यूनिफार्म सिविल कोड Uniform Civil Code समान नागरिक संहिता कानून क्या है?

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 यूनिफार्म सिविल कोड  Uniform Civil Code 



यूनिफार्म सिविल कोड (Uniform Civil Code) का हिंदी में अर्थ है – समान नागरिक संहिता कानून अधिनियम . यानि कि वो कानून जो सबके लिए एक समान हो. और उस कानून के आधार पर किसी भी हिन्दू , मुस्लिम सिख, इसाई को ख़ास रियायत न दी जाए बल्कि सबके सबके साथ एक जैसा व्यवहार हो और न्याय भी सबको एक जैसा एक समान ही मिले. 


हिंदुस्तान विविधताओं (Diversity) का देश है. यहाँ भिन्न- भिन्न तरह के धर्मों के लोग रहते हैं. धर्म के आधार पर यहाँ अलग –अलग कानून है .जैसे हिन्दू व्यक्ति, हिन्दू विवाह अधिनियम 1955 के अनुसार चलता है तो वहीँ मुस्लिम व्यक्ति, मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के मुताबिक चलता है. 


उसी प्रकार धर्म, संस्कार, रीति-रिवाजों में सिख और ईसाईयों के भी खुद के कुछ नियम कानून है और सरकार शुरू से उन्हें संरक्षण भी देती आ रही है.



क्यूँ ज़रुरत पड़ी Uniform Civil Code कानून की  ?


कुछ साल पहले कोर्ट के समक्ष एक मामला प्रस्तुत हुआ था. मामला था कि राजस्थान के एक लड़के को अपनी पत्नी से तलाक चाहिए था जिसके लिए उसने कोर्ट में अर्जी लगाईं. 


लेकिन लड़की ने यह कहते हुए लड़के को तलाक देने से इनकार कर दिया कि उनके मीणा समाज में तलाक का प्रचलन नहीं है. ऐसे समाज अनुसूचित जनजाति में आते हैं जिन्हें सरकार की ओर से विशेष संरक्षण भी दिया गया है.


दूसरा, वर्ष 1985 का एक मुस्लिम महिला शाहबनो का चर्चित केस है. शाहबानों को उनके पति ने उस वक़्त तलाक दिया था जब वो 60 वर्ष की थीं. शाहबानों के पांच बच्चे थे. शाहबानों ने गुजारा भत्ते के लिए सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दी. 


लेकिन मुस्लिम पर्सनल लो बोर्ड के मुताबिक उसमे गुजारे भत्ते जैसा कोई भी नियम अथवा शर्त नहीं है. लिहाज़ा मानव अधिकार को देखते हुए कोर्ट ने एक अलग से कानून को पारित करते हुए शाहबानों के लिए सरकार को गुजारे भत्ते का आदेश दिया. 


यह आदेश क्या पारित हुआ कि इससे सभी मुस्लिम धर्म गुरु नाराज़ हो गए. जिसके बाद मुस्लिमों को खुश करने के लिए राजीव गाँधी की सरकार ने उसी कानून को फिर से लागू कर दिया जो मुस्लिम पर्सनल लो बोर्ड में पहले से था. यानि की तलाक के बाद गुजारा भत्ता का कोई अधिकार नहीं. 


लेकिन जब राजीव गाँधी के इस फैसले से एक बहुत बड़ा हिन्दू वर्ग नाराज़ हो गया तो राजीव गाँधी ने वर्ष 1989 में रामजन्म भूमि में पूजा के लिए वहां के ताले खुलवा दिए. फिर बाद में और दंगे-फसाद बढ़ गए. 


मगर जिस तरह बाद में चलकर अयोध्या राम जन्मभूमि पर मंदिर का निर्माण हुआ उसी तरह वर्तमान सरकार ने तीन तलाक पर भी कानून लाकर उस पर रोक लगा दी.


भारत में एक समान नागरिक संहिता कानून की आवश्यकता इसलिए है ताकि इसमें किसी धर्म विशेष को छूट दिए जाने पर दूसरे के साथ अन्याय न हो जाये. एक ही जैसे केस के लिए सभी के साथ एक जैसा व्यवहार हो. किसी के साथ पक्षपात न हो और उचित न्याय से मानवता बनी रहे.


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