समुद्र शास्त्र क्या है? चाणक्य इसका प्रयोग कैसे करते थे? Samudra shastra kya hai Chankya iska kaise prayog kart the?

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Samudra shastra kya hai? Chankya ka samudra Shastra kaisa tha? Samudra shastra aur Chankya

 


समुद्र शास्त्र क्या है? चाणक्य इसका प्रयोग कैसे करते थे?


समुद्र शास्त्र और चाणक्य  Chankya ka samudra shastra)



आज के आधुनिक युग में जिस विज्ञान को मानव व्यवहार का अध्ययन करने वाला मनोविज्ञान कहा जाता है उसे ही पुराने समय में समुद्र शास्र के नाम से जाना जाता था. 


मनोविज्ञान या समुद्र शास्त्र एक ऐसा विज्ञान है जो किसी व्यक्ति के मनोभावों को समझने में सहायता करता है. इसका जानकर या विशेषज्ञ, व्यक्ति के समीप रहकर उसकी शारीरिक हरकतों, चेहरे की भाव-भंगिमाओं और उसके बोलने के ढंग से यह पता लगा सकता है कि व्यक्ति अभी किस दशा में है और वो क्या सोच रहा है.?


प्राय: आपने अनुभव किया होगा जब आपके दिमाग में कुछ चल रहा होता है और आप उस दौरान कोई काम करते है तो उस काम में त्रुटियाँ होने लगती हैं. 


उसी प्रकार जब आपके दिमाग में कुछ बातें होती हैं तो न सिर्फ आपके चेहरे के भाव बल्कि आपके बोलने का अंदाज़ भी बदल जाता है. आपकी सोच के साथ आपके व्यवहार और बातों में आपस में तारतम्यता नहीं होती. 


सब अलग-थलग होते हैं. आप चाहकर भी उन शारीरिक हरकतों को रोक नहीं पाते यदि आपके मस्तिस्क में कुछ चल रहा होता है तो.


चाणक्य लगभग हर विषय के ज्ञाता थे .अर्थशास्त्र, राजनीती और कूटनीति के तो वे महापंडित माने जाते थे. मगर उन गुणों के अलावे भी चाणक्य को कई और विषयों की विशेष जानकारी थी जिनमे समुद्र शास्त्र भी एक था. 


जब चाणक्य ने देखा कि भारत पर यूनानियों का हमला हो सकता है तो उन्होंने अखंड भारत के निर्माण के लिए सभी राजाओं से मिलना शुरू कर दिया. 


तब उस समय आचार्य चाणक्य ने अपना बहु-मूल्य समय बचाने के लिए इसी समुद्र शास्त्र का सहारा लिया और फ़ौरन इस ज्ञान की सहायता से राजाओं की बातों से समझ गए कि वे इसमें समक्ष नहीं हैं. 


जिसके पश्चात चाणक्य मगध में नन्द वंश के सबसे बड़े राजा धनानंद के पास गए. किन्तु वहां धनानंद ने चाणक्य का अपमान कर दिया और फिर चाणक्य ने धनानंद को गद्दी से उतार फिकवाने का प्रण कर लिया.     

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