मुग़ल सम्राट बाबर की वंशावली ( Babur ki vanshavali ) Lineage or Pedigree of Babur in Hindi

@Indian mythology
0

 

1माँ –बाप की ओर से मुग़ल सम्राट बाबर की सम्पूर्ण वंशावली मित्र एवं शत्रु.

2 चंगेज खान का इतिहास और विजयी अभियान 

3.Changes khan का साम्राज्य पुत्रों में बंटवारा



यूनुस खान, चंगेख खान के दुसरे पुत्र का वंशज था. कुतलुग निगार खानुम बाबर की माँ, यूनुस खान की दूसरी पुत्री थी. यूनुस खान पुत्र वाएस खान, पुत्र शेरअली उग्लान, पुत्र मुहम्मद खान, पुत्र खिज्र ख्वाजा, पुत्र तुगलक तीमूर खान, पुत्र ईसन वुगा खान, पुत्र दावा खान, पुत्र वोरक खान,पुत्र ईसून तवा खान, पुत्र मौतू खान, पुत्र चगताई खान, पुत्र चंगेज़ खान - विवरण बाबर नामा  (अनु) भाग १,पृष्ट संख्या १९; अकबरनामा ( अनु) भाग १,पृष्ट २२४. प्रोफ़ेसर रशब्रुक विलियम्स ने अर्सकिन और पेवेट डी. कोर्टीले द्वारा किये गए बाबरनाम के अनुवाद के आधार पर बाबर की माँ की वंशावली इस प्रकार से दी गयी है.



मध्य युगीन इतिहास में यह संधिकाल कहा जाता है.  इस समय नयी और पुरानी परम्पराएँ टकराई और एक नयी व्यवस्था का जन्म हुआ. इसी संधि युग में 1154 में मंगोल जाति  (Mongol dynasty) में एक प्रतिभाशाली, कर्मठ ,साहसी , महत्वाकांक्षी व्यक्ति का जन्म हुआ जिसका नाम चंगेज़ खान था. उसमे वो सब गुण विद्धमान थे जो मंगोलों की विभिन्न एवं बिखरी हुई जातियों को एक सूत्र में बाँध सके तथा उसकी एकत्रित शक्ति के बलबूते पर एक विशाल साम्राज्य का निर्माण कर सके. 


अपने देश के चरागाहों से मंगोल योद्धाओं की टोलियाँ लेकर चंगेज़ खान ने निकटवर्ती प्रदेशों पर आक्रमण किया और धीरे धीरे उसका वर्चस्व पूरे एशिया में बढ़ता गया. उसने पेकिंग पर विजयी पाई और सम्पूर्ण उत्तरी चीन पर अपनी प्रभुसत्ता स्थापित की उसके बाद उसकी मंगोल सेनाओं ने मावरराउन्नहेर के तुक्रों पर आक्रमण किया, उसके पश्चात वह खुरासान तथा ख्वारिज्म के प्रसिद्द एवं समृद्धिशाली नगरों की ओर बढ़ी.


पिता की ओर से बाबर का वंश

                

मुग़ल सम्राट बाबर की वंशावली  ( Babur ki vanshavali ) Lineage or Pedigree of Babur in Hindi


मुग़ल सम्राट बाबर की वंशावली  ( Babur ki vanshavali ) Lineage or Pedigree of Babur in Hindi


अमीर तैमुर के पुत्र हुए मिर्ज़ा मीरान शाह, उसके पुत्र हुए सुल्तान मुहम्मद मिर्ज़ा, उसके पुत्र हुए सुल्तान अबु सईद मिर्ज़ा, उसके पुत्र हुए उमर शेख मिर्ज़ा, उमर शेख मिर्ज़ा के हुए तीन पुत्र- बाबर, नासिर मिर्ज़ा, जहाँगीर मिर्ज़ा. 


मुग़ल सम्राट बाबर की वंशावली  ( Babur ki vanshavali ) Lineage or Pedigree of Babur in Hindi

मुग़ल सम्राट बाबर की वंशावली  ( Babur ki vanshavali ) Lineage or Pedigree of Babur in Hindi

       


बाबर का जन्म ख़ास ग्रह नक्षत्रों में हुआ था


बाबर का जन्म ६ मुहर्रम ८८८ ही० (१४ फरवरी, १४ ८३) को फरगना में हुआ था. समकालीन ज्योतिषों के मुताबिक बाबर के जन्म  का दिन एवं वर्ष दोनों ही शुभ थे. वर्ष की संख्या में ८ का तीन बार आना और दिवस की संख्या में ६ का तीन बार आना बहुत ही विरले था.

 

उसके बाद चंगेज़ खान कंधार, गजनी आदि प्रदेशों को जीतते हुए सिंध नदी के तट तक पहुँच गए और यहाँ तक तुर्की प्रभाव एवं सत्ता को नष्ट- भ्रष्ट कर दिया. चंगेज खान एक बहुत बड़ा लड़का योद्धा था जिसे पता था कि इतने बड़े साम्राज्य को बांधकर रखना संभव नहीं इसलिए उसने अपने जीवन काल में ही अपने विशाल साम्राज्य का विभाजन कर दिया.  


चंगेज खान ने अपने बड़े पुत्र जूजी को उसने किपचाक के मैदान दिए. किन्तु जूजी अपने पिता के जीवन काल में ही परलोक सिधार गया. जूजी की मृत्यु के बाद उसका हिस्सा उसके दो पुत्र बातू को १२४३ में दिया गया. जिसमे सर्र नदी के निचले प्रदेशों से लेकर कालासागर तथा कैप्सियन सागर के तट तक फैले हुए प्रदेश सम्मिलित थे. बातू ने अपनी विजयी द्वारा अपने वंश का नाम बढाया. 


बातू की नवी पीढ़ी में आया उजवेग खान. यह एक लोकप्रिय शासक बना जो व्यक्तिओं को योग्यता के अनुसार सम्मानित करता था. इसी के प्रेरणा के फलस्वरुप उसकी स्मृति को चिरस्थायी बनाने के लिए जूजी की जाति के वे लोग, जिन्होंने इस्लाम धर्म ग्रहण किया और जो उसके समर्थक थे, उजवेग जाति के नाम से प्रसिद्द हुए. 


लेकिन उजबेग सामूहिक शक्ति के रूप में उभर नहीं सके. उजबेग खान की मृत्यु के  लगभग डेढ़ सौ वर्ष उपरान्त जब किपचाक के मैदान कि वे जातियां जो कि गोल्डन होर्ड्स  के नाम से प्रसिद्द थीं, चार भागो में तितर- बितर हो गयी . लेकिन उसी दौर में अबुल खैर का उदय हुआ  जिसने उजबेगों की सहायता से दश्त किपचाक पर अपना स्वतंत्र प्रभाव स्थापित कर लिया.  


वह एक कुशल शासक था. उसके उजबेग अनुचरों ने उसकी बहुत सेवा की तथा शक्ति प्रदान कर उसे एक शक्तिशाली शासक बना दिया. लेकिन फिर ईसाई जगत के उत्तर दिशा से जब मुस्लिम सत्ता के विरुद्ध तूफ़ान उठा तब, दश्त किपचाक से उसे भागना पड़ा. तब अबुल खैर ने अपने तम्बुओं और असभ्य कबिली जातियों को समेटकर कर पूर्वी चरागाहों में शरण ली. 


यहाँ उसकी इतनी ख्याति बढ़ी कि अबू सईद, मुहमद्द जुकी और हुसैन बैकरा जैसे तैमूरी शासकों ने भी उससे सहायता मांगी. लेकिन अबुल खैर ने विशाल साम्राज्यों को जितने कि योजना नहीं बनाई बल्कि उसने तैमूरी परिवार के वंशजों के आपसी संघर्ष एवं गृहयुद्ध में उनका पक्ष लेकर उन्हें सहायता पहुँचाने में लगे रहे. इसके बदले उन्हें अपार धन मिलता था. 


माना जाता है कि रेगिस्तान में किसी भी शासक को 40 वर्षों में इतनी ख्याति नहीं मिली जितनी की अबुल खैर को. लेकिन एक कहावत है – एक ही फूँक में जिस प्रकार रेगिस्तान की बालू उड़ाई जा सकती है, उससे भी कहीं जल्द एक मनुष्य का भाग्य उजाड़ा जा सकता है. ये कहावत अब्दुल खैर के ऊपर सही बैठता है. अबुल खैर की बढती हुई शक्ति से एवं प्रभाव से कुछ लोग जलने लगे. 


ये निकटवर्ती मैदानों में रहने वाले भूरी दाढ़ी वाले शत्रु थे. इसमें एक बर्की सुलतान भी था, वो उसके विरुद्ध हो गया. इन लोगों ने मिलकर उसे शक्तिहीन कर दिया और एक युद्ध में मार डाला. उसके ११ पुत्रों में मुहम्मद शैबानी बहुत बड़ा लड़का योद्धा प्रमाणित हुआ . आगे चलकर यही शैबानी बाबर का समकालीन एवं कट्टर प्रतिद्वंदी था. बाबर के दुसरे शत्रु उसके मामा थे जो चंगेज़ खान के दुसरे पुत्र चगताई खान के वंशज थे. आगे के लेख में हम इनके बारे और जानेंगे.  

 

एक टिप्पणी भेजें

0टिप्पणियाँ

Hi ! you are most welcome for any coment

एक टिप्पणी भेजें (0)