Parents kab banna chahiye !! when you become a parents !! Baby's First parents
पेरेंट्स कब बनना चाहिए जानिए?
शादी के बाद दूसरा पड़ाव माँ-बाप, अभिभावक या Parents बनने का होता है. यह एक बहुत ही सुखद एहसास है. लेकिन कुछ लोग इसमें देरी करते हैं और कुछ एक निशित समय पर पेरेंट्स बन जाते हैं.
लेकिन शहरी माहौल की बात करें तो वहां शादियाँ भी देर से हो रही है और लोग बच्चे भी बहुत देर से ही पैदा कर रहे हैं. क्यूंकि शहर में बसे लोग अपनी कमाई और खर्च को देखते हुए ही ऐसी प्लानिंग करना पसंद करते हैं.
लेकिन जो गाँव में रहते हैं उनकी कमाई चाहे कम हो या ज्यादा समाज और गाँव-घर के लोगों को देखते हुए उन्हें इसके लिए मानसिक तौर पर तैयार रहना पड़ेगा. क्यूंकि ग्रामीण माहौल कुछ ऐसा होता है कि हमे रोज़ एक दुसरे को शक्ल दिखानी पड़ती है.
वहां हर आदमी एक दुसरे के बारे में जान रहा होता है .आपने शादी नहीं की तो सौ बातें होगी. अगर हो गयी और बच्चे नहीं किये तो और सौ बातें होगी. मतलब आप उन तानों और नज़रों से बच नहीं सकते जो आप पर सुबह- शाम गड़ी रहती है.
फिर तो शहर वालों की ही प्लानिंग सही है जो वो देर से शादी भी करते हैं और बच्चे भी आराम से ही पैदा करते हैं. ऐसा अक्सर गाँव के लोग सोचते हैं. लेकिन आपको एक बात बता दूं. कभी -कभी तो एक वक़्त के बाद शहर वाले कुंवारे भी रह जाते हैं और ज्यादा उम्र में शादी हो भी गयी तो बच्चा होने में दिक्कत आती है.
ज़्यादातर लोग इस मामले में सब कुछ अपने हिसाब से अपने मुताबिक चलाना चाहते हैं जबकि ऐसा नहीं होता. शादी करने और बच्चे पैदा करने की एक निश्चित उम्र होती है. ऐसा भी नहीं है शादी और बच्चे बहुत जल्दी ही कर ले.
पुराने समय में तो 13-14 साल में बच्चों की शादियाँ हो जाती थी. और एक वक़्त आते- आते उनके 10-12 बच्चे भी हो जाते थे. लेकिन यह भी सच है कि इसका बुरा प्रभाव भी लड़का और लड़की दोनों को ही भुगतना पड़ता है.
आप उन लोगों की हिस्ट्री पता कर सकते हैं जिनकी बहुत अधिक बचपन में शादियाँ हुई हैं. उन्हें हमेशा ही शारीरिक और मानसिक दोनों तरह की कमजोरियां का सामना करना पड़ा होगा.
तो अब सवाल है कि फिर पेरेंट्स बनने के लिए सही उम्र क्या होनी चाहिए ?
मेरे अनुसार अगर पेरेंट्स बनने की सही उम्र मानी जाए तो वो 25-30 की उम्र है. न इससे पहले और न बाद में क्यूंकि इतनी उम्र में लड़के –लडकियां शारीरिक, मानसिक और आर्थिक तीनो रूप से लगभग –लगभग मज़बूत हो जाते हैं.
इस उम्र में आकर वे अपने जीवन में बहुत कुछ देख चुके होते हैं. कई सही –गलत फैसले लेकर बहुत कुछ सीख चुके होते हैं. भीतर का बचपना काफी हद तक बाहर निकल चुका होता है. अगर मौज मस्ती के चक्कर में इससे अधिक लेट करते हैं तो हो सकता है कि आपको कई शारीरिक तकलीफों का सामना करना पड़े.
अगर पेरेंट्स बनने में देरी हुई तो क्या होगा?
मेरी मानिए तो लेट से बच्चे पैदा करने का मतलब जिम्मेदारी कम नहीं बल्कि मुसीबत का बढ़ना है. क्यूंकि आप की उम्र ढलती जायेगी और आपके बच्चे जवान होते जायेंगे. उसके बाद उनपर आपका कण्ट्रोल नहीं रहेगा. क्यूंकि आप उस वक़्त खुद की तबियत देखेंगे कि अपने बच्चे पर निगरानी रखेंगे कि वो क्या करते हैं?
बच्चा एक उम्र में माँ बाप से डरता भी है और उनकी सुनता भी है. लेकिन बस एक निश्चित उम्र तक ही उसके बाद वो आपकी नहीं सुनेगा. और यह तो एक कुदरती नियम भी है कि कमजोरों की कोई नहीं सुनता. इसलिए आपका बच्चा जिस दिन देख लेगा आप बिस्तर से अब उठने लायक नहीं रहे उस दिन वो आजाद हो जाएगा.
उस वक़्त तक अगर आपने सब कुछ संभाला है तो ठीक है वरना उनके बिगड़ने का खतरा ज्यादा बढ़ जाता है. बहुत कम ऐसे बच्चे होते हैं जो माँ- बाप के आज्ञाकारी और संस्कारी होते हैं.
इसलिए अब यह आप पर निर्भर करता है कि आप अपना बच्चा कब चाहते हैं?
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