड़ाने वाला वन्य पशु माना जाता है. सामान्यत: इसकी शारीरिक लम्बाई 45- 55 मीटर, पूँछ 2.70 मीटर, और वजन 40 किलोग्राम से लेकर 60 किलो तक होता है. शरीर अधिक भारी न होने के कारण ये बहुत अधिक तेज़ दौड़ता है..


4.इसके पैर स्प्रिंग की तरह खुलते और सिमटते हैं. एक चीता लगभग एक घंटे में 120 किलो मीटर की रफ़्तार से दौड़ता है. मगर इसके पैर में घुमाव या लचीला नहीं होने के कारण ये पेड़ पर नहीं चढ़ पाता.


5.चीते की रफ़्तार सिर्फ 30 सकेंड तक ही होती है..इसके बाद वो थक जाता है. मगर ये 30 सेकेण्ड की दौड़ उसकी सबसे अनिखो होती है क्यूंकि इतनी रफ़्तार से इस धरती पर और कोई दूसरा जीव दौड़ नहीं सकता.


6.एक चीता 3 सकेंड में 0- 97 किलो मीटर की रफ़्तार पकड़ लेता है. जिसकी दुरी करीब 200 से 300 मीटर की होती है. इस रफ़्तार का मुकाबला कोई भी सामान्य कार नहीं कर सकती.


7.यदि चीते ने 30 सकेंड के अन्दर किसी शिकार को नहीं पकड़ा तो फिर उसे अगले 30 मिनट तक आराम करना होता है. क्यूंकि ये इस दरमियान थक चुका होता है.


8.एक चीता एक बार में 21 फीट की छलांग लगा सकता है जिसमे इसके पैर एक ही बार ज़मीन को छूते हैं वो भी बहुत ही हल्के से


9.चीता अपनी लचीली रीढ़ की हड्डियों के कारण ही इतनी लम्बी छलांग लगाकर दौड़ सकता है. 


10.चीते के पंजे ज़मीन पर ठीक उसी तरह से पकड़ बनाते हैं जिस प्रकार फुटबॉल खेलने के जूते के स्पाईक्स ज़मीन पर पकड़ बनाते हैं.


11.सबसे ख़ास बात जो चीते की पूँछ होती हैं, वो लम्बी और मोटी होती है. दौड़ते वक़्त ये चीते के शरीर को संतुलित रखती है. और उसे हर दिशा में घुमने में सहायता देता है.


12.चीते के जबड़े दिल और फेफड़े कुछ बड़े होते हैं. फेफड़े और दिल में पर्याप्त पम्पिंग होती है और जबड़ा बड़ा होता ताकि वो पूरी तरह से भरकर आक्सीजन ले सके  


13.चीता दुसरे जानवरों को मारकर खाता है मगर वो ज़्यादातर हिरन, खरगोश जैसे नाज़ुक पशुओं को ही खाना अधिक पसंद करता है. चीते को सिंह की तरह भोजन करना पसंद नहीं. लेकिन जिस प्रकार चीते का पंजा पेड़ पर चढ़ने लायक नहीं होता उसी प्रकार उसे रात में दिखाई भी कम कम देता है.


14..चीते की एक ख़ास बात ये है कि ये सिंह या बाघ की तरह बहुत अधिक हिंसक नहीं होता. इसलिए पुराने समय में लोग इसका शिकार भी करते थे और इसे पालते भी थे. मुग़ल काल के समय भारत में करीब 10 हज़ार चीतों का जिक्र आता है जिनमे सौ चीते अकबर के यहाँ थे. 


15.चीते (Cheetah) अधिक घातक नहीं होते थे इसलिए इसे बहुत जल्द पालतू भी बना लिया जाता था. उस दौर में गाँव के कई लोग चीतों को बांधकर घर के आँगन में ही रख लेते थे. उस वक़्त एक चीते की कीमत 200 रूपये के करीब होती थी. चीते की आयु मात्र 20 साल होती है. मादा चीता एक बार में 6-8 बच्चों को जन्म दे देती है.


16.माना जाता है कि धरती पर चीते का अस्तित्व कुछ 50 लाख सालों से है..दुनियाँ में सबसे पहला चीता एशिया के भारत देश में ही देखा गया था. एक समय भारत में चीतों की प्रयाप्त संख्या थी मगर बाद में वे राजाओं, ज़मींदारों और अंग्रेजों के शौक की वजह से ये मारे जाने लगे. पुराने समय में शिकार का बहुत प्रचलन था और ज़्यादातर चीतों का ही शिकार किया जाता था. राजे – महाराजे अपनी शान के लिए रोज़ इनका शिकार कर ले आते थे.

   

 17.वर्ष 1948 में भारत में तीन ही चीते बच गए थे मगर उन चीतों का भी शिकार हो गया और उनका शिकार करने वाले थे सरगुजा रियासत के महाराज रामानुज प्रताप देव. इस वक़्त पूरी दुनियाँ में  लगभग सात हज़ार ही चीत बचे हैं जिनमे से आधे अफ्रीका के जंगलों में है और बाकी दुसरे जंगलों में..


18.आज ये जीव कम हिंसक होने का परिणाम भुगता रहा है..अगर ये भी सिंह या बाघ की तरह अधिक हिंसक होता तो लोग इसके पास जाने से भी डरते..मगर कहते हैं ना सीधे वृक्ष को पहले काटा जाता है..बेचरा ये जीव जो आज अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा उन्हें पता ही नहीं कि हमने अपनी झूठी शान दिखाने के लिए इन्हें धरती से मिटा दिया है.

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