Holi aur Holika
Holika Story Holi par lekh
होली पर निबंध एवं लेख. होलिका दहन की कहानी (story of Holika in Hindi)
होली रंगों का पर्व है और रंग है ख़ुशी व आनंद का प्रतीक. रंगों की तरह ही दूसरों के साथ अपने नए -पुराने संबंधों को गाढ़ा और मधुर बनाने के लिए ही होली पर्व का आरम्भ हुआ जिसे होलिका दहन के दुसरे दिन मनाया जाता है.
होली पर्व हर साल वसंत ऋतू के अप्रैल महीने में आता है. इस बार होली की तारीख 17 और 18 मार्च है 2022. होली सुनने में अंग्रेजी शब्द साउंड करता है जिसका मतलब इंग्लिश में पवित्र होता हैं. मगर यह अंग्रेजी का नहीं बल्कि हिंदी का ही शब्द है.
होलिका से जुडी है होली का पर्व
दरअसल युगों पहले हिरन्य्कश्य्पू की दो बहन थी एक सिंघिका और दूसरी होलिका. ये दोनों ही असुर कुल से आती थी. राहू की माँ सिंघिका किसी भी प्राणी की परछाई पकड़कर उसका शिकार कर लेती थी. एक बार उसने हनुमान को भी पकड़ने की कोशिश की मगर पकड़ नहीं पाई.
वहीँ दूसरी बहन का नाम था होलिका. होलिका के पास एक ऐसी करामाती चादर थी जिसे देह पर लपेटकर अग्नि में बैठने पर उसमे आग नहीं लगती थी.
जब एक असुर वंश में हिरन्य्कश्य्पू का बेटा प्रह्लाद विष्णु का भक्त जन्मा और उसने अपने पिता की भक्ति छोड़ नारायण का नाम जपना शुरू किया तो विष्णु के घोर शत्रु हिरन्य्कश्य्पू ने गुस्से में आकर अपने पुत्र का वध करने का कार्य अपनी बहन होलिका को दे दिया.
होलिका प्रह्लाद को अपने साथ उसी चादर में लेकर अग्नि
पर बैठ गयी. उसकी मंशा प्रहलाद को वहीँ अग्नि में छोड़ खुद के बच निकलने की थी मगर
विष्णु के चमत्कार से प्रहलाद बच गया और होलिका उसी आग में जल गयी.
होली के ठीक एक दिन पहले भारत में होलिका जलाने की प्रथा है जिसे होलिका दहन भी कहते हैं. होलिका जलाने के लिए गत्ते, काठ, कोयला टायर और उपलों का इस्तेमाल किया जाता है. इनका ढेर लगाकर इनमे आग लगाई जाती है. इस ढेर को होलिका माना जाता है जो बुराई की प्रतीक है. होलिका के राख से अगले दिन सभी तिलक करते हैं और फिर आरम्भ होती है होली उत्सव.
भारत के दो ऐसे खास पर्व हैं दिवाली और होली जिन्हें सबसे बड़ा माना जाता है. होली जैसे पर्व की महत्ता तो अपने आप ही बहुत बड़ी है. इस पर्व की खासियत है कि यह मित्र- दोस्तों और परिवार को एक दुसरे के नजदीक लाती है.
रूठे हुए को मानती है और पुरानी सी पुरानी दुश्मनी को भी भुलाकर एक दुसरे को गले लगाने पर मजबूर कर देती है. व्यक्ति उस दिन दुनियाँ के किसी भी कोने में बसा हो यदि वो अपने परिवार से दूर है तो उस दिन किसी भी कीमत पर घर पहुंचकर अपने परिवार के साथ होली मनाता है.
यह पर्व हमारे मन में उत्साह और उमंग को भरता है. विदेशो में भी लोग इस पर्व को मानते हैं जहाँ वो अपने परिवारों के साथ बसे होते हैं. कुछ विदेशी भी इस पर्व को मनाकर आनंद मानते हैं. लेकिन भारत में इस पर्व की ख़ुशी खासकर के छोटे बच्चों में कुछ अधिक ही देखी जाती है.
होली आने से पहले ही बच्चे रंगों के गुब्बारे लेकर छिप –छिपाकर एक दुसरे पर रंग फेंकना शुरू कर देते हैं. लेकिन रंग खेलने का यह आधुनिक तरीका खतरनाक भी हो सकता है जिससे किसी को चोट भी लग सकती है.
इसलिए होली हमे सावधानी से खेलनी चाहिए. इस पर्व में हर युवा ज़्यादातर मस्ती के मूड में रहता है और अच्छा खासा नशा किये हुए अपनी – अपनी टोलियों के साथ घूम घूमकर शिकार ढूंढता रहता है. कुछ लोग तो आराम से रंग लगवा लेते हैं और कुछ बुरा भी मान जाते हैं.
कई – कई बार तो भयानक झगडे भी हो जाते हैं जिसके लिए बेचारी पुलिस को उस दिन भी अपनी ड्यूटी बजानी पड़ती है और लोगों पर निगरानी रखनी पड़ती है. मगर उन झगड़ों का मूल कारण नशा और जबरजस्ती ही होता है जो हम दूसरों के साथ करते हैं.
जबकि यह तो ख़ुशी और भाई चारे का त्यौहार है. होली का मतलब ही है हर बुराई से दूर रहते हुए नए सुखद रिश्तों की शुरुवात करना और पुराने संबंधों को और अधिक मधुर बनाये रखना.
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