एक गज की दूरी क्या थी नए साल में मजबूरी?
फिल्म शोले में असरानी जी का एक बहुत ही मशहूर डायलॉग है – “हम नहीं सुधरे, तो तुम क्या सुधारोगे?” कोरोना के मामले में भी इस बात को सच साबित करने वाला और कोई नहीं बल्कि हम और आप हैं .जी हाँ , वरना ज़रा सोचिये, जिस तरह से कोरोना चुपचाप गहरी नींद सोता जा रहा था उसे बीते सप्ताह किसने जगा दिया कि अचानक से इसमें इतनी तेज़ी आ गयी?
मैं यहाँ आंकड़े नहीं बता रहा, वो तो आप सब खुद ही दिन भर टी.वी पर देखते -सुनते होंगे. बस मै उन ख़ास लोगों से यही पूछना चाहता हूँ कि 31 दिसंबर की रात गोवा में जो भीड़ लगी उसमे ऐसी क्या मज़बूरी थी कि ज़्यादातर लोगों ने न मास्क लगाए न किसी गाइड लाइन को फॉलो ही किया. शायद मस्ती के मूड में या फिर किसी ख़ास अपनों को देखने और दिखाने के चक्कर दो गज की दूरी और मास्क को भूल गए.
बेफिक्री में परिणाम
कुछ लोग पिछले साल के पुराने दर्द ,
गम , मौतों और पैसों की मजबूरियों को शायद भूल गए होंगे. मगर इस बार उनकी खुद की लापरवाही ने एक बार
फिर से सभी को मुसीबत में डाल दिया है. सिर्फ गोवा ही नहीं देश में कई ऐसी जगहों पर
नए साल के जश्न में लोगों ने सब कुछ भुला दिया होगा .और याद रखा होगा तो सिर्फ और सिर्फ अपनी मौज मस्ती. वो भी ऐसी मौज मस्ती जो सिर्फ एक दिन और रात की थी. मगर उसके बाद
का परिणाम क्या हुआ वो आज आप सबके सामने है.
ताज़ा आकंडे बताते हैं की इस वक़्त देश में लगभग 35 हज़ार के कोरोना मरीज़ आने शुरू हो चुके हैं जिनमे 123 की मौत भी हो चुकी है एवं ओमिक्रोन मरीजों की संख्या इस वक़्त लगभग 1700 के आस पास पहुँच चुकी है . इस वक़्त न सिर्फ गोवा बल्कि दिल्ली, भोपाल , लखनऊ, हैदराबाद ,अहमदाबाद , नोयडा , चंडीगढ़ , गुरुग्राम में स्थिति गंभीर है . मगर जैसा कि हमने ऊपर कहा कि वो हम खुद ही हैं जो सुधरना नहीं चाहते . पुरानी गलतियों से सबक लेना नहीं चाहते .
सतर्क रहने की ज़रुरत
मेरे प्यारे दोस्तों, ज़रा उस दौर को याद कीजिये जब कोरोना लोगों को यमराज बनकर हर सेकेण्ड अपने साथ उठा उठाकर ले जा रहा था . कितने लोग बेवक़्त मर गए. जिनपर पर घर -परिवार और देश को आशा थी, वो हमे छोड़ गए .यह उनकी गलती नहीं बल्कि उस वक़्त हमारी मज़बूरी थी . मगर अब, जब सब कुछ नार्मल होने लगा है .लोग अपने ग़मों को भुलाकर फिर से नयी ज़िन्दगी शुरू करने लगे हैं तो आप क्यूँ अपनी महंगी और अमीरी वाली गलतियों से आम लोगों के जीवन को खतरे में डाल रहे हैं?
कृपया इस बार सुधर जाएँ . थोडा सब्र रखें . हम अपने जीवन
में आनंद ज़रूर मनाएंगे . हर साल मौज मस्ती ज़रूर करेंगे, मगर मौके की नज़ाकत को देखते
हुए. इस वक़्त हमे एक दुसरे का साथ देना चाहिए और हम वो साथ तभी दे सकते हैं जब कोरोना
के सभी नियमों का पालन करेंगे.
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